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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2003
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2003
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जब प्रचार काम एक मीठी याद बन जाए

“चिलचिलाती धूप थी और जहाँ तक नज़र दौड़ाओ सिर्फ पहाड़-ही-पहाड़ दिखायी दे रहे थे। आखिरकार, कई कठिनाइयों को पार करने के बाद हम अपनी मंजिल, दूर-दराज़ के एक गाँव में पहुँच गए। हमारी सारी थकान तब उड़न-छू हो गयी जब पहला ही दरवाज़ा खटखटाने पर हमारा प्यार से स्वागत किया गया। दिन खत्म होते-होते हमने सारे साहित्य बाँट दिए और कई बाइबल अध्ययन शुरू किए। लोग सीखने को बेताब थे। लेकिन अब हमारा लौटने का समय हो गया था इसलिए हम दोबारा आने का वादा करके वहाँ से चले गए।”

मेक्सिको में पायनियरों के एक समूह के लिए ऐसे अनुभव बड़े आम हैं। यीशु ने अपने चेलों को जो आज्ञा दी थी कि ‘पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होंगे,’ उसे ये पायनियर सेवक बड़े जोश के साथ पूरा करने में लगे हुए हैं। (प्रेरितों 1:8) मेक्सिको में प्रचार काम करने का खास अभियान चलाया गया। उसे पायनियर रूट कहा जाता है यानी किसी खास इलाके को सिलसिलेवार ढंग से पूरा करना। इसमें उन इलाकों में जाकर प्रचार किया जाता है जिन्हें किसी कलीसिया को नहीं सौंपा गया है और इस वजह से वहाँ के लोगों को परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी नियमित तौर पर सुनने को नहीं मिली है। अकसर ऐसे इलाके बहुत दूर होते हैं या वहाँ पहुँचना बड़ा मुश्‍किल होता है। इस अभियान के तहत, उन कलीसियाओं को भी मदद दी गयी जो दूर-दराज़ के इलाके में एकमात्र कलीसिया थी लेकिन जिसका प्रचार का क्षेत्र बहुत बड़ा था।

यह तय करने के लिए कि देश के किस क्षेत्र में पायनियर रूट के ज़रिए प्रचार किया जाएगा, यहोवा के साक्षियों का शाखा दफ्तर उस क्षेत्र की ज़रूरत को जाँचता है।a जब यह जाँच पूरी होती है तो स्पेशल पायनियरों के समूह को वहाँ प्रचार के लिए नियुक्‍त किया जाता है। उनके लिए ऐसी गाड़ियों का इंतज़ाम किया जाता है जो ऊबड़-खाबड़ और कच्ची सड़कों के लिए बिलकुल सही हो। ज़रूरत पड़ने पर इन गाड़ियों में न सिर्फ साहित्य रखे जा सकते थे बल्कि सोया भी जा सकता था।

न्यौते को फौरन स्वीकार करना

अक्टूबर 1996 से इस काम में स्पेशल पायनियरों का साथ देने के लिए दूसरे प्रकाशकों को न्यौता दिया गया है। जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी, वहाँ सेवा करने के लिए तैयार राज्य के प्रकाशकों, साथ ही रेग्युलर पायनियरों ने इस अभियान के दौरान अलग-अलग समयों में आकर हिस्सा लिया। कुछ लोगों को उन्हीं कलीसियाओं के साथ संगति करने को कहा जाता है जिस इलाके में उन्हें प्रचार करने के लिए नियुक्‍त किया जाता था, ताकि वे उस इलाके में अच्छी गवाही देने के साथ-साथ दिखायी गयी दिलचस्पी को आगे बढ़ा सकें। बहुत-से जवान प्रकाशकों और पायनियरों ने इस न्यौते को स्वीकार किया और उन्हें इसके ज़रिए बेहतरीन और हौसला बढ़ानेवाले अनुभव हासिल हुए।

उदाहरण के लिए, एक जवान मसीही आबीमाइल, एक मोबाइल-फोन कंपनी में काम करता था, जहाँ उसकी बहुत अच्छी कमाई थी। लेकिन उसने दूर-दराज़ के इलाकों में प्रचार काम में हिस्सा लेने का फैसला किया। जब उसके मालिकों को पता चला कि वह नौकरी छोड़ने जा रहा है तो उन्होंने उसे प्रमोशन देने और तनख्वाह बढ़ाने की बात की। उसके साथ काम करनेवालों ने भी उस पर दबाव डाला और समझाया कि ऐसा मौका बार-बार नहीं आता, मालिक की पेशकश को ठुकराना मूर्खता होगी। लेकिन, आबीमाइल ने तीन महीने के लिए इस खास प्रचार अभियान में हिस्सा लेने की ठान ली थी। उसे इस प्रचार काम में बड़ा मज़ा आया, फिर तीन महीने बाद उसने फैसला किया कि वह एक अलग-थलग कलीसिया में अनिश्‍चित समय तक रहेगा क्योंकि वहाँ राज्य के प्रचारकों की सख्त ज़रूरत है। हालाँकि अब उसके पास एक कम तनख्वाहवाली नौकरी है लेकिन उसने सादगी भरा जीवन जीना सीख लिया है।

एक और उदाहरण है खूलीसा का जिसे एक दूसरी कलीसिया में नियुक्‍त किया गया था। वहाँ पहुँचने के लिए उसे अलग-अलग बसों से 22 घंटे का सफर तय करना था। अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए उसे आखिरी बस पकड़नी थी लेकिन वह छूट गयी और उसके बाद फिर कोई बस नहीं थी। वहाँ एक ट्रक खड़ा था जो मज़दूरों को ले जा रहा था। खूलीसा ने हिम्मत जुटाते हुए मज़दूरों से आग्रह किया कि उसे भी ट्रक में साथ ले जाए। लाज़िमी है कि वह थोड़ी सहमी हुई थी, क्योंकि इतने सारे आदमियों में सिर्फ वही एक औरत थी। जब उसने एक नौजवान को प्रचार करना शुरू किया तब उसने जाना कि वह नौजवान तो खुद यहोवा का एक साक्षी है! खूलीसा याद करते हुए कहती है, “इतना ही नहीं, ट्रक का ड्राइवर उस कलीसिया का एक प्राचीन निकला जिस कलीसिया में मुझे भेजा गया था!”

बुज़ुर्ग हिस्सा लेते हैं

यह काम सिर्फ जवानों के लिए नहीं था। एक बुज़ुर्ग बहन, आडेला की काफी समय से यह इच्छा थी कि वह प्रचार काम में ज़्यादा-से-ज़्यादा समय बिताए। जब उसे इस खास प्रचार काम में हिस्सा लेने का न्यौता आया तो उसे अपनी इच्छा पूरी करने का बढ़िया मौका मिल गया। वह बताती है: “मुझे प्रचार करने में इतना मज़ा आया कि मैंने कलीसिया के प्राचीनों से और ज़्यादा समय तक यहाँ रहकर प्रचार करने की इजाज़त माँगी। मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि इस उम्र में भी मैं यहोवा की सेवा में काम आ सकती हूँ।”

इसी तरह 60 साल की मार्था ने यहोवा के लिए कदर और इंसानों के लिए प्यार की वजह से इस अभियान में हिस्सा लिया। उसने गौर किया कि रास्ता बहुत कठिन और क्षेत्र दूर होने की वजह से उसके समूह के भाई-बहन, सभी लोगों तक नहीं पहुँच पा रहे थे। इसलिए उसने पायनियरों के इस्तेमाल के लिए एक कार खरीदी। इस बहन की उदारता से बहुत सारे क्षेत्र में प्रचार करना संभव हुआ और ज़्यादा लोगों के साथ बाइबल सच्चाई बाँटी गयी।

दिल छू लेनेवाले नतीजे

प्रचार के इस खास अभियान में हिस्सा लेनेवालों का मुख्य उद्देश्‍य था, ‘चेला बनाना।’ इसके बहुत अच्छे नतीजे सामने आए। दूर-दराज़ इलाकों के लोगों ने बाइबल से ऐसी सच्चाई सीखी जो उनकी जान बचा सकती है। (मत्ती 28:19, 20) बहुत-से बाइबल अध्ययन शुरू किए गए। ये अध्ययन अब उस इलाके में रहनेवाले प्रकाशक या उस इलाके में ठहर जानेवाले दूसरे प्रचारक चलाते हैं। कुछ मामलों में प्रकाशकों के समूह बनाए गए और कहीं-कहीं छोटी-छोटी कलीसियाएँ शुरू की गयी हैं।

मागदालेनो और उसके साथियों को जिस इलाके में प्रचार करने का काम सौंपा गया था, वहाँ जाने के लिए उन्हें यातायात के आम साधनों का इस्तेमाल करना पड़ा। जाते वक्‍त उन्होंने मौके का फायदा उठाकर ड्राइवर को गवाही दी। “इस ड्राइवर ने कहा कि एक हफ्ते पहले कुछ साक्षी उसके घर आए थे मगर उस वक्‍त वह घर पर नहीं था। जब वह लौटा तो उसके परिवार ने उसे वे सारी बातें बतायीं जो साक्षियों ने कही थीं। हमने उस ड्राइवर से कहा कि हम लोग आस-पास के इलाकों से नहीं आए हैं। लेकिन प्रचार के खास अभियान में हाथ बँटाने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से आए हैं और आने-जाने का खर्चा भी हमने खुद उठाया है। इससे वह ड्राइवर इतना प्रभावित हुआ कि उसने कहा कि वह अपने परिवार के साथ इसी हफ्ते से बाइबल अध्ययन शुरू करेगा। इतना ही नहीं उसने हमसे किराया भी नहीं लिया और इस तरह उसने इस काम में हमारी मदद की।”

मागदालेनो, चीआपस पहाड़ों में रहनेवाले लोगों की प्रतिक्रिया देखकर भी बड़ा प्रभावित हुआ। “मुझे और मेरी पत्नी को 26 जवान लोगों के एक समूह के साथ राज्य संदेश बाँटने का मौका मिला जो प्रेसबिटेरियन चर्च से थे। सभी ने आधे घंटे तक हमारी बात बड़े ध्यान से सुनी। उन्होंने अपनी-अपनी बाइबल निकाली और हम उन्हें यहोवा के उद्देश्‍यों के बारे में अच्छी तरह से साक्षी दे सके। ज़्यादातर लोगों के पास ट्‌ज़ेल्टाल भाषा में अपनी बाइबल थी।” बहुत सारे बाइबल अध्ययन शुरू किए गए, और वे सब अच्छी तरक्की कर रहे हैं।

विरोध का ठंडा पड़ना

चीआपस के एक गाँव में दो साल से ज़्यादा समय तक बाइबल का संदेश नहीं सुनाया गया था क्योंकि वहाँ के कुछ लोग विरोध करते थे। पूरे समय की एक प्रचारक टेरेज़ा ने देखा कि कुछ साक्षी उस गाँव में प्रचार करने से डरते हैं। उसने कहा: “लेकिन हैरानी की बात है, लोग सुनने को तैयार थे। जब हमने प्रचार काम खत्म किया तो ज़ोरों की बारिश होने लगी। पनाह ढूँढ़ते-ढूँढ़ते, हम एक आदमी के घर आए। उसका नाम सेबास्टियन था और वह बहुत ही दोस्ताना था। उसने हमें अंदर बुलाया ताकि हम बारिश से बच सकें। अंदर जाकर मैंने उससे पूछा कि उसके पास कोई मिलने आया था? जब उसने कहा नहीं, तो मैंने उसे साक्षी देनी शुरू की और किताब ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता हैb से अध्ययन शुरू कर दिया। जब मैंने अध्ययन खत्म किया तो सेबास्टियन की आँखें भर आयीं और उसने मुझसे दोबारा आने की गुज़ारिश की।”

चीआपस में प्रचार करने गए पायनियरों के एक और समूह ने रिपोर्ट दी: “यहोवा की मदद से हमें अच्छे नतीजे मिले हैं। पहले हफ्ते, हमने 27 बाइबल अध्ययन शुरू किए; दूसरे हफ्ते हमने लोगों को बाइबल—आपके जीवन में इसका असर (अँग्रेज़ी) वीडियो देखने के लिए बुलाया। साठ लोग यह वीडियो देखने के लिए हाज़िर हुए। और हरेक को यह वीडियो बहुत पसंद आया। आखिर में हमने एक समूह के तौर पर बाइबल अध्ययन शुरू करने का प्रस्ताव रखा। आश्‍चर्य की बात है कि उस गाँव में दो अध्ययन समूह बनाए गए।

“जिन इलाकों में हमें प्रचार करने का काम सौंपा गया था, उन्हें पूरा करने के बाद हम दोबारा उस गाँव में गए जहाँ लोगों ने दिलचस्पी दिखायी थी ताकि उनका विश्‍वास मज़बूत कर सकें, और देख सकें कि बाइबल अध्ययन के लिए जो समूह बनाए गए थे वे कैसी प्रगति कर रहे हैं। हमने उन्हें जन सभा और प्रहरीदुर्ग अध्ययन के लिए बुलाया। मगर सभा आयोजित करने के लिए कोई बड़ी जगह नहीं थी। इसलिए जिस व्यक्‍ति ने अपना घर समूह अध्ययन के लिए दिया था, उसने घर के पिछवाड़े की तरफ इशारा करते हुए कहा: ‘सभाएँ पीछे आँगन में रखी जा सकती हैं।’”

उस सप्ताह के आखिरी दिनों में मेहमान पायनियर साथ ही दिलचस्पी दिखानेवालों ने भी बड़े जोश के साथ सभा के लिए घर के पिछवाड़े को तैयार करने में हाथ बँटाया। पहली सभा में वहाँ 103 लोग इकट्ठे हुए थे। अब उस गाँव में 40 बाइबल अध्ययन चलाए जा रहे हैं।

“एक लाजवाब अनुभव”

जिन्होंने प्रचार के इस खास अभियान में हिस्सा लिया, उन्हें प्रचार में बेहतरीन नतीजे तो मिले ही, इसके साथ-साथ उन्हें निजी तौर पर भी बहुत फायदा हुआ। एक जवान पायनियर मारीया, जिसने इनमें से एक अभियान में हिस्सा लिया था, अपनी भावनाओं को इस तरह व्यक्‍त करती है: “दो कारणों से यह एक लाजवाब अनुभव था। मैंने प्रचार काम में बहुत ज़्यादा खुशी पायी और यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता और भी मज़बूत हुआ। एक बार जब हम पहाड़ पर चढ़ रहे थे तो हमें बहुत थकान महसूस हुई। यहोवा से मदद के लिए प्रार्थना करने के बाद हमने यशायाह 40:29-31 के शब्दों को महसूस किया, जहाँ लिखा है: ‘जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे।’ इसलिए हम अपनी मंज़िल पर पहुँच सके और हमने उन लोगों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया जिन्होंने प्यार-से हमारा स्वागत किया।”

सत्रह साल की एक और जवान पायनियर क्लॉडिया हमें बताती है: “मुझे इससे बहुत फायदा हुआ। मैं अपनी सेवा में और भी कुशल हो गयी हूँ जिससे मुझे बहुत खुशी मिली है और इस वजह से मैं अपनी ज़िंदगी में कुछ आध्यात्मिक लक्ष्य रख पायी हूँ। मैं आध्यात्मिक तौर पर बहुत समझदार भी हो गयी हूँ। पहले घर पर मेरा सारा काम मेरी माँ किया करती थी। लेकिन अब जो तजुर्बा मुझे हासिल हुआ उससे मैं ज़िम्मेदारी सँभालना सीख गयी हूँ। उदाहरण के लिए, मैं पहले खाने-पीने में बहुत नखरे किया करती थी। लेकिन अलग-अलग हालात में खुद को ढालने की वजह से अब मैं खाने के बारे में शिकायत नहीं करती। प्रचार के इस खास अभियान में हिस्सा लेने से मैं अच्छे दोस्त बना पायी हूँ। हमारे पास जो भी है हम एक-दूसरे के साथ बाँटते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं।”

खुशियों भरी कटनी

इस खास मेहनत के क्या नतीजे निकले हैं? सन्‌ 2002 की शुरूआत में करीब 28,300 पायनियर सेवकों ने ऐसे पायनियर रूट में हिस्सा ले चुके थे। उन्होंने 1,40,000 से ज़्यादा बाइबल अध्ययन चलाए, और प्रचार काम में 20 लाख से ज़्यादा घंटे बिताए। बाइबल सच्चाई सीखने में लोगों की मदद करने में करीब 1,21,000 किताबें और करीब-करीब 7,30,000 पत्रिकाएँ पेश की गयीं। कुछ पायनियरों के लिए 20 या उससे ज़्यादा बाइबल अध्ययन चलाना कोई नयी बात नहीं है।

बाइबल सच्चाई पहुँचाने के लिए इन पायनियरों ने जो कड़ी मेहनत की है, उसके लिए सच्चाई पानेवाले उनके बहुत-बहुत आभारी हैं। बहुत-से लोग गरीब होने के बावजूद प्रकाशकों से यह ज़िद्द करते थे कि वे उनका दान स्वीकार करें। एक 70 साल की ज़रूरतमंद बुज़ुर्ग औरत, उसके घर आनेवाले पायनियरों को हमेशा कुछ-न-कुछ देती थी। अगर वे लेने से मना करते तो वह रोने लगती। एक और गरीब परिवार ने पूरे समय के सेवकों से कहा कि हमारी मुर्गी खास आप ही के लिए कुछ अंडे देती है और उनसे अंडे ले जाने की ज़िद्द करते।

लेकिन उससे भी बढ़कर ये नेकदिल लोग आध्यात्मिक बातों के लिए सच्ची कदर दिखाते हैं। मिसाल के तौर पर, एक जवान स्त्री मसीही सभाओं में हाज़िर होने के लिए अकेली साढ़े तीन घंटे का सफर तय करती और एक भी सभा से नहीं चूकती। दिलचस्पी दिखानेवाली एक बुज़ुर्ग औरत घुटनों के दर्द से परेशान होने के बावजूद सफरी ओवरसियर की भेंट के दौरान बाइबल से निर्देशन पाने के लिए दो घंटे सफर करके आयी। कुछ अनपढ़ लोग पढ़ना-लिखना सीखना चाहते थे ताकि वे भी बाइबल की शिक्षा से और फायदा उठा सकें। और उनकी मेहनत वाकई रंग लायी है।

प्रेरित पौलुस ने जो दर्शन देखा उसके बारे में, लूका ने प्रेरितों की किताब में इस तरह लिखा: “एक मकिदुनी पुरुष खड़ा हुआ, उस से बिनती करके कहता है, कि पार उतरकर मकिदुनिया में आ; और हमारी सहायता कर।” पौलुस ने तुरंत इस न्यौते को स्वीकार किया। आज भी मेक्सिको के दूर-दराज़ इलाकों में बहुत-से लोग पौलुस के जैसा ही रवैया दिखा रहे हैं और “पृथ्वी की छोर तक” खुशखबरी सुनाने के लिए अपने आपको पेश कर रहे हैं।—प्रेरितों 1:8; 16:9, 10.

[फुटनोट]

a हाल के साल में, यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं के ज़रिए मेक्सिको के 8 प्रतिशत से ज़्यादा इलाकों में प्रचार का काम नियमित तौर पर नहीं हुआ है। ऐसे अलग-थलग इलाकों में जहाँ 82,00,000 से ज़्यादा लोग रहते हैं, प्रचार का काम बहुत सीमित है।

b इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 9 पर तसवीर]

मेक्सिको के कई साक्षियों ने खास प्रचार अभियान में हिस्सा लिया

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