“तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूंगा”
परिवार वन में आनंददायी सैर का मज़ा ले रहा था। फिर, पीटर, सबसे छोटा बेटा, एक गिलहरी के पीछे-पीछे भागते हुए पहाड़ी से नीचे गया और उन से बिछुड़ गिया। अचानक ही, आकाश बादलों से भर गया, और वर्षा होने लगी। पहले तो यह हल्की बरसात थी, परन्तु धीरे-धीरे यह मूसलाधार बरसात बन गयी। उस परिवार ने शीघ्रता से अपनी चीज़ों को इकट्ठा किया और अपनी गाड़ी की ओर दौड़े। और सब सोच रहे थे कि पीटर कहाँ है।
इस दौरान, पीटर अपने परिवार के पास लौटने की कोशिश कर रहा था। आगे की चीज़ों को देखना कठिन था, और वर्षा के कारण पहाड़ी की चड़ाई के मार्ग पर फिसलन थी। अचानक, ऐसा प्रतीत हुआ मानो ज़मीन उसके पैरों तले से ख़िसक गयी और वह एक गहरे, छिपे हुए गड्ढे में गिर पड़ा। उसने बाहर निकलने की कोशिश की, परन्तु गड्ढे के अन्दर चारों तरफ़ फिसलन थी।
वर्षा का पानी पहाड़ी से नीचे बह रहा था और वह गड्ढा कीचड़ से भर रहा था। पीटर सचमुच डूबने के ख़तरे में था। लेकिन तब उसके पिता ने उसे ढूँढ़ लिया और उसे रस्सी की मदद से बाहर खींच निकाला। बाद में, दूर भटकने के लिये पीटर को खूब डांट पड़ी। तब भी, अपनी माँ की बाँहों में कम्बल ओड़े, इस डांट को स्वीकार करना बहुत आसान था।
यह अनुभव अच्छे तरीक़े से सचित्रित करता है कि वे जो पहले परमेश्वर के लोगों के बीच में हुआ करते थे, उन के साथ क्या होता है। वे इस रीति-व्यवस्था के गहरे गड्ढे में गिर गये हैं और निकलने की हर यथासंभव कोशिश कर रहे हैं ताकि यहोवा के संगठन की शरण में लौट सकें। कितनी ही खुशी होती है यह जानकर कि यहोवा दयालु है और ‘रस्सी को नीचे उतारकर’ उन्हें सुरक्षा में वापस ले आने के लिये मदद करने को तैयार है!
यहोवा के दयावान् व्यवहार
इस्राएल के दिनों में, भवन के निर्माण के समापन के समय, सुलैमान ने एक समर्पण प्रार्थना की, जिस में उसने यहोवा से विनती की कि वह भवन की ओर किये आवेदनों को सुने। उसने तब कहा: “निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है: यदि ये [इस्राएली] भी तेरे विरुद्ध पाप करें, और तू उन पर कोप करके उन्हें शत्रुओं के हाथ कर दे, . . . तो यदि वे बन्धुआई के देश में सोच विचार करें, और फिरकर अपने बन्धुआ करनेवालों के देश में तुझ से गिड़गिड़ाकर कहें, . . . तो तू अपने स्वर्गीय निवासस्थान में से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनना।”—१ राजा ८:४६-४९.
इस्राएल के इतिहास के दौरान सुलैमान का यह निवेदन कई अवसरों पर पूरा हुआ। बार-बार परमेश्वर के लोगों ने मुँह फेरकर उसको त्यागा। फिर उन्हें अपनी ग़लती का अहसास हुआ और उसे खोजते हुए, लौट आए। और यहोवा ने उन्हें माफ़ किया। (व्यवस्थाविवरण ४:३१; यशायाह ४४:२१, २२; २ कुरिन्थियों १:३; याकूब ५:११) मलाकी के द्वारा, यहोवा ने अपने लोगों के साथ हज़ार वर्ष के व्यवहार का सारांश इस प्रकार दिया जब उसने कहा: “अपने पुरखाओं के दिनों से तुम लोग मेरी विधियों से हटते आए हो, और उनका पालन नहीं करते। तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूंगा।”—मलाकी ३:७.
ठोकर के कारण
इस्राएलियों की तरह, आज परमेश्वर के कई लोग हटकर स्वयं को यहोवा की संगठन से अलग कर लेते हैं। क्यों? कुछ तो ऐसी चीज़ के पीछे लग जाते हैं जो कि शुरू-शुरू में अहानिकर प्रतीत होती है, जैसे पीटर का उस गिलहरी के पीछे भागना। यही आडा के साथ हुआ। वह बताती है: “यह प्रथा सी बन चुकी थी कि हम सब सहकर्मी दोपहर के समय किसी पास के भोजनालय में एक साथ खाना खाएं। इसलिये जब उन्होंने काम के बाद मुझे एक कप कॉफ़ी के लिए निमंत्रित किया, तो यह स्वीकार करना कठिन नहीं था। मैंने तर्क किया कि मैं कोई ऐसा समय तो इस्तेमाल कर नहीं रही हूं जो सभाओं या प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। मुझे यह अहसास नहीं हुआ कि यह १ कुरिन्थियों १५:३३ में दिये गये सिद्धांत को मानने की कमी हो सकती है।
जल्द ही, मैं उनके साथ शनिवार के शनिवार घुड़सवारी करने के लिए जाने लगी। फिर मैं उनके साथ फिल्म और रंगशाला जाने लगी। इसका परिणाम यह हुआ कि मैं कुछ सभाओं में अनुपस्थित होने लगी। आख़िरकार, मैं किसी भी सभा में नहीं जा रही थी और न ही प्रचार कार्य में भाग ले रही थी। जब मुझे अहसास हुआ कि क्या हो रहा है, तब तक तो मैं संगठन के साथ संगति करना बिलकुल बंद कर चुकी थी।
दूसरे मामलों में शायद एक गंभीर गुप्त पाप हो जिसके कारण व्यक्ति परमेश्वर की सेवा करने के अयोग्य महसूस करे। (भजन ३२:३-५) या तो एक व्यक्ति सुलैमान की इस बात को न समझते हुए कि “निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है,” मसीही साथियों द्वारा कही बात या किये किसी काम पर ठोकर खा सकता है।—१ राजा ८:४६; याकूब ३:२.
कुछ अन्य लोग निराश हो जाते हैं जब उन्हें अनुशासन मिलता है। (इब्रनियों १२:७, ११) भौतिकवादी जीवन-शैली के आकर्षण से बहुतों ने परमेश्वर की सेवा करनी छोड़ दी हैं। अक़सर, सांसारिक सफ़लता की खोज में, वे अपने आप को लौकिक काम में इतना उलझा लेते हैं कि उनके जीवन में परमेश्वर की सेवा के लिए कोई जगह ही नहीं रहती। (मत्ती १३:४-९; १ तीमुथीयुस ६:९, १०) क्या ऐसी परिस्थिति में लोगों के लिए कोई भी आशा नहीं?
क्या आप यहोवा के निमंत्रण के प्रति अनुक्रिया दिखाएंगे?
एक अवसर पर यीशु ने कुछ कहा जो समझने में कठिन था, और कुछ एक को ठोकर लगी। विवरण कहता है: “इस पर उसके चेलों में से बहुतेरे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले।” परन्तु सभी को ठोकर नहीं लगी। बाइबल का विवरण आगे बताता है: “यीशु ने उन बारहों से कहा, क्या तुम भी चले जाना चाहते हो? शमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं।” (यूहन्ना ६:६६-६८) यीशु के प्रेरितों ने बुद्धिमत्ता से समझ लिया कि यीशु को छोड़ना अनर्थकारी होगा।
कुछ लोग जो हट जाते हैं आखिर में ऐसे ही निर्णय पर पहुँचते हैं। उन्हें यह अहसास होता है कि परमेश्वर के संगठन को छोड़ना एक अनर्थकारी क़दम उठाना था और सिर्फ़ यहोवा और मसीह के साथ ही उन्हें वे बातें मिलेंगी जो जीवन की ओर ले जाती हैं। एक बार उन्हें यह अहसास हो जाए, तो उन्हें यह भी अहसास होना चाहिए कि अभी भी देर नहीं हुई है कि वे पुनर्विचार करें, यहोवा से क्षमा मांगें, और उसके पास लौट आएं। खुद यहोवा ने यह निमंत्रण दिया था: “तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूंगा।”—मलाकी ३:७.
सचमुच, यहोवा की सेवा करने को छोड़ एक सच्चा मसीही और कहाँ खुशी प्राप्त कर सकता है? अगर कुछ समय के लिए परमेश्वर के संगठन का भाग होने के उपरांत एक व्यक्ति दूर चला जाए, तो बाहर संसार में उसके लिए क्या रखा है? उसे जल्द ही अहसास हो जाएगा कि वह अब ऐसे संसार का भाग है जो ज़्यादा से ज़्यादा हिंसात्मक होता जा रहा है। वह स्वयं को एक ऐसी रीति-व्यवस्था में उलझा हुआ पाएगा जो कपट, झूठ, धोखेबाज़ी, और अनैतिकता से भरपूर है, ऐसा संसार जो उतना ही ख़तरनाक और अप्रिय है जितना कि वह कीचड़ का गड्ढा जिससे नन्हे पीटर की जान को ख़तरा था। जब उसे होश आ जाए और अहसास हो कि उसका अनंत जीवन ख़तरे में है, तो उसे उस स्थिति से निकलने के लिए मदद ढूँढ़ने में देर नहीं करनी चाहिए। तब भी, लौटना शायद आसान न हो।
क्या आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसने यहोवा के पास लौटने की कोशिश की है परन्तु इसे कठिन पाया है? तब जान लीजिए कि आपको मदद की ज़रूरत है। और यह विश्वास रखिए कि परमेश्वर के संगठन में आपके भाई-बहन आपको मदद देने के लिए तैयार हैं। पर यहोवा को अपनी इच्छा दिखाने के लिए आपको यत्न करना होगा। यही समय है कि आप ‘अपने होश में आएं’ और ‘वास्तव में यहोवा के पास लौट आएं।’—१ राजा ८:४७, NW.
लौटने के लिए मदद दी गई
आडा व्याख्या करती है कि यहोवा के पास लौटने में किस बात ने उसकी मदद की: “सही समय पर उस बहन ने, जिसने मेरे साथ अध्ययन किया था, मुझे उसके साथ एक सर्किट सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए निमंत्रित किया। वह इतनी प्यारी थी! और उसने मेरी बिल्कुल भी निन्दा नहीं की! उसने इतना प्रेम दिखाया। आख़री सभा में उपस्थित हुए मुझे एक साल हो गया था, परन्तु मैं संसार के खोखलेपन पर विचार करती रहती थी और इस तथ्य पर कि, चमक-दमक के पीछे सिर्फ़ उदासी, हताशा, तथा अनैतिकता थी। इसलिए मैंने सम्मेलन में उपस्थित होने का फ़ैसला किया। जिस रंगशाला में सम्मेलन हो रहा था वहाँ पहुँचते ही, मैं सीटों के आख़री पंक्ति पर जाकर एक अंधेरे कोने में छिप गई। मैं नहीं चाहती थी कि भाई लोग मुझे देखें और सवाल पूछें।
तो भी, कार्यक्रम ने ऐसी सलाह दी जिसकी मुझे सख़्त ज़रूरत थी। जब यह समाप्त हुआ, तो मैंने ठान लिया था कि न सिर्फ़ मैं यहोवा के लोगों के पास लौट जाऊँगी परन्तु अपने आपको यहोवा के प्रति अपने पूरे दिल से अर्पित कर दूंगी। भाइयों ने बाहें फैलाकर मेरा स्वागत किया और ‘फ़ज़ूलख़र्च’ वाला लौट आया।” (लूका १५:११-२४) इस सब को हुए काफ़ी समय हो गया है, और अब आडा को पूर्ण-समय सेवा में लगे २५ साल से अधिक हो गया है।
एक और दूर भटक गये व्यक्ति के मामले का भी समान सुखप्रद परिणाम निकला। कुछ प्राचीनों ने होसे को ऐसी सलाह दी जो बाइबल सिद्धांतों से अधिक उनके अपने विचार को व्यक्त करती थी। होसे, निराश और नाराज़ होकर, आख़िरकार निष्क्रिय हो गया। आठ साल के लिए वह परमेश्वर के लोगों से अलग रहा, और उस समय के दौरान उसने एक अविश्वासी स्त्री से विवाह किया और बच्चों का बाप बना, जिन में से एक का बपतिस्मा उसने कैथोलिक गिरजे में होने दिया।
आख़िरकार, उसकी मदद की गयी जब सर्किट अध्यक्ष ने उससे भेंट की और प्रचीनों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया। वह वापस लाया गया और अपनी पत्नी को सच्चाई में दिलचस्पी लेते हुए देखकर उसे खुशी हुई। होसे इस समय कलीसिया में एक प्राचीन के तौर पर सेवा कर रहा है। जैसे कि ये दोनों अनुभव दिखाते हैं, यहोवा उन लोगों को आशीष देने से इन्कार नहीं करता है जो लौट आने के उसके प्रेममय निमंत्रण के प्रति अनुक्रिया दिखाते हैं।
परन्तु, ऐसी आशीषों का आनंद लेने के लिए, एक व्यक्ति को उसे दी गयी मदद का मूल्यांकन करना होगा और उसके प्रति अनुक्रिया दिखानी होगी। ज़्यादातर कलीसियाओं में भाई उन लोगों को याद रखते हैं जो निष्क्रिय हो गये हैं और उनकी मदद करने के यत्न में समय-समय पर उनसे भेंट करते हैं। ऐसी मदद के प्रति अनुक्रिया दिखाना यहोवा की दया के लिए मूल्यांकन दिखाता है।—याकूब ५:१९, २०.
सचमुच, यहोवा के निमंत्रण: “मेरी ओर फिरो,” के प्रति अनुक्रिया दिखाने का यही समय है। (मलाकी ३:७; यशायाह १:१८) और देर न कीजिए। सांसारिक घटनाएँ विशिष्ट तेज़ी से आगे बढ़ रहीं हैं। आने वाले तूफ़ानी समय के दौरान सबसे अच्छी जगह, यहोवा की रक्षा के अधीन, उसके संगठन में है। जो यहोवा में शरण लेते हैं सिर्फ़ उन्हीं के पास दृढ़ आशा है कि उसके क्रोध के बड़े दिन में वे उसके क्रोध से बचे रहेंगे।—सपन्याह २:२, ३.
[पेज 32 पर तसवीरें]
क्या आप यहोवा के निमंत्रण, “मेरी ओर फिरो” के प्रति अनुक्रिया दिखाएंगे?