नाराज़गी मत रखिए
जब कोई व्यक्ति हमें ठेस पहुँचाता है, तब नाराज़ होने से दूर रहना शायद पहले से कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण लगे। ऐसी स्थितियों के लिए बाइबल में व्यावहारिक सलाह है। “क्रोध तो करो,” प्रेरित पौलुस ने लिखा, “पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।”—इफिसियों ४:२६.
जब कोई हमें नुक़सान पहुँचाता है, तब थोड़ा-बहुत क्रोधित होना तो स्वाभाविक ही है। यह बात कि पौलुस कहता है कि “क्रोध तो करो,” सूचित करती है कि कभी-कभी—शायद अनुचित व्यवहार या न्याय की हत्या की प्रतिक्रिया में—गुस्सा उचित हो सकता है। (२ कुरिन्थियों ११:२९ से तुलना कीजिए।) परन्तु जब उसे दूर नहीं किया जाता, तो उचित क्रोध के भी अनर्थकारी परिणाम हो सकते हैं, जो बड़े पाप की ओर ले जा सकता है। (उत्पत्ति ३४:१-३१; ४९:५-७; भजन १०६:३२, ३३) सो, जब आप क्रोधित महसूस करते हैं, तब आप क्या कर सकते हैं?
छोटी-छोटी ग़लतियों से सम्बन्धित अधिकांश मामलों में, आप या तो अपने हृदय में मामले को निपटाकर ‘चुपचाप रह’ सकते हैं या ठेस पहुँचानेवाले के पास जाकर उस विषय पर चर्चा कर सकते हैं। (भजन ४:४; मत्ती ५:२३, २४) दोनों में से किसी भी तरह, मामले को जल्दी से निपटाना ही सर्वोत्तम बात है जिससे नाराज़गी बढ़कर दुःखद परिणामों में परिणित न हो।—इफिसियों ४:३१.
यहोवा हमारे पापों को स्वच्छंद रूप से क्षमा करता है, ऐसे पापों को भी जिन्हें हम अपनी अज्ञानता में करने के बारे में शायद अवगत भी न हों। क्या हम उसी तरह एक संगी मनुष्य की छोटी-सी ग़लती को क्षमा नहीं कर सकते?—कुलुस्सियों ३:१३; १ पतरस ४:८.
यह दिलचस्पी की बात है कि “क्षमा करना” के लिए यूनानी शब्द का आक्षरिक अर्थ है “जाने देना।” क्षमाशीलता इसकी माँग नहीं करती कि हम ग़लती को गंभीरतापूर्वक न लें या उसे अनदेखा करें। कभी-कभी इसमें स्थिति को इस एहसास के साथ जाने देना शामिल हो सकता है कि नाराज़गी रखना आपके बोझ को केवल बढ़ाएगा और मसीही कलीसिया की एकता को भंग करेगा। इसके अतिरिक्त, नाराज़गी रखना आपकी सेहत के लिए हानिकर हो सकता है!—भजन १०३:९.