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  • यहोवा थके हुए को बल देता है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 12/1 पेज 14-19

यहोवा थके हुए को बल देता है

“जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाई उड़ेंगे।” —यशायाह ४०:३१.

१, २. यहोवा उस पर भरोसा रखनेवालों को क्या देता है, और अब हम किस बात पर ग़ौर करेंगे?

उकाब आकाश के सबसे शक्‍तिशाली पक्षियों में हैं। वे अपने पंख फड़फड़ाए बिना भी काफ़ी दूरी तक उड़ सकते हैं। ऐसे पंखों के साथ जो शायद दो मीटर से भी अधिक फैल सकते हैं, “पक्षियों का राजा,” स्वर्ण उकाब, “सब उकाबों में एक अति प्रभावशाली उकाब है; पहाड़ियों और मैदानों से ऊँचा उठते हुए, [वह] किसी पर्वत-श्रेणी के ऊपर घंटों उड़ता है, फिर सर्पिल गति से तब तक ऊपर उठता है जब तक कि वह आकाश में एक काले कण की तरह नहीं दिखता।”—उत्तर अमरीकी पक्षियों की ऑडुबन संस्था एनसाइक्लोपीडिया।

२ उकाब की उड़ान क्षमताओं को मन में रखते हुए, यशायाह ने लिखा: “[यहोवा] थके हुए को बल देता है और शक्‍तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। तरुण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाई उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।” (यशायाह ४०:२९-३१) यह जानना कितना सांत्वनादायक है कि यहोवा उन लोगों को बढ़ते रहने के लिए बल देता है जो उस पर भरोसा रखते हैं, मानो उन्हें उड़ते हुए उकाब के प्रतीयमानतः अथक पंखों से सज्जित करता है! अब, ऐसे कुछ प्रबन्धों पर ग़ौर कीजिए जो उसने थके हुए को बल देने के लिए किए हैं।

प्रार्थना का बल

३, ४. (क) यीशु ने अपने शिष्यों से क्या करने का आग्रह किया? (ख) हमारी प्रार्थनाओं के जवाब में हम शायद यहोवा से क्या करने की अपेक्षा करें?

३ यीशु ने अपने शिष्यों से ‘नित्य प्रार्थना करने और हियाव न छोड़ने’ का आग्रह किया। (लूका १८:१) जब जीवन के दबाव अभिभूत करनेवाले प्रतीत होते हैं तब क्या यहोवा के सामने अपना हृदय खोल देना वास्तव में हमें नया बल प्राप्त करने और हियाव छोड़ने से दूर रहने में मदद कर सकता है? जी हाँ, लेकिन कुछ बातें हैं जिन्हें हमें मन में रखना है।

४ हमारी प्रार्थनाओं के जवाब में हम यहोवा से जो करने की अपेक्षा करते हैं, उसमें हमें यथार्थवादी होना है। एक मसीही ने, जो गहरी हताशा में पड़ गयी थीं बाद में कहा: “अन्य बीमारियों के साथ जैसा होता है, यहोवा इस समय चमत्कार नहीं करता है। लेकिन वह हमें उस हद तक सामना करने और चंगा होने में मदद करता है जितना हम इस व्यवस्था में कर सकते हैं।” यह समझाते हुए कि क्यों उनकी प्रार्थनाओं से फ़र्क पड़ा, उन्होंने आगे कहा: “मुझे यहोवा की पवित्र आत्मा तक दिन के २४-घंटे पहुँच थी।” अतः, यहोवा जीवन के ऐसे दबावों से हमारी रक्षा नहीं करता है जो हमें उदास कर सकते हैं, लेकिन वह वाक़ई ‘अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा देता’ है। (लूका ११:१३; भजन ८८:१-३) वह आत्मा हमारे सामने आयी किसी भी परीक्षा या दबाव का सामना करने के लिए हमें योग्य बना सकती है। (१ कुरिन्थियों १०:१३) यदि आवश्‍यक हो तो वह हमें “असीम सामर्थ” दे सकती है ताकि हम तब तक धीरज धर सकें जब तक कि परमेश्‍वर का राज्य नए संसार में, जो बहुत ही निकट है, सभी तनावपूर्ण समस्याओं को हटा नहीं देता।—२ कुरिन्थियों ४:७.

५. (क) हमारी प्रार्थनाओं को प्रभावकारी होने के लिए, कौन-सी दो बातें अत्यावश्‍यक हैं? (ख) यदि हम शरीर की किसी कमज़ोरी से लड़ रहे हैं तो हम शायद कैसे प्रार्थना करें? (ग) हमारी सतत और सुस्पष्ट प्रार्थनाएँ यहोवा को क्या प्रदर्शित करेंगी?

५ लेकिन, हमारी प्रार्थानाओं को प्रभावकारी होने के लिए, हमें नित्य लगे रहना है, और हमें सुस्पष्ट होना है। (रोमियों १२:१२) उदाहरण के लिए, यदि आप शरीर की किसी कमज़ोरी से लड़ने की वजह से कभी-कभी थक जाते हैं, तो प्रत्येक दिन की शुरूआत में, यहोवा से दिन के दौरान उस विशिष्ट कमज़ोरी की ओर झुकने से दूर रहने में आपकी मदद करने के लिए निवेदन कीजिए। इसी तरह पूरे दिन के दौरान और हर रात सोने से पहले प्रार्थना कीजिए। यदि आप कमज़ोरी को दोहराते हैं तो यहोवा से उसकी क्षमा के लिए याचना कीजिए, लेकिन उससे इसके बारे में भी बात कीजिए कि कौन-सी बात उस दोहराव की ओर ले गयी और भविष्य में वैसी परिस्थितियों से बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं। ऐसी सतत और सुस्पष्ट प्रार्थनाएँ “प्रार्थना के सुननेवाले” से इस लड़ाई को जीतने की आपकी इच्छा की निष्कपटता को प्रदर्शित करेगा।—भजन ६५:२; लूका ११:५-१३.

६. जब हम प्रार्थना करने के लिए शायद अयोग्य महसूस करते हैं, तब भी हम उचित रूप से यहोवा से हमारी प्रार्थनाओं को सुनने की अपेक्षा शायद क्यों कर सकते हैं?

६ लेकिन, कभी-कभी वे लोग जो थक गए हैं प्रार्थना करने के लिए शायद अयोग्य महसूस करें। एक मसीही स्त्री जिन्होंने ऐसा महसूस किया था, ने बाद में कहा: “यह बहुत ही ख़तरनाक विचार है क्योंकि इसका अर्थ है कि हम ने अपना न्याय करना अपने ऊपर ले लिया है, लेकिन यह हक़ हमारा नहीं है।” सचमुच, “परमेश्‍वर तो आप ही न्यायी है।” (भजन ५०:६) बाइबल हमें आश्‍वासन देती है कि हालाँकि शायद “हमारा मन हमें दोष देगा, . . . परमेश्‍वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।” (१ यूहन्‍ना ३:१९, २०) यह जानना कितना सांत्वनादायक है कि जब हम अपने बारे में न्याय करते हैं कि हम प्रार्थना करने के लिए अयोग्य हैं, तब यहोवा हमारे बारे में शायद वैसा नहीं महसूस करता है! वह हमारे बारे में “सब कुछ जानता है,” जिसमें हमारे जीवन की वे परिस्थितियाँ भी सम्मिलित हैं जो शायद हमारे इतना अयोग्य महसूस करने की वजह से हो। (भजन १०३:१०-१४) उसकी दया और समझ की गहराई उसे “टूटे और पिसे हुए मन” वाले की प्रार्थनाओं को सुनने के लिए प्रेरित करती हैं। (भजन ५१:१७) वह मदद की हमारी पुकारों को सुनने से कैसे इनकार कर सकता है जब वह ख़ुद ‘कंगाल की दोहाई पर कान न देनेवालों’ की निन्दा करता है?—नीतिवचन २१:१३.

भाईचारे का स्नेह

७. (क) एक और प्रबन्ध क्या है जिसे यहोवा ने नया बल प्राप्त करने में हमारी मदद करने के लिए किया है? (ख) हमारे भाईचारे के बारे में क्या जानना हमारे लिए शक्‍तिदायक हो सकता है?

७ एक और प्रबन्ध जो यहोवा ने नया बल प्राप्त करने में हमारी मदद करने के लिए किया है वह है हमारा मसीही भाईचारा। भाइयों और बहनों के विश्‍वव्यापी परिवार का एक भाग होना क्या ही बहुमूल्य विशेषाधिकार है! (१ पतरस २:१७) जब जीवन के दबाव हमें उदास कर देते हैं, तब हमारे भाईचारे का स्नेह हमें नया बल प्राप्त करने में मदद कर सकता है। वह कैसे? यह जानना कि तनावपूर्ण चुनौतियों का सामना करने में हम अकेले नहीं हैं अपने आप में शक्‍तिदायक हो सकता है। हमारे भाइयों और बहनों के बीच, निःसंदेह कुछ भाई-बहन हैं जिन्होंने समान दबावों या परीक्षाओं का सामना किया है और जिन्होंने काफ़ी कुछ हमारी भावनाओं की तरह भावनाओं का अनुभव किया है। (१ पतरस ५:९) यह जानने से आश्‍वासन मिलता है कि हम जिस स्थिति से गुज़र रहे हैं वह असामान्य नहीं है और कि हमारी भावनाएँ असाधारण नहीं हैं।

८. (क) कौन-से उदाहरण दिखाते हैं कि कैसे हम अपने भाईचारे में सहायता और सांत्वना पा सकते हैं जिसकी हमें ज़रूरत है? (ख) किस तरीक़े से आपको एक ‘सच्चे साथी’ द्वारा व्यक्‍तिगत रूप से सहायता या सांत्वना मिली है?

८ भाईचारे के स्नेह में हम ‘सच्चे साथी’ पा सकते हैं जो, जब हम संकट में होते हैं तब सहायता और सांत्वना प्रदान कर सकते हैं जिसकी उन्हें बहुत ज़रूरत है। (नीतिवचन १७:१७, NW) अकसर, बस कुछ कृपापूर्ण शब्दों या विचारपूर्ण कार्यों की ज़रूरत होती है। एक मसीही जिन्होंने अयोग्यता की भावनाओं के साथ संघर्ष किया था याद करती हैं: “ऐसे दोस्त थे जो मुझे मेरे बारे में सकारात्मक बातों से पोषित करते ताकि मैं उन नकारात्मक विचारों पर विजय पाने में मदद पाऊँ जो मुझमें थे।” (नीतिवचन १५:२३) अपनी युवा बेटी की मृत्यु के बाद, एक बहन ने शुरू-शुरू में कलीसिया सभाओं में राज्य गीतों को गाना मुश्‍किल पाया, विशेषकर ऐसे गीत जो पुनरुत्थान का ज़िक्र करते थे। “एक बार,” वो याद करती हैं, “गलियारे के उस पार बैठी एक बहन ने मुझे रोते हुए देखा। वो मेरे पास आयीं, मुझ पर अपनी बाँहें डालीं, और शेष गीत को मेरे साथ गाया। मैंने भाइयों और बहनों के लिए प्यार से इतना भरा हुआ महसूस किया और इतनी ख़ुशी महसूस की कि हम सभाओं में आए थे। मुझे यह एहसास हुआ कि वहीं हमारी मदद है, वहीं राज्यगृह में।”

९, १०. (क) अपने भाईचारे के स्नेह में हम शायद कैसे योग दे सकते हैं? (ख) किन्हें विशेषकर हितकर संगति की ज़रूरत है? (ग) जिन्हें प्रोत्साहन की ज़रूरत है, उनकी मदद करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

९ निःसंदेह, मसीही भाईचारे के स्नेह में योग देना हम में से प्रत्येक की ज़िम्मेदारी है। इस प्रकार, हमारे हृदय को हमारे सब भाइयों और बहनों को शामिल करने के लिए ‘खुलना’ चाहिए। (२ कुरिन्थियों ६:१३) जो थक गए हैं, वैसे लोगों के लिए यह महसूस करना कितनी दुःख की बात होगी कि उनके प्रति भाईचारे का प्रेम ठण्डा पड़ गया है! फिर भी, कुछ मसीही रिपोर्ट करते हैं कि वे अकेले और उपेक्षित महसूस करते हैं। एक बहन जिनका पति सच्चाई का विरोध करते हैं, ने निवेदन किया: “किन्हें प्रोत्साहक दोस्ती, प्रोत्साहन, और प्रेममय संगति की इच्छा और ज़रूरत नहीं होती? कृपया हमारे भाइयों और बहनों को याद दिलाइए कि हमें उनकी ज़रूरत है!” जी हाँ, विशेषकर ऐसे व्यक्‍तियों को जिनकी जीवन की परिस्थितियों ने उन्हें उदास कर दिया है—ऐसे व्यक्‍ति जिनका विश्‍वासी विवाह-साथी नहीं हैं, एक जनक हैं, जिन्हें जीर्ण स्वास्थ्य समस्याएँ हैं, वृद्ध लोग, और अन्य लोगों को—हितकर संगति की ज़रूरत है। क्या हम में से कुछ लोगों को इस बात की याद दिलाए जाने की ज़रूरत है?

१० मदद करने के लिए हम क्या कर सकते हैं? आइए हम अपना प्रेम व्यक्‍त करने में हृदय को खोलें। पहुनाई दिखाते वक़्त, आइए हम ऐसों को न भूलें जिन्हें प्रोत्साहन की ज़रूरत है। (लूका १४:१२-१४; इब्रानियों १३:२) ऐसा मानने के बजाय कि उनकी परिस्थितियाँ स्वीकार करने से उन्हें रोकती हैं, क्यों न उन्हें आमंत्रित करके देखें? फिर उन्हें निर्णय करने दीजिए। यदि वे स्वीकार नहीं कर पाते हैं, तो भी वे यह जानकर निःसंदेह प्रोत्साहित महसूस करेंगे कि दूसरों ने उनके बारे में सोचा है। नया बल प्राप्त करने के लिए उन्हें शायद बस इसकी ही ज़रूरत हो।

११. जो उदास हैं, उन्हें शायद किन तरीक़ों से सहायता की ज़रूरत हो सकती है?

११ जो उदास हैं, उन्हें शायद अन्य तरीक़ों से सहायता की ज़रूरत हो। उदाहरण के लिए, एक एक-जनक माता को शायद उनके पितृहीन बेटे में दिलचस्पी दिखाने के लिए एक प्रौढ़ भाई की ज़रूरत हो। (याकूब १:२७) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या वाले एक भाई या एक बहन को शायद ख़रीददारी या घरेलू कार्यों में कुछ मदद की ज़रूरत हो। एक वृद्ध जन शायद कुछ सहचारिता की लालसा करे या उन्हें क्षेत्र सेवकाई में निकलने के लिए कुछ सहायता की ज़रूरत हो। जब ऐसी सहायता की बढ़ती ज़रूरत है, तब यह ‘हमारे प्रेम की सच्चाई’ की असल ‘परख’ करती है। (२ कुरिन्थियों ८:८) सम्मिलित समय और प्रयास की वजह से ज़रूरतमन्दों से दूर जाने के बजाय, ऐसा हो कि हम दूसरों की ज़रूरतों के प्रति संवेदनशील और प्रतिक्रियाशील होने के द्वारा मसीही प्रेम की परीक्षा में सफल हों।

परमेश्‍वर के वचन का बल

१२. परमेश्‍वर का वचन हमें नया बल प्राप्त करने में कैसे मदद करता है?

१२ एक व्यक्‍ति जो भोजन करना बन्द कर देता है जल्द ही अपनी शक्‍ति, या बल खो देगा। उसी तरह, यहोवा यह निश्‍चित करता है कि हम आध्यात्मिक रूप से अच्छी तरह पोषित हों। यह उसका एक और तरीक़ा है जिससे वह हमें बढ़ते रहने का बल देता है। (यशायाह ६५:१३, १४) उसने कौन-सा आध्यात्मिक भोजन प्रदान किया है? सबसे बढ़कर, उसका वचन, बाइबल। (मत्ती ४:४. इब्रानियों ४:१२ से तुलना कीजिए।) यह हमें नया बल प्राप्त करने में कैसे मदद कर सकती है? जब वे दबाव और समस्याएँ जिनका हम सामना करते हैं, हमारी शक्‍ति को कमज़ोर करना शुरू करती हैं, तब हम बाइबल समयों में विश्‍वासी पुरुषों और स्त्रियों की भावनाओं और वास्तविक-जीवन संघर्षों के बारे में पढ़ने से शक्‍ति प्राप्त कर सकते हैं। हालाँकि वे खराई के उत्कृष्ट उदाहरण थे, वे ऐसे मनुष्य थे जिनकी “हमारी तरह भावनाएँ” थीं। (याकूब ५:१७; प्रेरितों १४:१५) उन्होंने हमारे ही समान परीक्षाओं और दबावों का सामना किया। कुछ उदाहरणों पर ग़ौर कीजिए।

१३. कौन-से शास्त्रीय उदाहरण दिखाते हैं कि बाइबल समयों में विश्‍वासी पुरुषों और स्त्रियों की भावनाएँ और अनुभव काफ़ी कुछ हमारी ही तरह थे?

१३ कुलपिता इब्राहीम ने अपनी पत्नी की मृत्यु पर गहरा शोक मनाया हालाँकि उसे पुनरुत्थान में विश्‍वास था। (उत्पत्ति २३:२. इब्रानियों ११:८-१०, १७-१९ से तुलना कीजिए।) पश्‍चातापी दाऊद ने महसूस किया कि उसके पापों ने उसे यहोवा की सेवा करने के अयोग्य बना दिया था। (भजन ५१:११) मूसा को असमर्थता की भावनाएँ थीं। (निर्गमन ४:१०) इपफ्रुदीतुस हताश हो गया जब यह ज्ञात हो गया कि एक गंभीर बीमारी की वजह से “मसीह के काम” में उसकी गतिविधि सीमित हो गयी। (फिलिप्पियों २:२५-३०) पौलुस को पतित शरीर के विरुद्ध लड़ाई करनी पड़ी। (रोमियों ७:२१-२५) फिलिप्पी की कलीसिया की दो अभिषिक्‍त बहनों, यूओदिया और सुन्तुखे की आपस में पटरी खाने में प्रत्यक्षतः कुछ कठिनाई थी। (फिलिप्पियों १:१; ४:२, ३) यह जानना कितना प्रोत्साहक है कि इन विश्‍वासी जनों की भावनाएँ और अनुभव हमारी ही तरह थे, फिर भी उन्होंने हियाव नहीं छोड़ा! ना ही यहोवा ने उन्हें छोड़ा।

१४. (क) यहोवा ने उसके वचन से शक्‍ति प्राप्त करने में हमारी मदद करने के लिए कौन-से साधन को इस्तेमाल किया है? (ख) प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं ने सामाजिक, पारिवारिक, और भावात्मक विषयों पर लेख क्यों छापे हैं?

१४ उसके वचन से शक्‍ति प्राप्त करने में हमारी मदद करने के लिए, यहोवा विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग को इस्तेमाल करता है ताकि वे हमें नियमित रूप से ‘समय पर भोजन’ प्रदान करें। (मत्ती २४:४५) विश्‍वासयोग्य दास ने बाइबल सच्चाई का समर्थन करने और मनुष्य की एकमात्र आशा के रूप में परमेश्‍वर के राज्य की घोषणा करने के लिए लम्बे अरसे से प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं को इस्तेमाल किया है। विशेषकर पिछले कुछ दशकों में, इन पत्रिकाओं ने ऐसी सामाजिक, पारिवारिक, और भावात्मक चुनौतियों पर समयोचित शास्त्रीय लेख छापे हैं जिनका सामना परमेश्‍वर के कुछ लोग भी करते हैं। किस उद्देश्‍य से ऐसी जानकारी प्रकाशित की गयी है? निश्‍चय ही उन लोगों को परमेश्‍वर के वचन से शक्‍ति और प्रोत्साहन प्राप्त करने में मदद करने के लिए जो इन चुनौतियों का अनुभव कर रहे हैं। लेकिन ऐसे लेख हम सभी को उन परिस्थितियों की ज़्यादा स्पष्ट समझ पाने में भी मदद करते हैं जिनसे शायद हमारे कुछ भाई-बहन गुज़र रहे हैं। अतः हम पौलुस के शब्दों का पालन करने में बेहतर सज्जित होते हैं: “हताश प्राणों से सांत्वनापूर्वक बोलो, कमज़ोरों को सहारा दो, सब के प्रति सहनशील बनो।”—१ थिस्सलुनीकियों ५:१४, NW.

प्राचीन जो “आंधी से छिपने का स्थान” हैं

१५. यशायाह ने प्राचीनों के तौर पर सेवा करनेवालों के बारे में क्या भविष्यवाणी की, और इससे उन पर क्या ज़िम्मेदारी आती है?

१५ थक जाने पर हमारी मदद करने के लिए यहोवा ने कुछ और प्रदान किया है—कलीसिया प्राचीन। इनके बारे में भविष्यवक्‍ता यशायाह ने लिखा: “हर एक मानो आँधी से छिपने का स्थान, और तूफ़ान से आड़, निर्जल देश में जल की धारा, और तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया की तरह साबित होना है।” (यशायाह ३२:१, २, NW) तो फिर, प्राचीनों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे उन योग्यताओं को पूरा करें जो यहोवा ने उनके बारे में पूर्वबतायी हैं। उन्हें दूसरों के लिए सांत्वना और विश्राम का स्रोत “साबित होना है” और उन्हें ‘एक दूसरे के भार [या “कष्टदायी चीजें”; अक्षरशः, “भारी चीज़ें”] उठाने’ के लिए इच्छुक होना है। (गलतियों ६:२, NW फुटनोट) वे ऐसा कैसे कर सकते हैं?

१६. प्राचीन उस व्यक्‍ति की मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं जो प्रार्थना करने के लिए अयोग्य महसूस करता है?

१६ जैसे पहले ज़िक्र किया गया है, कभी-कभी एक व्यक्‍ति जो थक गया है शायद प्रार्थना करने में अयोग्य महसूस करे। प्राचीन क्या कर सकते हैं? वे उस व्यक्‍ति के साथ और उसके लिए प्रार्थना कर सकते हैं। (याकूब ५:१४) थके हुए व्यक्‍ति के सुनते हुए, यहोवा से मात्र उन्हें यह समझने में मदद करने के लिए प्रार्थना करना निश्‍चय ही सांत्वनादायक होगा कि वह व्यक्‍ति यहोवा के लिए और अन्य लोगों के लिए कितना प्रिय है। एक प्राचीन की भावप्रवण, हार्दिक प्रार्थना को सुनना एक व्यथित व्यक्‍ति के विश्‍वास को मज़बूत करने में शायद मदद करे। उस व्यक्‍ति को यह तर्क करने में शायद मदद मिले कि यदि प्राचीन विश्‍वस्त हैं कि यहोवा उनके पक्ष में की गयी प्रार्थनाओं का जवाब देगा, तब वो उस विश्‍वास में भागीदार हो सकते हैं।

१७. प्राचीनों को तदनुभूतिशील सुननेवाले क्यों होना चाहिए?

१७ “हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा . . . हो,” याकूब १:१९ कहता है। थके हुओं को नया बल प्राप्त करने में मदद करने के लिए, प्राचीनों को तदनुभूतिशील सुननेवाले भी होना चाहिए। कुछ मामलों में कलीसिया सदस्य शायद ऐसी समस्याओं या दबावों से संघर्ष कर रहे हों जिन्हें इस रीति-व्यवस्था में हल नहीं किया जा सकता है। तब, उन्हें शायद उनकी समस्या को “ठीक” करने का कोई हल की नहीं बल्कि मात्र एक अच्छे सुननेवाले से बात करने की ज़रूरत हो—एक ऐसा व्यक्‍ति जो उन्हें यह नहीं बताएगा कि उन्हें कैसा महसूस करना चाहिए बल्कि जो दोष लगानेवाले हुए बिना सुनेगा।—लूका ६:३७; रोमियों १४:१३.

१८, १९. (क) सुनने को तत्पर होना एक प्राचीन को, किसी थके हुए के बोझ को और भी भारी बना देने से दूर रहने में कैसे मदद कर सकता है? (ख) क्या परिणित होता है जब प्राचीन “सहानुभूति” दिखाते हैं?

१८ प्राचीनों, सुनने को तत्पर होना आपको अनजाने में किसी थके हुए के बोझ को और भी भारी बना देने से दूर रहने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि एक भाई या एक बहन कुछ सभाओं में नहीं आए हैं या क्षेत्र सेवकाई में धीमे पड़ गए हैं, तो क्या उन्हें सेवकाई में और ज़्यादा करने के बारे में या सभाओं में और ज़्यादा नियमित होने के बारे में वास्तव में सलाह की ज़रूरत है? शायद। लेकिन क्या आप स्थिति से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं? क्या स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याएँ हैं? क्या पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ हाल ही में बदली हैं? क्या अन्य परिस्थितियाँ या दबाव हैं जो उन्हें उदास कर रही हैं? याद रखिए, वह व्यक्‍ति ज़्यादा कर पाने में असमर्थ होने के बारे में शायद पहले ही बहुत दोषी महसूस कर रहा होगा।

१९ तो फिर, आप कैसे उस भाई या बहन की मदद कर सकते हैं? आपके निष्कर्ष निकालने और सलाह देने से पहले, सुनिए! (नीतिवचन १८:१३) समझदारी से पूछे गए सवालों से उस व्यक्‍ति के हृदय की भावनाओं को ‘निकलवाइए।’ (नीतिवचन २०:५) इन भावनाओं को अनदेखा मत कीजिए—उन्हें पहचानिए। थके हुए को शायद आश्‍वस्त किए जाने की ज़रूरत हो कि यहोवा हमारी परवाह करता है और समझता है कि कभी-कभी हमारी परिस्थितियाँ हमें सीमित कर सकती हैं। (१ पतरस ५:७) जब प्राचीन ऐसी “सहानुभूति” दिखाते हैं, तब थके हुए जन ‘अपने मन में विश्राम पाएँगें।’ (१ पतरस ३:८, NW; मत्ती ११:२८-३०) जब वे ऐसा विश्राम पाते हैं, तब उन्हें और ज़्यादा करने के लिए कहने की ज़रूरत नहीं होगी; उनका हृदय उन्हें प्रेरित करेगा कि वे यहोवा की सेवा करने में उचित रूप से जितना कर सकते हैं उतना करें।—२ कुरिन्थियों ८:१२; ९:७ से तुलना कीजिए।

२०. इस दुष्ट पीढ़ी का अन्त इतना निकट होने की वजह से हमें क्या करने का दृढ़संकल्प होना चाहिए?

२० सचमुच हम पूरे मानव इतिहास में सबसे कठिन समय में जी रहे हैं। जैसे-जैसे हम अन्त के समय के और निकट आते जाते हैं, शैतान के संसार में जीने के दबाव बढ़ते जा रहे हैं। याद रखिए, एक शिकार करनेवाले सिंह की तरह, इब्‌लीस हमारे थक जाने और हियाव छोड़ देने का इन्तजार करता है ताकि वह सहज शिकार समझकर हमारा फ़ायदा उठा सके। हम कितने कृतज्ञ हो सकते हैं कि यहोवा थके हुए को बल देता है! ऐसा हो कि हम उन प्रबन्धों का पूरा-पूरा फ़ायदा उठाएँ जो उसने हमें बढ़ते रहने के वास्ते बल देने के लिए किए हैं, मानो वह हमें एक उड़ते उकाब के शक्‍तिशाली पंख प्रदान करता हो। इस दुष्ट पीढ़ी का अन्त इतना निकट होने की वजह से, इनाम—अनन्त जीवन—के लिए हमारी दौड़ में दौड़ना बन्द करने का यह समय नहीं है।—इब्रानियों १२:१.

आपका जवाब क्या है?

◻ हमारी प्रार्थनाओं के जवाब में हम शायद यहोवा से क्या करने की अपेक्षा करें?

◻ किन तरीक़ों से हम अपने मसीही भाईचारे से शक्‍ति प्राप्त कर सकते हैं?

◻ परमेश्‍वर का वचन हमें नया बल प्राप्त करने में कैसे मदद करता है?

◻ प्राचीन थके हुओं को नया बल प्राप्त करने में मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं?

[पेज 17 पर तसवीरें]

पहुनाई दिखाते वक़्त, आइए हम ऐसों को न भूलें जिन्हें प्रोत्साहन की ज़रूरत है

[पेज 18 पर तसवीरें]

प्राचीन यहोवा से थके हुए व्यक्‍तिओं को यह समझने में मदद करने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं कि वे कितने प्रिय हैं

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