घमंडी भावना से बचिए!
एक बुद्धिमत्तापूर्ण बाइबल कहावत कहती है: “जो अपने फाटक को बड़ा करता, वह अपने विनाश के लिये यत्न करता है।” (नीतिवचन १७:१९) एक बड़े फाटक में क्या बुराई है? और इस कहावत का मुख्य विषय क्या है?
प्राचीन समयों में घुड़सवार व्यक्ति और लूटमार करनेवाले दल असामान्य नहीं थे। खुले ग्रामीण क्षेत्र में असुरक्षित घर चोरों के लिए सुभेद्य थे। अपनी सम्पत्ति को चोरी होने से बचाने के लिए, कुछ गृहस्वामी दीवार बनाते थे जिसमें एक ख़ास फाटक होता था। दीवार ऊँची होती थी, लेकिन फाटक नीचा होता था। दरअसल, कुछ फाटक १ मीटर से ऊँचे नहीं होते थे—एक घोड़े और घुड़सवार के प्रवेश के लिए बहुत ही नीचा। जो लोग अपने आँगन के फाटक को नीचा नहीं बनाते थे, उन्हें ख़तरा था कि घुड़सवार अंदर आकर उनके माल को लूट लेंगे।
शहरों में आँगन के फाटक सामान्यता नीचे और अनाकर्षक होते थे, जिनसे किलेबंद अहाते के भीतर पड़े धन का कोई संकेत नहीं मिलता था। लेकिन, फ़ारस में एक ऊँचा फाटक राजसत्ता का एक चिह्न था, और कुछ नागरिक बड़ा ख़तरा मोल लेकर इसका अनुकरण करने की कोशिश करते थे। जो भी व्यक्ति अपने घर के लिए ऊँचा फाटक बनाता, वह अपनी समृद्धि का दिखावा करके डकैती को निमंत्रण देता था।
इस प्रकार, नीतिवचन १७:१९ दिखाता है कि जो लोग अपने फाटक ऊँचा बनाते हैं, वे अपने आपको अपनी असल हैसियत से बढ़कर दिखाने के द्वारा विपत्ति को मोल ले रहे हैं। यह कहावत मुँह का भी संकेत कर सकती है, जो कि घमंडी और हेकड़ीबाज़ बातों द्वारा ऊँचे किए गए एक फाटक की तरह होता है। ऐसी बातें झगड़ों को बढ़ावा देती हैं और आख़िरकार उस घमंडी व्यक्ति को विपत्ति की ओर ले जा सकती हैं। तो फिर, एक घमंडी भावना से बचना कितना ही बुद्धिमत्तापूर्ण है!
[पेज 31 पर चित्र का श्रेय]
Picturesque Palestine, Sinai and Egypt, Volume 1, by Colonel Wilson (1881)