क्या आपको याद है?
क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंकों पर ध्यानपूर्वक विचार किया है? अगर ऐसा है, तो आप शायद निम्नलिखित बातें याद कर सकेंगे:
◻ जब से अवज्ञाकारी दूतों को अँधेरे कुण्डों (टारटरस) में भेजा गया है, इससे उनके लिए क्या सूचित हुआ है? (२ पतरस २:४, न्यू.व.)
उनके लिए यहोवा के पवित्र संघटन में अब और कोई स्थान नहीं और ईश्वरीय उद्बोधन से वे वंचित हैं। किन्तु, वे शैतान के निर्देशानुसार कार्य करते हैं और पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों को भी नियंत्रित करने की कोशिश करते हुए, मनुष्यों के साथ निकट संबंध बनाए रखते हैं। (प्रकाशितवाक्य १२:१२, १७)—१२/१, पृष्ठ १६
◻ यहोवा की नज़रों में जो बुरा है उससे “घृणा करना” क्यों ज़रूरी है? (भजन ९७:१०)
जो बुराई से घृणा करते हैं, वे उन बातों में भाग लेने के तरीक़ों की खोज नहीं करते। दूसरी ओर, वे लोग जो उससे घृणा नहीं करते, शारीरिक रूप से उससे दूर रहने पर भी मानसिक रूप से बुरी बातों में भाग लेने की इच्छा रखते हैं।—१२/१, पृष्ठ २३.
◻ बिरिया के यहूदी किस मतलब से ‘पवित्र शास्त्रों में ध्यानपूर्वक ढूँढ़ते रहे’? (प्रेरितों १७:११)
ऐसा नहीं कि बिरिया निवासी पौलुस और उसके द्वारा लाए गए संदेश पर शक करते थे, बल्कि उन्होंने यह सिद्ध करने के लिए गवेषणा की, कि यीशु ही मसीहा है। यह बात कि उन में से कई विश्वासी बन गए, दिखाती है कि उनका उद्देश्य सच्चा था। (प्रेरितों १७:१२)—१/१, पृष्ठ २८.
◻ इस्राएलियों को दिए गए परमेश्वर के नियमों से उन्हें किन विषयों में पवित्र रहने की मदद मिली?
यहोवा के नियमों से इस्राएलियों को आध्यात्मिक, नैतिक, मानसिक, शारीरिक, और उनकी उपासना के संबंध में, रस्मी रूप से स्वच्छ रहने में मदद मिली।—३/१, पृष्ठ २२.
◻ “मानसिक स्वच्छता,” इस अभिव्यक्ति का क्या अर्थ है?
मानसिक स्वच्छता का अर्थ है, ‘जो बातें सत्य, उचित, और पवित्र हैं,’ उन पर विचार करने और ‘उन्हीं पर ध्यान लगाए रहने’ के द्वारा, हमारी ओर से मानसिक रूप से स्वच्छ रहने का जानकार परिश्रम करना। (फिलिप्पियों ४:८)—४/१, पृष्ठ १४.
◻ हलकी गपशप के विरुद्ध भी हमें क्यों सावधान रहना चाहिए?
हम एक ऐसी बात कह सकते हैं जो किसी को चोट पहुँचाने के लिए नहीं कही गयी थी लेकिन यह प्रतीयमानतः हलकी गपशप तब हानिकर बन सकती है जब उसे दोहराया जाता है, उसका ग़लत अर्थ लगाया जाता है, या उस में नमक-मिर्च मिलाया जाता है कि वह उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर हानि लाती है और उसे अच्छे नाम से वंचित कर देती है। (नीतिवचन २०:१९)—५/१, पृष्ठ २६.
◻ किस उद्देश्य से एक मनुष्य को एक मसीही अध्यक्ष बनने के विषय पर अपना मन लगाना चाहिए? (१ तीमुथियुस ३:१)
एक पुरुष को अध्यक्ष का पद पाने की अपेक्षा नम्रतापूर्ण करनी चाहिए इसलिए कि वह दूसरों की सेवा करना चाहता है। इस तरह जब वह सच्चे उद्देश्यों से प्रेरित है, उसकी ओर से यह कार्य सभी संबद्ध व्यक्तियों पर आध्यात्मिक आशीष में परिणत होता है।—५/१, पृष्ठ १०.
◻ सांसारिक अधिकारियों को “प्रधान” कहने से, क्या हम यहोवा के लिए निश्चित आदर कम कर रहे हैं? (रोमियों १३:१)
नहीं, इसलिए कि यहोवा सिर्फ “प्रधान” होने से कहीं अधिक हैं। वह “सर्वश्रेष्ठ प्रभु,” “परमप्रधान” हैं। (भजन ७३:२८; दानिय्येल ७:१८, २२) सांसारिक अधिकारी सिर्फ़ अन्य मनुष्यों के संबंध में, और उनके अपने कार्यक्षेत्र में प्रधान हैं। वे समुदायों पर शासन करने और उनकी रक्षा करने के लिए ज़िम्मेदार हैं।—६/१, पृष्ठ १२.