वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w91 3/1 पेज 4-7
  • पुनरूत्थान–किसके लिए और कब?

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • पुनरूत्थान–किसके लिए और कब?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • क्यों लोगों को मरना पड़ता है?
  • मृतकों की दशा कैसी है?
  • पार्थिव पुनरूत्थान
  • पुनरूत्थान—सांत्वना का एक स्रोत
  • पुनरूत्थान—कब?
  • मौत की नींद सो रहे आपके अपनों के लिए सच्ची आशा
    बाइबल असल में क्या सिखाती है?
  • सिर्फ एक ही इलाज!
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2006
  • जिनकी मौत हो गयी है उन्हें ज़िंदा किया जाएगा!
    बाइबल हमें क्या सिखाती है?
  • मरे हुओं के लिए आशा—पुनरुत्थान
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2014
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991
w91 3/1 पेज 4-7

पुनरूत्थान–किसके लिए और कब?

ऐसा ३२ सा.यु. में बैतनिय्याह में हुआ था, जहाँ लाज़र अपनी दो बहनों, मारथा और मरियम के साथ रहता था। बहनों ने यीशु को ख़बर भेजी थी कि लाज़र बीमार है। यीशु, लाज़र और उसकी बहनों को प्यार करता था, इसलिए वह बैतनिय्याह के लिए रवाना हुए। रास्ते में, यीशु ने अपने चेलों को सूचना दी: “हमारा मित्र लाज़र सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।” चेलों ने सोचा कि यीशु का अर्थ उसके वास्तव में सोने से है। इसलिए यीशु ने सरलता से बताया: “लाज़र मर गया है।”—यूहन्‍ना ११:१-१५.

मिलने वाले लाज़र की मृत्यु के चार दिन बाद पहुंचे। जब यीशु ने मरियम तथा औरों को रोते देखा, तब अपने गहरे प्रेम और स्नेह को दिखाते हुए, उसके “आँसू बहने लगे।” (यूहन्‍ना ११:१७, ३५) लाज़र का मृत शरीर एक गुफ़ा में दफ़नाया गया था। यीशु ने निर्देश दिया कि कब्र के द्वार को बन्द करनेवाला पत्थर हटाया जाए। उन्होंने अपने पिता से प्रार्थना कि और फिर ज़ोर से पुकारा: “हे लाज़र, निकल आ!” लाज़र निकल आया। इससे, उसके बहनों को कितनी खुशी हुई होगी!—यूहन्‍ना ११:३८-४५.

यह घटना पुनरूत्थान के लिए सच्ची आशा देती है। तथापि, साधारणतः मृत्यु एक भयानक शत्रु है जो हमारे प्रिय जनों को, यीशु के उन्हें तुरन्त जिलाने की आशा के बिना ले लेती है। जैसा हम अच्छी तरह जानते हैं, इनमें से अनेक प्रिय जन अच्छे और बहुत दयालु हैं। इस कारण एक प्रत्यक्ष प्रश्‍न उठता है . . .

क्यों लोगों को मरना पड़ता है?

यदि हम एक सही, विश्‍वसनीय उत्तर चाहते हैं, तब हमें अदन की बाटिका में मनुष्यजाति की शुरुआत पर मुड़कर ध्यान देना होगा। अदम की आज्ञाकारिता को परखने के लिए, परमेश्‍वर ने उसे एक खास वृक्ष का फल नहीं खाने की आज्ञा दी थी। यदि वह और हव्वा उस फल को खा लेते, तो परमेश्‍वर का कहना था, वे “अवश्‍य मर” जाते। (उत्पत्ति २:१७) जब शैतान ने प्रलोभन दिया, उन्होंने परमेश्‍वर की आज्ञा का उल्लंघन किया और उस निर्णायक परीक्षा में असफल रहे। जिसका परिणाम मृत्यु था।

ऐसे छोटे प्रतीत होने वाले अपराध के लिए ऐसी सजा क्यों? उनका क्रिया छोटा था, पर अपराध अत्यन्त गम्भीर था—सिद्ध मनुष्यों, आदम और हव्वा द्वारा अपने सृष्टिकर्ता के विरूद्ध विद्रोह। अब वे सिद्ध नहीं रहे, और परमेश्‍वर ने उन्हें मृत्यु की सज़ा दी। फिर भी, परमेश्‍वर ने उस उचित सजा के विपरीत आदम की सन्तानों के लिए दूसरा प्रबन्ध किया। कैसे? पौलुस ने लिखा कि “यीशु मसीह . . . ने अपने आपको सब के छुटकारे के दाम में दे दिया।”—१ तीमुथियुस २:५, ६; रोमियों ५:१७.

मृतकों की दशा कैसी है?

लाज़र चार दिनों तक मृत पड़ा था। यदि आप मर जाते, पर वास्तव में चार दिनों तक आत्मिक क्षेत्र में जीवित रहते, और फिर जिलाए जाते, तब क्या आप उसके बारे में दूसरों को बताना नहीं चाहते? पर लाज़र ने किसी दूसरे क्षेत्र में जीवित रहने की बात नहीं बतायी। बाइबल कहती है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।”—सभोपदेशक ९:५; भजन संहिता १४६:३, ४. 

इसके उलझावों पर विचार करें। लाखों लोग शोधन-स्थान में विश्‍वास करते हैं, यद्यपि यह शब्द बाइबल में नहीं मिलता है। उससे भी अधिक लोग विश्‍वास करते हैं, कि नरक अग्निमय है। आप अपने शत्रु को भी हमेशा के लिए आग में नहीं जलाएँगे। यदि आप ऐसा क्रूर काम करने से इंकार कर सकते हैं, तो क्या हमारा प्रेमी सृष्टिकत्ता नरक की आग में व्यक्‍तियों को यातना देगें? लेकिन, कृपया ऊपर बताए गए बाइबल के सांत्वना देने वाले आश्‍वासन पर विचार करें—मृतक “कुछ भी नहीं जानते।”

पवित्र शास्त्रों के अनुसार, वह जो मसीह के साथ स्वर्ग में शासन करेंगे उनकी संख्या उपेक्षाकृत कम है। यीशु उनका वर्णन “छोटे झुण्ड” करके करते हैं। (लूका १२:३२) प्रेरित यूहन्‍ना ने देखा के “मेम्ना [यीशु मसीह] [स्वर्गीय] सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौआलीस हज़ार जन हैं . . . जो पृथ्वी पर से मोल लिए गए थे।” (प्रकाशितवाक्य १४:१-३) तब इसका अर्थ, यही है कि, ऐसे व्यक्‍ति पहले मनुष्य थे, जो मर गए, और बाद में मसीह के साथ स्वर्ग में रहने के लिए जिलाए गए।

जैसा आप कल्पना कर सकते हैं, इन बाइबल सच्चाइयों को समझने से लोगों की सहायता की गयी है—कि, शोधन-स्थान नहीं है और न ही जलनेवाला नरक और यह एक आशा है कि मृतक व्यक्‍ति स्वर्ग के लिए जिलाए जा सकते हैं। फिर भी, यदि स्वर्ग के लिए जिलाए जाने वाले लोग इतने कम हैं, तो दूसरों के लिए क्या आशा है?

पार्थिव पुनरूत्थान

यीशु मसीह ने, स्वर्गीय जीवन के लिए पुनरुत्थान प्राप्त करने का मार्ग खोल दिया, या उसका उद्‌घाटन किया। (इब्रानियों ९:२४; १०:१९, २०) परिणामस्वरूप, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला स्वर्गीय पुनरुत्थान में हिस्सा नहीं लेगा क्योंकि यीशु की मृत्यु, और स्वगीर्य जीवन के लिए मार्ग खोलने से पहले उसकी हत्या की गयी थी। यीशु ने कहा: “यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है, वह उस से बड़ा है। (मत्ती ११:११) इस विश्‍वासी आदमी और उसी के समान दूसरे व्यक्‍तियों के लिए जो मर गए है, परमेश्‍वर ने क्या इनाम रखा है?

आप अपने बाइबल में लूका २३ खोलें और पद ३९ से ४३ तक पढ़ें। एक अपराधी ने जो यीशु के साथ काठ पर लटकाया गया था कहा: “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।” यीशू ने उसे आश्‍वासन दिया कि वह परादीस में होगा। वह स्वर्ग नहीं है, पर एक पार्थिव परादीस है, जैसा पहला परादीस था।

पुनरूत्थान—सांत्वना का एक स्रोत

बाइबल की वह ठोस प्रत्याशा बहुत दिलासा देनेवाली होनी चाहिये क्योंकि हमारे पास आशा रखने का कारण है। क्यों? क्योंकि यहोवा प्रेम हैं। (१ यूहन्‍ना ४:८) जब उन्होंने अपने पुत्र को एक शर्मनाक मृत्यु मरने की स्वीकृति दी थी, तब परमेश्‍वर वास्तव में अपने प्रेम के अद्‌भुत गुण को प्रकट कर रहे थे। कुछ समय पहले, यीशु ने कहा था: “परमेश्‍वर ने जगत [मनुष्यजाति] से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।”—यूहन्‍ना ३:१६.

यीशु ने भी विश्‍वास रखने वाली मनुष्यजाति के लिए छुड़ौती के रूप में अपना जीवन देने के द्वारा अपने असाधारण प्रेम को दिखाया था। उन्होंने स्वयं कहा: “मनुष्य का पुत्र, वह इसलिए नहीं आया कि उस की सेवा टहल की जाए, परन्तु इसलिए आया कि आप सेवा टहल करें, और बहुतों की छुड़ौती के लिए अपने प्राण दे।”—मत्ती २०:२८.

कैरोलैन, जिसका ज़िक्र पहले लेख में किया गया था कि उसने एक भयानक दुर्घटना में अपने कई प्रिय जनों को खो दिया था, उसके बाद स्तब्ध रह गयी थी। पर उसे यह जानकार सान्त्वना मिली कि वे मरे हुए प्रिय जन दुःख नहीं भोग रहे थे। इसका सामना करने में उसे और क्या अतिरिक्‍त सहायता मिली थी? उसके आत्मिक भाइयों, यहोवा के गवाहों द्वारा दिखाया गया प्रेम और सच्ची संवेदना बहुत सहायक प्रमाणित हुई।—भजन संहिता ३४:१८.

यहोवा को प्रार्थना करने से भी बहुत सहायता मिली। कई रातों को वह उठ जाती और सोचती कि वह एक बुरा सपना था, पर फिर वास्तविकता उसे चोट पहुँचाती थी। यहोवा से निवेदन करने पर उसे तसल्ली मिलती, और वह उस बात को गहराई से मूल्यांकन करती, जिसे पौलुस ने लिखा: “किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं। तब परमेश्‍वर की शांति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।”—फिलिप्पियों ४:६, ७.

शर्ली एक दूसरी उदाहरण देती है कि पुनरूत्थान की आशा कितनी सांत्वना देती है। उसका छोटा बेटा रिकार्डो तुरन्त मर गया जब कंक्रीट का भारी टुकड़ा उसकी छाती पर गिर पड़ा, और उसके नन्हे हृदय को फाड़ दिया। इस दुर्घटना के बाद, जनवरी १९८६ में, शर्ली ने मित्रों को बताया: “यह एक दुःस्वप्न के समान था।” कैथोलिक गिरजे में उसने इन वचनों को सुना था: “परमेश्‍वर जीवतों और मृतकों का न्याय करेगा।” शर्ली सोचने लगी, ‘यदि परमेश्‍वर जीवतों और मृतकों का न्याय करने जा रहे हैं, तब एक व्यक्‍ति कैसे जान सकता है कि मरने के बाद लोग कहाँ जातें हैं? यदि वे स्वर्ग में हैं, तब बाद में क्यों उन्हे न्याय के लिए जिलाया जाएगा? इसके अतिरिक्‍त, यदि वे स्वर्ग में जीवित हैं तब कैसे उनका पुनरूत्थान हो सकता है?’ कहीं भी बाइबल जीवतों के पुनरूत्थान के ज़िक्र नहीं करती है पर केवल मृतकों के बारे में।

शर्ली ने अपने पति से इस समस्या के बारे में पूछा, क्योंकि वह बाइबल से परिचित था। जब वह इस विषय पर बाइबल क्या कहती है यह समझ गयी, तो फिर शर्ली कभी भी गिरजा वापस नहीं गयी। एक रिश्‍तेदार ने जो यहोवा के गवाहों में से एक है मार्च १९८६ में, शर्ली और उसके पती के साथ बाइबल अध्ययन आरम्भ किया, और शीघ्र ही उन्होंने बपतिस्मा ले लिया। अब वह निष्कर्ष निकालती है: “सत्य के बारे में जानना, पुनरूत्थान के बारे में जानना, और यह जानना कि यहोवा कितने अद्‌भुत व्यक्‍ति है, कितना आश्‍चर्यजनक है।”

पुनरूत्थान—कब?

दर्शन में, प्रेरित यूहन्‍ना ने देखा “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था . . . सिंहासन के सामने और मेम्ने के सामने खड़ी है।” (प्रकाशितवाक्य ७:९) यह कि बड़ी भीड़ ‘परमेश्‍वर के सिंहासन के सामने’ खड़ी है इस तथ्य के सामंजस्य रखती है कि उन्हें इसी पृथ्वी पर रहना है। (यशायाह ६६:१) यदि उनमें से कोई अभी मर जाता है, तब वे कब जिलाए जाएंगे? बाइबल कोई तिथि नहीं देती है, पर ऐसा आनेवाले युद्ध के बाद होगा, जिसमें परमेश्‍वर पृथ्वी पर से उसके धार्मिक स्तर के अनुसार चलने के अनिच्छुक व्यक्‍तियों को नाश करेंगे। (२ थिस्सलुनीकियों १:६-९) यह न्याय दिवस और उन सबके पुनरूत्थान के लिए मार्ग खोलेगा जिन्हें परमेश्‍वर पार्थिव पुनरूत्थान के योग्य समझतें हैं। (यूहन्‍ना ५:२८, २९; प्रेरितों के काम २४:१५) बाइबल की भविष्यद्वाणियों की पूर्ती प्रमाणित करती है कि ये रोमांचक और अद्‌भुत परिणाम शीघ्र ही होंगी!—प्रकाशितवाक्य १६:१४-१६.

यीशु के चेलों ने एक बार उनसे पूछा था: “तेरी उपस्थिति का, और इस रीति-रिवाज़ के अन्त का क्या चिन्ह होगा? (न्यू.व.)” उत्तर में, यीशु ने लड़ाईयों, अकाल, भूकम्प, महामारी और राज्य के सुसमाचार का पृथ्वी-व्याप्त प्रचार का ज़िक्र किया था।—मत्ती २४:३-१४; लूका २१:७-११.

यह असाधारण भविष्यद्वाणी १९१४ से पूरी हो रही है, जब प्रथम विश्‍वयुद्ध शुरु हुआ। इसमें लाखों लोग मार डाले गए और इससे अनेक देशों में अकाल और भोजन की कमी हुई। द्वितीय विश्‍वयुद्ध के समय और उसके बाद संसार की स्थिति और अधिक ख़राब हो गयी।

महामारी के सम्बन्ध में, अनेक लोग महसूस करते हैं कि सबसे खराब उदाहरण एड्‌स है। “यह महामारी इतनी विस्तृत और प्राणघातक है कि विशेषज्ञ इसकी तुलना काली मृत्यु से करते हैं जिससे चौदहवीं शताब्दी में यूरोप की एक चौथाई आबादी ख़त्म हो गयी थी।”—रीडर्स डाइजेस्ट, जून १९८७.

इन वर्त्तमान वीभत्सताओं पर विचार करने से, पुनरुत्थान कितनी अद्‌भुत घटना होगी! यह अदम्य आनन्द का समय होगा जब मृत्यु द्वारा टूटे हुए परिवार, जैसे कैरोलैन और शर्ली के परिवार, फिर से एक होंगे! स्पष्टतः, हम में से प्रत्येक के लिए बुद्धिमानी का मार्ग होगी कि हम अभी परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार जीवन व्यतीत करें और इस तरह उस समय उपस्थित होंने के योग्य बनें जब पुनरुत्थान होगा।

[पेज 7 पर तसवीर]

बाइबल कहती है कि जिस तरह एक पेड़ शायद काट दिया जा सकता है और फिर भी दोबारा अंकुरित होता है, वैसे ही परमेश्‍वर उन मृतकों को जिला सकता है जो उनके याददाश्‍त में हैं।—अय्यूब १४:७-९, १४, १५.

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें