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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
w98 1/1 पेज 3-5

सच्चाई ज़िंदगी को बदलती है

यह बात है तो दुःख की, मगर फिर भी हक़ीक़त है कि आज बहुत से लोगों की ज़िंदगी मायूस और मुश्‍किल है। क्या ख़ुशी पाना ऐसे लोगों के लिए मुमकिन है? कुछ तो अपराधी हैं जो दूसरों को अपना शिकार बनाते हैं। क्या ये कभी समाज के ईमानदार इंसान बन सकते हैं? इन दोनों सवालों का जवाब, हाँ है। इंसान बदल सकता है। ज़िंदगी बदल सकती है। प्रेरित पौलुस ने दिखाया कि यह कैसे हो सकता है जब उसने यह लिखा: “तुम्हारी बुद्धि के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्‍वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।”—रोमियों १२:२.

‘परमेश्‍वर की सिद्ध इच्छा’ का ज़िक्र शायद उन शब्दों की याद दिलाए जो पौलुस द्वारा ऊपर लिखे शब्दों को लिखने से २० से भी ज़्यादा साल पहले यीशु ने अपने चेलों से कहे थे: “सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा।” (यहून्‍ना ८:३२) “सत्य” से यीशु के कहने का मतलब था कि परमेश्‍वर द्वारा प्रेरित जानकारी—ख़ासकर परमेश्‍वर के बारे में—जो हिफ़ाज़त से हमारे लिए बाइबल में है। (यूहन्‍ना १७:१७) क्या वाक़ई बाइबल की सच्चाई इंसान को आज़ाद करती है? परमेश्‍वर की मर्ज़ी के मुताबिक़ चलने से क्या वाक़ई ज़िंदगी बदलती है? बिलकुल बदलती है। आइए कुछ उदाहरणों पर गौर करें।

ज़िंदगी में एक मक़सद

कुछ ही समय पहले जिब्रॉलटर में मोइसेस नाम का एक आदमी बहुत ही दुःखी था। उसने बताया कि “मैं शराबी था और गलियों में सोता था। मैं खुद को गुमराह महसूस करता था। हर रात मैं परमेश्‍वर से दया की भीख माँगता और कहता कि मुझे कल के दिन के लिए ज़िंदा न रख। मैंने रोते हुए परमेश्‍वर से पूछा कि जब मैं बेकार हूँ, मेरे पास कोई काम नहीं है, मेरा कोई परिवार नहीं है और कोई ऐसा नहीं जो मेरी मदद कर सके तो मैं इस दुनिया में पैदा ही क्यों हुआ। मुझे ज़िंदा रहने का हक़ ही क्या है?” इसके बाद कुछ हुआ।

मोइसेस आगे बताता है: “जब मेरी मुलाक़ात रोबॆर्टो नाम के एक यहोवा के साक्षी से हुई तब मुझे यक़ीन हुआ कि परमेश्‍वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली है। रोबॆर्टो ने मुझे एक बाइबल और बाइबल को समझानेवाला एक ब्रोशर दिया जिसका नाम था परमेश्‍वर हमसे क्या माँग करता है?a हर रोज़ मैं और रोबॆर्टो उसी बैंच पर बाइबल का अध्ययन करते जहाँ मैं रात को सोया करता था। एक महीने के बाद रोबॆर्टो मुझे यहोवा के साक्षियों के राज्य-गृह में एक मीटिंग के लिए ले गया। जल्द ही, बाइबल सच्चाई ने मेरे सोच-विचारों को बदल दिया। मैं अब बाहर नहीं सोता, न ही शराब या सिगरेट पीता, मेरी ज़िंदगी बदल गई है और मैं ख़ुश हूँ। मुझे आशा है कि जल्द ही मेरा बपतिस्मा होगा और मैं एक साक्षी की हैसियत से यहोवा की सेवा कर सकूँगा।”

बदलाव की क्या ही मिसाल! जब लोग बिना आशा के होते हैं, तो इसकी वज़ह अकसर ज्ञान की कमी होती है। वे परमेश्‍वर के बारे में या उसके शानदार मक़सद के बारे में नहीं जानते। मोइसेस के मामले में, जब उसने ज्ञान लिया तो इससे उसे हिम्मत और ताक़त मिली जिससे कि वह अपनी ज़िंदगी को बदल सका। परमेश्‍वर से भजनहार की प्रार्थना का जवाब, मोइसेस के मामले में सच था: “अपने प्रकाश और अपनी सच्चाई को भेज; वे मेरी अगुवाई करें, वे ही मुझ को तेरे पवित्र पर्वत पर और तेरे निवास स्थान में पहुंचाएं!”—भजन ४३:३.

बेलीज़ में डैनियल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। डैनियल गलियों में नहीं सोता था—उसके पास एक इज़्ज़तदार नौकरी थी। मगर पिछले बीस साल से वह ड्रग्स और शराब की लत से जूझ रहा था और अनैतिक जीवन बिता रहा था। हालाँकि डैनियल एक कैथोलिक परिवार में पला-बड़ा था फिर भी उसे ज़िंदगी में कुछ मक़सद नज़र नहीं आ रहा था और उसे इसमें भी शक था कि कोई परमेश्‍वर है भी। वह मदद के लिए अलग-अलग चर्च गया मगर वहाँ उसने देखा कि चर्च जानेवाले उसके बहुत से दोस्त और यहाँ तक कि पादरी दोस्त भी ड्रग्स या शराब का दुरूपयोग कर रहे थे। इस दौरान उसकी पत्नी भी उसे तलाक़ देना चाहती थी।

इसी मायूसी में डैनियल एक सुधार सेन्टर में जाकर भरती हो गया। मगर वह जानता था कि यहाँ से छूटने के बाद अगर उसे कोई मदद नहीं मिली तो वह फिर से ड्रग्स की लत में पड़ जाएगा। मगर किस तरह की मदद? मई १९९६ में सुधार सेन्टर से छूटने के बस दो दिन बाद, डैनियल ने एक यहोवा के साक्षी को यह कहकर चौका दिया कि “मेहरबानी करके मेरे साथ बाइबल का अध्ययन कीजिए।” साक्षी डैनियल के साथ हफ़्ते में दो बार अध्ययन करने लगे और डैनियल जल्द ही अपनी ज़िंदगी परमेश्‍वर की इच्छा के मुताबिक़ जीने लगा और उसने अपने पुराने दोस्तों की जगह मसीही दोस्त बना लिए जो ड्रग्स या शराब का दुरुपयोग नहीं करते थे और साथ ही अनैतिकता से दूर रहते थे। इस तरह डैनियल ने देखा कि बाइबल जो कहती है वह सच है: “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।” (नीतिवचन १३:२०) तभी उसने कहा: “मेरी ज़िंदगी में ये पहली बार है जब मैंने ये जाना कि शुद्ध अंतःकरण क्या होता है।” डैनियल की ज़िंदगी भी बदल गई थी।

पोर्टो रीको में एक और आदमी ने बदलाव महसूस किया। वह क़ैद में था और लोग उसे बहुत ख़तरनाक समझते थे क्योंकि उसने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। क्या बाइबल की सच्चाई उसे बदल सकी? ज़रूर। एक यहोवा के साक्षी ने उसे कुछ प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ दीं, फ़ौरन उसने कुछ और पत्रिकाएँ माँगी। फिर उसके साथ बाइबल का अध्ययन शुरू किया गया। जैसे-जैसे बाइबल सच्चाई ने उसके दिल पर असर करना शुरू किया, उसके बदलाव सबके सामने ज़ाहिर होने लगे। उसमें सबसे पहले बदलाव का सबूत यह था कि उसने अपने बड़े बाल छोटे करवाए और अपनी गंदी-संदी बढ़ी हुई दाढ़ी को शेव किया।

बाइबल कहती है परमेश्‍वर पापियों को माफ़ करता है जो सचमुच पश्‍चाताप करते हैं और अपना चाल-चलन बदल लेते हैं। पौलुस ने लिखा: “क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे? . . . और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्‍वर के आत्मा से धोए गए।” (१ कुरिन्थियों ६:९,११) बेशक इन शब्दों से इस आदमी को सकून मिला जैसे कि प्रेरितों २४:१५: के इन शब्दों से मिला “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” उसने कहा: “जब जी उठना होगा उस वक़्त मैं भी वहाँ पर होना चाहता हूँ जिससे कि मैं उन लोगों से माफ़ी माँग सकूँ जिनकी मैंने जान ली थी।”

एक नया परिवार

अर्जेंटीना में एक दिन यहोवा के साक्षियों के एक पूर्ण समय प्रचारक लूईस को एक नौजवान से मिलवाया गया जिसकी बीती ज़िंदगी बहुत ही दुख-भरी थी। उसके माँ-बाप ने पैदा होते ही उसे लावारिस छोड़ दिया था इसलिए वह यहाँ-वहाँ के आश्रमों में पला-बड़ा था। जब वह क़रीब २० साल का था तब उसे मालूम चला कि उसकी माँ कहाँ रहती है और उसने सोच लिया कि मैं माँ के आस-पास ही कहीं रहूँगा। उसने बहुत मेहनत की, बहुत पैसा कमाया और जहाँ उसकी माँ रहती थी वहाँ के लिए रवाना हुआ। माँ ने उसे अपने पास रख लिया। मगर जब उसका पैसा ख़त्म हो गया तब उसने जाने के लिए कहा। इस तरह ठुकराए जाने पर वह खुदकुशी करने के लिए मजबूर हो गया।

बहरहाल, लूइस इस नौजवान आदमी को बाइबल की सच्चाई बता सका। इस सच्चाई में यह दिलासा भी है: “मेरे माता-पिता ने तो मुझे छोड़ दिया है, परन्तु यहोवा मुझे सम्भाल लेगा।” (भजन २७:१०) इस नौजवान ने महसूस किया कि उसका एक स्वर्गीय पिता है जो उसे कभी नहीं छोड़ेगा। वह बहुत ख़ुश है कि अब वह एक नए परिवार, यहोवा के परिवार का सदस्य है।

इसी देश में एक और आदमी ने एक यहोवा के साक्षी से कहा कि मुझे प्रहरीदुर्ग पत्रिका पढ़ना पसंद है। उसे क्यों पसंद है? क्योंकि इसी ने उसके विवाह-बंधन को टूटने से बचाया था। पता चला कि एक दिन इस आदमी की जब अपने काम से छुट्टी हुई तो उसने कूड़े में एक प्रहरीदुर्ग पत्रिका देखी जिस पर “तलाक” नामक शीर्षक बड़े अक्षरों में लिखा था। क्योंकि उसका विवाह-बंधन ख़तरे में था, उसने और उसकी पत्नी ने कानूनी रूप से अलग होने के लिए मुक़द्दमा दायर कर दिया था, इसलिए उसने इस पत्रिका को कूड़े में से निकाला और इसे पढ़ना शुरू कर दिया। वह इसे घर लाया और अपनी पत्नी के साथ इसे पढ़ा। इस जोड़े ने इस पत्रिका में दी गयी बाइबल की सलाह को अमल में लाने की कोशिश की। (इफिसियों ५:२१–६:४) जल्द ही उनका रिश्‍ता अच्छा होने लगा। उन्होंने अलग होने का मुक़द्दमा वापस ले लिया और अब दोनों एक विवाहित जोड़े की हैसियत से साथ मिलकर बाइबल का अध्ययन कर रहे हैं।

युरुग्वाइ में एक आदमी था। इसका नाम भी लूइस था। ख़ुशियाँ तो मानो उससे कोसों दूर थीं। ड्रग्स की लत, जादू-टोना, मूर्ती-पूजा, पियक्कड़पन—ये कुछ ऐसी बातें है जिससे उसकी ज़िंदगी बरबाद हो गई थी। आख़िरकार, पूरी तरह से मायूस होकर लूइस एक नास्तिक बन गया। उसके एक दोस्त ने उसे एक किताब दी जिसका शीर्षक था जीवन—यह यहाँ कैसे आया? क्रमविकास से या सृष्टि से?b (अग्रेज़ी) इसकी वज़ह से वह कुछ वक़्त तक तो यहोवा के साक्षियों से मिला, मगर जल्द ही वह शराब और ड्रग्स में फिर से डूब गया। एक दिन दुःख में डूबा वह कूड़े के ढेर पर बैठा, “यीशु मसीह के पिता” से प्रार्थना करने लगा क्योंकि उसे पक्का नहीं मालूम था कि परमेश्‍वर का नाम क्या है।

उसने परमेश्‍वर से कहा कि मुझे बताओ कि मैं इस दुनिया में क्यों हूँ। लूइस बताता है “अगले ही दिन एक जान-पहचानवाले ने मुझे एक किताब दी जिसकी उसे कोई ज़रूरत नहीं थी। उसका शीर्षक? प्रकाशितवाक्य—इसकी महान पराकाष्ठा निकट!”c (अग्रेज़ी) इस किताब ने उसके सवालों के जवाब देने में मदद की। लूइस ने फिर से प्रार्थना की कि उसकी मदद की जाए, जिससे वह उस धर्म को ढूँढ़ सके, जो उसे परमेश्‍वर की सेवा करना सिखाए। कमाल हो गया! तभी दरवाज़े की घंटी बजी और यहोवा के दो साक्षी बाहर खड़े थे। लूइस ने फ़ौरन उनके साथ बाइबल अध्ययन शुरू कर दिया। उसने बहुत तेज़ी से तरक्क़ी की और आज वह बहुत ख़ुश है कि वह एक बपतिस्मा प्राप्त साक्षी है। अब वह एक सीधी-साधी ज़िंदगी गुज़ार रहा है और दूसरों को भी ज़िंदगी का मक़सद पाने में मदद करता है। उसके क़िस्से में भजन ६५:२ के शब्द पूरे हुए “हे प्रार्थना के सुननेवाले! सब प्राणी तेरे ही पास आएंगे।”

फिलीपींस में ऐलन नाम का एक युवा छात्र आंदोलनकर्त्ता था। वह एक ऐसी संस्था से जुड़ा हुआ था जिसका मक़सद था “सरकार को तबाह करना जिससे कि आनेवाली पीढ़ियाँ समानता महसूस कर सकें।” एक दिन उसकी मुलाक़ात यहोवा के साक्षियों से हुई और उसने बाइबल से इंसान के लिए परमेश्‍वर के मक़सद के बारे में सीखा। इस मक़सद में यह ईश्‍वर-प्रेरित वायदा भी शामिल है: “थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं. . . परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।” (भजन ३७:१०, ११) ऐलन ने कहा: “जल्द ही मुझे लगा कि जिस मक़सद के लिए हमारी संस्था लड़ रही थी उस मक़सद का वायदा पहले से ही बाइबल में किया हुआ था। हमारी जो भी ख्वाहिशें थीं वह सब परमेश्‍वर के राज्य में पूरी हो जाएँगी।” अब ऐलन परमेश्‍वर के राज्य की हिमायत करता है और दूसरों को बाइबल की सच्चाई में विश्‍वास करने में मदद करता है।

जी हाँ, ज़िंदगी बदलती है जब लोग परमेश्‍वर के वचन बाइबल में दी गई सच्चाई पर अमल करते हैं। ज़रूर, वह वक़्त आ रहा है जब सारी मानवजाति अपनी ज़िंदगी को परमेश्‍वर की मर्ज़ी के मुताबिक़ बिताएगी। यह क्या ही शानदार बदलाव होगा! तब यह भविष्यवाणी पूरी होगी: “मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दु:ख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।”—यशायाह ११:९.

[फुटनोट]

a वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रेक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

b वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रेक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

c वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

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