क्या मत्यु के बाद जीवन है?
दो सवालों ने मनुष्यजाति को सहस्राब्दियों से उलझन में डाला है: हमें क्यों बूढ़ा होना और आख़िरकार मरना पड़ता है? क्या मृत्यु के बाद किसी प्रकार का चेतन जीवन है?
पहले सवाल ने अनेक लोगों को दुविधा में डाला है क्योंकि आधुनिक विज्ञान भी, अपनी सारी प्रभावशाली खोजों के साथ, कोई-भी निर्णायक या सन्तोषजनक जवाब नहीं दे पाया है।
दूसरे सवाल के लिए अलग-अलग जवाबों की भरमार रही है। हालाँकि, आम तौर पर, मृत्यु के बाद कोई चेतन जीवन है कि नहीं, इसके बारे में जवाब उन लोगों के बीच ध्रुवित है, जो इस बारे में साकारात्मक हैं कि यही जीवन सब कुछ नहीं है और उनके जो समान रूप से अटल हैं कि मृत्यु होने पर चेतन जीवन समाप्त हो जाता है। इस दूसरे समूह के अधिकांश लोग हमें बताते हैं कि उनके मन में कोई शंका नहीं कि मनुष्य का अल्प जीवन काल ही सबकुछ है जिसकी वह आशा रख सकता है। अकसर, इस बात की विषमता में रखे गए किसी भी तर्क को एक आत्म-संतोषी जवाब मिलता है, “ख़ैर, हमें बताने के लिए कोई भी कभी वापस नहीं लौटा है, ठीक है ना?”
दूसरे विवादास्पद सवालों की तरह, ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होंने अभी तक निर्णय नहीं किया है—वे यह दावा करते हैं कि वे एक-न-एक तरीक़े के समझाने-बुझाने को हमेशा मान लेते हैं। लेकिन दूसरे जवाब देंगे, संभवतः लापरवाही से, “हमें इन्तज़ार करना होगा और जब समय आएगा तब देखना होगा!”
एक पुराना सवाल
मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में एक आरंभिक सवाल मशहूर पूर्वी अय्यूब द्वारा क़रीब ३,५०० वर्ष पहले उठाया गया था, जो दुःख भोगते समय अपने धीरज धरने के लिए विख्यात है। इस तरीक़े से अय्यूब ने अपना सवाल प्रस्तुत किया: “पुरुष मर जाता, और पड़ा रहता है; जब उसका प्राण छूट गया, तब वह कहां रहा? जैसे नील नदी [“समुद्र,” फुटनोट] का जल सूखते सूखते सूख जाता है, वैसे ही मनुष्य लेट जाता और फिर नहीं उठता; . . . यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा?”—अय्यूब १४:१०-१४.
लेकिन मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में अपनी पूछताछ करने में अय्यूब अकेला नहीं था। धर्म और नैतिक नियमों का विश्वकोश (अंग्रेज़ी) शीर्षक “मृतकों की दशा” के नीचे यह प्रबुद्ध करनेवाली जानकारी देता है: “मनुष्य के मनोवैज्ञानिक जीवन से जुड़े हुए किसी भी विषय ने उसके मन को इतना अन्तर्ग्रस्त नहीं किया जितना कि मृत्यु होने के बाद की उसकी दशा ने किया है। संसार के सभी क्षेत्रों के [देशी लोगों] के पास आत्मिक-संसार की—इसके जीवन, इसकी विशेषताओं, इसके नज़ारों—आम तौर पर बहुत ही स्पष्ट और सजीव परिकल्पनाएँ हैं और यह इस विषय के साथ गहरी तन्मयता की ओर इशारा करता है। मृतकों के बारे में व्यापक भय एक बहुत ही प्राचीन विचार की ओर संकेत करता है कि उनकी दशा ऐसी नहीं थी जिसमें जीवन समाप्त हो गया था। मृत्यु ऊर्जा को समाप्त कर चुकी थी; यह बिलकुल स्पष्ट था; लेकिन क्या और ऊर्जा कार्य नहीं कर रही थी, या क्या वे ऊर्जा किसी सूक्ष्म, रहस्यमय तरीक़े से प्रकटन के योग्य नहीं थी? चाहे आरंभ में मनुष्यों ने शरीर से अलग एक आत्मा, प्राण, या भूत के बारे में विश्वास किया हो या नहीं, इस बात पर विश्वास करने का प्रत्येक कारण दिखता है कि वे मृतकों के सम्बन्ध में समझते थे कि वे किसी प्रकार के अस्तित्त्व में अब भी थे।”
आप शायद ऊपर बतायी गयी तीन श्रेणियों में से किसी एक में आते हों: मृत्यु के बाद क्या होता है इस बारे में निश्चित नहीं; मृत्यु के बाद किस प्रकार का जीवन है इस बात से आश्वस्त; या यही जीवन सब कुछ है इस बात से आश्वस्त। बात चाहे जो भी हो, हम आपको अगले लेख पर ध्यानपूर्वक विचार करने का आमंत्रण देते हैं। देखिए कि क्या आप इसमें इस बात के विश्वस्त करनेवाले बाइबल प्रमाण पाते हैं कि मृत्यु के बाद सुखी जीवन की एक शानदार प्रत्याशा है, यह कैसे होगा, कहाँ, और कब।