राज्य उद्घोषकों की रिपोर्ट
यहोवा अपने विश्वासी सेवकों को सहारा देता है
यीशु ने कहा: ‘दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता, यदि उन्होंने मुझे सताया तो तुम्हें भी सताएँगे।” (यूहन्ना १५:२०) लेकिन यहोवा के सेवक आश्वासित है कि वह उन्हें सहारा देगा। (भजन संहिता १८:२; नहूम १:७) एक अफ्रीकी देश में जहाँ यहोवा के गवाहों के शान्तीपूर्ण कार्य प्रतिबन्धित है, वहाँ यहोवा ने अपने सेवकों को मारपीट और बन्दी के स्थिती में सहारा दिया, जैसा कि निम्नलिखित रिपोर्ट बताती है:
“एक सर्किट अध्यक्ष और चार स्थानीय भाइयों को स्वेच्छाचारी रूप में गिरफ्तार करके एक छोटे कमरे में डाल दिया गया जो सामान्यतः आवारा कुत्तों के लिए उपयोग में आता था। वहाँ उन्हें अपने अन्तरीय वस्त्रों में १२३ दिनों तक रखा गया, उन्हें शौच के लिए भी बाहर नहीं जाने दिया जाता था।” एक संसद सदस्य ने इस अमानवीय कृत्य के बारे में सुना और विरोध किया, अन्ततः १२३ दिनों के बाद भाइयों को छोड़ दिया गया। यहोवा ने अपनी आत्मा के द्वारा इन विश्वासी भाइयों को सहारा दिया।
इसी देश से एक और अनुभव हमारे प्रचार कार्य के लाभदायी प्रभाव बताता हैं। रिपोर्ट बतलाती है: “एक गाँव के लोग हिंसा और विद्रोह के कारण पहचाने जाते थे। लेकिन जब यहोवा के गवाहों ने वहाँ प्रचार किया, बहुत से लोग स्थानीय अधिकारियों का सम्मान करने लगे और मार्ग पर के साप्ताहिक सामाजिक कार्यों में भाग लेने लगे।” एक स्थानीय मुखिया ने लोगों की मनोवृत्ति में इस परिवर्तन के कारण को जानना चाहा और उसे बताया गया कि: “इसका कारण यहोवा के गवाहों के “पास्टर” की शिक्षाएँ थीं।” गवाह कहता है कि, “एक दिन मुखिया ने मुझे अपने घर आमंत्रित किया और इस अच्छे कार्य को जारी रखने का प्रोत्साहन दिया। उसने मुझे अपने परिवार के साथ खाने एक मुर्गा दिया।” एक और अवसर पर नगर अध्यक्ष इस भाई से मिलने आया, उस भाई ने उसे घर में बुलाया और गवाही दी। नगर अध्यक्ष ने “कुछ पत्रिकाए ली और कहा ‘हम नहीं सोचते कि आप लोग हानिकारक है। अपील करते रहो। हमें आपको गिरफतार करने के आदेश नहीं है। मैं सोचता हूँ कि जल्द ही राज्य सरकार आपकी समस्या को सुलझाएगी।’”
एक स्पेशल पायनियर लिखता है: “राजनीतिक पार्टी द्वारा अभियोग लगाए जाने के बाद, स्थानीय मुखिया ने मुझे बन्दी बनाने का आदेश दिया और मुझे एक गन्दे कोठरी में रखा गया जो पशु-मूत्र और खाद से मैलित था। इस अंधेरे में मुझे पाँच दिन रखा गया। वहाँ जाते हुए मैंने यहोवा से प्रार्थना की और भजन संहिता ५०:१५ स्मरण रखा। वहाँ के रक्षकों को मुझ पर दया आयी और उन्होंने द्वार पूरे बन्द नहीं किए ताकी मैं कुछ ताज़ी हवा ले सकूँ। इस बन्दीगृह में पाँच दिन बिताने के बाद, मेरी परिक्षा ली गयी, मुझे एक बकरी दी गयी, जिसे बिना किसी अनुरक्षी के मुखिया के पास ले जाना था। चूँकि मैं भागा नहीं अतः मुझे प्रतिशाम ३.०० बजे से ७.०० बजे तक छूट दी गयी। मैं भाइयों से मिल सकता था और हम साथ-साथ प्रचार कर सकते थे। इन दिनों में सख्त बिमार पड़ा और मेरे शत्रु आशा कर रहे थे कि मैं मर जाऊँगा, परन्तु यहोवा ने मुझे कभी नहीं छोड़ा। इस अनुभव ने मुझे यहोवा के और निकट ला दिया, और अब मैं निश्चित हूँ कि सताहट कभी मुझे यहोवा से अलग नहीं कर सकती।—तुलना करें रोमियों ८:३५-३९.
यहोवा के गवाह मूल्यांकन करते हैं कि कैसे यहोवा उन्हें कठिन समयों में सहारा देता है। वे उनका भी मूल्यांकन करते हैं जो उनके प्रति दया बताते है क्योंकि वे जीवन बचाने वाला महत्वपूर्ण कार्य सुसमाचार के प्रचार करते हैं। यहोवा ऐसी दया को कभी नहीं भूलेगा।—मत्ती २५:४०.