मसीही कलीसिया—ताज़गी और खुशी का ज़रिया
पॉपी की उम्र करीब २० साल है। परिवार के बुरे माहौल की वज़ह से एक वक्त उसकी ज़िंदगी में इतनी कड़वाहट भर गई थी कि वह अपने माँ-बाप से बात तक नहीं कर पाती थी।a इस बारे में उसने एक मसीही प्राचीन और उसकी पत्नी से दिल खोलकर बातें की। बाद में उसने उन्हें यह खत लिखा: “आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आपने अपना कीमती वक्त देकर मेरी बातें सुनी। आप नहीं जानते, मुझे यह देखकर कितना अच्छा लगा कि आप मेरी परवाह करते हैं। मैं यहोवा की शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मुझे आप जैसे लोग दिए हैं जिन पर मैं भरोसा कर सकती हूँ और अपने दिल की बात बता सकती हूँ।”
टूला के दो जवान बच्चे हैं और कुछ ही समय पहले उसका पति मर गया। गहरे दुःख और तंगहाली ने उसका जीना दूभर कर दिया था। ऐसे में कलीसिया के एक भाई और उसकी पत्नी ने उसके घर आना-जाना शुरू किया और लगातार उनका हौसला बढ़ाया। इसलिए टूला हिम्मत से अपने हालात का सामना कर पाई और बाद में उसने उन्हें यह कार्ड लिखकर भेजा: “मैं हमेशा आप दोनों के लिए दुआ करती हूँ। मैं भूल नहीं सकती कि आपने कैसे हर पल मेरा साथ दिया और मुझे सहारा दिया।”
क्या आपको भी ऐसा महसूस होता है कि आप इस दुनिया की समस्याओं के “बोझ से दबे” जा रहे हैं? (मत्ती ११:२८) क्या “समय और संयोग” ने ज़िंदगी में आपको ढेरों ज़ख्म दिए हैं? (सभोपदेशक ९:११) अगर ऐसा है तो आप अकेले नहीं हैं। उन हज़ारों दुःखी लोगों की तरह आप भी यहोवा के साक्षियों की मसीही कलीसिया से सच्ची मदद पा सकते हैं। यहाँ तक कि पहली सदी में प्रेरित पौलुस को भी कुछ भाई-बहनों से काफी “प्रोत्साहन” मिला। (कुलुस्सियों ४:१०, ११, NHT) उसी तरह आपको भी हौसला मिल सकता है।
सहारा और मदद
हिंदी बाइबल के मसीही यूनानी शास्त्र में यूनानी शब्द एकलीसीया को “कलीसिया” कहा गया है। एकलीसिया यानी लोगों की मंडली। और इस शब्द का मतलब है, एक होकर रहना और एक-दूसरे की मदद करना।
मसीही कलीसिया परमेश्वर के वचन की सच्चाई को बढ़ावा देकर उसकी पैरवी करती है और परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी सुनाती है। (१ तीमुथियुस ३:१५; १ पतरस २:९) इतना ही नहीं, यह कलीसिया अपने लोगों को आध्यात्मिक रूप से सहारा देती है और उनकी मदद करती है। इसमें एक इंसान ऐसे सच्चे दोस्त पा सकता है जो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और मुसीबत की घड़ी में हमेशा मदद करने और दिलासा देने को तैयार रहते हैं।—२ कुरिन्थियों ७:५-७.
हमेशा से यहोवा के उपासकों ने उसकी कलीसिया की पनाह में आकर चैन पाया है और सुरक्षित महसूस किया है। भजनहार ने भी लिखा कि उसे परमेश्वर के लोगों के झुंड में बेहद खुशी मिली और उसने सुरक्षित महसूस किया। (भजन २७:४, ५; ५५:१४; १२२:१) उसी तरह आज, मसीही कलीसिया में भी हमें ऐसे भाई-बहन मिलते हैं जो तरक्की करने में हमारी मदद करते हैं और हमेशा एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं।—नीतिवचन १३:२०; रोमियों १:११, १२.
कलीसिया के इन सदस्यों को सिखाया जाता है कि वे “सब के साथ भलाई करें; विशेष करके [अपने] विश्वासी भाइयों के साथ।” (गलतियों ६:१०) बाइबल की शिक्षा का उन पर ऐसा असर होता है कि वे एक-दूसरे को अपना भाई समझकर दिल से उन्हें प्यार करते हैं। (रोमियों १२:१०; १ पतरस ३:८) हमारे इन आध्यात्मिक भाई-बहनों के दिल में दया होती है, वे अमन-पसंद होते हैं और दूसरों के साथ हमदर्दी रखते हैं। (इफिसियों ४:३) वे बस नाम के लिए उपासना नहीं करते बल्कि एक-दूसरे से सच्चा प्रेम करते हैं और उनकी परवाह करते हैं।—याकूब १:२७.
इसीलिए, दुःख-तकलीफों से कुचले हुए लोगों को कलीसिया में परिवार जैसा प्यार-भरा माहौल मिलता है। (मरकुस १०:२९, ३०) उन्हें यह देखकर बहुत हिम्मत मिलती है कि वे उन लोगों का हिस्सा हैं जो एकता और प्यार में बँधे हैं। (भजन १३३:१-३) कलीसिया के ज़रिए ही “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास”, “समय पर” पौष्टिक आध्यात्मिक “भोजन” देता है—मत्ती २४:४५.
प्रेममय ओवरसियरों से मदद
मसीही कलीसिया के सदस्य ऐसे काबिल चरवाहों की उम्मीद रख सकते हैं जो अपनी भेड़ों से प्यार करते हैं, उन्हें समझते हैं और आध्यात्मिक मदद देकर उनकी हिम्मत बढ़ाते हैं। ऐसे काबिल चरवाहे मानो “आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़” जैसे हैं। (यशायाह ३२:१, २) आत्मा द्वारा ठहराए गए ये प्राचीन या ओवरसियर परमेश्वर के भेड़ सरीखे लोगों की देखभाल करते हैं, अगर वे बीमार और हताश हैं तो उनका हौसला बढ़ाते हैं और गलती करनेवालों को सही राह पर लाने की कोशिश करते हैं।—भजन १००:३; १ पतरस ५:२, ३.
यह सच है कि कलीसिया के प्राचीन, पेशेवर थेरपिस्ट या डॉक्टरों की तरह अपने भाई-बहनों की शारीरिक और मानसिक बीमारियों का इलाज तो नहीं कर सकते, क्योंकि इस दुनिया में बीमारों के लिए ‘वैद्य’ ज़रूरी है। (लूका ५:३१) लेकिन ये चरवाहे आध्यात्मिक रूप से बीमार लोगों की मदद ज़रूर कर सकते हैं। (याकूब ५:१४, १५) और अगर इसके अलावा किसी और मदद की ज़रूरत पड़े तो वे उसका भी पूरा इंतज़ाम करने की कोशिश करते हैं।—याकूब २:१५, १६.
यह प्यार-भरा इंतज़ाम किसने किया? खुद यहोवा परमेश्वर ने! भविष्यद्वक्ता यहेजकेल, हमें यहोवा का वचन बताता है: “मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों की सुधि लूंगा, और उन्हें ढूंढ़ूंगा . . . मैं उन्हें उन सब स्थानों से निकाल ले आऊंगा, जहां जहां वे . . . तितर-बितर हो गई हों। . . . मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों का चरवाहा हूंगा, और मैं आप ही उन्हें बैठाऊंगा।” परमेश्वर घायल और कमज़ोर भेड़ों की भी परवाह करता है।—यहेजकेल ३४:११, १२, १५, १६.
सही वक्त पर सच्ची मदद
पर क्या मसीही कलीसिया वाकई मदद करती है? जी हाँ, और यह साबित करने के लिए नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं जो दिखाते हैं कि किन-किन हालातों में कलीसिया मदद करती है।
◆ किसी अज़ीज़ की मौत। एना का पति एक लंबी बीमारी के बाद मर गया। वह कहती है, “तब से मेरे मसीही भाई-बहनों ने मुझे बेहद प्यार दिया है। उनकी दिलासा देनेवाली बातें, उनका प्यार से मुझे गले लगाना, ये सब मेरे शरीर में जान फूँकते रहे वरना मैं कब की टूट चुकी होती। इसके लिए मैं यहोवा का धन्यवाद करती हूँ। उनका प्यार पाकर मैं सँभल सकी, मुझमें हिम्मत आ गई। मेरी परवाह करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी।” शायद आपको भी किसी अज़ीज़ की मौत से गहरा सदमा पहुँचा हो। ऐसे में, कलीसिया के सदस्य आपको वह सांत्वना और मदद दे सकते हैं जिसकी आपको बहुत ज़रूरत है।
◆ बीमारी। पोलैंड का एक भाई आर्टूर, सफरी ओवरसियर था और मध्य-एशिया की कलीसियाओं का दौरा करके वहाँ के भाई-बहनों को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करता था। एक बार विज़िट के दौरान वह बहुत बीमार हो गया और उसकी हालत बहुत नाज़ुक हो गई थी। एहसान मानते हुए आर्टूर कहता है “मैं आपको बताना चाहता हूँ कि [कज़ाकिस्तान के एक शहर] के भाई-बहनों ने किस तरह मेरी देखभाल की। . . . उन भाई-बहनों ने जिन्हें मैंने कभी देखा तक नहीं था—यहाँ तक कि सच्चाई सीखनेवाले नए लोग भी पैसे, खाने-पीने की चीज़ें और दवा लाए। . . . और ऐसा करने में उन्हें बेहद खुशी महसूस होती थी।
“आप सोच सकते हैं कि मुझे कैसा महसूस हुआ जब मुझे एक लिफाफा मिला जिसमें कुछ पैसे और एक चिट्ठी थी, जिसमें लिखा था: ‘मेरे प्यारे भाई, आपको बहुत-बहुत प्यार। मम्मी ने मुझे आइस-क्रीम के लिए पैसे दिए थे मगर मैं ये आपको भेज रहा हूँ, आप इनसे दवा मँगवा लेना। आप जल्दी अच्छे हो जाओ ना। अभी हमें यहोवा की बहुत सेवा करनी है। बेस्ट विशिस। और हाँ, मुझे सिखाने के लिए अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनाना मत भूलना। आपका वॉवा।’ ” जी हाँ, जैसे यहाँ हुआ वैसे ही हर कलीसिया में बच्चे और बड़े दोनों बीमार लोगों का हौसला बढ़ा सकते हैं।—फिलिप्पियों २:२५-२९.
◆ हताशा। टेरी बहुत चाहती थी कि वह पूर्ण समय की प्रचारक यानी एक पायनियर बनकर सेवा करती रहे। लेकिन मुश्किलों की वज़ह से उसे पायनियरिंग छोड़नी पड़ी। वह कहती है, “मुझे बहुत बुरा लगा कि मैंने पायनियरिंग करने की कोशिश तो की पर इसमें एक साल तक भी टिक न सकी।” टेरी का यह सोचना गलत था कि यहोवा उससे तभी खुश होगा जब वह उसकी ज़्यादा सेवा करेगी। (मरकुस १२:४१-४४ से तुलना कीजिए) वह इतनी निराश हो गई कि उसने लोगों से मिलना-जुलना तक बंद कर दिया। लेकिन तभी कलीसिया ने उसकी मदद की जिससे वह सँभल सकी।
टेरी याद करती है: “एक बहन ने सही वक्त पर मेरी मदद की जो काफी समय से पायनियरिंग कर रही थी, जब मैंने अपने दिल का सारा दुःख उसे बताया तो उसने बड़े ध्यान से सुना। जब मैं अपना सारा हाल सुनाकर उसके घर से निकली तो मुझे ऐसा लगा मानो मेरे सिर से एक भारी बोझ उतर गया है। तब से इस पायनियर बहन और उसके पति ने, जो कलीसिया में एक प्राचीन है, मेरी बहुत मदद की है। वे हर दिन फोन करके मेरी खैरियत पूछते थे। . . . और उन्होंने कई बार मुझे अपनी फैमली स्टडी में भी बुलाया, जिससे मुझे यह समझने में मदद मिली कि परिवार के सदस्यों का एक-दूसरे के करीब रहना कितना ज़रूरी है।”
यह एक आम बात है कि कई लोग, यहाँ तक कि समर्पित मसीही भी कभी-कभी उदास हो जाते हैं और निराश और अकेला महसूस करते हैं। लेकिन हम कितने शुक्रगुज़ार हो सकते हैं कि ऐसे हाल में भी परमेश्वर की कलीसिया हमारी मदद करती है और दिल से हमें प्यार करती है!—१ थिस्सलुनीकियों ५:१४.
◆ विपत्ति और दुर्घटनाएँ। चार सदस्यों का एक परिवार था। एक दिन उनका घर और सब कुछ आग में जलकर राख हो गया। उनकी जगह खुद को रखकर देखिए कि आपको कैसा लगता। पर देखिए कि वे क्या कहते हैं: “इसके बाद हमारे साथ जो हुआ, वह हमेशा एक याद बनकर रहेगा। यहोवा के लोगों के सच्चे प्यार ने हमारे दिल को छू लिया। . . . खबर मिलते ही हमारे भाई-बहनों के फोन पर फोन आने लगे। सभी को अफसोस था और उन्होंने हमें तसल्ली देते हुए बताया कि वे हर तरह से हमारी मदद करेंगे। यह देखकर हमारी आँखें भर आईं कि हमारा हर भाई और बहन हमें कितना चाहता है और हमारी कितनी परवाह करता है।”
जल्द ही कलीसिया के प्राचीनों ने बहुत सारे भाइयों को भेजा जिन्होंने कुछ ही दिनों के अंदर इस परिवार के लिए एक नया घर बना दिया। यह सब देखकर उनकी एक पड़ोसन दंग रह गई। उसने कहा: “यह सचमुच देखनेलायक है! यहाँ हर जाति के लोग साथ मिलकर काम कर रहे हैं—स्त्री, पुरुष, काले, लैटिन अमरीकी!” यह उनके सच्चे भाईचारे का बढ़िया सबूत था।—यूहन्ना १३:३५.
भाई-बहनों ने इस परिवार को कपड़े, खाने-पीने की चीज़ें और पैसे भी दिए। पिता कहता है: “यह सब क्रिसमस के समय हुआ जब लोग एक-दूसरे को तोहफे देते हैं लेकिन हम कह सकते हैं कि हमें जिस तरह सच्चे प्यार से ढेर सारे तोहफे मिले वैसे किसी को भी नहीं मिले।” और उन्होंने यह भी कहा: “आग के हादसे को हम भूलते जा रहे हैं, और उसकी जगह अच्छे दोस्तों और उनके प्यार और उनकी मदद की यादें बस रही हैं। हम अपने प्रेमी स्वर्गीय पिता, यहोवा का धन्यवाद करते हैं कि उसने हमारे लिए इस ज़मीन पर भाइयों के ऐसे बढ़िया परिवार का इंतज़ाम किया है जिसमें एकता है और हम परमेश्वर का एहसान मानते हैं कि हम भी इसके एक सदस्य हैं!”
सच है कि हर दुर्घटना में इस तरह की मदद नहीं मिलती ना ही हमें इसकी उम्मीद रखनी चाहिए। लेकिन इस मिसाल से साबित होता है कि कलीसिया किस तरह मदद कर सकती है।
परमेश्वर से मिलनेवाली बुद्धि
बहुत से लोगों ने मसीही कलीसिया में एक और ज़रिए से मदद और ताकत पाई है। वह ज़रिया क्या है? यह हैं किताबें और खासकर प्रहरीदुर्ग और सजग होइए!, जिन्हें “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने तैयार किया है। इन किताबों में जो भी अच्छी सलाहें और काम की हिदायतें दी जाती हैं वे खासकर बाइबल में दी गई परमेश्वर की बुद्धि से ली गई होती हैं। (भजन ११९:१०५) ये किताबें बाइबल के अलावा विद्वानों जैसे जानकार लोगों और कई खोजों पर आधारित बढ़िया जानकारी देकर कई समस्याओं से निपटने में हमारी मदद करती हैं जैसे मानसिक हताशा, बदसलूकी के बुरे अंजामों से निपटना, समाज की कई समस्याएँ, पैसों की तंगी, जवानों के सामने आनेवाली परेशानियाँ और गरीब देशों की आम समस्याएँ। और इन किताबों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये साबित करती हैं कि परमेश्वर का मार्ग ही जीने का सबसे बेहतरीन मार्ग है।—यशायाह ३०:२०, २१.
हर साल वॉच टावर सोसाइटी को हज़ारों लोग खत लिखकर इन किताबों के लिए धन्यवाद देते हैं। मिसाल के तौर पर, सजग होइए! पत्रिका में आत्म-हत्या के बारे में एक लेख को पढ़कर रूस के एक नौजवान ने सोसाइटी को खत लिखा: “मैं बहुत ही हताश हो जाया करता था . . . और इसलिए मैंने कई बार खुदकुशी करने की सोची। लेकिन इस लेख ने मेरा विश्वास मज़बूत किया कि परमेश्वर मुझे अपनी समस्याओं से निपटने में मदद करेगा। वह चाहता है कि मैं ज़िंदा रहूँ। मैं उसका शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने इस लेख के ज़रिए मेरी मदद की है।”
अगर आपको लगता है कि इस दुनिया की मुसीबतों के तूफानों को सहना आपके बस की बात नहीं, तो आप यकीन रख सकते हैं कि मसीही कलीसिया आपको पनाह देगी। अगर आप इस नफरत भरी दुनिया से तंग आ चुके हैं और पस्त महसूस करते हैं, तो आप यहोवा के संगठन में आकर फिर से ताज़गी और खुशी पा सकते हैं। ऐसी मदद पाकर शायद आप भी वही कहें जो एक मसीही स्त्री ने कहा था जब वह अपने पति की गंभीर बीमारी का सामना करने में कामयाब हुई। उसने लिखा: “हमें इतना प्यार दिया गया और हमारी इतनी देखभाल की गई कि हमें ऐसा लगा मानो मुसीबत के इस तूफान में खुद यहोवा ने अपने हाथों में हमें उठा लिया हो। यहोवा के महान संगठन में होकर मैं कितनी खुश हूँ!”
[फुटनोट]
a नाम बदल दिए गए हैं।
[पेज 26 पर तसवीर]
बीमारों, दुःखी लोगों और दूसरों को मदद देकर हम उनका हौसला बढ़ा सकते हैं