संसार-भर में यहोवा के साक्षी—स्वीडन
स्कैंडिनेविया प्रायद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित स्वीडन उत्तरध्रुवीय वृत्त के ऊपर तक फैला हुआ है। सदाबहार वनों के हरे-भरे आवरण और साथ ही अपनी झीलों और पर्वतों के लिए संसार-भर में प्रसिद्ध, स्वीडन यूरोप के सबसे कम जनसंख्या के देशों में से एक है। इसके बावजूद, १९वीं शताब्दी के अन्त से वहाँ यहोवा के साक्षियों ने सफलतापूर्वक सत्य के प्रेमियों को ढूँढ़ निकाला है। हाल के एक उदाहरण पर विचार कीजिए।
एक स्त्री ने साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन किया, लेकिन उसके पति को यह पसन्द नहीं था। उसने अपनी पत्नी से अध्ययन बंद करने को कहा, और उसने अध्ययन बन्द कर दिया। यह आदमी एक शराब-कारखाने के उत्पादों के एक गोदाम में काम करता था। एक दिन एक ट्रक चालक अपने दस-वर्षीय पोते के साथ गोदाम आया। नानाजी ने उस आदमी से कहा कि जब वह अपनी ट्रक में सामान लादे तब वह उसके पोते का ध्यान रखे। केवल एक वार्तालाप आरम्भ करने के उद्देश्य से उस आदमी ने उस लड़के से पूछा कि उसके हाल के जन्मदिन पर उसे कौन-से उपहार मिले थे। वह आदमी चकित हो गया जब लड़के ने उसे बताया कि वह और उसका परिवार जन्मदिन नहीं मनाते थे क्योंकि वे यहोवा के साक्षी थे। उस लड़के ने यह भी बताया कि साल के और समयों पर उसे उपहार मिलते हैं और वह वंचित नहीं महसूस करता, क्योंकि उसका परिवार बहुत ही स्नेही और प्रेममय था। कोई भी उपहार ऐसे परिवार से मूल्यवान नहीं है, उसने आगे कहा।
वह लड़का अपने नानाजी के साथ कई बार वापिस लौटा। हर बार वह आदमी उस लड़के से अनेक सवाल पूछता, और जिस तरह से वह लड़का बिना किसी हिचकिचाहट के निष्कपट, सीधे जवाब देता उस का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। सच्चे मूल्यों के प्रति उस लड़के के मूल्यांकन से भी वह प्रभावित हुआ। एक रात एक ऐसा टी. वी. कार्यक्रम देखने के बाद जिसमें संसार की दयनीय परिस्थितियाँ दिखायी गई थीं, उस आदमी को महसूस हुआ कि उसे आध्यात्मिक बातों की ज़्यादा ध्यानपूर्वक जाँच करनी चाहिए। उसने उस साक्षी को फ़ोन किया जिसने उसकी पत्नी के साथ अध्ययन किया था और उसे फिर से आने को कहा। जल्द ही वह आदमी स्वयं एक साक्षी के साथ बाइबल अध्ययन कर रहा था और उसने जल्द प्रगति की। अप्रैल १०, १९९४ को उसका बपतिस्मा हुआ। उसकी पत्नी भी अब बपतिस्मा-प्राप्त है।
बढ़ोतरी निर्माण कार्य की माँग करती है
स्वीडन अन्य देशों के अनेक शरणार्थियों के लिए घर है, और स्वीडनवासी साक्षियों ने उनको प्रचार करने में अच्छे परिणाम प्राप्त किए हैं। आम तौर पर कार्य इतना सफल रहा है कि बढ़ोतरी के अनुकूल कार्य करने के लिए नए राज्यगृहों की ज़रूरत पड़ी है। १९८६ से १९९३ तक ३७ राज्यगृह शीघ्र-निर्मित निर्माण तरीक़े से निर्मित किए गए, जबकि ८ सभागृहों को विस्तृत किया गया या उनकी मरम्मत की गई। १९९४ में ही, सात अतिरिक्त राज्यगृहों का निर्माण किया गया और तीन की मरम्मत की गई।
वर्तमान में, नया राज्यगृह बनाने के लिए या अभी उपयोग किए जा रहे राज्यगृहों को विस्तृत करने या उसकी मरम्मत करने के लिए ६५ कलीसियाएँ मदद का इन्तज़ार कर रही हैं। क़रीब २,५०० स्वयंसेवक ऐसी निर्माण परियोजनाओं में मदद देते हैं, और कलीसियाएँ उनकी मदद का बहुत मूल्यांकन करती हैं।
स्वीडन के उत्तरी भाग, जो उत्तरध्रुवीय वृत्त से ऊपर है, को कभी-कभी मध्यरात्रिक सूर्य की जगह कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ग्रीष्मकाल के कुछ समय तक वहाँ सूरज अस्त नहीं होता है। लेकिन, पूरे स्वीडन में सत्य की ज्योति भी तेज़ चमक रही है। यहोवा की आशीष से, वह आध्यात्मिक ज्योति कभी कम नहीं होगी लेकिन और अधिक तेज़ चमकती जाएगी।
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देश की रूपरेखा
१९९४ सेवा वर्ष
गवाही देनेवालों की शिखर संख्या: २४,२४६
अनुपात: ३६२ प्रति साक्षी
स्मारक उपस्थिति: ४०,३७२
औसत पायनियर प्रकाशक: २,५०९
औसत बाइबल अध्ययन: ११,३०६
बपतिस्मा लेनेवालों की संख्या: ८५०
कलीसियाओं की संख्या: ३५८
शाखा दफ़्तर: अरबोगा
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अरबोगा में शाखा दफ़्तर और बेथेल घर
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क़रीब १,९०० वर्गमील के क्षेत्र में प्रचार करने के लिए ज़ो के प्रारंभिक साक्षियों ने इस मिनिबस का प्रयोग किया