मेरा हृदय आभार से उमड़ता है
जॉन विन द्वारा बताया गया
कितनी ही बार मैंने यहोवा के साक्षियों की सभाओं में जाने में आना-कानी की! मैं पेट दर्द या सिर दर्द का बहाना करता—कुछ भी करता जिससे जाना न पड़े। लेकिन मेरी माँ की सख़्ती के सामने ऐसे बहाने तुरंत फुर्र हो जाते, और मैं उनके साथ राज्य गृह तक तीन किलोमीटर चलकर जाता, सुनता जब वह एक उम्रदराज़ सहेली के साथ परमेश्वर के वचन की चर्चा करतीं।
इसने मुझे एक मूल्यवान सबक़ सिखाया: माता-पिता को उन बातों के लिए जो परमेश्वर की दृष्टि में सही हैं, प्रेममय ढंग से सख़्ती करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए। (नीतिवचन २९:१५, १७) उन्हें ईश्वरीय निर्देश कभी नहीं भूलना चाहिए कि “एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें।” (इब्रानियों १०:२५) पीछे मुड़कर अपने जीवन को देखने पर, मैं इतना आभार मानता हूँ कि मेरी माँ ने मुझसे वह करवाया जो मेरे लिए सर्वोत्तम था!
उत्तम उदाहरणों के लिए आभारी
जबकि मेरे पिता अविश्वासी थे, उन्होंने माँ के विश्वासों का विरोध नहीं किया जब वह एक यहोवा की साक्षी बन गयीं, जिन्हें उस समय बाइबल विद्यार्थी कहा जाता था। वर्ष १९१३ में, वह वॉच टावर सोसाइटी के पहले अध्यक्ष, चार्ल्स टी. रसल का भाषण, “क़ब्र से आगे,” सुनने गयीं। लेकिन, उन्हें पहुँचने में देर हो गयी, और सारी सीटें भर चुकी थीं। सो उन्हें देर से आनेवाले दूसरे लोगों के साथ मंच के पास, पास्टर रसल के क़रीब बैठने को कहा गया। उस भाषण से वह बहुत प्रभावित हुईं। अगले दिन उसे स्थानीय अख़बार में प्रकाशित किया गया। माँ ने उसकी एक प्रति रख ली और उसे बार-बार पढ़ती थीं।
सभा के बाद माँ ने काग़ज़ के एक टुकड़े पर अपना नाम-पता लिखकर दे दिया, और जल्द ही एक बाइबल विद्यार्थी ने उनसे संपर्क किया। कुछ समय बाद, उन्होंने हमारे गृहनगर ग्लॉस्टर, इंग्लैंड में दर-दर बाइबल ट्रैक्ट बाँटना शुरू कर दिया। जब मैं और मेरी दो बहनें बहुत छोटी ही थीं, तभी से हम माँ के साथ प्रचार कार्य में भाग लेते थे।
जब एक जोशीला बाइबल विद्यार्थी, हैरी फ्राँसिस ग्लॉस्टर में बसने आया, तब माँ ने उसका हार्दिक स्वागत किया। जल्द ही, उसने मुझमें व्यक्तिगत रुचि ली, और आगे चलकर मेरे पायनियर बनने में उसके प्रोत्साहन का बड़ा हाथ रहा। पूर्ण-समय सेवकों को पायनियर कहा जाता है। भाई फ्राँसिस के उदाहरण ने मुझे एक महत्त्वपूर्ण सबक़ सिखाया: उम्रदराज़ लोगों को हमेशा कमउम्र लोगों को प्रोत्साहन देने के रास्ते ढूँढ़ने चाहिए।
जब मेरी माँ एक बाइबल विद्यार्थी बनीं, तब ग्लॉस्टर में दूसरों ने भी वही किया। लेकिन, कलीसिया में कुछ प्राचीन अपने को कुछ ज़्यादा ही समझने लगे, और क्लास के सदस्य व्यक्तियों के पीछे जाने लगे। उस समय कलीसिया को क्लास कहा जाता था। एक सभा में, कुछ लोग माँ की पीठ में कोंचते रहे कि अमुक प्राचीनों के समर्थन में अपना हाथ खड़ा करें। लेकिन माँ जानती थीं कि वे एक अच्छा उदाहरण नहीं रख रहे थे, और वे धमकाये में नहीं आयीं। उस समय, दशक १९२० के अंत में, अनेक लोग भटक गये और सत्य के मार्ग पर चलना छोड़ दिया। (२ पतरस २:२) लेकिन, माँ निष्ठा के साथ संगठन का समर्थन करने से कभी विचलित नहीं हुईं, और इस प्रकार उन्होंने मेरे लिए एक उत्तम उदाहरण रखा।
मैंने सत्य अपनाया
आख़िरकार, जून १९३९ में, जब मैं १८ साल का था, सॆवर्न नदी में मेरा बपतिस्मा हुआ। उसी साल मुझे ध्वनि सेवक भी नियुक्त किया गया। उन दिनों हम एक बड़ा लाउड स्पीकर इस्तेमाल किया करते थे जिसे सार्वजनिक स्थानों में ज़ोर से बजाकर यह संदेश दिया जाता था “धर्म एक फँदा और एक झाँसा है।” उस समय मसीहीजगत के पाखंड और झूठी शिक्षाओं का परदाफ़ाश करने पर ज़ोर दिया जाता था।
एक बार मैं उस जलूस में सामने था जो एक झंडा लेकर चल रहा था। झंडे की एक तरफ़ लिखा था “धर्म एक फँदा और एक झाँसा है” और दूसरी तरफ़ “परमेश्वर और राजा मसीह की सेवा कीजिए।” साथ ही एक घोड़ा भी चल रहा था जिसकी पीठ की दोनों तरफ़ जन भाषण के प्रचार के लिए बड़े-बड़े पोस्टर लगे थे। ग्लॉस्टर जैसे बहुत ही धार्मिक शहर में वह जलूस क्या ही नज़ारा रहा होगा!
घर में आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, माँ ने मुझे पायनियर बनने का प्रोत्साहन दिया। अतः, सितंबर १९३९ में, दूसरे विश्व युद्ध की शुरूआत में, मैं अपनी पहली पायनियर नियुक्ति, लॆमिंगटन पहुँचा। यह वॉरिकशर का एक छोटा-सा नगर है। यह नगर कई सेवा-निवृत्त पादरियों का घर था।
हम अपनी घर-घर की सेवकाई में एक हलका ग्रामोफ़ोन इस्तेमाल करते थे, और उस समय वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के अध्यक्ष, जोसफ़ एफ़. रदरफ़र्ड के भाषण बजाते थे। दूसरी ओर, हमारा लाउड स्पीकर (जिसे बड़ी संख्या में श्रोतागण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था) काफ़ी भारी था, और हम उसे बच्चा-गाड़ी में ले जाते थे। कभी-कभी पादरी, झूठे धर्म का परदाफ़ाश करनेवाले संदेश से खिजकर, हमें अपने अहाते से खदेड़ देते थे। लेकिन हम निराश नहीं हुए। यहोवा ने हमारे काम पर आशीष दी, और आज लॆमिंगटन में एक सौ से अधिक साक्षियों की एक कलीसिया है।
वर्ष १९४१ में, जब दूसरा विश्व युद्ध भड़का हुआ था, मैं वेल्स में बस गया। वहाँ मैंने हैवरफ़र्डवॆस्ट, कार्मार्दन, और रॆकसम नगरों में पायनियर कार्य किया। पूर्ण-समय सेवक होने के कारण, मुझे सैन्य सेवा से छूट मिली थी, लेकिन लोगों ने हमारी तटस्थ स्थिति को समझा नहीं। इसलिए, मेरे साथी पर और मुझ पर गुप्तचर या देशद्रोही होने का आरोप लगाया गया। एक रात, पुलिस ने हमारे ट्रेलर (गाड़ी-घर) को घेर लिया। मेरे साथी ने, जो तभी कोयला ढोने का अपना काम करके लौटा था, अपना सिर बाहर निकालकर देखा कि कौन आया है। उसका चेहरा कोयले की धूल से काला हुआ पड़ा था, सो पुलिस को लगा कि वह कमांडो हमले के लिए तैयार है। हमें समझाना पड़ा कि माजरा क्या है!
हमें अपनी नियुक्तियों में भरपूर आशीष मिली। एक बार, जब हम कार्मार्दन में थे, लंदन के शाखा दफ़्तर से जॉन बार (जो अभी शासी निकाय के सदस्य हैं) हमसे मिलने आये और प्रोत्साहन दिया। उस समय, कार्मार्दन में केवल दो प्रकाशक थे; अभी वहाँ एक सौ से अधिक हैं। रॆकसम में इस समय तीन कलीसियाएँ हैं, और हाल ही में मुझे हैवरफ़र्डवॆस्ट में एक सुंदर राज्य गृह को समर्पित करने का विशेषाधिकार मिला।—१ कुरिन्थियों ३:६.
अपनी सेवकाई के लिए आभारी
जब हम स्वॉनज़ी, दक्षिण वेल्स में थे, तब मेरे साथी डॉन रॆनडॆल को सैन्य सेवा से छूट नहीं मिली। यह समझाने के बावजूद कि उसका अंतःकरण उसे दूसरे देशों में संगी मसीहियों के विरुद्ध युद्ध करने की अनुमति नहीं देता, उसे जेल में डाल दिया गया। (यशायाह २:२-४; यूहन्ना १३:३४, ३५) उसे प्रोत्साहन और पड़ोसियों को साक्षी देने के लिए, मैंने पास ही लाउड स्पीकर लगाया और बाइबल भाषण बजाये।
लेकिन, आस-पास की स्त्रियों को यह पसंद नहीं आया। सो उन्होंने पैसे इकट्ठा करके सिपाहियों को दिये कि मेरे साथी को और मुझे पीटें। हम वहाँ से निकल गये और जितनी तेज़ी से भाग सकते थे भागे—मैं उस बच्चा-गाड़ी को भी ढकेल रहा था जिसमें लाउड स्पीकर था—और राज्य गृह में शरण लेनी चाही। लेकिन जब हम वहाँ पहुँचे, वह बंद था! ठीक समय पर पुलिस के दख़ल से ही हम ज़ोरदार पिटाई से बच पाये।
लगता है कि यह क़िस्सा मशहूर हो गया। कुछ समय बाद जब मैं स्वॉनज़ी के पास ग्रामीण इलाक़े में प्रचार कर रहा था, तब एक आदमी ने तारीफ़ करते हुए मुझसे कहा: “आप मसीहियत के लिए लड़ते हैं, स्वॉनज़ी में उस युवक की तरह, जिसने साहस के साथ अपने विश्वास की मुनादी की और फिर जिसे सुरक्षा के लिए भागना पड़ा।” वह यह जानकर इतना चकित हुआ कि मैं ही वह युवक था!
युद्ध के उन सालों में पायनियर कार्य करना आसान नहीं था। हमारे पास बस थोड़ी-बहुत भौतिक वस्तुएँ थीं, लेकिन जो कुछ हमारे पास था, उसका हमने मूल्यांकन किया और आनंद लिया। हमें हमेशा नियमित रूप से आध्यात्मिक भोजन मिला, और बीमारी को छोड़ हम कभी किसी सभा से नहीं चूके। मैंने एक पुरानी साइकिल ख़रीद ली, और हमने उस पर बड़ी-बड़ी टोकरियाँ लगवा लीं ताकि एक ग्रामोफ़ोन और बाइबल साहित्य ले जा सकें। कभी-कभी मैं साइकिल पर दिन में ८० किलोमीटर सफ़र करता था! मैंने क़रीब सात साल पायनियर कार्य किया और उन दिनों की मीठी यादें हैं मेरे पास।
दूसरा विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद, १९४६ में मुझे बॆथॆल में काम करने के लिए बुलाया गया। अपने-अपने देश में यहोवा के साक्षियों की मुख्य सुविधाओं को बॆथॆल कहा जाता है। उस समय हमारा बॆथॆल लंदन टॆबरनॆकल के पड़ोस में, ३४ क्रेवन टॆरॆस में स्थित था। वहाँ मैंने ऐलिस हार्ट जैसे उम्रदराज़ लोगों की संगति का आनंद लिया, जिसके पिता टॉम हार्ट के बारे में कहा जाता है कि वह इंग्लैंड में पहले साक्षी थे।
एक वफ़ादार साथी मिला
वर्ष १९५६ में, मैंने ऎटी से शादी करने के लिए बॆथॆल छोड़ा। वह एक पायनियर थी। मैं उससे तब परिचित हुआ जब वह नॆदरलैंड्स से अपनी बहन को मिलने आयी थी जो उस समय लंदन में रहती थी। युद्ध के समाप्त होते-होते, ऎटी दक्षिणी नॆदरलैंड्स के टिलबर्ग क्षेत्र में एक व्यावसायिक कॉलॆज में टाइपिंग और शॉर्टहैंड सिखाती थी। एक दिन एक शिक्षक ने कहा कि वह भी अपनी साइकिल पर उसके साथ चलेगा और उसे सुरक्षित घर पहुँचा आएगा। वह रोमन कैथोलिक था। जब वे घर पहुँचे, तब ऎटी के प्रोटॆस्टॆंट माता-पिता के साथ एक चर्चा छिड़ गयी। फिर मित्रता बढ़ गयी, और वह शिक्षक उनके घर काफ़ी आने-जाने लगा।
युद्ध समाप्त होने के कुछ ही समय बाद, यह शिक्षक ऎटी के घर आया, और चिल्लाकर कहने लगा, “मुझे सत्य मिल गया!”
“मैंने सोचा कि जब आप रोमन कैथोलिक थे तब आपने कहा था कि आपके पास सत्य है!” ऎटी के पिता ने कहा।
“नहीं!” उसने उत्सुकता से जवाब दिया। “यहोवा के साक्षियों के पास सत्य है!”
वह शाम और उसके बाद कई शामें गहन बाइबल चर्चाओं में बीतीं। उसके बाद जल्द ही ऎटी पायनियर बन गयी। अपनी सेवकाई में उसे भी कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। नॆदरलैंड्स में विरोध रोमन कैथोलिक चर्च से आया। पादरियों के उकसाये पर बच्चे उसे तंग करते जब वह घर-घर जाकर बातचीत करती, और एक बार तो उन्होंने उसकी साइकिल तोड़ दी। वह अपनी साइकिल एक मरम्मतवाले के पास ले गयी जिसने पहले उससे एक पुस्तिका ली थी। “देखिए बच्चों ने क्या किया!” उसने आँसू छलकाते हुए कहा।
“हिम्मत नहीं हारना,” उस पुरुष ने शिष्टतापूर्वक कहा। “आप एक अच्छा काम कर रही हैं। मैं आपकी साइकिल मुफ़्त में ठीक कर दूँगा।” और उसने ऐसा ही किया।
ऎटी ने पाया कि पादरियों को अपने झुंड की कोई परवाह नहीं थी, परंतु जब वह किसी के साथ बाइबल अध्ययन करने लगती थी तब पादरी और ननें आकर बाइबल में और यहोवा में लोगों के विश्वास को कमज़ोर करते थे। इसके बावजूद, उसने अनेक फलदायी बाइबल अध्ययन चलाये।
हमारे साझा जीवन के लिए आभारी
हमारी शादी के बाद, ऎटी को और मुझे इंग्लैंड में सफ़री काम दिया गया, और क़रीब पाँच साल तक हमने कलीसियाओं में भेंट की ताकि उन्हें आध्यात्मिक रूप से मज़बूत कर सकें। फिर मुझे गिलियड की ३६वीं क्लास में उपस्थित होने का निमंत्रण मिला, जो ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों के विश्व मुख्यालय में आयोजित की गयी थी। दस महीने का कोर्स, जो नवंबर १९६१ में पूरा हुआ, ख़ासकर पुरुषों को यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ़्तरों में कार्य सँभालने का प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया था। जब मैं वहाँ गया हुआ था, तब ऎटी इंग्लैंड में ही लंदन बॆथॆल में रही। मेरी स्नातकता के बाद, हमें वहीं एकसाथ नियुक्त कर दिया गया।
अगले १६ सालों तक, मैंने सेवा विभाग में काम किया, और कलीसिया गतिविधियों से संबंधित मामले सँभाले। फिर, १९७८ में, बॆथॆल होम ओवरसियर, प्राइस ह्यूज़ की मृत्यु होने पर, मुझे उनके स्थान पर नियुक्त किया गया। हमारे बढ़ते बॆथॆल परिवार के सदस्यों की देखरेख की ज़िम्मेदारी उठाना—हमारे परिवार में अभी २६० से अधिक सदस्य हैं—इन अनेक सालों के दौरान एक फलदायी नियुक्ति रहा है।
वर्ष १९७१ में, ८५ की उम्र में मेरी प्यारी माँ की मृत्यु हो गयी। ऎटी और मैं अंत्येष्टि के लिए ग्लॉस्टर लौटे, जहाँ एक भाई ने स्वर्गीय आशा पर अच्छी तरह चर्चा की, जो माँ की आशा थी। (फिलिप्पियों ३:१४) मैं आभारी हूँ कि मेरी बहन डॉरिस और ग्रेस ने माँ के बुढ़ापे में उनकी बड़े प्रेम से सेवा की, जिसके कारण ऎटी और मैं पूर्ण-समय सेवकाई में बने रह सके।
ऎटी और मैं अकसर अपने माता-पिताओं के बारे में सोचते हैं कि कैसे उन्होंने हमें इतने प्रेममय परंतु सख़्त तरीक़े से पाला-पोसा। हम उनके कितने बड़े कर्ज़दार हैं! मेरी माँ ने ख़ासकर मेरे लिए और मेरी बहनों के लिए एक उत्तम उदाहरण रखा, हममें यहोवा और उसके संगठन के लिए मूल्यांकन बढ़ाया।
सचमुच, हमारा हृदय आभार से उमड़ता है जब हम अपने स्वर्गीय पिता, यहोवा की सेवा में हर नये दिन पर विचार करते हैं। वह क्या ही अद्भुत, प्रेममय परमेश्वर है! बाइबल भजनहार ने हमारी भावनाएँ व्यक्त कीं जब उसने लिखा: “हे मेरे परमेश्वर, हे राजा, मैं तुझे सराहूंगा, और तेरे नाम को सदा सर्वदा धन्य कहता रहूंगा। प्रति दिन मैं तुझ को धन्य कहा करूंगा, और तेरे नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूंगा।”—भजन १४५:१, २.
[पेज 26 पर तसवीर]
अपनी पत्नी, ऎटी के साथ