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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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  • सहयोग और पहुनाई की आत्मा
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 12/15 पेज 22-23

देखिए! नीयूवे में एक राज्यगृह

न्यू ज़ीलैंड के २,१६० किलोमीटर उत्तरपूर्व में, नीयूवे दक्षिणी प्रशान्त में एक छोटा प्रवाल द्वीप है। एक यात्रा पुस्तिका के अनुसार, नाम नीयूवे दो शब्दों से आता है, नीयू, अर्थात “नारियल का पेड़,” और ए, अर्थात “ध्यान दीजिए,” या “देखिए।” पुस्तिका कहती है: “दन्त कथा के अनुसार पहले पॉलिनेशियाई लोगों ने अपने आगमन पर जब भूमि पर उगते हुए नारियल के पेड़ों को देखा तो ये शब्द कहे।”

आज, नीयूवे में यहोवा के साक्षी आगंतुकों से कहने में गर्व महसूस करते हैं कि “ए! फ़ालॆ हॆ काउतू माउटॉलू!” अर्थात्‌, “देखिए! हमारा राज्यगृह!” उनकी इस राज्यगृह के बारे में इतनी गहरी भावनाएँ क्यों हैं? सभी जगह यहोवा के साक्षी अपने राज्यगृहों के लिए गर्व महसूस करते हैं, ख़ासकर यदि वे स्वयं निर्माणकर्त्ता थे। परन्तु विशाल दक्षिणी प्रशान्त के मध्य में एक दूरवर्ती द्वीप पर राज्यगृह बनाना एक बिलकुल अलग मामला है। इस पर, नीयूवे केवल २६० वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, और सम्पूर्ण द्वीप में केवल २,३०० लोग हैं।

सवाल था कि राज्यगृह कौन बनाता। नीयूवे की एकमात्र कलीसिया में केवल ३२ साक्षी हैं। सभी ज़रूरी बड़ा सामान, जैसे ट्रक, बुलडोज़र, और क्रेन मशीनें, सरकार का है। इसके अलावा, वस्तुतः सभी आवश्‍यक निर्माण सामग्री—इस्पात, कंक्रीट ब्लाक, छत बनाने का सामान, बिजली और नलकारी का सामान, ध्वनि उपकरण, और कुर्सियाँ—न्यू ज़ीलैंड से पानी के जहाज़ द्वारा एक ऐसी यातायात सेवा द्वारा लायी जानी थी जो हर पाँच सप्ताहों में केवल एक बार ही चलती है। अन्ततः, द्वीप की चट्टानी भूमि निर्माण कार्य को कठिन बना देती, और भवन को उष्णप्रदेशीय तूफ़ानों का सामना करने लायक बनाना पड़ता। सचमुच, किसी भी व्यक्‍ति के लिए एक अत्यन्त कठिन कार्य!

फिर भी, यहाँ एक बड़ा अंतर था। यहोवा के साक्षियों के लिए, एक राज्यगृह सच्ची उपासना का स्थानीय केन्द्र है, और वे निर्देशन और मदद के लिए यहोवा परमेश्‍वर की ओर देखते हैं। (भजन ५६:११; १२७:१) ऑकलैंड में नीयूवे की कलीसिया के सदस्यों के साथ न्यू ज़ीलैंड के मसीही भाई, निर्माण परियोजना को सम्पूर्ण मन से समर्थन देते हुए, नीयूवे के साक्षियों के छोटे-से समूह की सहायता करने आए।

कार्य शुरू करने का फ़ैसला

जून १९९४ में रॉटरूए, न्यू ज़ीलैंड में एक राज्यगृह निर्माण-स्थल में नीयूवे परियोजना में भाग लेने में दिलचस्पी रखनेवालों के लिए एक घोषणा की गई। आश्‍चर्यजनक रूप से, २०० मसीही भाई और बहन आगे आए। इनमें से, ८० लोगों को चुना गया, जिनमें बढ़ई, इस्पात कर्मचारी, नलकार, छत बनानेवाले, पलस्तर करनेवाले, रंगसाज़, बिजलीवाले, ध्वनि तकनीकज्ञ, कंक्रीट कर्मचारी, ईंट बनानेवाले, और मज़दूर शामिल थे।

भाइयों ने रूप-रेखा तैयार की और यहोवा पर भरोसा करते हुए आगे बढ़े। नीयूवे के दो प्राचीनों में से एक, जो स्थानीय व्यापारी हैं, सभी आवश्‍यक सामान को पोत-परिवहन द्वारा मंगवाने का प्रबन्ध करने में लग गए। एक ख़ास हवाई-यात्रा/आवास किराए का प्रबन्ध उन समुद्रपार कार्यकर्ताओं के लिए किया गया था जो अपना ख़र्च स्वयं उठाने के लिए राज़ी हो गए थे, और निर्माण तिथि तय कर दी गई। परियोजना को २० दिनों में पूरा होना था, मार्च ४ से मार्च २३, १९९५ तक, जब राज्यगृह समर्पित किया जाता।

परियोजना निर्देशक ने, जो एक सप्ताह पहले तैयारी करने के लिए न्यू ज़ीलैंड से आए थे, कहा “जब मैंने वह स्थान देखा तब मुझे पहली बार इतनी घबराहट का अनुभव हुआ। ज़मीन पूरी चट्टान है। केवल पाए खोदने में ही दो सप्ताह लगेंगे।” परन्तु उन्होंने बाद में यह स्वीकार किया कि स्थानीय साक्षियों के बारे में उन्होंने कम समझा था।“ नीयूवे के भाई चट्टानों की बनावट जानते हैं,” उन्होंने कहा। “वे जानते हैं कि चट्टान पर कहाँ मारें जिससे बड़े टुकड़े निकल जाएँगे।” पाए दो दिनों में पूरे हो गए!

मार्च ४ को हवाई-जहाज़ द्वारा न्यू ज़ीलैंड के साक्षियों का पहला दल आया, और कंक्रीट कार्य पूरा किया गया। जैसे-जैसे कार्यकर्त्ताओं के दल लगातार आते गए, परियोजना के विभिन्‍न चरण पूरे किए गए। कार्यदिवस प्रातः ७ बजे दैनिक बाइबल पाठ से आरम्भ हुए। कुछ भाइयों ने ९७ डिग्री फ़ैरेनहाइट तक के तापमान में प्रतिदिन १२-घंटे तक कार्य किया। अन्त में, मार्च २३ तक, ज़मीन पर भू-दृश्‍य का काम कर दिया गया। आम के पेड़ से बना एक आकर्षक सूचना पट्ट इमारत की पहचान “यहोवा के साक्षियों का राज्यगृह” के रूप में दे रहा था।

सहयोग और पहुनाई की आत्मा

एक महत्त्वपूर्ण कारण जिसने परियोजना की सफलता में योगदान दिया, नीयूवेवासियों का सहयोग था। स्थानीय गाँववालों ने, मौक़े की उमंग में भरकर, भोजन और पैसा दान किया। अनेकों ने भवन निर्माण को अपनी परियोजना समझा। सरकारी अधिकारियों और व्यापारियों ने ऐसी सेवाएँ प्रदान कीं जो कि अपेक्षा से भी अधिक थीं। ज़रूरी सामान, और साथ ही एक बढ़ईगिरी कारखाना भी उपलब्ध कराए गए थे। इस बात को निश्‍चित करने के लिए कि ज़रूरी सामान सही समय पर पहुँचता, यहाँ तक कि पोत-परिवहन कम्पनी ने अपने जहाज़ का पुनः मार्ग-निर्धारण किया।

आगंतुकों ने सचमुच नीयूवे के साक्षियों के कठिन परिश्रम और पहुनाई का मूल्यांकन किया, जिन्होंने अपने घर और वस्तुओं में उनके साथ साझेदारी की। “स्थानीय बहनें क़माल की थीं,” एक निर्माण कार्यकर्त्ता ने कहा। हर दिन दोपहर के गरमा-गरम खाने के अलावा, बहनें हर सुबह ६:३० बजे पका हुआ नाश्‍ता परोसती थीं। कुछ प्रातः ४:३० बजे खाना बनाने के लिए उठ जाती थीं। एक निर्माण कार्यकर्त्ता ने कहा: “मैं सोचता हूँ कि हम यहाँ नीयूवे में अपने घरों से ज़्यादा अच्छी तरह रहे हैं।”

मार्च १० को नीयूवे स्टार (अंग्रेज़ी) ने, “नीयूवे में पहला राज्यगृह” इस शीर्षक के साथ मुख-पृष्ठ कहानी में इस घटना के बारे में रिपोर्ट की और न्यू ज़ीलैंडवासियों और नीयूवेवासियों का निर्माण स्थल पर कार्य करते हुए एक चित्र छापा। इसने बताया कि भवन आकार में २८० वर्ग मीटर है और ७० से १०० लोगों के बैठने का स्थान है। लेख ने आगे कहा: “कार्य वास्तव में दो [सप्ताह] में पूरा किया जा सकता था, लेकिन इस मामले में इसे बढ़ाया जाएगा। इस मामले में, काम शुरू होने के केवल दो दिन बाद, नींव, ढाँचा, कड़ियाँ और छत समय से पहले खड़ी कर दी गई थीं।”

एक स्थानीय व्यापारी ने इच्छा प्रकट की कि नीयूवे द्वीप पर रहनेवाले सभी इस परियोजना को देखें और इससे एक सबक़ सीखें। उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि यह सभी को दिखाएगा कि प्रेम और सहयोग से क्या किया जा सकता है।

समर्पण पर २०४ लोगों की भीड़ आई। नीयूवेवासी भाइयों, बहनों, और बच्चों द्वारा गीत और नृत्य के साथ राज्यगृह के निर्माण की कथा की एक ख़ास प्रस्तुति, उपस्थित सभी लोगों के लिए दिल को छू लेनेवाला अनुभव साबित हुआ था। धन्यवाद की अभिव्यक्‍तियाँ निर्माण दल और यहोवा को दी गईं, जिसकी आत्मा ने मन, हृदय और हाथों को इस कार्य को पूरा करने के लिए उभारा।—यशायाह ४०:२८-३१.

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