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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1992
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1992
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क्या आपको याद है?

क्या आपने प्रहरीदुर्ग के हाल के अंको की क़दर की है? ख़ैर, देखिए कि क्या आप निम्नलिखित सवालों के जवाब दे सकते हैं:

▫ नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तानों को बाबुल में निर्वासन से लौटने पर दिए गए अतिरिक्‍त ख़ास अनुग्रह से क्या चित्रित हो सकता है?

आज, जैसे-जैसे आत्मिक इस्राएल के शेष जनों की संख्या घटती जाती है, वैसे-वैसे अन्य भेड़ों की संख्या बढ़ती जाती है। नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान के समान, इन भेड़-समान जनों में से कुछेक को अभिषिक्‍त शेष जनों की देख-रेख के अंतर्गत अब वज़नी ज़िम्मेदारियाँ दी गयी हैं। (यशायाह ६१:५)—७/१, पृष्ठ ३०, ३१.

▫ भविष्यवक्‍ता सपन्याह का कहने का अर्थ क्या था जब उसने कहा: “संभव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ”? (सपन्याह २:२, ३)

आनेवाले “भारी क्लेश” के दौरान सुरक्षित रहने के लिए, यह एक बार उद्धार पा लिया तो सदा के लिए पा लिया की बात नहीं है। (मत्ती २४:१३, २१) उस दिन में शरण पाना एक व्यक्‍ति का तीन बातों पर लगातार चलते रहने पर आधारित है: उस ने यहोवा को ढूँढ़ना, धार्मिकता को ढूँढ़ना, और नम्रता को ढूँढ़ना चाहिए।—८/१, पृष्ठ १४, १५.

▫ किस अर्थ में मीकाएल ‘अन्त के समय’ में “खड़ा” होता है? (दानिय्येल १२:१, ४)

जब से मीकाएल को १९१४ में राजा नियुक्‍त किया गया, वह यहोवा के लोगों के पक्ष में “खड़ा” है। परन्तु मीकाएल शीघ्र एक बहुत ही विशेष अर्थ में “खड़ा” होने पर है—पृथ्वी पर से सम्पूर्ण दुष्टता हटाने के लिए यहोवा के कर्ता के रूप में और परमेश्‍वर के लोगों के उद्धारक के रूप में।—८/१, पृष्ठ १८.

▫ सच्चा आनन्द किस पर निर्भर है?

सच्चा आनन्द यहोवा के साथ हमारे अनमोल सम्बन्ध, उसकी स्वीकृति, और उसकी आशिष पर निर्भर है। (नीतिवचन १०:२२) इसलिए, सच्चा आनन्द यहोवा के प्रति आज्ञाकारिता और उनकी इच्छानुरूप हर्षित अधीनता दर्शाने के अतिरिक्‍त किसी और रीति से नहीं मिल सकता। (लूका ११:२८)—८/१, पृष्ठ २८, ३१.

▫ मत्ती १३:४७-५० में यीशु की नीतिकथा में बताया गया “महाजाल” किसका प्रतीक है?

“महाजाल” एक पार्थिव साधन का प्रतीक है जो परमेश्‍वर की कलीसिया होने का दावा करता है और ‘मछलियों’ को एकत्रित करता है। इस में दोनों मसीही जगत और अभिषिक्‍त मसीहियों की कलीसिया शामिल रही है, और इस अवरोक्‍त समूह ने, मत्ती १३:४९ के अनुसार स्वर्गदूतों के मार्गदर्शन में अच्छी मछलियाँ पकड़ना जारी रखा है।—९/१, पृष्ठ २१.

▫ वे कुछ सिद्धांत क्या हैं जिन्हें इस्राएल में न्यायियों को अपने नियतकार्य पूरा करते समय अमल में लाना था?

अमीर और ग़रीब के लिये बराबर न्याय, सख़्त निष्पक्षता, और घूस न लेना। (लैव्यव्यवस्था १९:१५; व्यवस्थाविवरण १६:१९)—१०/१, पृष्ठ १३.

▫ न्यायिक सुनवाइयों के द्वारा प्राचीनों ने क्या पाने की कोशिश करनी चाहिए?

प्रेम के साथ मुकद्दमे की सच्चाइयाँ खोजना सुनवाई का एक लक्ष्य है। सच्चाई का पता चल जाने के बाद, प्राचीनों ने कलीसिया को सुरक्षित रखने के लिये और उस में यहोवा के ऊँचे स्तरों को और उसकी आत्मा के पूर्ण प्रवाह को बनाए रखने के लिये जो भी ज़रूरी हो करना चाहिए। सुनवाई संकट में पड़े पापी को बचाने के लिए भी है, यदि ऐसा संभव है। (लूका १५:८-१० से तुलना कीजिए.)—१०/१, पृष्ठ १८, १९.

▫ क्यों अनुचित कामवासना से सम्बन्धित अतिकल्पनाएँ हानिकर हैं?

मत्ती ५:२७, २८ में यीशु के शब्दों को मद्दे नज़र रखते हुए, वे सब के सब जो लगातार अनुचित कामवासना की अतिकल्पनाओं में मग्न रहते हैं अपने हृदय में परगमन करने के दोषी हैं। और असली ख़तरा इस बात में है कि ये अतिकल्पनाएँ अनैतिकता की तरफ़ ले जा सकती हैं।—१०/१, पृष्ठ २७, २८.

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