“निरीक्षण न्याय”—बाइबल-आधारित धर्म-सिद्धांत?
अमरीका के पूर्वी तट पर कुछ ५०,००० लोगों के लिए अक्तूबर २२, १८४४ बड़ी प्रत्याशा का दिन था। उनके आध्यात्मिक अगुवे, विलियम मिलर ने कहा था कि यीशु मसीह उसी दिन लौटेगा। मिलराइट, जैसा उन्हें कहा जाता था, रात तक अपने सभा स्थानों में प्रतीक्षा करते रहे। फिर दूसरा दिन निकल आया, लेकिन प्रभु नहीं आया था। निरुत्साहित होकर, वे घर लौट गए और उसके बाद से उस दिन को “बड़ी निराशा” के नाम से याद किया।
फिर भी, निराशा जल्द ही आशा में बदल गयी। ऎलन हारमन नाम की एक युवती ने मिलराइट लोगों के एक छोटे-से समूह को विश्वस्त किया कि परमेश्वर ने दर्शनों में प्रकट किया है कि उनका समय-आकलन सही था। उसका मानना था कि उस दिन एक बड़ी घटना घटी थी—उस समय मसीह ने “स्वर्गीय पवित्रस्थान के परम पवित्र स्थान” में प्रवेश किया था।
एक दशक से भी अधिक समय बाद, ऎडवॆंटिस्ट प्रचारक जेम्स वाइट ने (जिसने ऎलन हारमन से विवाह कर लिया था) अक्तूबर १८४४ से मसीह के कार्य के प्रकार का वर्णन करने के लिए एक अभिव्यक्ति रची। जनवरी २९, १८५७ की रिव्यू एण्ड हॆरल्ड में, वाइट ने कहा कि यीशु ने “निरीक्षण न्याय” शुरू कर दिया है। और यह कुछ ७० लाख लोगों का एक मूलभूत विश्वास रहा है जो अपने आपको सॆवॆंथ-डे ऎडवॆंटिस्ट कहते हैं।
लेकिन, सॆवॆंथ-डे ऎडवॆंटिस्ट (SDA) चर्च के कुछ सम्मानित विद्वान इस सोच में पड़े हैं कि “निरीक्षण न्याय” बाइबल-आधारित धर्म-सिद्धांत है या नहीं। उन्हें इसके बारे में संदेह क्यों हो रहे हैं? यदि आप एक सॆवॆंथ-डे ऎडवॆंटिस्ट होते, तो यह प्रश्न आपके लिए होता। लेकिन, “निरीक्षण न्याय” है क्या?
यह क्या है?
दानिय्येल ८:१४ इस धर्म-सिद्धांत के समर्थन में उद्धृत मुख्य वचन है। वहाँ लिखा है: “उस ने मुझ से कहा, जब तक सांझ और सवेरा दो हजार तीन सौ बार न हों, तब तक वह होता रहेगा; तब पवित्रस्थान शुद्ध किया जाएगा।” (किंग जेम्स वर्शन) अभिव्यक्ति “तब पवित्रस्थान शुद्ध किया जाएगा” (तिरछे टाइप हमारे।) के कारण, अनेक ऎडवॆंटिस्ट इस आयत को लैव्यव्यवस्था अध्याय १६ के साथ जोड़ते हैं। वहाँ यहूदी महायाजक द्वारा प्रायश्चित्त दिन पर पवित्रस्थान के शुद्ध किए जाने का वर्णन है। वे दानिय्येल के शब्दों को इब्रानियों अध्याय ९ के साथ भी जोड़ते हैं, जहाँ बताया गया है कि यीशु स्वर्ग में महान महायाजक है। एक SDA विद्वान कहता है कि यह तर्क “प्रूफ़-पाठ” प्रणाली पर आधारित है। व्यक्ति को “एक शब्द [मिलता है] जैसे दानि. ८:१४ में पवित्रस्थान, वही शब्द लैव्य. १६ में, वही शब्द इब्रा. ७, ८, ९ में,” और वह मान लेता है “कि ये सभी एक विषय पर बात कर रहे हैं।”
ऎडवॆंटिस्ट इस प्रकार तर्क करते हैं: प्राचीन इस्राएल के याजक मंदिर के पवित्र नामक कक्ष में दैनिक सेवकाई करते थे, जिसके फलस्वरूप पापों की क्षमा मिलती थी। प्रायश्चित्त दिन पर, महायाजक परम पवित्र (मंदिर के सबसे अंदर के कक्ष) में वार्षिक सेवकाई करता था जिसके फलस्वरूप पाप मिटाए जाते थे। वे निष्कर्ष निकालते हैं कि स्वर्ग में मसीह की याजकीय सेवकाई के दो चरण हैं। पहला चरण प्रथम शताब्दी में उसके स्वर्गारोहण के साथ आरंभ हुआ और १८४४ में समाप्त हुआ, और इसके फलस्वरूप पापों की क्षमा मिली। दूसरा, अथवा “न्याय चरण” अक्तूबर २२, १८४४ में आरंभ हुआ और अभी जारी है, और इसके फलस्वरूप पाप मिटाए जाएँगे। यह कैसे होता है?
वर्ष १८४४ से, कहा जाता है कि यीशु सभी तथाकथित विश्वासियों (पहले मृतकों, फिर जीवित जनों) के जीवन-लेखे का निरीक्षण कर रहा है, यह तय करने के लिए कि वे अनंत जीवन के योग्य हैं या नहीं। यह जाँच “निरीक्षण न्याय” है। जब लोगों का इस प्रकार न्याय हो जाता है, उसके बाद जो इस परीक्षा में पास होते हैं उनके पाप लेखा-पुस्तकों में से मिटा दिए जाते हैं। लेकिन, ऎलन वाइट ने समझाया, जो पास नहीं होते ‘उनके नाम जीवन की पुस्तक में से काट दिए जाएँगे।’ इस प्रकार, “सभी की नियति का निर्णय जीवन या मृत्यु के लिए हो चुका होगा।” उस समय, स्वर्गीय पवित्रस्थान शुद्ध किया जाता है और दानिय्येल ८:१४ की पूर्ति होती है। ऐसा सिखाते हैं सॆवॆंथ-डे ऎडवॆंटिस्ट। लेकिन SDA प्रकाशन ऎडवॆंटिस्ट रिव्यू स्वीकार करता है: “पद निरीक्षण न्याय बाइबल में नहीं मिलता।”
अप्राप्त भाषा-मूलक कड़ी
इस शिक्षा से कुछ ऎडवॆंटिस्ट उलझन में पड़े हैं। “इतिहास दिखाता है,” एक पर्यवेक्षक कहता है, “कि हमारे समूह में निष्ठावान अगुवों के मन अशांत हुए हैं जब उन्होंने निरीक्षण न्याय की हमारी पारंपरिक शिक्षा पर विचार किया है।” वह आगे कहता है कि हाल के सालों में अशांति संदेह में बदल गयी जब विद्वानों ने “हमारे सामान्य पवित्रस्थान प्रतिपादन के अनेक खंभों पर प्रश्न उठाना” शुरू किया। आइए अब उनमें से दो की जाँच करें।
पहला खंभा: दानिय्येल अध्याय ८ और लैव्यव्यवस्था अध्याय १६ के बीच संबंध है। यह आधार दो मुख्य समस्याओं के कारण कमज़ोर पड़ जाता है—भाषा और संदर्भ। पहले, भाषा पर विचार कीजिए। ऎडवॆंटिस्ट विश्वास करते हैं कि दानिय्येल अध्याय ८ में ‘शुद्ध पवित्रस्थान’ लैव्यव्यवस्था अध्याय १६ के ‘शुद्ध पवित्रस्थान’ की भविष्यसूचक पूर्ति है। यह साम्यानुमान तब तक स्वीकार्य प्रतीत हुआ जब तक कि अनुवादकों ने यह न जान लिया कि किंग जेम्स वर्शन में “शुद्ध किया” दानिय्येल ८:१४ में प्रयुक्त एक इब्रानी क्रिया-रूप त्सादक (अर्थात् “धर्मी होना”) का ग़लत अनुवाद है। धर्मविज्ञान का प्रोफ़ॆसर ऐनथनी ए. होकमा कहता है: “यह दुःख की बात है कि उस शब्द का अनुवाद हुआ शुद्ध किया, क्योंकि सामान्यतः शुद्ध [ताहर] अनुवादित इब्रानी क्रिया यहाँ बिलकुल भी प्रयोग नहीं की गयी है।”a यह लैव्यव्यवस्था अध्याय १६ में प्रयोग की गयी है जहाँ किंग जेम्स वर्शन में ताहर के रूपों को “शुद्ध करे” और “शुद्ध करने” अनुवादित किया गया है। (लैव्यव्यवस्था १६:१९, ३०) अतः, डॉ. होकमा सही रीति से यह निष्कर्ष निकालता है: “यदि दानिय्येल उस क़िस्म के शुद्धीकरण का उल्लेख करना चाहता था जो प्रायश्चित्त दिन पर किया जाता था, तो उसने त्साधक के बजाय ताहर का प्रयोग किया होता।” लेकिन, त्साधक लैव्यव्यवस्था में नहीं मिलता, और ताहर दानिय्येल में नहीं मिलता। भाषा-मूलक कड़ी अप्राप्त है।
संदर्भ क्या दिखाता है?
अब संदर्भ पर विचार कीजिए। ऎडवॆंटिस्ट मानते हैं कि दानिय्येल ८:१४ “संदर्भ-संबंधी द्वीप” है, जिसका पहले की आयतों से कोई संबंध नहीं। लेकिन जब आप “संदर्भ में दानिय्येल ८:१४” शीर्षकवाले संलग्न बक्स में दानिय्येल ८:९-१४ पढ़ते हैं तब क्या आपको ऐसा लगता है? आयत ९ एक आक्रामक, एक छोटे सींग की पहचान कराती है। आयत १०-१२ प्रकट करती हैं कि यह आक्रामक पवित्रस्थान पर हमला करेगा। आयत १३ पूछती है, ‘यह आक्रमण कब तक चलता रहेगा?’ और आयत १४ उत्तर देती है: “दो हज़ार तीन सौ रात-दिन तक। उसके बाद पवित्रस्थान पुनः प्रतिष्ठित किया जाएगा।” (NHT) स्पष्टतया, आयत १३ एक प्रश्न उठाती है जिसका उत्तर आयत १४ में दिया गया है। धर्मविज्ञानी डॆज़मन्ड फ़ोर्ड कहता है: “दानि. ८:१४ को इस पुकार [“कब तक?” आयत १३] से अलग करना बिना किसी व्याख्यात्मक समर्थन के होना है।”b
ऎडवॆंटिस्ट आयत १४ को संदर्भ से अलग क्यों करते हैं? एक अनुपयुक्त निष्कर्ष से बचने के लिए। संदर्भ संकेत करता है कि पवित्रस्थान छोटे सींग की गतिविधियों के कारण अशुद्ध किया जाता है, जो आयत १४ में उल्लिखित है। लेकिन, “निरीक्षण न्याय” धर्म-सिद्धांत के अनुसार पवित्रस्थान मसीह की गतिविधियों के कारण अशुद्ध होता है। कहा जाता है कि वह विश्वासियों के पापों को स्वर्गीय पवित्रस्थान में स्थानांतरित करता है। सो, यदि ऎडवॆंटिस्ट इस धर्म-सिद्धांत और संदर्भ, दोनों को स्वीकार करें तब क्या होता है? सॆवॆंथ-डे ऎडवॆंटिस्ट और SDA बाइबल कॉमॆंट्री का भूतपूर्व सह संपादक, डॉ. रेमण्ड एफ़. कॉटरल लिखता है: “अपने आपको यह धोखा देना कि SDA व्याख्या दानिय्येल ८:१४ को संदर्भ में ही जाँचती है छोटे सींग की पहचान मसीह के रूप में करने के बराबर होगा।” डॉ. कॉटरल ईमानदारी से स्वीकार करता है: “हम संदर्भ और ऎडवॆंटिस्ट व्याख्या, दोनों का मेल नहीं बिठा सकते।” इसलिए, “निरीक्षण न्याय” के बारे में ऎडवॆंटिस्ट चर्च को एक चुनाव करना था—इस धर्म-सिद्धांत को स्वीकार करें या दानिय्येल ८:१४ के संदर्भ को। दुःख की बात है कि इसने धर्म-सिद्धांत को अपनाया और संदर्भ को अस्वीकार कर दिया। डॉ. कॉटरल कहता है कि यह आश्चर्य की बात नहीं कि जानकार बाइबल विद्यार्थी ऎडवॆंटिस्ट लोगों पर दोष लगाते हैं कि वे “शास्त्र में वह अर्थ डालते” हैं जो “शास्त्र में से निकाला” नहीं जा सकता!
वर्ष १९६७ में, डॉ. कॉटरल ने दानिय्येल की पुस्तक पर एक संडे स्कूल पाठ तैयार किया, जो संसार-भर में SDA गिरजों को भेजा गया। उसमें सिखाया गया कि दानिय्येल ८:१४ उसके संदर्भ से जुड़ा हुआ है और कि ‘शुद्ध किया जाना’ विश्वासियों के संबंध में नहीं है। महत्त्वपूर्ण बात है कि उस पाठ में “निरीक्षण न्याय” का कोई उल्लेख नहीं है।
कुछ उल्लेखनीय उत्तर
ऎडवॆंटिस्ट लोगों को इसके बारे में कितनी जानकारी है कि यह खंभा “निरीक्षण न्याय” धर्म-सिद्धांत का समर्थन करने के लिए बहुत कमज़ोर है? डॉ. कॉटरल ने २७ प्रमुख ऎडवॆंटिस्ट धर्मविज्ञानियों से पूछा, ‘आप दानिय्येल अध्याय ८ और लैव्यव्यवस्था अध्याय १६ के बीच की कड़ी के लिए कौन-से भाषा-मूलक या संदर्भ-संबंधी कारण दे सकते हैं?’ उनका उत्तर?
“सभी सत्ताईस जनों ने इस बात की पुष्टि की कि दानि. ८:१४ को भविष्यसूचक प्रायश्चित्त दिन और निरीक्षण न्याय पर लागू करने के कोई भाषा-मूलक या संदर्भ-संबंधी कारण नहीं हैं।” उसने उनसे पूछा, ‘क्या आपके पास इस कड़ी को जोड़ने का कोई अन्य कारण है?’ अधिकतर ऎडवॆंटिस्ट विद्वानों ने कहा कि उनके पास कोई अन्य कारण नहीं था, पाँच ने उत्तर दिया कि उन्होंने यह कड़ी जोड़ी क्योंकि ऎलन वाइट ने ऐसा किया, और दो ने कहा कि उन्होंने इस धर्म-सिद्धांत को अनुवाद में एक “सुखद संयोग” पर आधारित किया। धर्मविज्ञानी फ़ोर्ड टिप्पणी करता है: “हमारे सर्वश्रेष्ठ विद्वानों द्वारा प्रस्तुत ऐसे निष्कर्ष वास्तव में यह प्रदर्शित करते हैं कि दानि. ८:१४ पर हमारी परंपरागत शिक्षा तर्कसंगत नहीं।”
इब्रानियों से कोई मदद?
दूसरा खंभा: दानिय्येल ८:१४ और इब्रानियों अध्याय ९ के बीच संबंध है। “हमारी सभी आरंभिक रचनाएँ दानि. ८:१४ को समझाते समय इब्रा. ९ का बड़ा सहारा लेती हैं,” धर्मविज्ञानी फ़ोर्ड कहता है। यह कड़ी १८४४ में “बड़ी निराशा” के बाद जोड़ी गयी। मार्गदर्शन की खोज में, मिलराइट हाइरम ऎडसन ने अपनी बाइबल मेज़ पर गिरा दी ताकि वह खुल जाए। परिणाम? बाइबल इब्रानियों अध्याय ८ और ९ पर खुली। फ़ोर्ड कहता है: “ऎडवॆंटिस्ट लोगों के इस दावे के समर्थन में इससे अधिक उपयुक्त और लाक्षणिक क्या हो सकता है कि इन अध्यायों में १८४४ और दानि. ८:१४ का अर्थ समझाया गया है!”
“यह दावा सॆवॆंथ-डे ऎडवॆंटिस्ट लोगों के लिए अति-महत्त्वपूर्ण है,” डॉ. फ़ोर्ड अपनी पुस्तक दानिय्येल ८:१४, प्रायश्चित्त दिन, और निरीक्षण न्याय में आगे कहता है। “मात्र इब्रा. ९ में . . . हमारे लिए अत्यावश्यक पवित्रस्थान धर्म-सिद्धांत . . . के अर्थ की विस्तृत व्याख्या मिलती है।” जी हाँ, “नए नियम” में इब्रानियों अध्याय ९ वह अध्याय है जो लैव्यव्यवस्था अध्याय १६ का भविष्यसूचक अर्थ समझाता है। लेकिन ऎडवॆंटिस्ट यह भी कहते हैं कि दानिय्येल ८:१४ “पुराने नियम” में वह आयत है जो ऐसा करती है। यदि दोनों कथन सही हैं, तो इब्रानियों अध्याय ९ और दानिय्येल अध्याय ८ के बीच भी एक कड़ी होगी।
डॆज़मन्ड फ़ोर्ड कहता है: “जब व्यक्ति इब्रा. ९ पढ़ता है तब कुछ बातें तुरंत स्पष्ट दिखायी देती हैं। दानिय्येल की पुस्तक की ओर कोई स्पष्ट संकेत नहीं है, और निश्चित ही दानि. ८:१४ की ओर एक भी नहीं। . . . यह पूरा का पूरा अध्याय लैव्य. १६ का अनुप्रयोग है।” वह कहता है: “हमारी पवित्रस्थान शिक्षा नए नियम की एकमात्र पुस्तक में ही नहीं मिल सकती जो पवित्रस्थान सेवाओं के महत्त्व की चर्चा करती है। इसे संसार-भर में विख्यात ऎडवॆंटिस्ट लेखकों ने स्वीकार किया है।” तो फिर, दूसरा खंभा भी समस्याकारी धर्म-सिद्धांत का समर्थन करने के लिए बहुत कमज़ोर है।
लेकिन, यह निष्कर्ष नया नहीं। डॉक्टर कॉटरल कहता है कि अनेक सालों से “इस चर्च के बाइबल विद्वान उन व्याख्यात्मक समस्याओं से अच्छी तरह अवगत हैं जिनका सामना दानिय्येल ८:१४ और इब्रानियों ९ की हमारी परंपरागत व्याख्या को करना पड़ता है।” कुछ ८० साल पहले, प्रभावशाली सॆवॆंथ-डे ऎडवॆंटिस्ट ई. जे. वैगनर ने लिखा: “पवित्रस्थान के बारे में ऎडवॆंटिस्ट शिक्षा, जिसमें ‘निरीक्षण न्याय’ भी है . . . , एक क़िस्म से प्रायश्चित्त को अस्वीकार करना है।” (विश्वास की स्वीकृति, अंग्रेज़ी) ३० साल से भी पहले, ऐसी समस्याएँ SDA चर्च के अगुवों की महा सभा में प्रस्तुत की गयी थीं।
समस्याएँ और ज़िच
महा सभा ने “दानिय्येल की पुस्तक में समस्याओं पर समिति” नियुक्त की। उसे इस पर एक रिपोर्ट तैयार करनी थी कि दानिय्येल ८:१४ पर केंद्रित समस्याओं को कैसे सुलझाएँ। चौदह समिति सदस्यों ने पाँच सालों तक इस प्रश्न पर अध्ययन किया परंतु सर्वसम्मत समाधान प्रस्तुत करने में असफल रहे। वर्ष १९८० में, समिति सदस्य कॉटरल ने कहा कि समिति के अधिकतर सदस्यों को लगा कि दानिय्येल ८:१४ की जो व्याख्या ऎडवॆंटिस्ट देते हैं उसे कई “अनुमानों” के आधार पर “संतोषजनक रूप से स्थापित” किया जा सकता है और कि समस्याओं को “भूल जाना चाहिए।” उसने आगे कहा: “याद रखिए, समिति का नाम था दानिय्येल की पुस्तक में समस्याओं पर समिति, और बहुमत यह सुझाव दे रहा था कि हम समस्याओं को भूल जाएँ और उनके बारे में कुछ न कहें।” इसका अर्थ होता यह “स्वीकृति कि हमारे पास कोई उत्तर नहीं था।” सो अल्पमत ने बहुमत के विचार का समर्थन करने से इनकार कर दिया, और कोई औपचारिक रिपोर्ट नहीं बनायी गयी। धर्म-सैद्धांतिक समस्याएँ अनसुलझी रह गयीं।
इस ज़िच पर टिप्पणी करते हुए, डॉ. कॉटरल कहता है: “दानिय्येल ८:१४ का वाद-विषय अभी-भी है क्योंकि अब तक हम इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं रहे हैं कि एक अति वास्तविक व्याख्यात्मक समस्या विद्यमान है। यह वाद-विषय तब तक समाप्त नहीं होगा, जब तक हम यह ढोंग करते रहें कि कोई समस्या नहीं है, जब तक हम व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से आँख बंद करके अपने पूर्वकल्पित विचारों पर अड़े रहें।”—स्पॆक्ट्रम, एसोसिएशन ऑफ़ ऎडवॆंटिस्ट फ़ोरम्स द्वारा प्रकाशित पत्रिका।
डॉक्टर कॉटरल ऎडवॆंटिस्ट लोगों से आग्रह करता है कि ‘उन मूल अनुमानों और व्याख्या के सिद्धांतों की ध्यानपूर्ण पुनःजाँच करें जिन पर हमने दानि. ८:१४ की अपनी व्याख्या आधारित की है, जो ऎडवॆंटिज़्म के लिए शास्त्र का अनिवार्य परिच्छेद है।’ हम ऎडवॆंटिस्ट लोगों को प्रोत्साहित करेंगे कि “निरीक्षण न्याय” के धर्म-सिद्धांत की जाँच करें, यह देखने के लिए कि क्या इसके खंभे बाइबल पर मज़बूती से खड़े हैं या क्या वे परंपरा की भुरभुरी रेत पर खड़े हैं।c प्रेरित पौलुस ने बुद्धिमत्ता से आग्रह किया: “सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।”—१ थिस्सलुनीकियों ५:२१.
[फुटनोट]
a त्सादक (या, त्साधक) को विल्सन्स ओल्ड टॆस्टामॆंट वर्ड स्टडीज़ यूँ परिभाषित करती है, “धर्मी होना, न्यायसंगत होना,” और ताहीर (या, ताहर) को इस प्रकार, “स्पष्ट, उज्ज्वल, और चमकदार होना; शुद्ध, स्वच्छ, निर्दोष होना; हर दूषण या अशुद्धता से रहित होना।”
b डॉ. फ़ोर्ड अमरीका में गिरजा-समर्थित पैसिफ़िक यूनियन कॉलॆज में धर्म का प्रोफ़ॆसर था। वर्ष १९८० में SDA अगुवों ने उसे छः महीने का अवकाश दिया कि इस धर्म-सिद्धांत का अध्ययन करे, परंतु उन्होंने उसके निष्कर्ष अस्वीकार कर दिए। उसने इन्हें पुस्तक दानिय्येल ८:१४, प्रायश्चित्त दिन, और निरीक्षण न्याय (अंग्रेज़ी) में प्रकाशित किया।
c दानिय्येल अध्याय ८ की तर्कयुक्त व्याख्या के लिए, वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘तेरी इच्छा पृथ्वी पर पूरी हो’ (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ १८८-२१९ देखिए।
[पेज 27 पर बक्स]
संदर्भ में दानिय्येल ८:१४
दानिय्येल ८:९ ‘और उनमें से एक था जिसमें से एक छोटा-सा सींग निकला जो दक्षिण, पूर्व और शिरोमणि देश की ओर बहुत ही बढ़ गया। १० वह आकाश की सेना तक बढ़ गया और उसने उसमें से कुछ को तथा नक्षत्रों में से कुछ को पृथ्वी पर गिराकर रौंद डाला। ११ यहां तक कि उसने सेना के प्रधान की बराबरी की, और उस से नित्य की होमबलि छीन कर उसके पवित्रस्थान को गिरा दिया। १२ और अपराध के कारण वह सेना भी नित्य होमबलि सहित सींग के हाथ में कर दी जाएगी और वह सत्य को मिट्टी में मिला देगा और अपनी मनमानी करेगा।
१३ तब मैंने एक पवित्र को बोलते सुना और दूसरे पवित्र ने उस बोलने वाले पवित्र जन से पूछा कि “नित्य होमबलि और डरावने अपराध का दर्शन अर्थात् पवित्रस्थान और सेना, दोनों का रौंदा जाना कितने दिन चलता रहेगा?” १४ और उसने मुझसे कहा, “दो हज़ार तीन सौ रात-दिन तक। उसके बाद पवित्रस्थान पुनः प्रतिष्ठित किया जाएगा।”’—द होली बाइबल—ए न्यू हिन्दी ट्रांस्लेशन।