“अराम के रेगिस्तान की काले-घने बालोंवाली मलिका”
उसका रंग चंदन का सा था, उसके दाँत चमचमाते सफेद मोतियों-से थे, उसकी काली-काली आँखों में चमक थी। वह पढ़ी-लिखी थी और कई भाषाएँ अच्छी तरह से बोल लेती थी। कहा जाता है कि यह योद्धा रानी क्लिओपैट्रा से भी कहीं बढ़कर बुद्धिमान थी और शायद उतनी ही खूबसूरत भी। और उसने अपने ज़माने की विश्व शक्ति के खिलाफ सिर उठाने का साहस किया, जिसकी वज़ह से बाइबल की एक भविष्यवाणी को पूरा करने में उसने एक भूमिका निभायी। उसकी मौत के बाद एक अरसा बीत गया लेकिन लेखक उसकी तारीफ करते नहीं थके और चित्रकारों ने उसे कई गुना और सुंदर बनाकर तस्वीर पर उतार दिया। १९वीं सदी के एक कवि ने उसका वर्णन यूँ किया, “अराम के रेगिस्तान की काले-घने बालोंवाली मलिका।” जिस औरत की तारीफ के इतने पुल बाँधे गए, वह थी ज़ॆनोबीया—अराम के पालमाइरा शहर की रानी।
ज़ॆनोबीया को ऐसी शोहरत कैसे हासिल हुई? किस राजनैतिक माहौल की वज़ह से वह सत्ता में आयी? उसकी शख्सियत के बारे में क्या कहा जा सकता है? और बाइबल की भविष्यवाणी पूरी करने में इस रानी ने कौन-सी भूमिका निभायी? आइए हम पहले इस पर गौर करें कि ज़ॆनोबीया का शहर कहाँ था।
रेगिस्तान की कगार पर स्थित शहर
ज़ॆनोबीया का शहर पालमाइरा, दमिश्क से लगभग २१० किलोमीटर उत्तर-पूर्व की ओर स्थित था। यह अराम के रेगिस्तान की उत्तरी कगार पर था जहाँ अमाना (एन्टी-लॆबनॉन) पहाड़ों की ढलान मैदानों से मिलती है। रेगिस्तान के इस हरे-भरे शहर के पश्चिम की ओर भूमध्य सागर था और पूर्व की ओर फरात नदी थी जिसके लगभग बीच में यह बसा हुआ था। शायद राजा सुलैमान इसे तदमोर के नाम से जानता हो। तदमोर ऐसी जगह थी जो शायद दो कारणों से उसके राज्य के फायदे के लिए बहुत ज़रूरी थी। एक था कि यह उत्तरी सीमा की रक्षा के लिए सेना की चौकी थी और दूसरा कि रेगिस्तान में घूमनेवाले काफिलों का यह एक मुख्य पड़ाव थी। इसीलिए सुलैमान ने “निर्जन प्रदेश के तदमोर नगर . . . का पुनःनिर्माण किया।”—२ इतिहास ८:४, न्यू हिन्दी बाइबल।
राजा सुलैमान के शासन के बाद, एक हज़ार साल के इतिहास में तदमोर के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है। अगर असल में यही पालमाइरा है तो इसका उत्थान तब शुरू हुआ जब सा.यु.पू. ६४ में अराम रोमी साम्राज्य की सेना-चौकी बना। रिचर्ड स्टोनमैन, अपनी पुस्तक पालमाइरा व इसका साम्राज्य—रोम के खिलाफ ज़ॆनोबीया की बगावत (अंग्रेज़ी) में कहता है, “रोम के लिए पालमाइरा दो क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण था, आर्थिक व सेना संबंधी।” खजूरों का यह शहर रोम से मिसुपुतामिया और पूर्वी देशों को जानेवाले व्यापार के मुख्य रास्ते पर स्थित था। सो इस रास्ते से पुराने ज़माने के व्यापार के लिए महँगा माल ले जाया जाता था—जैसे ईस्ट इंडीस से मसाले, चीन से रेशम, और पर्शिया, मिसुपुतामिया के निचले भागों और भूमध्य देशों से दूसरा माल। रोम इन पदार्थों के आयात पर निर्भर था।
अराम ऐसा प्राँत था जो रोम व उसके विरोधी देश पर्शिया के बीच में था और यहाँ से विरोधी देश पर्शिया, रोम पर हमला नहीं कर सकता था। सामान्य युग की शुरूआत के २५० साल तक फरात नदी, रोम और उसके पूर्व के पड़ोसी, पर्शिया की सीमा थी। फरात नदी के पास बसे डूरायूरोपस शहर के पश्चिम की ओर, रेगिस्तान के उस पार पालमाइरा शहर था। सो इस जगह की अहमियत को समझते हुए हैड्रियन व वैलेरियन जैसे रोमी सम्राट पालमाइरा आए। हैड्रियन ने इसकी वास्तुकलात्मक शोभा बढ़ायी और खुले हाथों से बहुत दान दिया। वैलेरियन ने पालमाइरा के ऑडिनेथॆस नामक प्रधान—ज़ॆनोबीया के पति—को इनाम दिया। उसने ऑडिनेथॆस को सा.यु. २५८ में रोम के कॉन्सल की पदवी दी क्योंकि ऑडिनेथॆस ने पर्शिया के खिलाफ युद्ध में जीत हासिल की थी जिसकी वज़ह से रोमी साम्राज्य की सीमा मिसुपुतामिया तक फैल गयी। अपने पति को सत्ता में लाने में ज़ॆनोबीया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। इतिहासकार एडवर्ड गिब्बन ने लिखा: “ऑडिनेथॆस की कामयाबी का श्रेय काफी हद तक उसकी [ज़ॆनोबीया की] अनोखी दूरदर्शिता व सहनशीलता को दिया गया।”
इस दरमियान, पर्शिया के राजा सेपोर ने रोमी अधिकार को चुनौती देकर पर्शिया के पहले के सभी प्राँतों पर अपना अधिकार जमाने का फैसला किया। बहुत बड़ी सेना को लेकर उसने पश्चिम की ओर कूच किया और निसॆबस व कारी (हारान) के रोम की चौकियोंवाले नगरों पर कब्ज़ा किया और इसके बाद उत्तरी अराम व किलिकिया को तबाह किया। सम्राट वैलेरियन ने हमलावरों के खिलाफ खुद अपनी सेना का नेतृत्व किया लेकिन वह हार गया और पर्शिया की सेना ने उसे बंदी बना लिया।
ऑडिनेथॆस ने विचार किया कि पर्शिया के महाराजा को महँगे तोहफे भेजने व शांति का संदेश देने का यह सही मौका है। लेकिन राजा सेपोर ने अहंकार से भरकर हुक्म दिया कि उन तोहफों को फरात नदी में फेंक दिया जाए और ऑडिनेथॆस को बंदी बनाकर उसके सामने हाज़िर किया जाए जिससे कि वह अपने लिए रहम की भीख माँगने पर मजबूर हो। जवाब में, पालमाइरा के लोगों ने रेगिस्तान के खानाबदोशों और रोमी सेना के बचे हुए लोगों की सेना इकट्ठी की और अब वापस जा रही पर्शिया की सेना पर हमला करने लगे। रेगिस्तान के ये खानाबदोश-योद्धा अचानक वार करके भाग जाने के पैंतरे में माहिर थे। सेपोर की सेना युद्ध करके थकी हुई थी और लूट के माल से लदी हुई थी, इसलिए वह इन हमलों के खिलाफ अपनी रक्षा नहीं कर पायी और भागने पर मजबूर हो गयी।
सेपोर पर इस जीत के सम्मान में, वैलेरियन के बेटे व उत्तराधिकारी, गैलिनस ने ऑडिनेथॆस को कोरेकटोर टोट्यूस ओरयेन्टिस (सभी पूर्वी देशों का गवर्नर) की उपाधि दी। समय के गुज़रते ऑडिनेथॆस ने अपने आपको “राजाओं के राजा” उपाधि दे दी।
ज़ॆनोबीया साम्राज्य बनाने के सपने संजोती है
सामान्य युग २६७ में जब ऑडिनेथॆस अपनी उन्नति के चरम पर था, तब उसकी और उसके उत्तराधिकारी की हत्या कर दी गयी। कहा जाता है कि यह हत्या बदला लेने की ताक में बैठे ऑडिनेथॆस के भतीजे ने की। ज़ॆनोबीया ने अपने पति का पद सँभाला क्योंकि उसका अपना बेटा बहुत ही छोटा था। खूबसूरत, महत्त्वकांक्षी, प्रशासन चलाने के योग्य, अपने मरहूम पति के साथ युद्ध में जाने की आदी, और कई भाषाओं को आसानी से बोल लेने की वज़ह से, वह अपने लोगों की इज़्ज़त हासिल कर सकी, साथ ही उन्हें अपने पक्ष में कर सकी—खानाबदोशों की जाति के बीच ऐसा कर पाना कोई बच्चों का खेल नहीं था। ज़ॆनोबीया को नयी-नयी बातें सीखने का बेहद शौक था, सो वह विद्वानों से घिरी रहती थी। उसका एक सलाहकार था, तत्त्वज्ञानी व साहित्य-शास्त्री काशीअस लॉनजाइनस जिसे “चलती-फिरती लाइब्रेरी व म्यूज़ियम” कहा जाता था। लेखक स्टोनमैन कहता है: “ऑडिनेथॆस की मौत के बाद के पाँच साल के दौरान . . . ज़ॆनोबीया ने पूर्व की मलिका के तौर पर लोगों के मन में अपना सिक्का जमा लिया था।”
ज़ॆनोबीया की रियासत के एक तरफ था पर्शिया, जिसे उसने और उसके पति ने कमज़ोर बना दिया था, और दूसरी तरफ था रोम जिसकी शक्ति धीरे-धीरे घट रही थी। उस समय रोमी साम्राज्य में मौजूदा हालात के बारे में बात करते हुए इतिहासकार जे. एम. रॉबर्टस कहता है: “तीसरी सदी . . . पूर्वी व पश्चिमी दोनों ही सीमाओं पर रोमी साम्राज्य के लिए बहुत बुरा समय था, जबकि रोम में ही युद्ध और सम्राट बनने के लिए विवादों का एक नया युग शुरू हुआ। बाईस सम्राट (झूठा दावा करनेवालों के अलावा) आए और गए।” दूसरी तरफ, अराम की मलिका का शासन बरकरार था और उसकी गद्दी को अपने लोगों से कोई खतरा नहीं था। स्टोनमैन कहता है, “[पर्शिया व रोम के] दो साम्राज्यों के बीच तालमेल बिठानेवाली यह रानी एक ऐसा तीसरा साम्राज्य बनाने का सपना संजो सकती थी जो इन दोनों साम्राज्यों को अपने वश में कर सकता था।”
ज़ॆनोबीया को अपनी राजकीय शक्ति बढ़ाने का मौका मिला जब सा.यु. २६९ में रोम पर शासन करने के हक का झूठा दावा करनेवाला एक व्यक्ति मिस्र में आया। ज़ॆनोबीया की सेना फौरन मिस्र के लिए कूच कर गयी, वहाँ विद्रोही को कुचल डाला, और उस देश पर कब्ज़ा कर लिया। ज़ॆनोबीया ने अपने आपको मिस्र की रानी घोषित किया और अपने नाम के सिक्के बनवाए। उसका राज्य अब नील नदी से फरात नदी तक फैल गया। अपनी ज़िंदगी के इस मोड़ पर, उसने दानिय्येल की बाइबल भविष्यवाणी में बताए गए “दक्खिन देश के राजा” का स्थान लिया, क्योंकि उसका राज्य उस वक्त दानिय्येल के देश के दक्षिणी क्षेत्र पर कब्ज़ा किए हुए था। (दानिय्येल ११:२५, २६) ज़ॆनोबीया ने एशिया माइनर के ज़्यादातर देशों पर भी कब्ज़ा कर लिया।
ज़ॆनोबीया ने अपनी राजधानी, पालमाइरा को इस कदर मज़बूत और खूबसूरत बनाया कि यह रोमी जगत के बड़े-बड़े शहरों के नाम के साथ गिना जाने लगा। अनुमान है कि इसकी आबादी १,५०,००० से भी ज़्यादा थी। कहा जाता है कि पालमाइरा की शहरपनाह का घेरा २१ किलोमीटर का था और इस शहर में चारों तरफ शानदार जन इमारतें, मंदिर, उद्यान, खंभे, और स्मारक थे। मुख्य मार्ग के दोनों तरफ कुछ १,५०० कोरंथियन खंभों को कतार में लगाकर ओसारे बनाए गए थे। ये कोरंथियन खंभे १५ मीटर से भी ज़्यादा ऊँचे थे। वीरों व धनी परोपकारियों की प्रतिमाएँ व अर्ध प्रतिमाएँ शहर में चारों तरफ पायी जाती थीं। सा.यु. २७१ में, ज़ॆनोबीया ने अपनी व अपने मरहूम पति की दो प्रतिमाएँ खड़ी कीं। रेगिस्तान की कगार पर, पालमाइरा एक रत्न के समान जगमगा रहा था।
पालमाइरा में एक सबसे खूबसूरत इमारत थी सूर्य देवता का मंदिर और इसमें कोई संदेह नहीं कि शहर के ज़्यादातर लोग यहीं पूजा करने आते थे। संभव है कि ज़ॆनोबीया भी सूर्य देवता से संबंधित ही किसी देवता की पूजा करती थी। लेकिन तीसरी सदी में अराम देश में कई धर्म थे। ज़ॆनोबीया के शासन के समय वहाँ ईसाई, यहूदी, ज्योतिषी और सूर्य व चाँद को पूजनेवाले लोग थे। अपने राज्य में भिन्न-भिन्न तरीके की उपासना के प्रति ज़ॆनोबीया का क्या नज़रिया था? लेखक स्टोनमैन कहता है: “चतुर शासक ऐसे किसी भी रिवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा जो उसके लोगों को अच्छा लगता हो। . . . ऐसी आशा की जाती थी कि . . . देवता भी पालमाइरा के पक्ष में एक हो गए थे।” ज़ाहिर है कि ज़ॆनोबीया ने सभी धर्मों को मान्यता दी थी। लेकिन क्या सभी देवता वास्तव में “पालमाइरा के पक्ष में एक हो गए थे”? पालमाइरा व उसकी “चतुर शासक” के लिए निकट भविष्य में क्या रखा था?
एक सम्राट ज़ॆनोबीया के विरुद्ध ‘अपना हियाव बढ़ाता’ है
सा.यु. २७० के दौरान, औरेलियन रोम का सम्राट बना। उसकी सेना उत्तर के बर्बर लोगों से मुकाबला करने और उन्हें काबू में रखने में कामयाब थी। सा.यु. २७१ में, दानिय्येल की भविष्यवाणी के “उत्तर देश के राजा” की भूमिका में अब औरेलियन ने “दक्खिन देश के राजा” की भूमिका में ज़ॆनोबीया ‘के विरुद्ध अपने बल और हियाव को बढ़ाया।’ (दानिय्येल ११:२५क) औरेलियन ने अपनी सेना की कुछ टुकड़ियों को सीधे मिस्र भेज दिया और अपनी मुख्य सेना को ऐशिया माइनर से होते हुए पूर्व की ओर ले गया।
दक्षिण के राजा—ज़ॆनोबीया के अधीन चलनेवाली सत्ता—ने औरेलियन के विरुद्ध अपने दो सेनापतियों, ज़ाबडास व जब्बै के अधीन ‘अत्यन्त बड़ी और सामर्थी सेना लिए हुए युद्ध करने’ की तैयारी की। (दानिय्येल ११:२५ख) लेकिन औरेलियन ने मिस्र पर कब्ज़ा कर लिया और फिर ऐशिया माइनर व अराम देश से जंग छेड़ दी। इमॆसा (अब जो होम्स है) में ज़ॆनोबीया पराजित हो गयी और वह पालमाइरा भाग गयी।
जब औरेलियन ने पालमाइरा की घेराबंदी की, तब ज़ॆनोबीया मदद की आस लिए अपने बेटे के साथ पर्शिया की ओर भाग गयी, लेकिन वहाँ फरात नदी के पास रोमियों के हाथों वह पकड़ी गयी। पालमाइरा के लोगों ने सा.यु. २७२ में हथियार डाल दिए। औरेलियन ने इसके रहवासियों के साथ बड़ी बेरहमी से सलूक किया और काफी माल लूटकर इकट्ठा किया। उसने सूर्य देवता के मंदिर की मूर्ति भी उठा ली और रोम को चल दिया। रोमी सम्राट ने ज़ॆनोबीया की ज़िंदगी बख्श दी और सा.यु. २७४ में रोम में विजयी जुलूस निकाला गया जिसकी खासियत थी ज़ॆनोबीया, जिसे बंदी-स्थिति में ले जाया गया। ज़ॆनोबीया की बाकी ज़िंदगी रोम में एक इज़्ज़तदार गृहस्थिन के तौर पर बीती।
रेगिस्तान का शहर खाक में मिल गया
पालमाइरा पर कब्ज़ा कर लेने के कुछ महीनों बाद, औरेलियन ने जिन सैनिकों को पालमाइरा में छोड़ दिया था, पालमाइरा के वासियों ने उनका जन संहार किया। जब औरेलियन के कानों में इस बगावत की खबर पड़ी, तो उसने फौरन अपनी सेना को वापस जाने का आदेश दिया, और अबकी बार बदला लेने के लिए उन्होंने वहाँ के लोगों पर कहर ढाया। जो इस बेरहम जन संहार से बच गए, उन्हें दास बनाकर ले जाया गया। इस आलीशान शहर को लूटा गया और इसे इस कदर तहस-नहस कर दिया गया कि इसकी शानो-शौकत लौटने की कोई गुंजाइश नहीं रही। इस तरह यह भरी-पूरी राजधानी अपनी पहले की औकात पर आ गयी—‘निर्जन प्रदेश का तदमोर।’
जब ज़ॆनोबीया ने रोम के खिलाफ सिर उठाया, तब उसने और सम्राट औरेलियन ने अनजाने में ही “दक्खिन देश के राजा” और “उत्तर देश के राजा” की भूमिकाएँ निभायीं। और इस तरह यहोवा के भविष्यवक्ता द्वारा कुछ ८०० साल पहले विस्तार से लिखी गयी भविष्यवाणी का एक भाग पूरा किया। (दानिय्येल, अध्याय ११) अपने लुभावने गुणों से ज़ॆनोबीया ने काफी लोगों की प्रशंसा जीत ली। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण बात थी, दानिय्येल की भविष्यवाणी में पहले से बतायी गयी राजनैतिक हस्ती के रूप में उसकी भूमिका। उसका शासन पाँच साल से ज़्यादा नहीं टिका। ज़ॆनोबीया के राज्य की राजधानी, पालमाइरा आज बस नाम मात्र का ही एक गाँव है। यहाँ तक कि शक्तिशाली रोमी साम्राज्य भी कब का खत्म हो चुका है और उसका स्थान आज के राज्यों ने ले लिया है। इन राज्यों का भविष्य क्या होगा? उनका अंजाम क्या होगा, इसके बारे में भी बाइबल में भविष्यवाणी की गयी है जो हर हाल में पूरी होगी।—दानिय्येल २:४४.
[पेज 29 पर बक्स]
ज़ॆनोबीया से दुनिया को क्या मिला
पालमाइरा की रानी, ज़ॆनोबीया को पराजित करके रोम लौटने पर, सम्राट औरेलियन ने सूर्य देवता के लिए एक मंदिर बनाया। उसमें उसने सूर्य-देवता की उन मूर्तियों को रखा जिन्हें वह ज़ॆनोबीया के शहर से लाया था। आगे क्या हुआ यह बताते हुए, आज का इतिहास (अंग्रेज़ी) पत्रिका कहती है: “औरेलियन ने कई बड़े-बड़े काम किए। उनमें से जिस काम का असर आज तक मौजूद है वह है, ई.स. २७४ में सूर्य देवता के वार्षिक उत्सव की शुरूआत। यह उत्सव जाड़ों में, दिसंबर २५ के दिन पड़ता है। जब रोमी साम्राज्य ने ईसाई धर्म अपनाया तब मसीह के जन्मदिन को इसी तारीख पर मनाया जाने लगा ताकि वे लोग ईसाई धर्म को स्वीकार करें जो पहले इसी तारीख को बड़ी धूम-धाम से सूर्यदेवता का त्योहार मनाते थे। दिलचस्पी की बात यह है कि महारानी ज़ॆनोबीया की वज़ह से . . . आज क्रिसमस मनाया जाता है।”
[पेज 28, 29 पर नक्शा/तसवीर]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
भूमध्य सागर
अराम
अंताकिया
इमॆसा (होम्स)
पालमाइरा
दमिश्क
मिसुपुतामिया
डूरायूरोपस
कारी (हारान)
निसॆबस
फरात
[चित्रों का श्रेय]
Map: Mountain High Maps® Copyright © 1997 Digital Wisdom, Inc.
Colonnade: Michael Nicholson/Corbis
[पेज 29 पर तसवीर]
रोमी सिक्का जिस पर शायद औरेलियन का चित्र है
[पेज 30 पर तसवीर]
पालमाइरा में सूर्य-देवता का मंदिर
[चित्रों का श्रेय]
The Complete Encyclopedia of Illustration/J. G. Heck
[पेज 31 पर तसवीर]
अपनी सेना से बात करती हुई रानी ज़ॆनोबीया
[चित्रों का श्रेय]
Giovanni Battista Tiepolo, Queen Zenobia Addressing Her Soldiers, Samuel H. Kress Collection, Photograph © Board of Trustees, National Gallery of Art, Washington
[पेज 28 पर चित्र का श्रेय]
Detail of: Giovanni Battista Tiepolo, Queen Zenobia Addressing Her Soldiers, Samuel H. Kress Collection, Photograph © Board of Trustees, National Gallery of Art, Washington