“जो तुम्हारे पास है उसे थामे रहो”
यूनान का साइक्लेड द्वीप जो ३० द्वीपों से बना है, उनमें से एक पर साक्षियों का समूह प्रचार कार्य कर रहा था। जब दो साक्षी सड़क की एक छोर पर घर-घर की सेवकाई कर रहे थे, उन्हें एक पुलिसवाला मिला जिसने उन्हें अपने साथ पुलिस चौकी चलने को कहा। उनके पुलिस चौकी पहुँचते ही फोन की घंटी बजी। फोन गाँव के एक पादरी ने किया था। उसने पूछा: “मैंने सुना है कि गाँव में कुछ यहोवा के साक्षी आए हैं।” “जी हाँ, मेरे सामने ही दो मौजूद हैं,” पुलिस ने जवाब दिया। “अच्छा तो मैं अभी पहुँचता हूँ।” उनके बात करने के ढंग से भाई कुछ घबरा-से गए थे।
बहरहाल पादरी पहुँचते ही मुस्कुराया और उनसे हाथ मिलाकर पुलिसवाले की बगलवाली कुर्सी पर बैठ गया। जैसे ही चर्चा ने थोड़ा ज़ोर पकड़ा, पुलिसवाला झगड़े पर उतारू हो गया परंतु पादरी बड़ी समझदारी और शिष्टता से पेश आया। उसने पुलिसवाले से कहा कि इन्हें अपमानित मत करो और आगे कहा: “ये लोग किसी भी प्रकार के सवालों के जवाब दे सकते हैं क्योंकि इन्हें ईश्वरशासित सेवकाई स्कूल से प्रशिक्षण मिलता है। इस संसार की नींव को हिला देना आसान होगा लेकिन किसी यहोवा के साक्षी को उसके विश्वास से डगमगाना, हरगिज़ आसान नहीं।”
दूसरी सुबह प्रचार करते वक्त भाइयों का सामना उसी पादरी से हो गया तो उन्होंने पूछा: “कल पुलिस चौकी पर उस चर्चा के दौरान आप हम पर इतने मेहरबान क्यों थे?” पादरी बोला कि वह सीरॉस में कई साक्षियों को पहचानता था और कि वह प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं को कई सालों से पढ़ता आया है। दरअसल, कई बार तो वह चर्च में उपदेश देने के लिए प्रहरीदुर्ग पत्रिका को अपने फोल्डर में छिपाकर साथ ले गया था। उसने स्पष्ट कहा: “मैं नहीं समझता कि ये ज़िंदगी वाकई जीने के लायक होती अगर मेरे पास आपका यह साहित्य न होता। इसी से तो मुझे आशा मिलती है।”
बाद में पादरी ने साक्षी से कहा: “देखो, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ। जो तुम्हारे पास है उसे थामे रहो। गलती से भी इसे मत छोड़ना। जो मैं अभी तुमसे कह रहा हूँ यह मेरी ज़िंदगी का सबसे उत्तम उपदेश है; और हाँ, यह मैं कोई बकवास नहीं कर रहा बल्कि पूरे दिल से कह रहा हूँ।”