मैंने रोमेनिया में बाइबल सच्चाई सीखी
गोल्डी रोमोशीअन द्वारा बताया गया
सन् १९७० में, लगभग ५० सालों में पहली बार, मैं रोमेनिया में अपने रिश्तेदारों से मिलने गई। लोग एक अत्याचारी साम्यवादी सत्ता के अधीन रहते थे, और मुझे अपनी ज़बान पर पहरा रखने के लिए लगातार सचेत किया गया। फिर, जब मैं अपने गाँव के सरकारी दफ़्तर में खड़ी थी, उस अधिकारी ने मुझसे तुरन्त देश छोड़ने का आग्रह किया। इससे पहले कि मैं समझाऊँ क्यों, आइए मैं आपको बताती हूँ कि मैंने रोमेनिया में बाइबल सच्चाई कैसे सीखी।
उत्तरपश्चिमी रोमेनिया में ज़ॊलॆउ नामक शहर के पास, गाँव ऑर्टॆलॆक में, मार्च ३, १९०३ को मेरा जन्म हुआ। हम सुन्दर वातावरण में रहते थे। हवा और पानी साफ़ था। हम अपनी खेती ख़ुद करते थे और भौतिक रूप से हमें किसी चीज़ की कमी नहीं थी। मेरे बचपन के सालों के दौरान, देश में शान्ति थी।
लोग बहुत धार्मिक थे। दरअसल, हमारा परिवार तीन विभिन्न धर्मों से था। मेरी दादी ऑर्थोडॉक्स कैथोलिक थी, नानी एडवेन्टिस्ट, और मेरे माता-पिता बैप्टिस्ट थे। चूँकि मैं उनके धर्मों में से किसी से भी सहमत नहीं थी, मेरे परिवार ने कहा कि मैं एक नास्तिक बनूँगी। ‘यदि एक परमेश्वर है,’ मैंने सोचा, ‘तो सिर्फ़ एक ही धर्म होना चाहिए—एक परिवार में तीन नहीं।’
जो बातें मैंने धर्म में देखीं, उन्होंने मुझे परेशान किया। मिसाल के तौर पर, गिरजा शुल्क बटोरने के लिए पादरी घर-घर जाता था। जब लोगों के पास देने के लिए पैसे नहीं होते, तो बदले में वह उनके सबसे बढ़िया ऊनी कंबल ले जाता। कैथोलिक गिरजे में, मैंने दादी को मरियम की तस्वीर के सामने प्रार्थना करने के लिए घुटने टेकते देखा। ‘एक तस्वीर से प्रार्थना क्यों करें?’ मैंने सोचा।
कठिन समय
एक कर्ज़ चुकाने को पैसा कमाने के लिए पिताजी १९१२ में अमरीका चले गए। उसके कुछ समय बाद युद्ध छिड़ गया, और हमारे गाँव के आदमी लड़ने के लिए चले गए—केवल औरतें, बच्चे, और बूढ़े वहीं रहे। कुछ समय के लिए हमारा गाँव हंगेरियन शासन के अधीन आ गया, लेकिन फिर रोमेनियन सैनिक लौटे और उन्होंने गाँव पर वापस क़ब्ज़ा कर लिया। उन्होंने हमें तुरन्त चले जाने का हुक्म दिया। लेकिन, सामान और छोटे बच्चों को एक बैलगाड़ी मैं ठूँसने की जल्दी और कोलाहल में, मैं पीछे छूट गई। पाँच बच्चों में मैं सबसे बड़ी थी।
मैं एक पड़ोसी के पास भागी, एक बूढ़ा आदमी जो वहीं रुक गया था, और उसने कहा: “घर जाओ। अपने दरवाज़े बन्द कर लो, और किसी को अन्दर मत आने देना।” मैंने तुरन्त वैसा ही किया। जब मैं कुछ चिकन सूप और मसाला भरी पत्तागोभी खा चुकी, जो कि जाने की हड़बड़ी में छूट गए थे, मैंने बिस्तर के पास घुटने टेके और प्रार्थना की। कुछ ही देर में, मैं गहरी नींद में थी।
जब मेरी आँख खुली, तब दिन निकल आया था, और मैं बोली: “हे परमेश्वर, तेरा लाख़-लाख़ शुक्र है! मैं ज़िन्दा हूँ!” दीवारों में बन्दूक़ की गोलियों के ढेरों निशान थे, क्योंकि पूरी रात गोलीबारी हुई थी। जब अगले गाँव में माँ को एहसास हुआ कि मैं उनके साथ नहीं थी, तो उसने एक युवक ज़ुर्ज़ रोमोसियन को भेजा जिसने मुझे ढूँढ़ निकाला और मेरे परिवार के पास ले गया। जल्दी ही हम अपने गाँव को लौट सके और वहाँ फिर से रहने लगे।
बाइबल सच्चाई के लिए मेरी इच्छा
मेरी माँ मुझे एक बैप्टिस्ट के रूप में बपतिस्मा दिलाना चाहती थी, लेकिन मेरी मर्ज़ी नहीं थी क्योंकि मैं यह विश्वास नहीं कर सकी कि एक प्रेमी परमेश्वर लोगों को हमेशा के लिए नरक़ में जलाएगा। समझाने की कोशिश करते हुए, माँ ने कहा: “यदि लोग बुरे हों तो।” लेकिन मैंने जवाब दिया: “यदि वे बुरे हैं, तो उन्हें ख़त्म कर दो, पर उन्हें तड़पाओ मत। मैं तो एक कुत्ते या बिल्ली को भी नहीं तड़पाउँगी।”
मुझे याद है कि वसंत के एक सुहावने दिन, जब मैं १४ साल की थी, माँ ने मुझे गायों को चराने भेजा। मैं नदी किनारे घास पर लेटी थी। पृष्ठभूमि में एक जंगल था और मैंने आकाश की ओर देखा और कहा: “हे परमेश्वर, मैं जानती हूँ कि तू वहाँ है; लेकिन मुझे इन धर्मों में से कोई भी अच्छा नहीं लगता। ज़रूर तेरा एक अच्छा धर्म होगा।”
मुझे पूरा विश्वास है कि परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना सुनी, क्योंकि १९१७ की उन्हीं गर्मियों में, दो बाइबल विद्यार्थी (जैसे कि यहोवा के साक्षी उस समय जाने जाते थे) हमारे गाँव में आए। वे कॉलपोर्टर, या पूर्ण-समय के सेवक थे, और जब वे बैप्टिस्ट गिरजे में आए तब सभा चल रही थी।
बाइबल सच्चाई रोमेनिया में फैलती है
कुछ साल पहले, १९११ में, कॊरॉल सॊबो और योसिफ़ किस, जो अमरीका में बाइबल विद्यार्थी बन गए थे, रोमेनिया में बाइबल सच्चाई पहुँचाने के लिए लौटे थे। वे टिरगू-मूरेश में बस गए, जो कि हमारे गाँव के दक्षिणपूर्व में १६० किलोमीटर से कम दूरी पर है। कुछ ही सालों में, सचमुच सैंकड़ों लोगों ने राज्य संदेश की ओर प्रतिक्रिया दिखाई और मसीही सेवकाई शुरू की।—मत्ती २४:१४.
तो फिर, जब ये दो युवा बाइबल विद्यार्थी हमारे गाँव ऑर्टॆलॆक के बैप्टिस्ट गिरजे में आए, तब ज़ुर्ज़ रोमोसियन, हालाँकि उम्र में मात्र १८ साल का था, सभा संचालित कर रहा था और रोमियों १२:१ का अर्थ समझाने का प्रयास कर रहा था। आख़िरकार, उनमें से एक युवा कॉलपोर्टर खड़ा हुआ और बोला: “भाइयों, मित्रों, यहाँ प्रेरित पौलुस हमें क्या बताने की कोशिश कर रहा है?”
जब मैंने वह सुना, तो मैं रोमांचित हो उठी! मैंने सोचा, ‘ये लोग जानते होंगे कि बाइबल को कैसे समझा जाए।’ लेकिन उपस्थित अधिकांश लोग चिल्लाए: “झूठे भविष्यवक्ता! हम जानते हैं तुम कौन हो!” हंगामा खड़ा हो गया। तब फिर ज़ुर्ज़ के पिताजी खड़े हुए और बोले: “तुम सब चुप करो! यह कैसी आत्मा है—जैसी नशे में धुत्त होने से आती है? यदि ये लोग हमें कुछ बताना चाहते हैं और तुम सुनना नहीं चाहते, तो मैं इन्हें अपने घर आमंत्रित कर रहा हूँ। जो कोई आना चाहता है उसका स्वागत है।”
मैं उत्तेजित होकर घर को भागी और जो कुछ हुआ था वह माँ को कह सुनाया। मैं उनमें से एक थी जिन्होंने रोमोसियन-घर का निमंत्रण स्वीकार किया था। उस शाम बाइबल से यह जान कर कि कोई जलता हुआ नरक नहीं है और अपनी ख़ुद की रोमेनियन बाइबल में परमेश्वर का नाम, यहोवा देखकर मैं कितनी रोमांचित थी! कॉलपोर्टरों ने हमें सिखाने के लिए हर रविवार रोमोसियन के घर एक बाइबल विद्यार्थी को भेजने का प्रबन्ध किया। अगली गर्मियों में, १५ साल की उम्र में, यहोवा के प्रति मेरे समर्पण के प्रतीक में मेरा बपतिस्मा हुआ।
समय बीतने पर, लगभग पूरे प्रोडन परिवार और रोमोसियन परिवार ने बाइबल सच्चाई अपना ली और अपने जीवन यहोवा को समर्पित किए। हमारे गाँव से दूसरे कई लोगों ने भी वैसा ही किया, जिसमें वे युवा दंपति भी शामिल थे जिनका घर पहले बैप्टिस्ट गिरजे के तौर पर काम आता था। बाद में उन्होंने उसे बाइबल विद्यार्थियों के लिए अध्ययन को इकट्ठा होने की जगह में परिवर्तित कर दिया। नज़दीकी गाँवों में शास्त्रीय सच्चाई तेज़ी से फैली, और १९२० तक रोमेनिया में क़रीब १,८०० राज्य प्रकाशक थे!
अमरीका की ओर
हमने जो सीखा था वो हम अपने पिता, पेटर प्रोडन के साथ बाँटने के लिए उत्सुक थे। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से, इससे पहले कि हम लिख पाते, हमने उनसे एक पत्र प्राप्त किया जिसमें उन्होंने बताया कि वे यहोवा के एक समर्पित सेवक बन चुके थे। उन्होंने ऎक्रन, ओहायो में बाइबल विद्यार्थियों के साथ अध्ययन किया था, और वे चाहते थे कि हम सभी उनके पास अमरीका चले आएँ। लेकिन, माँ रोमेनिया छोड़ने को तैयार नहीं हुई। सो, जो पैसा पिताजी ने मुझे भेजा था उसका इस्तेमाल करके, मैं १९२१ में, ऎक्रन में उनके पास पहुँच गई। ज़ुर्ज़ रोमोसियन और उसका भाई उसके पिछले साल अमरीका देशांतरण कर चुके थे।
जब मैं जहाज़ से एलस द्वीप, न्यू यॉर्क पहुँची, तो आप्रवास अधिकारी नहीं जानता था कि मेरे नाम, एउरेल्या का अंग्रेज़ी में अनुवाद कैसे किया जाए, सो वह बोला: “तुम्हारा नाम है गोल्डी।” तब से मेरा यही नाम है। उसके कुछ ही समय बाद, मई १, १९२१ के दिन, मेरी ज़ुर्ज़ रोमोसियन के साथ शादी हुई। क़रीब एक साल बाद, पिताजी रोमेनिया गए और १९२५ में मेरी छोटी बहन, मॆरी को ऎक्रन ले आए। फिर माँ और बाक़ी परिवार के साथ रहने के लिए पिताजी रोमेनिया लौट गए।
अमरीका में हमारी आरंभिक सेवकाई
ज़ुर्ज़ यहोवा का एक बहुत ही वफ़ादार, निष्ठावान सेवक था। १९२२ और १९३२ के बीच, हमें चार प्यारी बेटियाँ आशीष में मिलीं—ऎस्तर, ऎन, गोल्डी इलिज़बॆथ, और आइरीन। ऎक्रन में एक रोमेनियन कलीसिया शुरू की गई, और शुरू में सभाएँ हमारे घर में आयोजित की जाती थीं। अंततः, बाइबल विद्यार्थियों के विश्व मुख्यालय ब्रूकलिन, न्यू यॉर्क से, एक प्रतिनिधि हर छः महीने बाद हमारी कलीसिया से भेंट करता और हमारे साथ रहता था।
कई रविवार हम पूरा दिन प्रचार कार्य में लगा देते थे। हम अपने पुस्तक-बैग और खाना पैक करते, बेटियों को अपनी मॉडल टी फ़ोर्ड गाड़ी में बिठा देते, और दिन-भर ग्रामीण क्षेत्र में प्रचार करते। फिर शाम को, हम प्रहरीदुर्ग अध्ययन में उपस्थित होते। हमारी लड़कियाँ प्रचार कार्य से प्रेम करने लगीं। १९३१ में, जब बाइबल विद्यार्थियों ने अपना विशिष्ट नाम यहोवा के साक्षी अपनाया तब मैं कोलम्बस, ओहायो में मौजूद थी।
सुधार जिसकी मुझे ज़रूरत पड़ी
कुछ साल बाद, मैं उस समय वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के अध्यक्ष, जोसॆफ़ ऎफ़. रदरफ़ोर्ड से खफ़ा हो गई। एक नए साक्षी ने महसूस किया कि भाई रदरफ़ोर्ड ने उसकी बात न सुनकर उसके साथ नाइंसाफ़ी की थी। मुझे लगा कि भाई रदरफ़ोर्ड ग़लत थे। तो फिर, एक रविवार मेरी बहन मॆरी और उसका पति, डॆन पॆस्ट्रूई हमसे मिलने आए। डिनर के बाद डॆन ने कहा: “चलो हम सभा में जाने के लिए तैयार हो जाएँ।”
“अब हम सभाओं में नहीं जाते हैं,” मैं बोल उठी। “हम भाई रदरफ़ोर्ड से बहुत खफ़ा हैं।”
डॆन अपने हाथ पीछे करके चहलक़दमी करने लगा, और फिर बोला: “जब तुमने बपतिस्मा लिया था, तब क्या तुम भाई रदरफ़ोर्ड को जानती थीं?”
“नहीं,” मैंने जवाब दिया। “तुम तो जानते हो कि मेरा बपतिस्मा रोमेनिया में हुआ था।”
“तुमने बपतिस्मा क्यों लिया?” उसने पूछा।
“क्योंकि मैंने सीखा कि यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है, और उसकी सेवा करने के लिए मैं अपना जीवन समर्पित करना चाहती थी,” मैंने जवाब दिया।
“यह कभी मत भूलना!” वह बोला। “तब क्या यदि भाई रदरफ़ोर्ड सच्चाई छोड़ दें, क्या तुम भी छोड़ दोगी?”
“कभी नहीं, कभी नहीं!” मैं बोली। उस बात से मेरी अक़ल ठिकाने आ गई, और मैंने कहा: “चलो सब सभा के लिए तैयार हो जाओ।” और हम उसके बाद रुके नहीं। मैं अपने जीजा के प्रेममय सुधार के लिए यहोवा की कितनी शुक्रगुज़ार थी!
मन्दी के दौरान काम चलाना
लेकिन १९३० के दशक की मन्दी के दौरान, समय कठिन था। एक दिन ज़ुर्ज़ काम से बहुत उदास लौटा, और बताया कि उसे रबर फ़ैक्टरी की नौकरी से निकाल दिया गया था। “चिन्ता मत करो,” मैं बोली, “स्वर्ग में हमारा एक धनवान पिता है, और वह हमें नहीं त्यागेगा।”
उसी दिन ज़ुर्ज़ को एक मित्र मिला जिसके पास कुकुरमुत्तों से भरी एक बड़ी टोकरी थी। जब ज़ुर्ज़ को पता चला कि उसके मित्र ने उन्हें कहाँ से बटोरा था, तो वह कुकुरमुत्तों का एक ढेर घर ले आया। फिर उसने हमारे आख़िरी तीन डॉलर छोटी-छोटी टोकरियाँ ख़रीदने में ख़र्च कर दिए। “तुम ऐसा कैसे कर सकते हो,” मैंने पूछा, “जबकि हमारी छोटी-छोटी बच्चियाँ हैं, जिन्हें दूध चाहिए?”
“परेशान मत हो,” उसने जवाब दिया, “जैसा मैं कहता हूँ वैसा करो।” अगले कुछ हफ़्तों के लिए, हमारे घर में एक छोटी फ़ैक्टरी तैयार हो गई थी, कुकुरमुत्ते साफ़ और पैक करने की। हम उन्हें ऊँचे रॆस्तराँ में बेचा करते और एक दिन में ३० से ४० डॉलर का मुनाफ़ा कमाते, जो उस समय हमारे लिए एक बहुत बड़ी रक़म थी। वह किसान जिसने हमें अपने चरागाह से कुकुरमुत्ते बटोरने की अनुमति दी थी, उसने कहा कि वह २५ सालों से वहाँ रह चुका था और उसने कभी उतने कुकुरमुत्ते नहीं देखे थे। कुछ ही समय बाद उस रबर फ़ैक्टरी ने ज़ुर्ज़ को फिर से काम पर बुला लिया।
अपना विश्वास बनाए रखना
सन् १९४३ में हम लॉस ऎंजलस, कॆलिफ़ोर्निया चले गए, और चार साल बाद हम एलसॆनोर जा कर बस गए। वहाँ हमने एक किराने की दुकान खोली, और हमारा पूरा परिवार बारी-बारी से उसमें काम करता था। उस समय, एलसॆनोर २,००० की आबादीवाला एक छोटा सा शहर था, और हमें अपनी मसीही सभाओं में उपस्थित होने के लिए ३० किलोमीटर का सफ़र करके एक अन्य शहर जाना पड़ता था। १९५० में एलसॆनोर में एक छोटी कलीसिया बनने पर मैं कितनी ख़ुश हुई थी! उसी क्षेत्र में अब १३ कलीसियाएँ हैं।
सन् १९५० में हमारी बेटी गोल्डी इलिज़बॆथ (जिसे अधिकांश लोग अब बॆथ के नाम से जानते हैं) साउथ लैन्सिंग, न्यू यॉर्क में वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड से स्नातक हुई, और उसे एक मिशनरी के तौर पर वेनेज़वेला नियुक्त किया गया। १९५५ में हमारी सबसे छोटी बेटी, आइरीन को इस बात से ख़ुशी मिली, कि उसके पति को सर्किट कार्य में एक सफ़री सेवक के तौर पर सेवा करने के लिए आमंत्रित किया गया। फिर १९६१ में, साउथ लैन्सिंग, न्यू यॉर्क में राज्य सेवकाई स्कूल में उपस्थित होने के बाद, उन्हें थाइलैंड भेजा गया। कभी-कभी मुझे अपनी बेटियों की इतनी याद आती थी कि मैं रो देती, लेकिन फिर सोचती, ‘मैं यही तो चाहती थी कि वे ऐसा करें।’ सो मैं अपना बैग उठाती और प्रचार कार्य में निकल जाती। मैं हमेशा ख़ुश होकर घर लौटती।
सन् १९६६ में मेरे पति, ज़ुर्ज़ को रक्ताघात हो गया। बॆथ ने, जो कि स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वेनेज़वेला से लौट आयी थी, उनकी देखभाल में मदद की। अगले साल ज़ुर्ज़ की मृत्यु हो गई, और मुझे इस बात से सांत्वना मिली कि वह यहोवा के प्रति वफ़ादार रहा था और उसने अपना स्वर्गीय प्रतिफल प्राप्त किया। बाद में बॆथ सेवा करने स्पेन चली गई जहाँ राज्य प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी। मेरी सबसे बड़ी बेटी, ऎस्तर को कैंसर हो गया और १९७७ में उसकी मृत्यु हो गई, और १९८४ में, ऎन की श्वेतरक्तता से मृत्यु हो गई। वे दोनों ही अपनी पूरी ज़िन्दगी यहोवा की वफ़ादार सेवक रहीं।
ऎन की मृत्यु से पहले, बॆथ और आइरीन अपनी विदेश की प्रचार नियुक्तियों से लौट चुकी थीं। उन्होंने अपनी बहनों की देखभाल में मदद की थी, और हम सभी बहुत शोक संतप्त थे। कुछ समय बाद मैंने अपनी लड़कियों से कहा: “बस, बहुत हो चुका! हमने दूसरों को बहुमूल्य बाइबल प्रतिज्ञाओं से सांत्वना दी है। अब हमें अपने आप को सांत्वना पाने का मौक़ा देना चाहिए। यहोवा की सेवा करने के हमारे आनन्द को शैतान छीन लेना चाहता है, लेकिन हम उसे ऐसा नहीं करने दे सकते।”
रोमेनिया में हमारा वफ़ादार परिवार
मैंने और मेरी बहन मॆरी ने १९७० में रोमेनिया में हमारे परिवार से मिलने के लिए वह यादग़ार सफ़र किया। हमारी एक बहन की मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन हम अपने भाई जॉन और बहन लॊडोवीका से भेंट कर सके, जो अब भी गाँव ऑर्टॆलॆक में रहते थे। हमारी भेंट के समय तक, पिताजी और माँ की मृत्यु हो चुकी थी। वे यहोवा के प्रति वफ़ादार रहे थे। कई लोगों ने हमें बताया कि पिताजी कलीसिया में एक खम्भा समझे जाते थे। रोमेनिया में उनके कुछ पर-पोते भी अब साक्षी हैं। हमने मेरे पति की तरफ़ के कई रिश्तेदारों से भी भेंट की, जो बाइबल सच्चाई में दृढ़ रहे थे।
सन् १९७० में, रोमेनिया, निकलई चाऊशॆस्कू के क्रूर साम्यवादी शासन के अधीन था, और यहोवा के साक्षी दुर्दम्य रूप से सताए जा रहे थे। मेरे भाई जॉन का बेटा फ़्लोर, साथ ही मेरे अन्य रिश्तेदारों ने अपने मसीही विश्वास के कारण यातना शिविरों में कई साल काटे। मेरे पति के चचेरे भाई, गाबॊर रोमोसियन के साथ भी ऐसा ही हुआ। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि जब हमें न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों के मुख्यालय तक कुछ पत्रों को पहुँचाने की ज़िम्मेदारी दी गई, तो हमारे रोमेनियन भाइयों ने कहा कि उनके जी में जी नहीं आएगा जब तक देश से हमारे सुरक्षित निकल जाने की ख़बर उन्हें नहीं मिलती!
जब हमें एहसास हुआ कि हमारे वीज़ा की अवधि समाप्त हो चुकी थी, तो हम ऑर्टॆलॆक के सरकारी दफ़्तर गए। वह एक शुक्रवार की दोपहर थी, और ड्यूटी पर केवल एक अफ़सर था। यह जान कर कि हम किससे मिलने आए थे और कि हमारा भतीजा एक यातना शिविर में रह चुका था, वह बोला: “यहाँ से जल्दी निकलो!”
“लेकिन आज कोई ट्रेन नहीं है,” मेरी बहन बोली।
“कोई फ़रक नहीं पड़ता,” उसने ज़ोर देकर कहा। “बस पकड़ो। ट्रेन पकड़ो। टैक्सी करो। चलकर जाओ। लेकिन यहाँ से फटाफट दफ़ा हो जाओ!”
जैसे ही हम जाने लगे, हमें बुलाया गया और सूचित किया गया कि सेना की एक अनिर्धारित ट्रेन शाम के छः बजे आ रही थी। वह कैसी ईश्वरीय मदद सिद्ध हुई! एक नियमित ट्रेन पर, हमारे कागज़ातों की बार-बार जाँच की जाती, लेकिन चूँकि यह ट्रेन फ़ौजियों को ले जा रही थी और उसमें हम दो ही असैनिक थे, इसलिए किसी ने भी हमारे पासपोर्ट नहीं माँगे। उन्होंने सोचा होगा कि हम किन्हीं अफ़सरों की दादियाँ थीं।
अगली सुबह हम टीमिश्वरा पहुँचे, और एक रिश्तेदार के मित्र की मदद से, हम अपने वीज़ा प्राप्त कर सके। अगले दिन हम देश से बाहर थे। हम अपने साथ रोमेनिया में अपने वफ़ादार मसीही भाइयों और बहनों की ढेर सारी स्नेही और अविस्मरणीय यादें ले कर लौटे।
हमारी रोमेनिया की यात्रा के बाद के वर्षों में, कठोर सेंसर व्यवस्था के कारण हमें प्रचार कार्य के बारे में बहुत थोड़ी जानकारी सुनने को मिली। फिर भी, हम विश्वस्त थे कि चाहें कुछ भी हो—हमारे मसीही भाई और बहन हमारे परमेश्वर के प्रति वफ़ादार रहेंगे। और निश्चित ही वे रहे हैं! यह जानना कितने आनन्द की बात थी कि रोमेनिया में अप्रैल १९९० में, यहोवा के साक्षियों को एक धार्मिक संगठन के रूप में कानूनी तौर पर मान्यता मिली! अगली गर्मियों में हम रोमेनिया में आयोजित अधिवेशनों के बारे में रिपोर्ट से आनन्दित हुए। क्यों न होते, आठ शहरों में ३४,००० से ज़्यादा लोग उपस्थित हुए, और २,२६० का बपतिस्मा हुआ! अब रोमेनिया में ३५,००० से ज़्यादा लोग प्रचार कार्य में भाग ले रहे हैं, और पिछले साल ८६,०३४ लोग मसीह की मृत्यु के स्मारक में उपस्थित थे।
सच्चाई मेरे लिए अब भी बहुमूल्य
कुछ सालों के लिए, मैंने स्मारक के प्रतीकों में हिस्सा लेना छोड़ दिया। मैंने बहुत योग्य भाइयों पर ध्यान दिया जो हिस्सा नहीं लेते थे, और मैंने तर्क किया: ‘जब दूसरे इतने अच्छे वक्ता हैं, तो यहोवा मुझे स्वर्ग में अपने पुत्र के साथ एक संगी वारिस होने का विशेषाधिकार क्यों देने लगा?’ लेकिन जब मैंने हिस्सा नहीं लिया, तो मैंने बहुत परेशान महसूस किया। ऐसा लगा मानो मैं कुछ अस्वीकार कर रही थी। बहुत अध्ययन और प्रार्थनापूर्वक विनती करने के बाद, मैंने फिर से हिस्सा लेना शुरू कर दिया। मेरी शान्ति और आनन्द लौट आए, और वे अब तक मेरे साथ हैं।
हालाँकि मेरी आँखें अब पढ़ने के योग्य नहीं रहीं, मैं रोज़ाना बाइबल और प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं की कैसॆट सुनती हूँ। मैं अब भी प्रचार कार्य में भाग लेती हूँ। आम तौर पर मैं हर महीने ६० से १०० पत्रिकाएँ वितरित करती हूँ, लेकिन पिछले अप्रैल जब सजग होइए! पत्रिका के साथ हमारा ख़ास अभियान था, तब मैंने ३२३ पत्रिकाएँ वितरित की। मेरी बेटियों की मदद से, मैं ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल में भाग भी ले पाती हूँ। मैं ख़ुश हूँ कि मैं दूसरों को प्रोत्साहित करना जारी रख सकती हूँ। राज्यगृह में लगभग सभी मुझे दादीमाँ पुकारते हैं।
यहोवा के प्रति लगभग ७९ सालों की समर्पित सेवा को मुड़कर देखने पर, मैं रोज़ उसका धन्यवाद करती हूँ कि उसने मुझे अपनी बहुमूल्य सच्चाई जानने दी और उसकी सेवा में मेरा जीवन इस्तेमाल करने दिया। मैं बहुत आभारी हूँ कि उन शानदार बाइबल भविष्यवाणियों की पूर्ति देखने के लिए मैं ज़िन्दा हूँ जिन्होंने इन अन्तिम दिनों में परमेश्वर के भेड़ समान लोगों के इकट्ठा होने के बारे में पूर्वबताया।—यशायाह ६०:२२; जकर्याह ८:२३.
[पेज 23 पर तसवीर]
मेरी बहन मॆरी और पिताजी खड़े हुए, और मैं, ज़ुर्ज़, और हमारी बेटियाँ ऎस्तर, और ऎन
[पेज 24 पर तसवीर]
मेरी बेटियों बॆथ और आइरीन और आइरीन के पति और उनके दो बेटों के साथ, जो सब वफ़ादारी से यहोवा की सेवा कर रहे हैं