क्या आप वास्तव में यहोवा की आशीषों की क़दर करते हैं?
केनीची, एक अधेड़ उम्र का सज्जन, मामूली-से ज़ुकाम की दवा लेने दवाई की दुकान पर गया। जब उसने दवाई ली, तब एलर्जी के कारण उसके पूरे शरीर में ददौरे और फफोले पड़ गए। इसमें अचरज नहीं कि केनीची को संदेह होने लगा कि शायद दुकानदार ने उसकी ज़रूरतों पर ठीक से ध्यान नहीं दिया।
शायद कुछ लोग ऐसा ही यहोवा परमेश्वर के बारे में सोचें जैसा केनीची ने उस दुकानदार के बारे में सोचा। वे इस बात पर संदेह करते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर, यहोवा, वास्तव में व्यक्तिगत रूप से उनमें दिलचस्पी रखता है। हाँलाकि वे परमेश्वर को अच्छा समझते हैं, फिर भी वे इस बात से क़ायल नहीं हैं कि वह व्यक्तिगत रूप से उनकी परवाह करता है। यह विशेषकर तब सच है जब उनका समय बुरा चल रहा होता है या जब बाइबल के सिद्धांतों को मानने की वज़ह से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। समझ की कमी के कारण, वे अपनी कठिनाइयों को उस ददौरे और फफोले के समान देखते हैं जो अचानक ही केनीची में उभर आए थे, मानो कि वह सब परमेश्वर की ही ग़लती है।—नीतिवचन १९:३.
यहोवा की तुलना अपरिपूर्ण मनुष्यों से नहीं करनी चाहिए। अपने ज्ञान और क्षमता में मनुष्य की एक सीमा है। वे दूसरों की सही ज़रूरतों को पूरी तरह से समझने में चूक जाते हैं, जैसा कि केनीची के दुकानदार ने किया। इसके विपरीत, यहोवा की नज़रों से कुछ नहीं बच पाता। यहोवा अकसर हमारी मदद करता है पर हम उस तथ्य को समझते नहीं और उसकी क़द्र नहीं करते क्योंकि हमारी प्रवृत्ति ऐसी है कि जो हमारे पास नहीं है, हम उसी पर ध्यान केंद्रित करते हैं और जो आशीषें हमें मिली हैं, उन्हें अनदेखा करते हैं। जब हम किसी कठिनाई का सामना करते हैं, उसके लिए तुरंत यहोवा पर दोष लगाने के बजाय यहोवा से मिली उन आशीषों को जिनका हम आनंद लेते हैं, समझने की कोशिश करना चाहिए।
आशीष की परिभाषा यूँ की जा सकती है, “वह चीज़ जो ख़ुशी और हित के लिए सहायक है।” क्या आप क़द्र करते हैं कि यह विशेषकर यहोवा की आशीष के बारे में सच है?
प्रबंधक के रूप में बेजोड़
जब एक पत्नी कहती है कि उसका पति अच्छा प्रबंधक है, तो आम तौर पर उसका मतलब होता है कि वह परिवार की ख़ुशी और हित के लिए ठीक तरह से रोटी, कपड़े और मकान का प्रबंध करके पूरी रीति से परिवार की ज़रूरतों की देखरेख करता है। हमारे प्रबंधक के रूप में यहोवा कहाँ तक अच्छा है? मनुष्य के घर यानि हमारे पृथ्वी ग्रह पर ज़रा ग़ौर कीजिए। यह सूर्य से १५,००,००,००० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, नियंत्रित तापमान के लिए बिलकुल सही दूरी, जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव होता है। हमारी पृथ्वी का २३.५-डिग्री तक का झुकाव सही उद्देश्य से है, जिसका नतीजा होता है विभिन्न प्रकार के मौसम, जो भरपूर मात्रा में फ़सल की पैदावार के लिए योग देते हैं। नतीजतन, पृथ्वी ५०० करोड़ से ज़्यादा लोगों को भोजन प्रदान कर पाती है। वाक़ई, यहोवा उत्कृष्ट प्रबंधक है।
इसके अलावा, बाइबल हमें यक़ीन दिलाती है कि यहोवा व्यक्तिगत रूप से हममें और हमारे हित में गहरी दिलचस्पी रखता है। ज़रा सोचिए, यहोवा अरबों तारों में से हरेक का नाम जानता है और उसे पता चले बिना एक भी गौरैया भूमि पर नहीं गिरती। (यशायाह ४०:२६; मत्ती १०:२९-३१) तब, वह मनुष्यों की कितनी परवाह करता होगा जो उससे प्यार करते हैं और जो उसके प्रिय बेटे, यीशु मसीह के क़ीमती लहू से ख़रीदे गए हैं! (प्रेरित २०:२८) एक बुद्धिमान व्यक्ति ने बिलकुल ठीक घोषित किया: “यहोवा की आशिष—यही है जो धनी बनाती है, और वह इसके साथ दुःख नहीं देता।”—नीतिवचन १०:२२, NW.
आशीषें जो हमें धनी बनाती हैं
हमारे पास कोई मूल्यवान वस्तु है जिसके लिए हमें बहुत ही आभारी होना चाहिए। वह क्या है? बाइबल इसकी पहचान कराती है जब वह कहती है: “तेरे मुंह की व्यवस्था मेरे लिये सोने और चांदी के हज़ारों सिक्कों से भी उत्तम है।” (भजन ११९:७२, NHT; नीतिवचन ८:१०) चोख़ा सोना कितना ही मूल्यवान क्यों न हो, पर यहोवा की व्यवस्था उससे भी अधिक चाहनेयोग्य है। उसकी व्यवस्था का सही ज्ञान साथ ही अंतर्दृष्टी और समझ जो यहोवा, निष्कपट रूप से सच्चाई के ढुँढ़नेवालों को देता है, सँजोकर रखने लायक़ हैं। ये हमें अपनी रक्षा करने, कठिन परिस्थितियों का सामना करने, समस्याओं से सफलतापूर्वक निपटने के लिए तैयार करते हैं और इस तरह हम ख़ुशी और संतुष्टि पाते हैं।
छोटे बच्चों के मामले में भी यह सच है। ध्यान दीजिए कि कैसे एक नन्ही-सी लड़की ने यहोवा की व्यवस्था का पालन करते हुए अपनी समस्याओं का हल किया। आकेमी, यह लड़की टोक्यो के पास रहती है। इसके माता-पिता ने इसे प्रशिक्षित करने में बाइबल सिद्धांतों को लागू किया और अपने शब्दों तथा आदर्श द्वारा यहोवा और पड़ोसियों के लिए प्रेम विकसित करने में अपनी बेटी की मदद की। जिन समस्याओं का शायद वह स्कूल में सामना करे, इसका पहले से ही अनुमान लगाते हुए उन्होंने उसे पूरी तरह से तैयार करने की भरसक कोशिश की। बहरहाल, जब आकेमी प्राथमिक स्कूल में पहुँची तो उसके कुछ सहपाठियों द्वारा उसे “भिन्न” समझा गया क्योंकि वह खाने से पहले प्रार्थना करती थी और बड़ी ईमानदारी से कुछ ख़ास अशास्त्रीय कार्यों से दूर रहा करती थी। बहुत जल्द ही वह शरारती बच्चों के समूह का निशाना बन गयी जो स्कूल के पश्चात् उसे कहीं कोने-अँतरे में ले जाकर थप्पड़ मारते, बाहें मरोड़ते और उसका मज़ाक उड़ाते।
नन्ही आकेमी ने ना तो बदला लिया ना ही वह अपने सतानेवालों के सामने झुकी। बजाय इसके, उसने जो सीखा था, उसे अमल करने की कोशिश की। अपने अच्छे आचरण और हिम्मत के कारण वह अपने कई सहपाठियों का सम्मान पा सकी। उन्होंने शिक्षक के कानों तक ये बात पहुँचाई और उसी दिन से, फिर कभी आकेमी ने स्कूल में किसी उत्पीड़न का सामना नहीं किया।
समस्याओं से सफलतापूर्वक निपटने में, किस बात ने आकेमी की मदद की? यहोवा से मिले सही ज्ञान, अंतर्दृष्टी और बुद्धि ने जो उसके माता-पिता ने उसके मन में बिठाए थे। वह यीशु के धीरज से अच्छी तरह परिचित थी और उसके उदाहरण पर चलने के लिए उसी बात ने उसे प्रेरित किया। यह समझने में बाइबल ने उसकी मदद की कि अज्ञानतावश ही कुछ लोग ग़लत काम करते हैं और इसने उसे प्रोत्साहित किया कि जिन शरारती बच्चों ने ग़लत काम किया उनसे नफ़रत ना करें बल्कि उनके काम से नफ़रत करें।—लूका २३:३४; रोमियों १२:९, १७-२१.
बेशक, कोई भी माता-पिता नहीं चाहेंगे कि उनके बच्चे उपहास और उत्पीड़न के शिकार हों। फिर भी, क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आकेमी के माता-पिता ने कितना गर्व महसूस किया होगा जब उन्होंने घटना का सारा ब्यौरा सुना होगा। ऐसे बच्चे हक़ीक़तन यहोवा की ओर से आशीष हैं।—भजन १२७:३; १ पतरस १:६, ७.
सब्र करते हुए यहोवा पर भरोसा रखना
हालाँकि, इसके पहले कि आपको यहोवा से आशीष मिले, कभी-कभी आपको उसके समय के लिए उस पर भरोसा रखना चाहिए। यहोवा आपकी परिस्थिति जानता है और वह हरेक ज़रूरत का प्रबंध करेगा, जब वह आपके लिए सबसे अधिक फ़ायदेमंद होगी। (भजन १४५:१६; सभोपदेशक ३:१; याकूब १:१७) आप शायद फल खाना बहुत पसंद करते हों, पर उस मेज़बान के बारे में आप कैसा सोचेंगे जो फल के पकने से पहले ही आपको खाने के लिए दे दे? चाहे सेब, संतरा या कुछ और हो, आप उसे तभी खाना चाहेंगे जब वह पका हो, रसदार हो और मीठा हो। इसी तरह, जो आप चाहते हैं यहोवा उसे सही समय पर देगा—ना तो बहुत जल्दी और ना ही बहुत देर से।
यूसुफ का उदाहरण याद कीजिए। बिना अपनी किसी ग़लती के उसने अपने आपको मिस्र के क़ैदखाने में पाया। एक साथी क़ैदी, फ़िरौन के पिलानेहारे के रिहा होने की आशा थी और उसने वादा किया कि वह यूसुफ का मामला फ़िरौन के ध्यान में लाएगा। परंतु अपनी रिहाई के बाद वह यूसुफ के बारे में पूरी तरह भूल गया। ऐसा लगा मानो यूसुफ त्याग दिया गया हो। बहरहाल, पूरे दो साल के बाद, आख़िरकार उसे क़ैदखाने से रिहा किया गया और अंत में उसे मिस्र का दूसरा शासक क़रार दिया गया। बेसब्र होने के बजाय, यूसुफ ने यहोवा पर भरोसा रखा। इसके लिए उसे ऐसी आशीषें मिलीं, जिनका नतीजा था इस्राएलियों और मिस्रियों दोनों के प्राणों का बचाव।—उत्पत्ति ३९:१-४१:५७.
मासाशी उत्तरी जापान में कलीसिया का प्राचीन था। वह किसी क़ैदखाने में तो नहीं था, फिर भी उसे यहोवा पर भरोसा रखने की ज़रूरत थी। क्यों? योग्य मसीही सेवकों के प्रशिक्षण के लिए स्कूल यानि मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल, जब से जापान में स्थापित हुआ था उसने पूरे उत्साह से वहाँ जाने का अपना लक्ष्य बनाया था। उस विशेषाधिकार की ख़ातिर उसने बहुत प्रार्थना की। उसके पायनियर साथी को बुलाया गया, मगर मासाशी की दिली ख्वाहिश के बावजूद, उसका बुलावा नहीं आया। वह पूरी तरह से टूट गया।
फिर भी, उसने अपनी भावनाओं पर क़ाबू पाने के लिए कुछ क़दम उठाए। उसने बाइबल और वॉच टावर सोसाइटी द्वारा प्रकाशित प्रकाशनों को पढ़ा और ऐसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जो नम्र होने और भावनाओं पर क़ाबू पाने में उसकी मदद करते। उसने अपने सोच-विचार में परिवर्तन किया और इस तरह उसने अपनी कार्य-नियुक्ति से अधिक संतुष्टि पायी। फिर, जब उसने अपेक्षा भी नहीं की थी, तब उसे स्कूल के लिए बुलावा आया।
धीरज और नम्रता जैसे गुणों को विकसित करने की वज़ह से उसने स्कूल से बहुत कुछ लाभ पाया। बाद में बतौर सफ़री ओवरसियर, मासाशी को अपने भाइयों की सेवा करने का विशेषाधिकार मिला। ज़रूर, यहोवा जानता था कि मासाशी को क्या चाहिए और उसने तभी दिया जब वह उसके लिए सबसे फ़ायदेमंद होता।
यहोवा की आशीषों की ओर ताकते रहिए
अतः यहोवा उस दुकानदार की तरह नहीं है। जबकि हम भले ही उसकी देखरेख और परवाह को न समझ सकें, उसकी कृपा हम पर कई तरीक़े से होती है—ऐसे समय और ऐसे तरीक़ों से जब वह हमारे लिए सबसे अधिक फ़ायदेमंद होती है। सो हमेशा उसकी आशीषों की ओर ताकते रहिए। याद रखिए आभारी होने के लिए आपके पास पहले से ही अनेक कारण हैं। बुनियादी ज़रूरतों के साथ पृथ्वी पर जीते रहने के लिए आपको आशीषित किया गया है। आपको यहोवा और उसके सिद्ध मार्गों का ज्ञान दिया गया है। आपको अंतर्दृष्टी प्रदान की गयी है। और आपने समझ हासिल की है। ये सारी बातें आपके हित और ख़ुशी में योग देती हैं।
बड़े पैमाने में यहोवा की आशीष का अनुभव करने के लिए नियमित रूप से बाइबल का अध्ययन करते रहिए। उसके प्रेरित वचन में हीरे और जवाहरात समान शिक्षाओं पर अमल करने और उन्हें समझने के लिए यहोवा से मदद के लिए बिनती कीजिए। ये वाक़ई आपको धनी बनाएँगी, ताकि आपको कुछ भी घटी न हो। जी हाँ, ये आपको सही मायने में ख़ुशी और संतुष्टि देंगी अभी और उस समृद्ध जीवन में जो आनेवाले नये संसार में मिलेगा।—यूहन्ना १०:१०; १ तीमुथियुस ४:८, ९.
[पेज 23 पर तसवीर]
यहोवा की आशीष सोने से भी अधिक मूल्यवान है