उनके अनुमान से भी ज़्यादा देर हो चुकी थी!
साल, सामान्य युग पूर्व ६०९। जगह, यरूशलेम। बोलनेवाला, भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह। उसने अपने प्रिय पवित्र शहर, यरूशलेम के लिए विनाश की पूर्वसूचना दी, एक ऐसा विनाश जो इसलिए आनेवाला था कि यहूदी यहोवा से मुँह मोड़कर झूठे देवताओं की उपासना में तल्लीन हो गए थे। ऊँचे टीलों पर उन्होंने लम्पट लिंग पूजा की, मूर्तिपूजक देवताओं को अर्घ चढ़ाया, सूरज, चाँद और तारों की पूजा की, बाल के लिए धूप जलाया, और अपने बच्चों को मोलक के लिए होमबलि के तौर से चढ़ाया।—१ राजा १४:२३, २४; यिर्मयाह ६:१५; ७:३१; ८:२; ३२:२९, ३४, ३५; यहेज़केल ८:७-१७.
उनकी नज़रों में यिर्मयाह एक विपत्ति हूकनेवाला, कट्टरपंथी, और हर चीज़ तथा हर किसी के बारे में असंतुष्ट व्यक्ति था। यिर्मयाह उन्हें ३८ सालों से चेतावनी देता आ रहा था; ३८ सालों से यरूशलेम के बाशिन्द उसकी हँसी उड़ाते आ रहे थे। उस वक़्त तक, लोग यहोवा की ओर ध्यान नहीं दे रहे थे, यह कहकर कि वे ऐसी कोई ताक़त न थे जिनके बारे में परवाह की जानी चाहिए। उन्होंने कहा: “यहोवा न तो भला करेगा और न बुरा” और, “यहोवा ने इस देश को त्याग दिया और यहोवा कुछ नहीं देखता।”—सपन्याह १:१२; यहेज़केल ९:९.
भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह और यहेज़केल यरूशलेम के विनाश का सन्देश सुना रहे थे, लेकिन अभी तक कुछ न हुआ था। इसलिए इस्राएलियों ने अपने समय में ऐसे किसी भी दर्शन के पूरा होने की संभावना को यह कहकर वर्जित किया: “दिन अधिक हो गए हैं, और दर्शन की कोई बात पूरी नहीं हुई।” लेकिन इसके लिए यहोवा का जवाब यह था: “वह दिन निकट आ गया है, . . . क्योंकि मैं यहोवा हूँ; जब मैं बोलूँ, तब जो वचन मैं कहूँ, वह पूरा हो जाएगा। उस में विलम्ब न होगा, परन्तु, हे बलवा करनेवाले घराने, तुम्हारे ही दिनों में मैं वचन कहूँगा, और वह पूरा हो जाएगा।”—यहेज़केल १२:२२-२५.
सा.यु.पू. ६०९ में, यहोवा को अपना वचन पूरा करने का समय आ चुका था। यिर्मयाह द्वारा चेतावनी सुनाने के तक़रीबन चार दशकों बाद, यरूशलेम का नगर कसदी सेनाओं द्वारा घेर लिया गया। अठारह महीनों बाद दीवारों को तोड़ दिया गया, मंदिर को जला दिया गया, और अधिकांश लोगों को निर्वासन में बाबेलोन ले जाया गया। जैसे पूर्वबतलाया गया था, नगर को तलवार, अकाल और महामारी से नष्ट किया गया।—२ राजा २५:७-१७; २ इतिहास ३६:१७-२०; यिर्मयाह ३२:३६; ५२:१२-२०.
यिर्मयाह सही निकला। लोग ग़लत साबित हुए। उनके अनुमान से भी ज़्यादा देर हो चुकी थी! दर्शन की पूर्ति सालों बाद के लिए न थी। यह उनके ही समय के लिए थी।
यह सिर्फ़ इतिहास ही नहीं। यरूशलेम के साथ जो हुआ, वह भविष्यसूचक था। यह आनेवाली बात की छाया थी। वर्तमान समय का ईसाईजगत् मसीह का नाम लेता है और परमेश्वर के साथ एक क़रारबद्ध रिश्ते में होने का दावा करता है; फिर भी यह पुराने समय के यरूशलेम के बाशिन्दों के पदचिह्नों पर चलता है। सामान्यतः, ईसाईजगत् की गिरजाएँ मूर्तिपूजक उपदेश सिखाती हैं, वे यौन-सम्बन्धी अनैतिकता से दूषित हैं, राजनीतिक परियोजनाओं की हिमायत करते हैं, दुनिया के युद्धों का समर्थन करती हैं, क्रमविकासवाद को गले लगाकर परमेश्वर को सृजनहार के रूप में त्याग देती हैं, सुविधा की वेदी पर करोड़ों अजन्मों की चढ़ायी गयी बलि की अनदेखी करती हैं, और आम तौर से मानवीय फ़लसफ़ों को ग्रहण करके यह दावा करती हैं कि बाइबल पौराणिक कथा और अनुश्रुति है।
जैसे यरूशलेम के लोगों ने यिर्मयाह की हँसी उड़ायी, उसी तरह ईसाईजगत् आज यहोवा के गवाहों की हँसी उड़ाता है। आरमागेडोन में आनेवाले विनाश के बारे में गवाहों की चेतावनी को बेकार होने के तौर से नज़रंदाज़ किया जाता है। ‘परमेश्वर पृथ्वी में दिलचस्पी नहीं रखते,’ ईसाईजगत् कहता है। ‘उनको स्वर्ग चलाने दो; हम इस पृथ्वी को चलाएँगे। और अगर आरमागेडोन आ जाएगा, तो यह हमारी पीढ़ी में तो नहीं होगा। हम उस कहानी को पहले भी सुन चुके हैं। हम उस से धोखा न खाएँगे!’
क्या इतिहास फिर से दोहराया जाएगा? क्या यह एक और समय होगा जब करोड़ों लोग पाएँगे कि उनके अनुमान से भी ज़्यादा देर हो चुकी थी?