“मेरी पत्नी लाखों में एक है”
यहोवा के साक्षियों पर अकसर यह इलज़ाम लगाया जाता है कि वे परिवारों में फूट डाल देते हैं। क्या यह इलज़ाम जायज़ है? बिलकुल नहीं। इसका सबूत हमें उन सुखी परिवारों से मिलता है जिनमें सिर्फ पति या सिर्फ पत्नी यहोवा के साक्षी हैं। सच तो यह है कि बाइबल की सलाह मानने से परिवार में फूट नहीं पड़ती बल्कि पारिवारिक जीवन और भी सुखी हो जाता है, जैसा कि फ्रांस के एक अखबार में छापे गए इस खत से पता चलता है।
“आज अपनी शादी के २८ साल बाद भी मैं फख्र से कह सकता हूँ कि मेरी पत्नी लाखों में एक है। और पता है क्यों? क्योंकि वह एक यहोवा की साक्षी है। हमारे पाँच बच्चे हैं जिनमें से दो मेरी पहली पत्नी के हैं, फिर भी उसने कभी भी उन दो बच्चों के साथ सौतेली माँ जैसा व्यवहार नहीं किया, उनको अपने ही बच्चों की तरह ममता दी है और उनकी देखभाल की है। आज मैं एक कंपनी का डायरक्टर हूँ और मेरी निगरानी में ४५ जन काम करते हैं। मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि मेरी इस कामयाबी में मेरी पत्नी का बहुत बड़ा हाथ रहा है। इसीलिए जब मैंने अखबार में पढ़ा कि यहोवा के साक्षियों को लोटागेरोन इलाके में खतरा समझा जा रहा है तो मैंने यह गलतफहमी दूर करने के लिए आपको सच्चाई बताना ज़रूरी समझा।”
इस खत में यह भी कहा गया: “यहोवा के साक्षी न तो सिगरेट पीते हैं और ना ही शराब। तो क्या आप इसे एक खतरा मानते हैं? वे ऐसे मसीही हैं जिनमें सहन-शक्ति है और वे जिन नियमों पर चलते हैं उनको किसी और पर नहीं थोपते। इसके बजाय वे कई बातों में एक अच्छी मिसाल हैं। . . . वे पैसे के मामले में धोखाधड़ी नहीं करते और ना ही ड्रग्स की तस्करी करते हैं। ऐसा नहीं है कि वे वैरागी हैं या उन्होंने दुनिया से अलग रहने की कसम खा रखी है, सच मानिए, वे हमारी ही तरह आम इंसान हैं. . . .
“तो अब आप शायद पूछें कि मैं अभी तक एक यहोवा का साक्षी क्यों नहीं बना? क्योंकि यहोवा का साक्षी बनना कोई मामूली बात नहीं है। इसके लिए मसीही विश्वास और शुद्ध चालचलन का होना बहुत ज़रूरी है और ये बातें एक इंसान में इतनी आसानी से नहीं आ जातीं।”