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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1994
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पाठकों के प्रश्‍न

हमने “प्रहरीदुर्ग” में समझायी गयी दानिय्येल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करने का आनन्द लिया। लेकिन, प्रकाशितवाक्य ११:३ के साढ़े तीन समयों के लिए दी गयी तारीख़ें “प्रकाशितवाक्य पराकाष्ठा” (अंग्रेज़ी) पुस्तक से भिन्‍न क्यों थीं?

जी हाँ, नवम्बर १, १९९३ की प्रहरीदु ने प्रकाशितवाक्य ११:३ की आधुनिक पूर्ति की तारीख़ों के बारे में एक छोटा-सा समायोजन किया था। क्यों?

आइए सबसे पहले हम प्रकाशितवाक्य ११:२ देखें, जिसका आख़िरी भाग “बयालीस महीने” का उल्लेख करता है। आगे आयत ३ में हम देखते हैं: “मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूंगा, कि टाट ओढे हुए एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्वाणी करें।” वह कब लागू होता है?

ख़ैर, यहोवा के गवाह काफ़ी समय पहले से पहचान चुके हैं कि १९१४ में ‘जातियों के नियुक्‍त समय’ (अन्यजातियों का समय) के अन्त के बाद इस भविष्यवाणी की पूर्ति आत्मा-अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ हुई। (लूका २१:२४, NW; २ कुरिन्थियों १:२१, २२) इस पर टिप्पणी करते हुए, प्रकाशितवाक्य—इसकी महान्‌ पराकाष्ठा निकट!a (१९८८) पृष्ठ १६४ पर कहती है: “साढ़े तीन वर्षों की एक सुनिश्‍चित अवधि थी जब परमेश्‍वर के लोगों को हुए कठिन अनुभव यहाँ भविष्यवाणी की गयी घटनाओं से मेल खाते हैं। यह अवधि १९१४ के दूसरे भाग में प्रथम विश्‍व युद्ध के आरंभ से शुरू हुई और १९१८ के आरंभिक भाग तक जारी रही।”

ध्यान दीजिए कि प्रस्तुत की गयी तारीख़ “१९१४ के दूसरे भाग में प्रथम विश्‍व युद्ध के आरंभ से १९१८ के आरंभिक भाग [तक]” थी। यह अकसर प्रस्तुत की गयी तारीख़ से मेल खाता है, जैसा कि “परमेश्‍वर का रहस्य तब ख़त्म होता है,” (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ २६१-४, (१९६९) में दी गयी तारीख़।*

फिर भी, प्रहरीदुर्ग ने दानिय्येल में दी गयी भविष्यवाणियों पर ध्यान केंद्रित किया। यह पुस्तक उस अवधि का दो बार ज़िक्र करती है जो बाद में प्रकाशितवाक्य में उल्लिखित अवधि—३ १/२ वर्ष, या ४२ महीने—के तुल्य है। स्पष्ट रूप से कहें तो, दानिय्येल ७:२५ (NW) कहता है कि परमेश्‍वर के पवित्र जन “एक समय, और समयों और अर्ध समय के लिए,” या ३ १/२ समयों के लिए सताए जाएँगे। बाद में, दानिय्येल १२:७ (NW) “एक नियत समय, नियत समयों और नियत अर्ध समय,” या ३ १/२ समयों के बारे में पूर्वबताता है जो ‘पवित्र लोगों की शक्‍ति चकना चूर होकर समाप्त हो जाने’ के साथ चरम पर पहुँचेंगे।

सो हमारे पास दानिय्येल ७:२५, दानिय्येल १२:७, और प्रकाशितवाक्य ११:२, ३ साथ ही साथ प्रकाशितवाक्य १३:५ में दी गयी भविष्यवाणियाँ हैं जो एक तुलनात्मक अवधि के बारे में बोलती हैं। हमारे प्रकाशनों ने दिखाया है कि १९१४-१८ की अवधि में ये सब पूरी हुई हैं। लेकिन इनमें से हर भविष्यवाणी को अलग-अलग समझाते समय, इनकी शुरूआत के लिए और अन्त के लिए दी गयी तारीख़ें थोड़ी-सी भिन्‍न थीं।

लेकिन, नवम्बर १, १९९३ की प्रहरीदुर्ग ने पूछा: “किस तरह ये समान्तर भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं?” जी हाँ, दानिय्येल ७:२५, दानिय्येल १२:७, और प्रकाशितवाक्य ११:३ में उल्लिखित ३ १/२ समयों की भविष्यवाणियाँ “समान्तर भविष्यवाणियों” के तौर पर पहचानी गईं। अतः, वे अपनी शुरूआत और अपने अन्त के संबंध में अनुरूप होंगी।

उनके अन्त के संबंध में, पत्रिका ने दिखाया कि कैसे जून १९१८ में परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त जनों (दानिय्येल ७:२५) का सताया जाना चरम पर पहुँचा जब वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के जे. एफ. रदरफर्ड और अन्य निदेशकों को “झूठे आरोपों पर एक लम्बी क़ैद का दण्डादेश दिया गया।” जैसा कि दानिय्येल १२:७ (NW) में बताया गया है, वह घटना निश्‍चय ही ‘पवित्र लोगों की शक्‍ति चकना चूर होकर समाप्त हो जानेवाली’ घटना थी।

साढ़े तीन समयों के आरंभ के लिए जून १९१८ से पीछे गिनती करने पर हम दिसम्बर १९१४ की ओर आते हैं। वर्ष १९१४ के उस समाप्ति महीने में, पृथ्वी पर परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त जनों ने आनेवाले वर्ष के लिए मूलविषय शास्त्रवचन जान लिया: “जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्या तुम पी सकते हो?—मत्ती २०:२०-२३.” उसकी घोषणा करनेवाले लेख ने चिताया: “कौन जाने, १९१५ के दौरान, मेम्ने के निष्ठावान अनुयायियों के लिए शायद कुछ ख़ास परीक्षा, दुःख या बदनामी का कटोरा हो!” साढ़े तीन समयों की इस अवधि के लिए जैसे दानिय्येल ७:२५ (NW) ने पूर्वबताया था, ‘सताहट उत्पन्‍न हुई और सर्वोच्च व्यक्‍ति के पवित्र जनों के विरुद्ध निरंतर बनी रही।’ राष्ट्र प्रथम विश्‍व युद्ध में उलझे हुए थे, जिसके कारण उन्हें अन्यायपूर्ण सताहट को कार्यान्वित करने में सरलता हुई। निष्कर्ष है: तीनों समान्तर भविष्यवाणियों—दानिय्येल ७:२५, १२:७, और प्रकाशितवाक्य ११:३—की पूर्ति दिसम्बर १९१४ से जून १९१८ तक, ३ १/२ वर्ष, या ४२ महीनों में हुई।

यह प्रकाशितवाक्य ११:३ की पूर्ति की तारीख़ों में थोड़े-से परिष्करण को स्पष्ट करता है। भविष्य में प्रकाशितवाक्य पराकाष्ठा पुस्तक को अध्ययन करते और इस्तेमाल करते समय हम इस समायोजन को मन में रख सकते हैं।

[फुटनोट]

a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

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