“एक उँगलीवाली बाइबल”
बीमारी के प्रहार के कारण, जोसफ शेरशॆवस्की को लकवा मार गया और वह एक उँगली का इस्तेमाल करते हुए, टाइपिंग करने के द्वारा ही लिख सकता था। फिर भी वह बाइबल को चीनी भाषा में अनुवाद करने के अपने लक्ष्य तक पहुँचा। एक परदेसी का इस भाषा में महारत हासिल करना बहुत ही मुश्किल काम है।
शेरशॆवस्की जन्म से एक यहूदी था और उसने बड़े होकर मसीहियत की जाँच की और उसे अपनाया। वह आखिरकार चीन में एक मिशनरी बना। वहाँ, उसने अनुवाद की अनेक परियोजनाओं में भाग लिया, जिसकी शुरूआत बहुत पहले १८६६ में हुई थी और २०वीं शताब्दी के शुरूआती सालों तक चलती रही थी। अपनी यहूदी पृष्ठभूमि के कारण, शेरशॆवस्की अपने साथी विद्वानों से ज़्यादा इब्रानी भाषा की जानकारी रखता था। इसलिए, उसे समस्त इब्रानी शास्त्र का अनुवाद सौंपा गया। उसके लंबे कार्यकाल के अंत से पहले, उसने संदर्भों के साथ पूरी बाइबल का चीनी अनुवाद भी तैयार किया।
बाइबल अनुवादक के नाते, जोसफ शेरशॆवस्की आम भाषा के अनुवादों का पूरे जोश से समर्थन करता था। लेकिन उसका काम आसान नहीं था। चीनी बाइबल में उसका योगदान असाधारण है, हज़ार भाषाओं की किताब (अंग्रेज़ी) कहती है, “क्योंकि यह इतने बड़े पैमाने पर और इतनी सारी अड़चनों के बावजूद दिया गया।”
शेरशॆवस्की के हाथों को लकवा मार जाने के बाद भी वह अपने काम में लगा रहा। टाइपिंग में बहुत मेहनत लगती थी, क्योंकि वह अब अपने हाथों को सामान्य रूप से इस्तेमाल नहीं कर पाता था। इसलिए उसने इस अनुवाद को अपनी एक उँगलीवाली बाइबल कहा। अपनी विकलांगता के बावजूद, इसे प्रकाशित करने के लिए शेरशॆवस्की २५ साल तक लगा रहा। हिम्मत न हारने के कारण, उसने चीनी भाषा में—जिसके बोलनेवालों की संख्या संसार की किसी अन्य भाषा के बोलनेवालों से ज़्यादा है—परमेश्वर के वचन को आसान बनाने में भाग लिया।
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दोनों चित्र: Courtesy of American Bible Society Archives