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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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एक शान्त हृदय के फ़ायदे

आधुनिक चिकित्सीय विज्ञान को बहुत पहले से मालूम है कि अनियंत्रित क्रोध का मानव शरीर पर एक हानिकारक प्रभाव होता है। सौ वर्ष से भी पहले, अमरीकी चिकित्सीय संस्था की पत्रिका (जामा) ने कहा: “एक आदमी जलजलाहट का दौरा पड़ने से मर जाता है, और संभवतः यह कहा गया है, कि शायद उसका हृदय कमज़ोर था, जो उसके दिमाग़ की हालत के दबाव को बर्दाश्‍त नहीं कर सका। कोई भी यह नहीं सोचता कि यह इस तरह के पागलपन के कई लम्बे दौरों का अंजाम है, जिसकी वजह से ही उसका हृदय कमज़ोर हो गया।”

परमेश्‍वर के वचन, बाइबल के विद्यार्थियों को उपरोक्‍त शब्दों से कोई आश्‍चर्य नहीं होता। गर्म मिज़ाज के ख़तरों के बारे में जामा के बताने से कुछ २९ शताब्दियों पहले, राजा सुलैमान को यह लिखने के लिए प्रेरित किया गया: “शान्त हृदय, तन का जीवन है।” (नीतिवचन १४:३०, NHT) ये शब्द आज भी सच हैं।

एक शान्त मनःस्थिति बनाए रखने से, हम ऐसी अनेक बीमारियों से बचे रहते हैं जो अकसर तनाव-सम्बन्धी होती हैं, जैसे उच्च रक्‍तचाप, सिरदर्द, और श्‍वास-सम्बन्धी समस्याएँ। लेकिन, स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ-साथ, दूसरों के साथ हमारे सम्बन्धों में फ़ायदा होगा यदि हम ‘क्रोध से परे रहें, और जलजलाहट को छोड़ देने’ का प्रयत्न करते हैं। (भजन ३७:८) लोग यीशु की ओर उसके नम्र मिज़ाज और उनके लिए उसकी हार्दिक चिन्ता के कारण स्वाभाविक रीति से खिंचे चले जाते थे। (मरकुस ६:३१-३४) इसी तरह, यदि हम एक शान्त हृदय विकसित करते हैं तो हम दूसरों के लिए ताज़गी पाने का एक स्रोत होंगे।—मत्ती ११:२८-३०

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