नावहो क्षेत्र में भेड़-समान लोगों के लिए चरागाह
नावहो आदिवासियों की भाषा में हॆज़ोनी का मतलब है “ख़ूबसूरत,” और नावहो लोग अपने क्षेत्र का इसी प्रकार वर्णन करते हैं। वर्ष १८६८ से अमरीकी सरकार ने नावहो लोगों के लिए कुछ ६२,००० वर्ग किलोमीटर का आरक्षित-क्षेत्र अनुभाजित किया है। यह आरक्षित-क्षेत्र उत्तर-पूर्वीय अरिज़ोना के आस-पास में अनुभाजित किया गया, ऐसी जगह जो चार नाका है और जहाँ अरीज़ोना, कॉलॆराडो, न्यू मॆक्सिको, व यूटा के चार राज्य आकर मिलते हैं। अमरीकी-पश्चिमी संबंधी फ़िल्मों द्वारा विख्यात हुई मॉन्यूमॆंट घाटी को अब नावहो जनजातीय उद्यान के तौर पर सुरक्षित रखा जा रहा है और यह पूरी दुनिया से पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस घाटी की विशेषता तीन-सौ-मीटर ऊँचे लाल बलुआ-पत्थर के बने खंभे हैं जो रेगिस्तानी मैदान की पृष्ठभूमि में वैभवशाली दिखते हैं। उचित रूप से, नावहो भाषा में घाटी के लिए पद का मतलब है “चट्टानों के बीच की जगह।”
नावहो के लोग एक समूह के रूप में अपने नम्र शिष्टाचार, स्नेहिल मेहमान-नवाज़ी, और घनिष्ठ विस्तृत परिवारों के लिए विख्यात हैं। पारंपरिक तरीक़ों का अनुसरण करते हुए, आरक्षित-क्षेत्र के १,७०,००० निवासी मुख्यतः पृथक बस्तियों में रहते हैं। अब भी कुछ लोग भेड़ पालते हैं और मिट्टी से पोती लकड़ी की होगन नामक झोपड़ियों में रहते हैं। नावहो कला और हस्तकला ने व्यापक लोकप्रियता हासिल कर ली है। भेड़ की ऊन से बुने रंगीन ज्यामितीय या पारंपरिक डिज़ाइनोंवाले क़ालीन और कंबल ख़ासकर मूल्यवान समझे जाते हैं। फ़िरोज़ा और अन्य प्राकृतिक चीज़ों से बने नावहो चाँदी आभूषण उतने ही विख्यात हैं।
नावहो क्षेत्र में सुसमाचार लाना
तीस से भी ज़्यादा सालों से, यहोवा के साक्षी नावहो क्षेत्र में आए हैं, न केवल सैर-सपाटे के लिए बल्कि इस दूरस्थ इलाक़े के लोगों के लिए परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार पहुँचाने को भी। (मत्ती २४:१४) प्रचार कार्य में यहोवा के साक्षियों के नियमित और ख़ास पायनियर सेवकों ने अगुवाई की है। उनमें से अनेक जन सफ़री ओवरसियरों और स्थानीय साक्षियों के बुलावे की प्रतिक्रिया में वहाँ मदद करने के लिए गए हैं जहाँ ज़रूरत ज़्यादा रही है। कुछ लोग आस-पास की कलीसियाओं से गए हैं, जबकि दूसरे, जिनमें भिन्न-भिन्न अमरीकी आदिवासी जनजातियों के लोग शामिल हैं, अमरीका के विभिन्न भागों से गए हैं।
इन आत्म-त्यागी पुरुष और स्त्रियों ने वहाँ अपनी सेवकाई की तुलना मिशनरी नियुक्ति से की है। क्यों भला? पहली बात तो यह कि भाषाओं के जटिल उच्चारण, रचना, और अभिव्यक्तियों की वज़ह से आदिवासी भाषाओं को सीखना बहुत ही कठिन है। फिर, सामान्यतः देशी लोग धर्म, पारिवारिक संरचना, और जीविका के लिए भूमि पर निर्भर करने के अपने पारंपरिक तरीक़ों से चिपके हुए हैं। इसके अलावा, ग़ैर-आदिवासियों के लिए आवास और रोज़गार की कमी है, जिससे उन लोगों को जीना मुश्किल हो जाता है जो वहाँ रहने के लिए गए हैं। अंततः, गोरे लोगों के हाथों इन लोगों के दुर्व्यवहार के लंबे इतिहास ने स्वाभाविक रूप से कुछ हद तक इनमें विदेशियों पर भरोसे की कमी बिठा दी है।a
शुरू-शुरू में जब साक्षी सूट-बूट पहने और टाई लगाए हुए घर-घर जाते थे, तो उन्हें ग़लती से मोरमन समझा गया, और अनेक लोग दरवाज़े नहीं खोलते थे। जब ये लोग ज़्यादा सामान्य औपचारिक पहनावे पहनने लगे, तो इनका स्वागत किया गया, और वे अकसर एकाध घंटे इनसे बातें करते। अब लोग यहोवा के साक्षियों को पहचानते हैं, हालाँकि सेवकाई में फिर से सूट-बूट पहना जाता है।
नावहो आरक्षित-क्षेत्र में रह रहे लोगों तक मात्र पहुँचना ही असल चुनौती है। बिना चिन्हवाले रास्तों पर अनेक किलोमीटर गाड़ी चलाना, जो शायद पथरीली, रेतीली, और कीचड़भरी हों, रोज़ की बात है। स्वाभाविक है, इससे गाड़ियाँ ज़्यादा घिस जाती हैं व सवारी ज़्यादा थक जाती हैं। गाड़ियाँ फँस भी सकती हैं, लेकिन राहगीर सामान्यतः मदद के लिए हाथ बढ़ाने को तैयार रहते हैं। दिलचस्पी दिखानेवालों के पास लौटने, गृह बाइबल अध्ययन पर जाने, या किसी को मसीही सभा ले जाने के लिए अकसर कई घंटे चक्कर मारने पड़ते हैं। लेकिन साक्षी ख़ुशी-ख़ुशी ऐसा करते हैं, और इस प्रकार आदिवासी लोगों के लिए अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं।—१ थिस्सलुनीकियों २:८ से तुलना कीजिए।
नावहो बाइबल चर्चा करने का आनंद लेते हैं। सामान्यतः वे पूरे परिवार—बच्चों, माता-पिता, और दादा-दादियों—को मानवजाति के लिए भावी परादीस घर की आशा के बारे में सुनने के लिए इकट्ठा कर लेते हैं। जब नावहो के एक व्यक्ति से उसका विचार पूछा गया कि परादीस कैसा होगा, तब उसने जवाब दिया, “हरा-भरा, और ढेर सारी भेड़ों के साथ।” इससे ज़मीन और भेड़ों के रेवड़ों के लिए उनका प्रेम दिखता है। वे बाइबल साहित्य की भी क़दर करते हैं और इस क़दर को कभी-कभी दिखाने के लिए मनिकों, साबुन की टिकिया, डिब्बाबंद दूध, इत्यादि को राज्य सेवकाई के बढ़ावे के लिए दान में देते हैं। एक ख़ास पायनियर ने एक साल में प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! के लिए क़रीब २०० अभिदान प्राप्त किए, जिनमें घोड़े पर सवार एक व्यक्ति से दो अभिदान शामिल थे।
एक “भेड़ पड़ाव” तैयार करना
जब ग्रीष्मकाल आता है, तब नावहो चरवाहे का अपने झुंड को किसी भेड़ पड़ाव पर ले जाने का समय होता है। भेड़ का यह ग्रीष्मकाल डेरा, जिसे हरे-भरे चरागाह व पानी के अच्छे स्रोत की नज़दीकी के लिए चुना जाता है, झुंड को फलने-फूलने में मदद देता है। एक लाक्षणिक अर्थ में, राज्यगृह की तुलना ऐसे एक पड़ाव—एक आध्यात्मिक चरागाह और सच्चाई के जल के एक स्रोत—के साथ की जा सकती है। जो लोग आते हैं वे आध्यात्मिक पोषण पा सकते हैं जो उन्हें आध्यात्मिक रूप से तंदुरुस्त व मज़बूत बनाता है।
कुछ समय के लिए, केयॆन्टा, अरीज़ोना में एक स्कूली कक्षा में सभाएँ आयोजित की जाती थीं। फिर अगस्त १९९२ में, कई राज्यों से आए सैंकड़ों साक्षी स्वयंसेवकों की मदद से, केयॆन्टा में एक नया राज्यगृह निर्माण किया गया। यह राज्यगृह और क्षेत्र के कई अन्य राज्यगृह स्थानीय लोगों को दिखाते हैं कि यहोवा के साक्षी उनके क्षेत्र में स्थायी रूप से स्थित हैं। इस विशाल क्षेत्र की सेवा कर रहे अन्य राज्यगृहों में ट्यूबा शहर और चिनली शहर के राज्यगृह शामिल हैं। ये दोनों शहर आरक्षित-क्षेत्र में हैं। नावहो आरक्षित-क्षेत्र के अंदर की होपी जनजातीय भूमि पर कीम्स कैन्यन शहर का राज्यगृह, और आरक्षित-क्षेत्र की सीमा के नगरों के कई अन्य राज्यगृह भी इस विशाल क्षेत्र की सेवा करते हैं। नतीजा क्या रहा है?
राज्य संदेश के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया
केयॆन्टा में जब से राज्यगृह बना है तब से दर्जन भर से ज़्यादा स्थानीय लोगों ने बपतिस्मा प्राप्त किया है, और यह सूचित करता है कि सच्ची उपासना की इस जगह पर यहोवा की आशीष है। यह राज्यगृह इसका प्रमाण देता है कि यहोवा के साक्षी टिकनेवाले हैं और यह उनके द्वारा प्रचार किए जानेवाले राज्य सुसमाचार में विश्वास बढ़ाता है। हाल ही में, वहाँ नावहो भाषा में पहला बाइबल जन भाषण दिया गया। कलीसिया के ४० सदस्य जनकता की ज़िम्मेदारियों पर दिए गए भाषण के लिए २४५ लोगों का स्वागत करने में प्रसन्न थे। क़दरदान दिलों से, इस भाषण को सुनने के लिए आठ जनों के एक परिवार ने आते-जाते तीन-तीन घंटों की यात्रा की। राज्यगृह में यह उनकी सबसे पहली भेंट थी।
एक और उपयोगी साधन जिसे यहोवा ने प्रदान किया है वह है नवाहो भाषा में ब्रोशर अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिए! नावहो, एक अत्यधिक जटिल भाषा में, इस ब्रोशर के अनुवाद ने अत्यंत कठिन चुनौती पेश की। इस बात को निश्चित करने के लिए कि यह ब्रोशर सही तरीक़े से राज्य संदेश व्यक्त करता है, अनुवादकों ने इकट्ठे १,००० से भी ज़्यादा घंटे बिताए। १९९५ के अंतिम भाग में इसे रिलीज़ किया गया। तब से स्थानीय साक्षियों ने इसकी कई हज़ार प्रतियाँ वितरित की हैं, जिसका परिणाम हुआ है सच्चाई के खोजियों के साथ दर्जनों बाइबल अध्ययन।
अधिकाधिक रूप से, जैसे-जैसे राज्य प्रकाशक इसे सीख रहे हैं, नावहो भाषा का सेवकाई में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस क्षेत्र की कलीसियाएँ ईश्वरशासनिक सेवकाई स्कूल में नावहो भाषा का प्रयोग करने लगी हैं, और प्रकाशकों को प्रशिक्षित करने के लिए नावहो भाषा की क्लास भी रखी जाती हैं। इसके अलावा, स्थानीय सम्मेलनों के कार्यक्रमों का भी नावहो भाषा में अनुवाद किया जाता है। ये सभी प्रयास आरक्षित-क्षेत्र पर निश्चय ही और भी अधिक प्रतिक्रिया की ओर ले जाएँगे।
इस अमरीकी आदिवासी आरक्षित-क्षेत्र में राज्य फल के बीच जिस बात को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए वह है हमारे नावहो भाइयों द्वारा प्रदर्शित उत्तम आध्यात्मिक गुण। सात सालों से, जिमी व सॆन्ड्रा, साप्ताहिक सभाओं में उपस्थित होने के लिए एक-रास्ता १२० किलोमीटर तक अपने पाँच बच्चों को लाते। अपने लंबे सफ़रों के दौरान परिवार को राज्य गीत गाने की और इकट्ठे बाइबल अध्ययन करने की मीठी यादें हैं। सच्चाई के लिए माता-पिता के प्रेम और उत्साह ने बच्चों को यहोवा के समर्पित स्तुतिकर्ता बनने में उनके आदर्श का अनुकरण करने के लिए प्रेरित किया है। उनमें से चार अभी नियमित पायनियरों के तौर पर सेवा करते हैं, और जिमी एक प्राचीन है। जिमी की बहन एलसी हाल ही में बपतिस्मा प्राप्त करनेवाली वह पहली जन थी जो केवल नावहो भाषा में बात करती है। इससे परिवार की ख़ुशियों में चार चाँद लग गए हैं।
स्थानीय चरवाहे और उनके झुंड, नावहो आरक्षित-क्षेत्र के पत्थर के खंभों के मनोरम दृश्य के आभास को और बढ़ाते हैं। भविष्यवक्ता यशायाह ने यहोवा के बारे में बहुत समय पहले पूर्वबताया: “वह चरवाहे की नाईं अपने झुंड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अंकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे-धीरे ले चलेगा।” (यशायाह ४०:११) अपने अच्छे चरवाहे, यीशु मसीह के ज़रिए, यहोवा अपने आध्यात्मिक चरागाह में नावहो आरक्षित-क्षेत्र के उन लोगों को इकट्ठा कर रहा है जो राज्य सुसमाचार को सुनने और उसकी अनंत आशीष प्राप्त करने की तमन्ना रखते हैं।
[फुटनोट]
a मई ८, १९४८; फरवरी २२, १९५२; जून २२, १९५४; और सितंबर ८, १९९६ के सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के अंक देखिए।
[पेज 24 पर तसवीर]
नावहो चरवाहिन सुसमाचार सुनती है