क्या कटनी के पर्व परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं?
मीठे फल, ताज़ी सब्ज़ियाँ, सोने जैसे गेहूँ के पूले एक मनमोहक छवि प्रस्तुत करते हैं। कटनी के समय ऐसे दृश्य पूरे इंग्लैंड के गिरजों की वेदियों और मंचों को सुशोभित करते हैं। यूरोप और अन्य स्थानों पर, अनेक पर्व कटनी के समय के आरंभ और अंत, दोनों को चिन्हित करते हैं।
जिनकी जीविका भूमि पर निर्भर है वे धरती की उपज के लिए विशेषकर आभारी होते हैं। सचमुच, परमेश्वर ने प्राचीन इस्राएल जाति को ऐसे तीन वार्षिक पर्व मनाने के लिए कहा जिनका कटनी से निकट संबंध था। वसंत ऋतु के आरंभ में, अख़मीरी रोटियों के पर्व के दौरान, इस्राएली लोग जौ की कटनी की पहली उपज का एक पूला परमेश्वर को भेंट करते थे। वसंत ऋतु के अंत में, अठवारों (या, पिन्तेकुस्त) के पर्व पर, वे गेहूँ की कटनी की पहली उपज से बनी रोटियाँ चढ़ाते थे। शरत् ऋतु में बटोरन का पर्व आता था, जो इस्राएल के कृषि वर्ष के अंत को चिन्हित करता था। (निर्गमन २३:१४-१७) ये पर्व ‘पवित्र सभाएँ’ और आनंद का समय होते थे।—लैव्यव्यवस्था २३:२; व्यवस्थाविवरण १६:१६.
तो फिर, आधुनिक समय में कटनी उत्सवों के बारे में क्या? क्या ये परमेश्वर को प्रसन्न करते हैं?
विधर्मी संबंध
कटनी के समय जो पारंपरिक भोज होता है उसके लौकिक रूप और उस उत्सव से जुड़े पियक्कड़पन से परेशान होकर, कॉर्नवल, इंग्लैंड में एक ऐंग्लिकन पादरी ने १८४३ में मध्ययुगीन कटनी प्रथा को पुनःजीवित करने का फ़ैसला किया। उसने पहली कटनी का कुछ अनाज लिया और उससे अपने गिरजे में मिस्सा के लिए रोटी बनायी। ऐसा करके, उसने लैमस पर्व को क़ायम किया। यह एक “ईसाई” उत्सव है और कुछ लोगों का कहना है कि इसका उद्गम प्राचीन समय में कॆल्टी देवता लूक की उपासना से हुआ है।a अतः, आधुनिक ऐंग्लिकन कटनी पर्व का विधर्मी उद्गम है।
दूसरे उत्सवों के बारे में क्या जो कटनी के समय के अंत में होते हैं? एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, इन उत्सवों को चिन्हित करनेवाली अनेक प्रथाओं का उद्गम “अन्न [अनाज] आत्मा या अन्न माता में जड़ात्मवादी विश्वास” से हुआ। कुछ क्षेत्रों में किसानों का मानना था कि कटनी के समय अनाज के अंतिम पूले में एक आत्मा होती है। उस आत्मा को भगाने के लिए, वे पूले को पीटते थे जब तक कि अनाज के दाने भूमि पर नहीं गिर जाते थे। अन्य स्थानों पर, वे अनाज की कुछ बालें लेकर एक “अन्न गुड़िया” गूथते थे जिसे वे अगले साल बीज बोने के समय तक “कुशलमंगल” के लिए सुरक्षित रखते थे। तब वे इन अनाज के दानों को फिर से भूमि में बिखेर देते थे और आशा करते थे कि यह नयी फ़सल पर आशीष देगा।
कुछ कथाएँ कटनी के समय को बाबुलीय देवता तम्मूज की उपासना से जोड़ती हैं। तम्मूज उर्वरता की देवी इश्तर का पति था। अनाज की पकी बाल को काटना तम्मूज की असमय मृत्यु के बराबर था। अन्य कथाएँ कटनी के समय को मानव बलिदानों के साथ भी जोड़ती हैं—एक ऐसी प्रथा जिससे यहोवा परमेश्वर घृणा करता है।—लैव्यव्यवस्था २०:२; यिर्मयाह ७:३०, ३१.
परमेश्वर का दृष्टिकोण क्या है?
प्राचीन इस्राएल के साथ परमेश्वर का व्यवहार स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सृष्टिकर्ता और जीवन के स्रोत, यहोवा ने अपने उपासकों से अनन्य भक्ति की माँग की। (भजन ३६:९; नहूम १:२) भविष्यवक्ता यहेजकेल के समय में, तम्मूज देवता के लिए विलाप करने की प्रथा यहोवा की दृष्टि में ‘बड़ा घृणित काम’ थी। इसके और अन्य झूठे धार्मिक संस्कारों के कारण परमेश्वर ने उन झूठे उपासकों की प्रार्थनाएँ नहीं सुनीं।—यहेजकेल ८:६, १३, १४, १८.
इसकी विषमता उन निर्देशों के साथ कीजिए जो यहोवा परमेश्वर ने कटनी के संबंध में इस्राएल को दिये। बटोरन के पर्व पर, इस्राएली एक रस्मी सभा करते थे जिसमें बूढ़े और जवान, अमीर और ग़रीब, कच्ची झोपड़ियों में रहते थे जिन्हें वे शानदार पेड़ों की हरी-हरी पत्तियों से सजाते थे। यह उनके लिए बड़े आनंद का समय था, लेकिन यह उस छुटकारे पर मनन करने का भी समय था जो परमेश्वर ने उनके पूर्वजों को मिस्र से निकलते समय दिलाया।—लैव्यव्यवस्था २३:४०-४३.
इस्राएली पर्वों के दौरान, एकमात्र सच्चे परमेश्वर, यहोवा को भेंट चढ़ायी जाती थी। (व्यवस्थाविवरण ८:१०-२०) जहाँ तक पहले उल्लिखित जड़ात्मवादी विश्वासों की बात है, बाइबल में कहीं नहीं बताया गया है कि उपज में, जैसे गेहूँ के पूलों में, एक प्राण होता है।b और शास्त्र स्पष्ट रूप से दिखाता है कि मूर्तियाँ निर्जीव रहती हैं। वे बोलने, देखने, सुनने, सूँघने, महसूस करने, या अपने उपासकों को कोई मदद देने में असमर्थ हैं।—भजन ११५:५-८; रोमियों १:२३-२५.
मसीही आज उस व्यवस्था वाचा के अधीन नहीं हैं जो परमेश्वर ने प्राचीन इस्राएल जाति के साथ बाँधी थी। सचमुच, परमेश्वर ने “उस को [यीशु के] क्रूस पर कीलों से जड़कर साम्हने से हटा दिया।” (कुलुस्सियों २:१३, १४) यहोवा के आधुनिक-दिन सेवक “मसीह की व्यवस्था” के अनुसार जीते हैं और परमेश्वर जो कुछ प्रदान करता है उसके प्रति मूल्यांकन के साथ प्रतिक्रिया दिखाते हैं।—गलतियों ६:२.
प्रेरित पौलुस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यहूदी पर्व “आनेवाली बातों की छाया” थे, और आगे कहा, “मूल वस्तुएं मसीह की हैं।” (कुलुस्सियों २:१६, १७) फलस्वरूप, सच्चे मसीही इस शास्त्रीय तर्क को स्वीकार करते हैं: “अन्यजाति जो बलिदान करते हैं, वे परमेश्वर के लिये नहीं, परन्तु दुष्टात्माओं के लिये बलिदान करते हैं . . . तुम प्रभु के कटोरे, और दुष्टात्माओं के कटोरे दोनों में से नहीं पी सकते।” (१ कुरिन्थियों १०:२०, २१) इसके अलावा, मसीही यह निदेश मानते हैं: “अशुद्ध वस्तु को मत छूओ।” क्या आपके आस-पड़ोस के कटनी पर्वों के विधर्मी या झूठे धार्मिक संबंध हैं? यदि हाँ, तो सच्चे मसीही ऐसी किसी संदूषित उपासना से कोई संबंध न रखकर यहोवा को अप्रसन्न करने से बच सकते हैं।—२ कुरिन्थियों ६:१७.
जब एक क़दरदान बच्चे को अपने पिता से कोई उपहार मिलता है, तब वह किसे शुक्रिया कहता है? एकदम अजनबी को या अपने पिता को? हार्दिक प्रार्थना के द्वारा परमेश्वर के उपासक हर दिन अपने स्वर्गीय पिता, यहोवा को उसकी भरपूर उदारता के लिए धन्यवाद देते हैं।—२ कुरिन्थियों ६:१८; १ थिस्सलुनीकियों ५:१७, १८.
[फुटनोट]
a शब्द “लैमस” एक पुराने अंग्रेज़ी शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है “लोफ़-मास” (रोटी-मिस्सा)।
b शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि (अंग्रेज़ी) कहती है: “नीफ़ॆश (प्राण) को तीसरे सृजनात्मक ‘दिन’ (उत्प १:११-१३) में वनस्पति जीवन की सृष्टि के संबंध में या उसके बाद नहीं प्रयोग किया गया है, क्योंकि वनस्पति में खून नहीं होता।”—वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।