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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
w97 12/15 पेज 30

क्या आपको याद है?

हाल के प्रहरीदुर्ग अंक पढ़ना क्या आपको अच्छा लगा है? तो, देखिए कि आप इन सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:

◻ मसीही युवा के लिए शिक्षा का मुख्य उद्देश्‍य क्या है?

शिक्षा का मुख्य उद्देश्‍य एक युवा को यहोवा का प्रभावशाली सेवक बनाने के लिए सज्जित करना होना चाहिए। और इस मक़सद को पूरा करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है आध्यात्मिक शिक्षा।—८/१५, पृष्ठ २१.

◻ एक संगी मसीही के गंभीर पाप के बारे में प्राचीनों को रिपोर्ट करने के कौन-से कारण हैं?

गंभीर पाप को रिपोर्ट करने का एक कारण यह है कि यह कलीसिया की शुद्धता बनाए रखने के लिए कार्य करता है। एक और कारण है कि ऐसा करना परमेश्‍वर के प्रति, कलीसिया के प्रति, और पापी के प्रति दिखाए गए मसीही सिद्धांत-आधारित प्रेम का कार्य है।—८/१५, पृष्ठ २८, ३०.

◻ ‘परमेश्‍वर के उस दिन की बाट जोहने’ का क्या अर्थ है? (२ पतरस ३:१२)

इसका अर्थ है कि ‘परमेश्‍वर के उस दिन’ को अपने मन से न निकालें। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह दिन बहुत निकट है जब यहोवा इस रीति-व्यवस्था का नाश करता है। यह हमारे लिए इतना वास्तविक होना चाहिए कि हम इसे स्पष्ट देख सकें कि यह हमारे बिलकुल सामने है। (सपन्याह १:७, १४)—९/१, पृष्ठ १९.

◻ इस दुष्ट व्यवस्था के अंतिम दिन अनेक लोगों की प्रत्याशाओं से अधिक लंबे क्यों रहे हैं?

यहोवा इस बात को ध्यान में रखता है कि सारी मानवजाति की भलाई किसमें है। वह लोगों के जीवन की परवाह करता है। (यहेजकेल ३३:११) हम विश्‍वस्त हो सकते हैं कि हमारे सर्व-बुद्धिमान, प्रेममय सृष्टिकर्ता के उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए अंत सही समय पर आएगा।—९/१, पृष्ठ २२.

◻ पूर्ण-समय सेवा करनेवाले उन पर आनेवाली समस्याओं के बावजूद अपना आनंद कैसे बनाए रख सकते हैं?

उन्हें अपनी ढेरों आशीषों के बारे में सोचना चाहिए और समझना चाहिए कि ऐसे हज़ारों अन्य लोग हैं जो और भी बड़ी कठिनाइयों का सामना करते हैं। (१ पतरस ५:६-९)—९/१५, पृष्ठ २४.

◻ बाइबल का अनुवाद करने में विलियम टिंडॆल का लक्ष्य क्या था?

टिंडॆल का लक्ष्य था कि शास्त्र को यथासंभव सही और सरल भाषा में आम आदमी के लिए उपलब्ध कराए।—९/१५, पृष्ठ २७.

◻ हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम परमेश्‍वर के वचन के निष्ठावान समर्थक हैं?

दूसरों को परमेश्‍वर के वचन को उत्साहपूर्वक प्रचार करने के द्वारा हम दिखाते हैं कि हम उसके प्रति निष्ठावान हैं। शिक्षकों के रूप में हमें बाइबल को सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए, हमारे अपने विचारों को बिठाने के लिए जो यह कहती है उसे कभी भी तोड़ना-मरोड़ना या बढ़ा-चढ़ाना नहीं चाहिए। (२ तीमुथियुस २:१५)—१०/१, पृष्ठ २०.

◻ संसार की ज़हरीली आत्मा हमारी खराई को कैसे कमज़ोर कर सकती है?

जो हमारे पास है, उसके प्रति हमें असंतुष्ट और परमेश्‍वर से आगे अपनी ज़रूरतों और हितों को रखने के लिए चिंताग्रस्त करने के द्वारा संसार की आत्मा हमारी खराई को कमज़ोर कर सकती है। (मत्ती १६:२१-२३ से तुलना कीजिए।)—१०/१, पृष्ठ २९.

◻ तन मन से यहोवा की सेवा करने का क्या अर्थ है?

“प्राण” या “तन मन” संपूर्ण व्यक्‍ति को सूचित करता है, जिसमें उसकी शारीरिक और मानसिक क्षमताएँ शामिल हैं। तन मन से यहोवा की सेवा करने का मतलब है अपने-आपको दे देना, परमेश्‍वर की सेवा में अपनी सारी क्षमताओं का और अपनी ताक़त का जितना संभव हो उतना पूर्ण रूप से इस्तेमाल करना। (मरकुस १२:२९, ३०)—१०/१५, पृष्ठ १३.

◻ ईश्‍वरीय सिद्धांतवाला व्यक्‍ति होने की कुंजी क्या है?

इसकी कुंजी है वास्तव में यहोवा, उसकी पसंद, नापसंद और उसके उद्देश्‍यों को जानना। जब परमेश्‍वर से संबंधित ये मूलतत्व हमारे जीवन को निर्देशित करते हैं, तो परिणामस्वरूप वे जीवित सिद्धांत बन जाते हैं। (यिर्मयाह २२:१६; इब्रानियों ४:१२)—१०/१५, पृष्ठ २९.

◻ यहोवा के सेवक मानवी शासन के प्रति कौन-सा संतुलित दृष्टिकोण रखते हैं?

वे राजनैतिक मामलों में तटस्थ हैं क्योंकि वे परमेश्‍वर के राज्य के राजदूतों के रूप में काम करते हैं। (२ कुरिन्थियों ५:२०) दूसरी ओर, अधिकारवालों के प्रति वे ज़िम्मेदारी से अधीनता दिखाते हैं।—११/१, पृष्ठ १७.

◻ भविष्यवक्‍ता एलीशा द्वारा अपनाए गए मार्ग से हम कौन-सा सबक़ सीख सकते हैं?

जब एलीशा को एलिय्याह के साथ ख़ास सेवा का आमंत्रण मिला, तब उसने एलिय्याह की सेवा करने के लिए तुरंत अपना खेत छोड़ दिया, इसके बावजूद कि उसके कुछ काम नौकरोंवाले होते। (२ राजा ३:११) आज परमेश्‍वर के कुछ सेवकों ने दूर क्षेत्रों में सुसमाचार का प्रचार करने के लिए अपनी जीविकाएँ छोड़कर आत्म-त्याग की वैसी ही आत्मा दिखायी है।—११/१, पृष्ठ ३१.

◻ याकूब की पत्री में कौन-सी लाभदायक सलाह पायी जाती है?

यह हमें दिखाती है कि कैसे परीक्षाओं का सामना करें। यह पक्षपात के ख़िलाफ़ हमें सलाह देती है और सही काम करने के लिए हमें प्रोत्साहित करती है। याकूब हमसे जीभ को क़ाबू में रखने, सांसारिक प्रभावों का विरोध करने और शांति बढ़ाने का आग्रह करता है। उसके शब्द हमें धीरजवंत और प्रार्थनापूर्ण बनने में भी मदद कर सकते हैं।—११/१५, पृष्ठ २४.

◻ यहोवा “क्षमा करने को तत्पर” क्यों है? (भजन ८६:५)

यहोवा क्षमा करने को तत्पर है क्योंकि वह यह नहीं भूलता कि हम मिट्टी से बने हैं और अपरिपूर्णता की वज़ह से हममें बुराइयाँ या कमज़ोरियाँ हैं। (भजन १०३:१२-१४)—१२/१, पृष्ठ १०, ११.

◻ क्यों हमें दूसरों को क्षमा करने के लिए इच्छुक होना चाहिए?

अगर हम दूसरों को क्षमा नहीं करते जबकि दया दिखाने का आधार होता है, तो यह परमेश्‍वर के साथ हमारे संबंध पर बुरा असर डाल सकता है। (मत्ती ६:१४, १५)—१२/१, पृष्ठ १७.

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