यहोवा की शुद्ध उपासना के लिए जलनशील
“यहोवा जिसका नाम जलनशील है, वह जल उठनेवाला ईश्वर है।”—निर्गमन ३४:१४.
१. परमेश्वर का प्रमुख गुण क्या है, और वह उसकी जलन से कैसे सम्बन्धित है?
यहोवा अपना वर्णन ‘जल उठनेवाले परमेश्वर’ के तौर पर करता है। आप शायद सोचें क्यों, चूँकि शब्द “जलन” के नकारात्मक अर्थ हैं। निःसंदेह, परमेश्वर का प्रमुख गुण प्रेम है। (१ यूहन्ना ४:८) इसलिए उसकी ओर से जलन की कोई भी भावनाएँ मनुष्यजाति की भलाई के लिए ही होंगी। असल में, हम देखेंगे कि परमेश्वर की जलन विश्व-मंडल की शान्ति और सुव्यवस्था के लिए के लिए अत्यावश्यक है।
२. “जलन” के लिए इब्रानी शब्दों का अनुवाद करने के कुछ तरीक़े क्या हैं?
२ “जलन” के लिए सम्बद्ध इब्रानी शब्द इब्रानी शास्त्र में ८० से अधिक बार आते हैं। इनमें से क़रीब-क़रीब आधे उल्लेख यहोवा परमेश्वर के हैं। “जब परमेश्वर के लिए प्रयोग किया जाता है,” जी. एच. लिविंगस्टन समझाता है, “जलन की धारणा में एक विकृत भावना का नहीं, बल्कि, इसके बजाय यहोवा की उपासना की अनन्यता पर बल का अर्थ होता है।” (अपने सांस्कृतिक परिवेश में पंचग्रन्थ, अंग्रेज़ी) अतः, नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) इस इब्रानी संज्ञा का अनुवाद कभी-कभी ‘अनन्य भक्ति पर हठ’ करता है। (यहेजकेल ५:१३) अन्य उचित अनुवाद हैं “उत्साह” या “धुन।”—भजन ७९:५, NW; यशायाह ९:७.
३. किन तरीक़ों से कभी-कभी जलन एक अच्छा उद्देश्य पूरा कर सकती है?
३ मनुष्य को जलन महसूस करने की क्षमता के साथ सृजा गया था, लेकिन मनुष्यजाति का पाप में पतन होने के परिणामस्वरूप जलन की विकृति हुई है। फिर भी, मनुष्य की जलन एक अच्छा उद्देश्य पूरा कर सकती है। यह एक व्यक्ति को प्रेरित कर सकती है कि किसी प्रियजन का बुरे प्रभावों से बचाव करे। इसके अतिरिक्त, मनुष्य यहोवा और उसकी उपासना के लिए उचित रूप से जलन दिखा सकते हैं। (१ राजा १९:१०) यहोवा के लिए ऐसी जलन की सही समझ देने के लिए, इब्रानी संज्ञा को उसके प्रति “कोई प्रतिस्पर्द्धा बरदाश्त न करना” अनुवादित किया जा सकता है।—२ राजा १०:१६, NW.
सोने का बछड़ा
४. इस्राएल के लिए परमेश्वर की व्यवस्था में कौन-सी आज्ञा प्रमुख थी जिसमें धर्मी जलन अंतर्ग्रस्त थी?
४ धर्मी जलन का एक उदाहरण वह घटना है जो सीनै पर्वत के पास इस्राएलियों को व्यवस्था प्राप्त होने के बाद घटी। बारंबार, उन्हें चिताया गया था कि मानव-निर्मित ईश्वरों की उपासना न करें। यहोवा ने उनसे कहा: “मैं यहोवा तेरा परमेश्वर अनन्य भक्ति की माँग करनेवाला परमेश्वर [या, “जलनशील (जोशीला) परमेश्वर; प्रतिस्पर्द्धा बरदाश्त न करनेवाला परमेश्वर,”] हूँ।” (निर्गमन २०:५, NW फुटनोट; निर्गमन २०:२२, २३; २२:२०; २३:१३, २४, ३२, ३३ से तुलना कीजिए।) यहोवा ने इस्राएलियों से एक वाचा बान्धी, और उन्हें आशीष देने तथा उन्हें प्रतिज्ञात देश में लाने की प्रतिज्ञा की। (निर्गमन २३:२२, ३१) और लोगों ने कहा: “जो कुछ यहोवा ने कहा है उस सब को हम करेंगे, और उसकी आज्ञा मानेंगे।”—निर्गमन २४:७.
५, ६. (क) जब इस्राएली सीनै पर्वत के सामने डेरा डाले हुए थे, तो उन्होंने कैसे गंभीर रूप से पाप किया? (ख) सीनै के पास यहोवा और उसके निष्ठावान उपासकों ने कैसे धर्मी जलन दिखायी?
५ फिर भी, इस्राएलियों ने जल्द ही परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया। वे अब भी सीनै पर्वत के सामने डेरा डाले हुए थे। मूसा पर्वत पर काफ़ी दिनों से गया हुआ था, परमेश्वर से अतिरिक्त उपदेश प्राप्त कर रहा था, और लोगों ने मूसा के भाई, हारून पर उनके लिए एक ईश्वर बनाने का दबाव डाला। हारून ने उनकी बात मानी और जो सोना लोगों ने दिया उसका एक बछड़ा बनाया। यह दावा किया गया कि यह मूर्ति यहोवा को चित्रित करती है। (भजन १०६:२०) दूसरे दिन उन्होंने बलिदान चढ़ाए और “उसको दण्डवत्” करते रहे। उसके बाद वे “खेलने लगे।”—निर्गमन ३२:१, ४, ६, ८, १७-१९.
६ जब इस्राएली मौज उड़ा रहे थे तब मूसा पर्वत से नीचे आया। उनके लज्जास्पद व्यवहार को देखने पर, उसने ऊँची आवाज़ में कहा: “यहोवा की ओर कौन है?” (निर्गमन ३२:२५, २६, NW) लेवी के पुत्र मूसा के पास एकत्रित हुए और उसने उन्हें तलवारें लेकर मूर्तिपूजक मनमौजियों का वध करने का आदेश दिया। परमेश्वर की शुद्ध उपासना के लिए अपनी जलन प्रदर्शित करते हुए, उन लेवियों ने अपने लगभग ३,००० दोषी भाइयों का वध किया। यहोवा ने बचनेवालों पर विपत्ति लाने के द्वारा इस कार्यवाही को सुदृढ़ किया। (निर्गमन ३२:२८, ३५) उसके बाद यहोवा ने आज्ञा को दोहराया: “तुम्हें किसी दूसरे को ईश्वर करके दण्डवत् करने की आज्ञा नहीं, क्योंकि यहोवा जिसका नाम जलनशील है, वह जल उठनेवाला ईश्वर है।”—निर्गमन ३४:१४.
बालपोर देवता
७, ८. (क) बालपोर देवता के सम्बन्ध में अनेक इस्राएली कैसे घोर मूर्तिपूजा में पड़ गए? (ख) यहोवा की ओर से मरी किस तरह थमी?
७ चालीस साल बाद, जब इस्राएल जाति प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने ही वाली थी, तब सुन्दर मोआबी और मिद्यानी स्त्रियों ने अनेकों इस्राएलियों को आकर उनके अतिथि-सत्कार का आनन्द उठाने के लिए आकर्षित किया। इन पुरुषों को झूठे ईश्वरों के उपासकों के साथ निकट संगति को ठुकराना चाहिए था। (निर्गमन ३४:१२, १५) इसके बजाय, वे ‘कसाई-खाने को जानेवाले बैलों’ की तरह भागे, स्त्रियों के साथ व्यभिचार किया और बालपोर देवता को दण्डवत् करने में उनके साथ हो लिए।—नीतिवचन ७:२१, २२; गिनती २५:१-३.
८ जो इस शर्मनाक लिंग उपासना में शामिल हुए उन लोगों को मारने के लिए यहोवा ने मरी भेजी। परमेश्वर ने निर्दोष इस्राएलियों को भी यह आज्ञा दी कि अपने दोषी भाइयों को मार दें। निर्लज्जता से अवज्ञा करके, इस्राएल का जिम्री नामक प्रधान एक मिद्यानी राजकुमारी को अपने तम्बू में ले आया कि उसके साथ सम्बन्ध रखे। यह देखने पर, परमेश्वर का भय माननेवाले याजक पीनहास ने उस अनैतिक जोड़े का वध किया। वह मरी फिर थम गयी और परमेश्वर ने घोषित किया: “पीनहास, जिसे इस्राएलियों के बीच मेरी सी जलन उठी, उस ने मेरी जलजलाहट को उन पर से यहां तक दूर किया है; कि मैं ने जलकर उनका अन्त नहीं कर डाला।” (गिनती २५:११) यद्यपि वह जाति विनाश से बच गयी, कम-से-कम २३,००० हज़ार इस्राएली मर गए। (१ कुरिन्थियों १०:८) प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने की वे जो लंबे समय से आस लगाए बैठे थे उसे उन्होंने गवाँ दिया।
चेतावनी भरा सबक़
९. क्योंकि इस्राएल और यहूदा के लोग यहोवा की शुद्ध उपासना के लिए जलनशील नहीं थे, उन पर क्या बीती?
९ दुःख की बात है, इस्राएली जल्द ही ये सबक़ भूल गए। वे यहोवा की शुद्ध उपासना के लिए जलनशील साबित नहीं हुए। “उन्हों ने . . . खुदी हुई मूर्तियों के द्वारा [परमेश्वर] में जलन उपजाई।” (भजन ७८:५८) इसके परिणामस्वरूप, यहोवा ने सा.यु.पू. ७४० में इस्राएल के दस गोत्रों को अश्शूरियों द्वारा बन्दी बनाकर ले जाए जाने की अनुमति दी। यहूदा के बचे हुए दो-गोत्र राज्य ने वैसी ही सज़ा भुगती जब सा.यु.पू. वर्ष ६०७ में उनके राजधानी के नगर यरूशलेम का नाश किया गया। अनेकों को मार दिया गया, और बचनेवालों को बन्दी बनाकर बाबुल ले जाया गया। आज सभी मसीहियों के लिए यह क्या ही चेतावनी उदाहरण है!—१ कुरिन्थियों १०:६, ११.
१०. पश्चाताप-रहित मूर्तिपूजकों का क्या होगा?
१० पृथ्वी की एक तिहाई जनसंख्या—कुछ १९० करोड़—अब मसीही होने का दावा करती है। (१९९४ ब्रिटानिका वर्ष पुस्तक, अंग्रेज़ी) इनमें से अधिकांश उन गिरजों के हैं जो मूरतों, प्रतिमाओं और क्रूसों का अपनी उपासना में प्रयोग करते हैं। यहोवा ने अपने लोगों को नहीं छोड़ा जिन्होंने अपनी मूर्तिपूजा के द्वारा उसकी जलन को भड़काया। ना ही वह तथाकथित मसीहियों को छोड़ेगा जो भौतिक वस्तुओं की सहायता से उपासना करते हैं। “परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन [“उपासना,” NW] करनेवाले आत्मा और सच्चाई से भजन [“उपासना,” NW] करें,” यीशु मसीह ने कहा। (यूहन्ना ४:२४) इसके अतिरिक्त, बाइबल मसीहियों को मूर्तिपूजा से दूर रहने की चेतावनी देती है। (१ यूहन्ना ५:२१) पश्चाताप-रहित मूर्तिपूजक उन लोगों में हैं जो परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।—गलतियों ५:२०, २१.
११. किसी मूर्ति को दण्डवत किए बिना एक मसीही मूर्तिपूजा का दोषी कैसे बन सकता है, और क्या बात एक व्यक्ति को ऐसी मूर्तिपूजा से दूर रहने में मदद करेगी? (इफिसियों ५:५)
११ यद्यपि एक सच्चा मसीही कभी किसी मूर्ति के सामने दण्डवत नहीं करेगा, उसका ऐसी किसी भी चीज़ से दूर रहना ज़रूरी है जो परमेश्वर की नज़रों में मूर्तिपूजा के तुल्य, अशुद्ध और पापपूर्ण है। उदाहरण के लिए, बाइबल चेतावनी देती है: “अपने उन अंगों को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात् व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्त्ति पूजा के बराबर [मूरतपूजा है, फुटनोट] है। इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न माननेवालों पर पड़ता है।” (कुलुस्सियों ३:५, ६, तिरछे टाइप हमारे।) इन शब्दों के प्रति आज्ञाकारिता अनैतिक व्यवहार को ठुकराने की माँग करती है। यह उस मनोरंजन से दूर रहने की माँग करता है जो अशुद्ध लैंगिक अभिलाषाओं को जगाने के लिए रचा गया है। ऐसी अभिलाषाओं को पूरा करने के बजाय, सच्चे मसीही परमेश्वर की शुद्ध उपासना के लिए जलनशील होते हैं।
ईश्वरीय जलन के बाद के उदाहरण
१२, १३. यीशु ने परमेश्वर की शुद्ध उपासना के लिए जलन प्रदर्शित करने में कैसे एक उल्लेखनीय उदाहरण रखा?
१२ परमेश्वर की शुद्ध उपासना के लिए जलन दिखानेवाले व्यक्ति का सबसे उल्लेखनीय उदाहरण यीशु मसीह था। अपनी सेवकाई के पहले साल में, उसने लालची सौदागरों को मन्दिर के आँगनों में व्यापार करते देखा। यरूशलेम के बाहर से आनेवाले यहूदियों को शायद सर्राफ़ों की सेवाओं की ज़रूरत पड़ती हो ताकि वे अपनी विदेशी मुद्रा के बदले में वह पैसा प्राप्त कर सकें जो मन्दिर के कर के तौर पर स्वीकार्य होता। उन्हें जानवर और पक्षी ख़रीदने की भी ज़रूरत होती ताकि परमेश्वर की व्यवस्था की माँग के अनुसार बलिदान चढ़ा सकें। ऐसे व्यापारिक लेन-देन को मन्दिर के आँगनों से बाहर किया जाना चाहिए था। उससे भी बदतर, ये सौदागर प्रत्यक्षतः बहुत ऊँची क़ीमतें लगाने के द्वारा अपने भाइयों की धार्मिक ज़रूरतों का अनुचित लाभ उठा रहे थे। परमेश्वर की शुद्ध उपासना के लिए जलन से भरकर, यीशु ने भेड़ों और गाय-बैलों को बाहर निकालने के लिए एक कोड़े का प्रयोग किया। उसने यह कहते हुए सर्राफ़ों के पीढ़ों को भी उलट दिया: “मेरे पिता के भवन को ब्योपार का घर मत बनाओ।” (यूहन्ना २:१४-१६) इस प्रकार यीशु ने भजन ६९:९ (NHT) के शब्दों की पूर्ति की: “तेरे भवन की धुन [या “जलन,” बायिंग्टन] ने मुझे भस्म कर डाला है।”
१३ तीन साल बाद यीशु ने फिर लालची सौदागरों को यहोवा के मन्दिर में व्यापार करते देखा। क्या वह इसे दूसरी बार साफ़ करता? परमेश्वर की शुद्ध उपासना के लिए उसकी जलन उतनी ही प्रबल थी जितनी कि तब जब उसने अपनी सेवकाई शुरू की थी। उसने बेचनेवालों और ख़रीदनेवालों दोनों को खदेड़ बाहर किया। और उसने अपने कार्यों के लिए यह कहते हुए और भी प्रबल कारण दिया: “क्या यह नहीं लिखा है, कि मेरा घर सब जातियों के लिये प्रार्थना का घर कहलाएगा? पर तुम ने इसे डाकुओं की खोह बना दी है।” (मरकुस ११:१७) ईश्वरीय जलन दिखाने में निरन्तरता का क्या ही बढ़िया उदाहरण!
१४. शुद्ध उपासना के लिए यीशु की जलन का हम पर किस तरह प्रभाव होना चाहिए?
१४ अब महिमा-प्राप्त प्रभु यीशु मसीह का व्यक्तित्व बदला नहीं है। (इब्रानियों १३:८) इस २०वीं शताब्दी में, वह अपने पिता की शुद्ध उपासना के लिए उतना ही जलनशील है जितना वह पृथ्वी पर रहते वक़्त था। यह प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में अभिलिखित सात कलीसियाओं को यीशु के संदेशों से देखा जा सकता है। ये मुख्य रूप से अब “प्रभु के दिन” में लागू होते हैं। (प्रकाशितवाक्य १:१०; २:१-३:२२) दर्शन में प्रेरित यूहन्ना ने महिमा-प्राप्त यीशु मसीह को देखा जिसकी “आंखें आग की ज्वाला की नाईं थीं।” (प्रकाशितवाक्य १:१४) यह सूचित करता है कि कोई भी बात मसीह की दृष्टि से नहीं चूकती, जब वह यह निश्चित करने के लिए कलीसियाओं की जाँच करता है कि वे यहोवा की सेवा के लिए शुद्ध और स्वीकार्य रहें। वर्तमान-दिन के मसीहियों को दो स्वामियों—परमेश्वर और धन—की सेवा करने की कोशिश करने के विरुद्ध यीशु की चेतावनी को ध्यान में रखने की ज़रूरत है। (मत्ती ६:२४) यीशु ने लौदीकिया की कलीसिया के भौतिकवादी सदस्यों को कहा: “इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं। . . . सरगर्म हो, और मन फिरा।” (प्रकाशितवाक्य ३:१४-१९) कथनी और करनी के द्वारा, नियुक्त कलीसिया प्राचीनों को भौतिकवाद के फन्दे से दूर रहने के लिए अपने संगी विश्वासियों की मदद करनी चाहिए। प्राचीनों को इस सेक्स-निर्देशित संसार की नैतिक भ्रष्टता से भी झुण्ड का बचाव करना चाहिए। इसके अलावा, परमेश्वर के लोग कलीसिया में कोई भी इजेबेल प्रभाव को बरदाश्त करने का दुःसाहस न करें।—इब्रानियों १२:१४, १५; प्रकाशितवाक्य २:२०.
१५. प्रेरित पौलुस ने यहोवा की उपासना के लिए जलन दिखाने में यीशु का अनुकरण कैसे किया?
१५ प्रेरित पौलुस ने मसीह का अनुकरण किया। हाल ही में बपतिस्मा-प्राप्त मसीहियों को आध्यात्मिक रूप से हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए, उसने कहा: “मैं ईश्वरीय जलन से तुम्हारे सम्बन्ध में जलनशील हूँ।” (२ कुरिन्थियों ११:२, NW) इससे पहले, शुद्ध उपासना के लिए पौलुस की जलन ने उसे प्रेरित किया था कि इसी कलीसिया को निर्देश दे कि एक पश्चाताप-रहित व्यभिचारी को बहिष्कृत करें जो एक दूषित करनेवाला प्रभाव था। उस अवसर पर दिए गए उत्प्रेरित निर्देशन आज प्राचीनों के लिए बहुत सहायक साबित हुए हैं जब वे यहोवा के साक्षियों की ७५,५०० से अधिक कलीसियाओं को शुद्ध रखने का प्रयास करते रहते हैं।—१ कुरिन्थियों ५:१, ९-१३.
परमेश्वर की जलन उसके लोगों को लाभ पहुँचाती है
१६, १७. (क) जब परमेश्वर ने प्राचीन यहूदा को सज़ा दी, तो जातियों ने कैसी मनोवृत्ति दिखायी? (ख) यहूदा की बन्दी-स्थिति के ७० साल बाद, यहोवा ने यरूशलेम के लिए अपनी जलन कैसे प्रदर्शित की?
१६ जब परमेश्वर ने यहूदा के लोगों को बाबुल में बन्दी बनाकर ले जाए जाने की अनुमति देकर सज़ा दी, तो उनकी खिल्ली उड़ायी गयी। (भजन १३७:३) जलन-भरे बैर में आकर, एदोमियों ने परमेश्वर के लोगों पर विपत्ति लाने के लिए बाबुलियों की मदद भी की, और यहोवा ने इस बात पर ध्यान दिया। (यहेजकेल ३५:११; ३६:१५) बन्दी-स्थिति में बचनेवालों ने पश्चाताप किया, और ७० साल के बाद यहोवा ने उन्हें उनके देश में फिर से बसाया।
१७ पहले-पहल, यहूदा के लोग दयनीय स्थिति में थे। यरूशलेम नगर और उसका मन्दिर खण्डहर हुआ पड़ा था। लेकिन आस-पास की जातियों ने मन्दिर का पुनःनिर्माण करने की सभी कोशिशों का विरोध किया। (एज्रा ४:४, २३, २४) यहोवा ने इसके बारे में कैसा महसूस किया? उत्प्रेरित वृत्तान्त कहता है: “सेनाओं का यहोवा यों कहता है, मुझे यरूशलेम और सिय्योन के लिये बड़ी जलन हुई है। और जो जातियां सुख से रहती हैं, उन से मैं क्रोधित हूं; क्योंकि मैं ने तो थोड़ा सा क्रोध किया था, परन्तु उन्हों ने विपत्ति को बढ़ा दिया। इस कारण यहोवा यों कहता है, अब मैं दया करके यरूशलेम को लौट आया हूं; मेरा भवन उस में बनेगा, . . . सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।” (जकर्याह १:१४-१६) इस प्रतिज्ञा के अनुसार, उस मन्दिर और यरूशलेम नगर को सफलतापूर्वक पुनःनिर्मित किया गया।
१८. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सच्चे मसीहियों ने क्या अनुभव किया?
१८ बीसवीं शताब्दी में सच्ची मसीही कलीसिया समान अनुभव से गुज़री। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, यहोवा ने अपने लोगों को अनुशासन दिया क्योंकि वे उस सांसारिक संघर्ष में पूर्ण रूप से तटस्थ नहीं रहे थे। (यूहन्ना १७:१६) परमेश्वर ने राजनैतिक शक्तियों को उन पर अत्याचार करने की अनुमति दी, और मसीहीजगत के पादरी इस विपत्ति पर आनन्दित हुए। असल में, बाइबल विद्यार्थियों, जैसे यहोवा के साक्षियों को तब बुलाया जाता था, के काम पर राजनीतिज्ञों द्वारा प्रतिबंध लगवाने में पादरी सबसे आगे थे।—प्रकाशितवाक्य ११:७, १०.
१९. यहोवा ने १९१९ से अपनी उपासना के लिए जलन कैसे दिखायी है?
१९ लेकिन, यहोवा ने अपनी उपासना के लिए जलन दिखायी और १९१९ के युद्धोत्तर साल में अपने पश्चातापी लोगों को फिर से अपने अनुग्रह में लाया। (प्रकाशितवाक्य ११:११, १२) इसके परिणामस्वरूप, यहोवा के स्तुतिकर्ताओं की संख्या १९१८ में ४,००० से भी कम से बढ़कर आज ५० लाख से अधिक हो गयी है। (यशायाह ६०:२२) जल्द ही, अपनी शुद्ध उपासना के लिए यहोवा की जलन ज़्यादा नाटकीय तरीक़ों से प्रदर्शित होगी।
ईश्वरीय जलन के भावी कार्य
२०. शुद्ध उपासना के लिए अपनी जलन दिखाने के वास्ते जल्द ही परमेश्वर क्या करेगा?
२० शताब्दियों से मसीहीजगत के गिरजों ने उन धर्मत्यागी यहूदियों का मार्ग अपनाया है जिन्होंने यहोवा की जलन को भड़काया। (यहेजकेल ८:३, १७, १८) जल्द ही यहोवा परमेश्वर संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के हृदय में हिंसक विचार डालने के द्वारा कार्य करेगा। यह इन राजनैतिक शक्तियों को प्रेरित करेगा कि मसीहीजगत को और बाक़ी के झूठे धर्म को बरबाद कर दें। (प्रकाशितवाक्य १७:१६, १७) सच्चे उपासक उस ईश्वरीय न्यायदण्ड के भयानक निष्पादन से बच निकलेंगे। वे उन स्वर्गीय प्राणियों के शब्दों का जवाब देंगे जो कहते हैं: “हल्लिलूय्याह . . . इसलिये कि उस ने उस बड़ी वेश्या [झूठे धर्म] का जो अपने व्यभिचार [अपनी झूठी शिक्षाओं और भ्रष्ट राजनीति को अपने समर्थन] से पृथ्वी को भ्रष्ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।”—प्रकाशितवाक्य १९:१, २.
२१. (क) झूठे धर्म के नाश हो जाने के बाद शैतान और उसकी व्यवस्था क्या करेंगे? (ख) परमेश्वर कैसी प्रतिक्रिया दिखाएगा?
२१ झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य के विनाश के बाद क्या होगा? शैतान राजनैतिक शक्तियों को यहोवा के लोगों पर एक विश्वव्यापी हमले की तैयारी करने के लिए भड़काएगा। शैतान द्वारा सच्ची उपासना को पृथ्वी से हटा देने के इस प्रयास के प्रति सच्चे परमेश्वर की क्या प्रतिक्रिया होगी? यहेजकेल ३८:१९-२३ (NHT) हमें बताता है: “मैं [यहोवा] अपनी जलन और अपनी क्रोधाग्नि में कहता हूं . . . मरी और रक्तपात से मैं उसे [शैतान को] दण्ड दूंगा। मैं उस पर, उसकी सेना पर, और उसके साथ की अनेक जातियों पर प्रचण्ड वर्षा लाऊंगा। मैं ओले, आग और गन्धक बरसाऊंगा। मैं अपने आप को महान् और पवित्र ठहराऊंगा और बहुत-सी जातियों की दृष्टि में अपने आप को प्रकट करूंगा, और वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।”—सपन्याह १:१८; ३:८ भी देखिए।
२२. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा की सच्ची उपासना के लिए जलनशील हैं?
२२ यह जानना कितना सांत्वनादायक है कि विश्व का सर्वसत्ताधारी जलन से अपने सच्चे उपासकों की परवाह करता है! उसके अपात्र अनुग्रह के लिए गहरे मूल्यांकन से, आइए हम यहोवा परमेश्वर की शुद्ध उपासना के लिए जलनशील हों। उत्साह से, आइए हम सुसमाचार का प्रचार करना जारी रखें और विश्वास से उस महान दिन का इंतज़ार करें जब यहोवा अपने महान नाम को महिमावान् और पवित्र करेगा।—मत्ती २४:१४.
मनन के लिए मुद्दे
◻ यहोवा के लिए जलनशील होने का अर्थ क्या है?
◻ प्राचीन इस्राएलियों द्वारा रखे गए उदाहरण से हम क्या सीख सकते हैं?
◻ हम यहोवा की जलन को भड़काने से कैसे दूर रह सकते हैं?
◻ परमेश्वर और मसीह ने शुद्ध उपासना के लिए जलन कैसे दिखायी है?
[पेज 12 पर बक्स]
प्रेम जलता नहीं
ईर्ष्या के सम्बन्ध में, १९वीं शताब्दी के बाइबल विद्वान, ऐल्बर्ट बार्न्ज़ ने लिखा: “यह दुष्टता के सबसे सामान्य प्रदर्शनों में से एक है, और मनुष्य की अत्यधिक चरित्रहीनता को स्पष्ट रूप से दिखाती है।” उसने आगे कहा: “एक व्यक्ति जो सभी युद्धों और विवादों तथा सांसारिक योजनाओं की जड़ तक पहुँच पाता—यहाँ तक कि तथाकथित मसीहियों के तमाम मनसूबों और मक़सदों, जो उनके धर्म पर धब्बा लगाने और उन्हें सांसारिक बनाने के लिए कितना कुछ करते हैं, की असली जड़ तक पहुँच पाता—यह पाकर कितना चकित होता कि कितनी बातों का श्रेय ईर्ष्या को जाता है। हम इस बात से दुःखी होते हैं कि अन्य व्यक्ति हमारी तुलना में ज़्यादा सफल हैं; हम चाहते हैं कि हमारे पास वह चीज़ हो जो दूसरों के पास है, यद्यपि हमारा उस पर कोई अधिकार नहीं है; और यह बात उन विभिन्न बुरे तरीक़ों को अपनाने की ओर ले जाती है जिनके द्वारा उस चीज़ से दूसरों को प्राप्त होनेवाले आनन्द को कम किया जाए, या वह चीज़ ख़ुद प्राप्त करें, या यह दिखाएँ कि जितने की उनसे सामान्य रूप से आशा की जाती है उतना उनके पास नहीं है। . . . क्योंकि इस तरह हमारे अन्दर ईर्ष्या की भावना तृप्त होगी।”—रोमियों १:२९; याकूब ४:५.
इसके विपरीत, बार्न्ज़ ने प्रेम, जो “डाह नहीं करता,” के सम्बन्ध में एक दिलचस्प कथन किया। (१ कुरिन्थियों १३:४) उसने लिखा: “प्रेम उस सुख से ईर्ष्या नहीं करता जिसका आनन्द दूसरे व्यक्ति उठाते हैं; वह उनके कल्याण से ख़ुश होता है; और जब उनका सुख . . . बढ़ जाता है, तो जो प्रेम द्वारा प्रभावित होते हैं वे . . . उनके सुख को कम नहीं करते; वे उनकी अनुकूल स्थिति के कारण उन्हें संकोचित महसूस नहीं करवाते; वे उस ख़ुशी को कम नहीं करते; वे इस बात पर नहीं कुड़कुड़ाते या शिकायत नहीं करते कि वे स्वयं इतनी अच्छी स्थिति में नहीं हैं। . . . अगर हम दूसरों से प्रेम करते हैं—अगर हम उनके सुख में आनन्दित होते हैं, तो हमें उनसे ईर्ष्या नहीं होनी चाहिए।”
[पेज 10 पर तसवीरें]
पीनहास यहोवा की शुद्ध उपासना के लिए जलनशील था