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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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सर्प का वंश —उसका परदाफ़ाश कैसे?

“मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्‍न करूंगा।”—उत्पत्ति ३:१५.

१. (क) यहोवा आनन्दित परमेश्‍वर क्यों है? (ख) उसने क्या किया है जिससे कि हम उसके आनन्द में भागी होने में समर्थ हो सकें?

यहोवा आनन्दित परमेश्‍वर है और इसका उचित कारण है। वह ऐसी वस्तुओं का सर्वश्रेष्ठ और सर्वप्रथम दाता है जो अच्छी हैं, और ऐसा कुछ नहीं जो उसके उद्देश्‍यों की पूर्ति को रोक सकता है। (यशायाह ५५:१०, ११; १ तीमुथियुस १:११; याकूब १:१७) वह चाहता है कि उसके सेवक उसके आनन्द में भागी हों, और वह उनका ऐसा करने के लिए ठोस कारण प्रदान करता है। अतः, मानव इतिहास की एक सबसे अन्धकारमय घड़ी में—अदन में विद्रोह होने पर—उसने हमारे लिए आधार प्रदान किया कि हम आशा के साथ भविष्य की ओर देख सकें।—रोमियों ८:१९-२१.

२. अदन में विद्रोहियों पर न्याय घोषित करते समय, यहोवा ने आदम और हव्वा की संतान के लिए आशा का एक आधार कैसे प्रदान किया?

२ यहोवा के एक आत्मिक पुत्र ने परमेश्‍वर का विरोध और उसकी निन्दा करने के द्वारा अपने आपको अभी-अभी शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस बना लिया था। पहले मानव, हव्वा और फिर आदम, उसके प्रभाव में आ गए थे और उन्होंने यहोवा के स्पष्ट रूप से दिए गए नियम का उल्लंघन किया था। उन्हें न्यायसंगत रूप से मृत्युदण्ड दिया गया। (उत्पत्ति ३:१-२४) फिर भी, इन विद्रोहियों पर न्याय घोषित करते समय, यहोवा ने आदम और हव्वा की संतान के लिए आशा का एक आधार प्रदान किया। किस प्रकार? जैसा उत्पत्ति ३:१५ में अभिलिखित है, यहोवा ने कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्‍न करूंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” यह भविष्यवाणी संपूर्ण बाइबल को, साथ ही दोनों, इस संसार से और यहोवा के सेवकों से सम्बन्धित अतीत और वर्तमान की घटनाओं को समझने की एक कुंजी है।

इस भविष्यवाणी का अर्थ क्या है

३. जैसे उत्पत्ति ३:१५ में उल्लिखित है, (क) सर्प, (ख) “स्त्री,” (ग) सर्प के “वंश,” (घ) स्त्री के “वंश” की पहचान कराइए।

३ इसके महत्त्व को समझने के लिए, स्वयं भविष्यवाणी के विभिन्‍न अंशों पर विचार कीजिए। उत्पत्ति ३:१५ में सम्बोधित व्यक्‍ति सर्प है—तुच्छ सांप नहीं, बल्कि वह व्यक्‍ति जिसने उसको प्रयोग किया। (प्रकाशितवाक्य १२:९) “स्त्री” हव्वा नहीं बल्कि यहोवा का स्वर्गीय संगठन है, पृथ्वी पर उसके आत्मा-अभिषिक्‍त सेवकों की माता। (गलतियों ४:२६) सर्प का “वंश,” शैतान का वंश है, उसकी संतान—पिशाच और मानव साथ ही मानव संगठन जो शैतान के गुण प्रदर्शित करते हैं और जो स्त्री के “वंश” के प्रति बैर दिखाते हैं। (यूहन्‍ना १५:१९; १७:१५) स्त्री का “वंश” मूलतः यीशु मसीह है, जो सा.यु. २९ में पवित्र आत्मा द्वारा अभिषिक्‍त किया गया। वे १,४४,००० जो ‘नए सिरे से जल और आत्मा से जन्मे’ हैं और जो मसीह के साथ स्वर्गीय राज्य के वारिस हैं, उस प्रतिज्ञा के वंश का द्वितीय भाग हैं। उन्हें सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त से स्त्री के वंश में जोड़ा जाने लगा।—यूहन्‍ना ३:३, ५; गलतियों ३:१६, २९.

४. उत्पत्ति ३:१५ का पृथ्वी के परादीस बनने, पाप और मृत्यु से मुक्‍त लोगों से भरे होने के साथ क्या सम्बन्ध है?

४ अदन में सचमुच के सर्प को उस व्यक्‍ति द्वारा एक प्रवक्‍ता के रूप में प्रयोग किया गया था जिसके छल के कारण मनुष्यजाति को परादीस खोना पड़ा। उत्पत्ति ३:१५ ने आगे उस समय की ओर संकेत किया जब उस व्यक्‍ति को कुचल दिया जाएगा जिसने उस सर्प को चालाकी से प्रयोग किया। उसके बाद परमेश्‍वर के मानव सेवकों के लिए पाप और मृत्यु से मुक्‍त, परादीस पर बसने के लिए फिर से मार्ग खुल जाएगा। वह क्या ही आनन्दपूर्ण समय होगा!—प्रकाशितवाक्य २०:१-३; २१:१-५.

५. कौन-से गुण इब्‌लीस की आत्मिक संतान की विशेषता हैं?

५ अदन में विद्रोह के बाद, ऐसे व्यक्‍ति और संगठन प्रकट होने लगे जिन्होंने शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस जैसे गुण प्रदर्शित किए—विद्रोह, झूठ, निन्दा, और हत्या, साथ ही यहोवा की इच्छा का और जो यहोवा की उपासना करते हैं उनका विरोध। इन गुणों ने इब्‌लीस की संतान, उसके आत्मिक बच्चों की पहचान करायी। इनमें कैन था, जिसने हाबिल की हत्या की जब यहोवा ने कैन की नहीं परन्तु हाबिल की उपासना पर अनुग्रह दिखाया। (१ यूहन्‍ना ३:१०-१२) निम्रोद, जिसके नाम ही ने एक विद्रोही के रूप में उसकी पहचान करायी, यहोवा के विरुद्ध एक पराक्रमी शिकारी और शासक बन गया। (उत्पत्ति १०:९) इसके अतिरिक्‍त एक के बाद एक प्राचीन राज्य आए, जिनमें बाबुल भी था। इनके सरकार द्वारा समर्थित धर्म झूठ पर आधारित थे, और इन्होंने यहोवा के उपासकों का क्रूरतापूर्वक दमन किया।—यिर्मयाह ५०:२९.

“तेरे और इस स्त्री के बीच में . . . बैर”

६. कौन-से तरीक़ों से शैतान ने यहोवा की स्त्री के प्रति बैर दिखाया है?

६ इस सम्पूर्ण समय के दौरान, सर्प और यहोवा की स्त्री के बीच में बैर, शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस और निष्ठावान आत्मिक प्राणियों से बने यहोवा के स्वर्गीय संगठन के बीच में बैर था। शैतान का बैर तब दिखा जब उसने यहोवा को ताना मारा और स्वर्गदूतों को उनके उचित निवास स्थान को छोड़ने के लिए लुभाने के द्वारा यहोवा के स्वर्गीय संगठन को भंग करने की कोशिश की। (नीतिवचन २७:११; यहूदा ६) यह तब प्रकट हुआ जब शैतान ने यहोवा द्वारा भेजे गए स्वर्गदूतीय संदेशवाहकों के काम में दखल देने की कोशिश करने के लिए अपने पिशाचों को प्रयोग किया। (दानिय्येल १०:१३, १४, २०, २१) यह इस २०वीं शताब्दी में उल्लेखनीय रूप से प्रत्यक्ष था जब शैतान ने मसीहाई राज्य के जन्म के समय उसे नष्ट करने की कोशिश की।—प्रकाशितवाक्य १२:१-४.

७. यहोवा के निष्ठावान स्वर्गदूतों को लाक्षणिक सर्प के प्रति बैर भाव क्यों हुआ, फिर भी उन्होंने कैसा नियंत्रण दिखाया है?

७ लाक्षणिक सर्प के प्रति यहोवा की स्त्री, निष्ठावान स्वर्गदूतों के निकाय की ओर से भी बैर था। शैतान ने परमेश्‍वर के शुभ नाम की निन्दा की थी; उसने परमेश्‍वर के हरेक बुद्धिमान प्राणी की, जिसमें सभी स्वर्गदूत सम्मिलित हैं, खराई पर भी प्रश्‍न उठाया था, और वह परमेश्‍वर के प्रति उनकी निष्ठा नष्ट करने की क्रियाशील रूप से कोशिश कर रहा था। (प्रकाशितवाक्य १२:४क) निश्‍चित ही निष्ठावान स्वर्गदूतों, करूबों, और सारापों को उस व्यक्‍ति से अत्यन्त घृणा हुई होगी जिसने स्वयं को इब्‌लीस और शैतान बना लिया था। फिर भी, उन्होंने यहोवा के नियत समय और ढंग से मामलों को निपटाने के लिए उसकी बाट जोही है।—यहूदा ९ से तुलना कीजिए।

परमेश्‍वर की स्त्री के वंश के प्रति शत्रुता

८. शैतान किसकी ताक में था?

८ इस बीच, शैतान स्त्री के पूर्वकथित वंश की ताक में था, जिसके बारे में यहोवा ने कहा था कि वह सर्प का सिर कुचलता। जब स्वर्ग से स्वर्गदूत ने घोषित किया कि यीशु, जो बैतलहम में जन्मा था, ‘उद्धारकर्त्ता, और मसीह प्रभु’ था, तो यह इस बात की पक्की पुष्टि थी कि वह स्त्री का पूर्वकथित वंश बनता।—लूका २:१०, ११.

९. यीशु के जन्म के बाद, शैतान ने द्वेषपूर्ण बैर कैसे दिखाया?

९ शैतान का यह द्वेषपूर्ण बैर जल्द ही दिखा जब उसने विधर्मी ज्योतिषियों को एक अभियान पर जाने के लिए बहकाया जो पहले उन्हें यरूशलेम में राजा हेरोदेस के पास और फिर बैतलहम में उस घर में ले गया जहाँ उन्होंने छोटे बालक यीशु और उसकी माता, मरियम को पाया। उसके कुछ ही समय बाद राजा हेरोदेस ने बैतलहम और उसके आस-पास के दो वर्षीय और उससे छोटे सभी लड़कों की हत्या करने की आज्ञा दी। इसके द्वारा, हेरोदेस ने वंश के प्रति शैतानी घृणा दिखायी। प्रत्यक्षतः हेरोदेस अच्छी तरह जानता था कि वह उसकी हत्या करने की कोशिश कर रहा था जिसे मसीहा होना था। (मत्ती २:१-६, १६) इतिहास साक्षी है कि राजा हेरोदेस चरित्रहीन, धूर्त, और हिंसक था—सचमुच सर्प के वंश में से एक।

१०. (क) यीशु के बपतिस्मे के बाद, प्रतिज्ञात वंश के सम्बन्ध में शैतान ने यहोवा के उद्देश्‍य को असफल करने की व्यक्‍तिगत रूप से कैसे कोशिश की? (ख) अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शैतान ने यहूदी धार्मिक अगुवों को कैसे प्रयोग किया?

१० सामान्य युग २९ में पवित्र आत्मा से यीशु के अभिषिक्‍त किए जाने के बाद, और यीशु को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार करते हुए स्वर्ग से यहोवा के बोलने के बाद, शैतान ने बार-बार कोशिश की कि यीशु को प्रलोभन में फँसाए, और इस प्रकार उसने अपने पुत्र के सम्बन्ध में यहोवा के उद्देश्‍य को असफल करने की कोशिश की। (मत्ती ४:१-१०) उसमें सफल न हो पाने पर, उसने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मानव अभिकर्ताओं का और भी प्रयोग किया। यीशु को बदनाम करने की कोशिश में प्रयोग किए गए लोगों में कपटी धार्मिक अगुवे थे। उन्होंने झूठ और निन्दा का प्रयोग किया, ऐसे हथकंडे जिन्हें स्वयं शैतान प्रयोग करता है। जब यीशु ने एक झोले के मारे हुए व्यक्‍ति से कहा, “ढाढ़स बान्ध; तेरे पाप क्षमा हुए,” तब शास्त्रियों ने यह देखने के लिए रुके बिना कि वह पुरुष चंगा हुआ भी है कि नहीं, यीशु को एक ईशनिन्दक घोषित कर दिया। (मत्ती ९:२-७) जब यीशु ने सब्त के दिन लोगों को चंगा किया, तब फरीसियों ने सब्त के नियम का उल्लंघन करनेवाले के रूप में उसकी भर्त्सना की और उसे मार डालने की सम्मति की। (मत्ती १२:९-१४; यूहन्‍ना ५:१-१८) जब यीशु ने पिशाचों को निकाला, तब फरीसियों ने यह आरोप लगाया कि उसकी “दुष्टात्माओं के सरदार शैतान [बालजबूल, फुटनोट]” के साथ साँठ-गाँठ थी। (मत्ती १२:२२-२४) लाजर के मृतकों में से जिलाए जाने के बाद, अनेक लोगों ने यीशु पर विश्‍वास किया, लेकिन मुख्य याजकों और फरीसियों ने उसकी हत्या करने की फिर से सम्मति की।—यूहन्‍ना ११:४७-५३.

११. यीशु की मृत्यु से तीन दिन पहले, उसने किसकी पहचान सर्प के वंश के भाग के रूप में करायी, और क्यों?

११ जबकि यीशु अच्छी तरह जानता था कि वे क्या षड्यंत्र रच रहे थे, वह सा.यु. ३३, निसान ११ को निडरता के साथ सीधे यरूशलेम के मन्दिर क्षेत्र में गया और वहाँ सार्वजनिक रूप से उन पर न्याय घोषित किया। एक समूह के रूप में, शास्त्रियों और फरीसियों ने बार-बार प्रदर्शित किया था कि वे किस क़िस्म के लोग थे; सो यीशु ने कहा: “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के विरोध में स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो आप ही उस में प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो।” यीशु ने स्पष्टता से घोषित किया कि वे सर्प के वंश का भाग थे, उसने कहा: “हे सांपो, हे करैतों के बच्चो, तुम नरक के दण्ड से क्योंकर बचोगे?” (मत्ती २३:१३, ३३) उसकी भाषा उत्पत्ति ३:१५ की भविष्यवाणी की भाषा को प्रतिबिम्बित करती है।

१२, १३. (क) मुख्य याजकों और शास्त्रियों ने इसका अतिरिक्‍त प्रमाण कैसे दिया कि उनका आत्मिक पिता कौन था? (ख) कौन उनके साथ मिल गया? (ग) उत्पत्ति ३:१५ की पूर्ति में, स्त्री के वंश को एड़ी में कैसे डसा गया?

१२ यीशु के शब्द सुनने पर, क्या उन्हें पछतावा हुआ, जिससे कि उन्होंने परमेश्‍वर से दया की बिनती की? क्या उन्होंने अपनी दुष्टता के लिए पश्‍चाताप किया? जी नहीं! मरकुस १४:१ रिपोर्ट करता है कि उसके अगले ही दिन, महायाजक के आंगन में एक सभा में “महायाजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि [यीशु को] क्योंकर छल से पकड़ कर मार डालें।” उन्होंने शैतान की हिंसक आत्मा को प्रकट करना जारी रखा, जिसका वर्णन यीशु ने पहले एक हत्यारे के रूप में किया था। (यूहन्‍ना ८:४४) जल्द ही यहूदा इस्करियोती उनके साथ मिल गया, जिसे शैतान ने एक धर्मत्यागी होने के लिए प्रेरित किया। यहूदा ने परमेश्‍वर की स्त्री के निर्दोष वंश को त्याग दिया और सर्प के वंश के साथ मिल गया।

१३ निसान १४ के तड़के ही, यहूदी धार्मिक महासभा के सदस्य यीशु को रोमी हाकिम के पास एक क़ैदी बनाकर ले गए। यहाँ मुख्य याजकों ने उसे सूली पर चढ़ाने के लिए चिल्लाने में अगुवाई ली। जब पीलातुस ने पूछा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढ़ाऊं?” तब मुख्य याजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं।” (यूहन्‍ना १९:६, १५) सचमुच, उन्होंने हर तरह से साबित किया कि वे सर्प के वंश का भाग थे। लेकिन निश्‍चित ही वे अकेले नहीं थे। मत्ती २७:२४, २५ का उत्प्रेरित अभिलेख यह रिपोर्ट देता है: “[पीलातुस] ने पानी लेकर भीड़ के साम्हने अपने हाथ धोए।” तब सब लोगों ने कहा: “इस का लोहू हम पर और हमारी सन्तान पर हो।” इस प्रकार, उस पीढ़ी के अनेक यहूदियों ने अपनी पहचान सर्प के वंश के भाग के रूप में करायी। उस दिन के समाप्त होने से पहले, यीशु मर चुका था। अपने दृश्‍य वंश को प्रयोग करने के द्वारा, शैतान ने परमेश्‍वर की स्त्री के वंश की एड़ी को डस लिया था।

१४. स्त्री के वंश की एड़ी को डसे जाने का अर्थ शैतान के लिए विजय क्यों नहीं था?

१४ क्या शैतान जीत गया था? बिलकुल नहीं! यीशु मसीह ने संसार को जीत लिया था और उसके शासक पर विजय पायी थी। (यूहन्‍ना १४:३०, ३१; १६:३३) उसने मृत्यु तक यहोवा के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी थी। एक परिपूर्ण मनुष्य के रूप में उसकी मृत्यु ने वह छुड़ौती मूल्य प्रदान किया जिसकी ज़रूरत आदम द्वारा गवाँए गए जीवनाधिकारों को फिर से ख़रीदने के लिए थी। सो उसने उन लोगों के लिए सनातन जीवन का मार्ग खोल दिया जो उस प्रबन्ध में विश्‍वास रखते और परमेश्‍वर की आज्ञाओं को मानते। (मत्ती २०:२८; यूहन्‍ना ३:१६) यहोवा ने यीशु को मृतकों में से स्वर्ग में अमर जीवन के लिए जिलाया। यहोवा के नियत समय पर, यीशु शैतान को कुचल कर अस्तित्वहीन कर देगा। उत्पत्ति २२:१६-१८ में भविष्यवाणी की गयी है कि यहोवा पृथ्वी के उन सभी परिवारों पर अनुग्रह करेगा जो उस निष्ठावान वंश के माध्यम से अपने लिए आशिष प्राप्त करने के लिए ज़रूरी क़दम उठाते हैं।

१५. (क) यीशु की मृत्यु के बाद, उसके प्रेरितों ने सर्प के वंश का परदाफ़ाश करना कैसे जारी रखा? (ख) हमारे समय तक सर्प के वंश द्वारा कैसी अतिरिक्‍त शत्रुता दिखायी गयी है?

१५ यीशु की मृत्यु के बाद, आत्मा-अभिषिक्‍त मसीहियों ने सर्प के वंश का परदाफ़ाश करना जारी रखा, जैसे उनके स्वामी ने किया था। पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर, प्रेरित पौलुस ने “विधर्मी-पुरुष” से चिताया जिसकी उपस्थिति “शैतान की गतिविधि के अनुसार” होती। (२ थिस्सलुनीकियों २:३-१०, NHT फुटनोट) यह सामूहिक “पुरुष” मसीहीजगत का पादरीवर्ग साबित हुआ है। क्रमशः, सर्प के वंश ने यीशु मसीह के अनुयायियों को क्रूरता से सताया। प्रकाशितवाक्य १२:१७ में अभिलिखित भविष्यवाणी में, प्रेरित यूहन्‍ना ने पूर्वबताया कि हमारे समय तक शैतान परमेश्‍वर की स्त्री के वंश के शेषवर्ग से युद्ध करना जारी रखता। ठीक ऐसा ही हुआ है। परमेश्‍वर के राज्य और उसके धर्मी मार्गों के पक्ष में अपनी दृढ़ स्थिति के कारण, अनेक देशों में यहोवा के साक्षियों पर प्रतिबन्ध लगाया गया, आक्रमण किया गया, उन्हें क़ैद किया गया, या नज़रबन्दी शिविरों में डाला गया है।

शैतान के वंश का आधुनिक-दिन परदाफ़ाश

१६. आधुनिक समय में, किन लोगों का परदाफ़ाश सर्प के वंश के भाग के रूप में किया गया है, और कैसे?

१६ यीशु मसीह का अनुकरण करते हुए, सच्चे मसीहियों ने सर्प और उसके वंश का निडरता के साथ परदाफ़ाश करना जारी रखा है। वर्ष १९१७ में बाइबल विद्यार्थियों ने, जैसे यहोवा के साक्षी उस समय जाने जाते थे, पुस्तक समाप्त रहस्य (अंग्रेज़ी) प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने मसीहीजगत के पादरीवर्ग के कपट का भाण्डा फोड़ा। इसके बाद १९२४ में एक प्रस्ताव छापा गया जिसका शीर्षक था पादरीवर्ग पर आरोप (अंग्रेज़ी)। पाँच करोड़ प्रतियों को संसार-भर में वितरित किया गया। वर्ष १९३७ में उस समय वॉच टावर सोसाइटी के अध्यक्ष, जे. एफ़. रदरफ़र्ड ने “परदाफ़ाश” और “धर्म और मसीहियत” शीर्षक के भाषणों में शैतान के वंश का ज़बरदस्त परदाफ़ाश किया। उसके अगले साल, जब विभिन्‍न देशों के ५० अधिवेशनों में श्रोतागण सुन रहे थे, उसने लंदन, इंग्लैंड से रेडियो-टॆलीफ़ोन द्वारा “वास्तविकता का सामना कीजिए” भाषण दिया। एक महीने बाद, अमरीका में एक विस्तृत रेडियो नॆटवर्क से भाषण “फ़ासिस्टवाद या स्वतंत्रता” प्रसारित किया गया। इनके साथ-साथ शत्रु और धर्म जैसी अंग्रेज़ी पुस्तकों में और पुस्तिका अनावृत (अंग्रेज़ी) में भी ज़बरदस्त परदाफ़ाश किया गया। दशक १९२० से जो प्रकाशित होता आया था उसके सामंजस्य में, पुस्तक प्रकाशितवाक्य—इसकी महान्‌ पराकाष्ठा निकट!,a अब ६५ भाषाओं में मुद्रित, भ्रष्ट राजनैतिक शासकों और लोभी, अवैध वस्तुओं के सिद्धान्तहीन व्यापारियों की पहचान भी सर्प के दृश्‍य वंश के प्रमुख सदस्यों के रूप में कराती है। जब राजनैतिक नेता अपनी प्रजा को बहकाने के लिए झूठ का सहारा लेना, लहू की पवित्रता के प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाना, और यहोवा के सेवकों का दमन करना (इस प्रकार परमेश्‍वर की स्त्री के वंश के प्रति घृणा दिखाना) एक आदत बना लेते हैं, तो वे निश्‍चित ही अपनी पहचान सर्प के वंश के भाग के रूप में कराते हैं। यही बात अवैध वस्तुओं के व्यापारियों के बारे में भी सच है जो अंतःकरण की किसी कचोट के बिना, आर्थिक लाभ के लिए झूठ बोलते हैं और जो ऐसी वस्तुएँ बनाते या बेचते हैं जो रोग उत्पन्‍न करने के लिए जानी जाती हैं।

१७. उन प्रमुख व्यक्‍तियों के लिए जो शायद संसार की व्यवस्था से निकल आएँ, अब भी कौन-सा अवसर खुला है?

१७ सांसारिक धर्म, राजनीति, या व्यापार से दूषित हर व्यक्‍ति अंततः सर्प के वंश का भाग नहीं माना जाएगा। इनमें से कुछ पुरुष और स्त्रियाँ यहोवा के साक्षियों को पसन्द करने लगते हैं। वे उनकी मदद करने के लिए अपने प्रभाव का प्रयोग करते हैं और समय के साथ-साथ सच्ची उपासना को अपना लेते हैं। (प्रेरितों १३:७, १२; १७:३२-३४ से तुलना कीजिए।) ऐसे सभी व्यक्‍तियों से यह अनुरोध किया गया है: “अब, हे राजाओ, बुद्धिमान बनो; हे पृथ्वी के न्यायियो, यह उपदेश ग्रहण करो। डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और कांपते हुए मगन हो। पुत्र को चूमो ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नाश हो जाओ; क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है। धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है।” (भजन २:१०-१२) सचमुच, यहोवा का अनुग्रह पाने के इच्छुक सभी लोगों के लिए यह अत्यावश्‍यक है कि वे अभी क़दम उठाएँ, इससे पहले कि स्वर्गीय न्यायी अवसर का द्वार बन्द कर दे!

१८. जबकि वे स्त्री के वंश का भाग नहीं हैं, फिर भी कौन यहोवा के उपासक हैं?

१८ केवल वे जिनसे स्वर्गीय राज्य बनता है स्त्री के वंश का भाग हैं। इनकी संख्या छोटी है। (प्रकाशितवाक्य ७:४, ९) फिर भी, अन्य लोगों की एक बड़ी भीड़ है, जी हाँ, लाखों लोग, जो यहोवा के उपासकों के रूप में परादीस पृथ्वी पर सनातन जीवन की आस देखते हैं। कथनी और करनी, दोनों के द्वारा वे यहोवा के अभिषिक्‍त जनों से कहते हैं: “हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।”—जकर्याह ८:२३.

१९. (क) सभी लोगों को क्या चुनाव करना है? (ख) ख़ासकर किन लोगों से निष्कपट अनुरोध किया जाता है कि अवसर चले जाने से पहले बुद्धिमानी से कार्य करें?

१९ अभी वह समय है जब सारी मावनजाति को एक चुनाव करना है। क्या वे यहोवा की उपासना करना और उसकी सर्वसत्ता का समर्थन करना चाहते हैं, या क्या वे शैतान को प्रसन्‍न करनेवाले कार्य करने के द्वारा उसे अपना सरदार बनने देंगे? सभी जातियों में से कुछ ५० लाख लोगों ने स्त्री के वंश के शेषजनों, अर्थात्‌ राज्य वारिसों की संगति में यहोवा के पक्ष में अपनी स्थिति ले ली है। अन्य ८० लाख लोगों ने उनके साथ बाइबल का अध्ययन करने या उनकी सभाओं में उपस्थित होने में दिलचस्पी दिखायी है। यहोवा के साक्षी इन सभी लोगों से कहते हैं: अवसर का द्वार अब भी खुला है। सुस्पष्ट रूप से यहोवा के पक्ष में अपनी स्थिति लीजिए। मसीह यीशु को प्रतिज्ञात वंश के रूप में स्वीकार कीजिए। यहोवा के दृश्‍य संगठन के साथ आनन्दपूर्वक संगति कीजिए। ऐसा हो कि आप उन सभी आशिषों के भागी हों, जो वह राजा, मसीह यीशु के शासन के द्वारा प्रदान करेगा।

[फुटनोट]

a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

क्या आपको याद है?

◻ उत्पत्ति ३:१५ में उल्लिखित सर्प कौन है? और स्त्री कौन है?

◻ कौन-से गुण सर्प के वंश की विशेषता हैं?

◻ यीशु ने सर्प के वंश का परदाफ़ाश कैसे किया?

◻ आधुनिक समय में सर्प के वंश के भाग के रूप में किन लोगों का परदाफ़ाश किया गया है?

◻ अति-शीघ्र कौन-सा क़दम उठाने की ज़रूरत है जिससे कि सर्प के वंश के साथ पहचान न हो?

[पेज 10 पर तसवीरें]

यीशु ने सर्प के वंश के भाग के रूप में कपटी धार्मिक अगुवों का परदाफ़ाश किया

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