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  • यहोवा आपको कभी नहीं छोड़ेगा
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2005
w05 10/15 पेज 8-11

यहोवा आपको कभी नहीं छोड़ेगा

यहूदिया के मसीहियों का कड़ा विरोध किया जा रहा था। इतना ही नहीं, उनके ज़माने के लोग धन-दौलत के पीछे भाग रहे थे, जबकि इन मसीहियों की कोशिश थी कि वे उनके जैसे न बनें। इसलिए उनकी हिम्मत बँधाने के लिए, प्रेरित पौलुस ने यहोवा के उन शब्दों का हवाला दिया जो उसने इस्राएलियों से तब कहे थे, जब वे वादा किए देश में दाखिल होनेवाले थे। पौलुस ने लिखा: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।” (इब्रानियों 13:5; व्यवस्थाविवरण 31:6) यहोवा का यह वादा पढ़कर यहूदिया के उन मसीहियों का कितना ढाढ़स बँधा होगा।

यही वादा आज हमें भी उन मुसीबतों का सामना करने में मदद देता है जो इस “कठिन समय” में जीने की वजह से हम पर आती हैं। (2 तीमुथियुस 3:1) अगर हम यहोवा पर भरोसा रखें और उस भरोसे के मुताबिक काम करें, तो वह हमें मुश्‍किल-से-मुश्‍किल हालात में भी सँभाले रहेगा। यहोवा अपना वादा कैसे पूरा करता है, यह जानने के लिए आइए एक मिसाल लें। वह है, जब अचानक किसी की रोज़ी-रोटी छिन जाती है।

अचानक हालात बदलने पर क्या करें

दुनिया-भर में बेरोज़गारों की गिनती दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। पोलैंड की एक पत्रिका कहती है कि बेरोज़गारी “आज के समाज की सबसे बड़ी आर्थिक समस्या है।” अमीर देशों का भी यही हाल है। मिसाल के लिए, ‘आर्गनाइज़ेशन फार इकोनामिक कोआपरेशन एण्ड डेवलपमेंट’ को ही लीजिए। कहा जाता है कि सन्‌ 2004 तक उसके सदस्य देशों में भी बेरोज़गारों की गिनती “3 करोड़ 20 लाख से ज़्यादा हो गयी थी, और इस गिनती ने तो सन्‌ 1930 के दशक में हुई महामंदी को भी मात दे दी है।” पोलैंड के ‘सेन्ट्रल स्टैटिस्‌टिकल ऑफिस’ के मुताबिक दिसंबर 2003 तक उस देश में 30 लाख लोग बेरोज़गार थे। इसका मतलब है “जिनकी उम्र काम करने की है, उनमें से 18 प्रतिशत लोग बेकार बैठे थे।” एक खबर के मुताबिक सन्‌ 2002 में दक्षिण अफ्रीका के हब्शी लोगों में बेरोज़गारी की दर 47.8 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी!

बेरोज़गारी और अचानक नौकरी छूट जाने का डर बहुतों को रहता है, यहोवा के सेवकों को भी। और “समय और संयोग” का कहर किसी पर भी टूट सकता है। (सभोपदेशक 9:11) हम शायद अपने आपको ऐसे हालात में पाएँ, जहाँ हम भजनहार दाऊद की तरह यह कहें: “मेरे हृदय का क्लेश बढ़ गया है।” (भजन 25:17) क्या आप ऐसी तकलीफों का सामना कर पाएँगे? इन तकलीफों की वजह से शायद आप परेशान रहें, आध्यात्मिक मायने में कमज़ोर हो जाएँ और तंगी से गुज़रें। अगर आपकी नौकरी छूट गयी है, तो क्या आप दोबारा अपने हालात को ठीक कर सकते हैं?

मन की परेशानी का सामना करना

मनोविज्ञानी यानूश वीएटशिंस्की कहते हैं कि यह धारणा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है कि परिवार का पेट पालना, पुरुष का काम है, इसलिए “नौकरी छूटने पर पुरुषों को सबसे ज़्यादा धक्का लगता है।” वे कहते हैं कि बेरोज़गार होने से “एक आदमी के दिल में तरह-तरह की भावनाएँ उठ सकती हैं।” वह कभी गुस्से से भड़क सकता है तो कभी हारे हुए खिलाड़ी की तरह गुमसुम हो सकता है। नौकरी से बरखास्त किए जाने पर एक पिता शायद अपना आत्म-सम्मान खो बैठे और “परिवार के साथ झगड़ना” शुरू कर दे।

आदाम नाम का एक मसीही, जो दो बच्चों का पिता है, बताता है कि नौकरी छूटने पर उसे कैसा लगा: “मैं बात-बात पर गुस्सा होने और चिढ़ने लगा। रात को सोते वक्‍त भी मुझे नौकरी के सपने आते थे और यह कि मैं कैसे अपने बीवी-बच्चों को दो वक्‍त की रोटी खिला पाऊँगा। मेरी पत्नी की भी अचानक नौकरी छूट गयी थी।” रिशार्ड और मारीओला एक शादीशुदा जोड़ा है और उनकी एक बच्ची भी है। जब उन्होंने अपनी कमाई का ज़रिया खो दिया, उस वक्‍त उनके सिर पर बैंक का भारी कर्ज़ था। पत्नी कहती है: “मेरी तो रातों की नींद उड़ गयी। मेरा ज़मीर बार-बार मुझे कचोटता कि बैंक से कर्ज़ लेना बड़ी भूल थी। यह सब मेरी गलती है, यह सोचकर मैं खुद को कोसती रही।” ऐसे हालात में शायद बड़ी आसानी से गुस्से, चिंता और कड़वाहट की भावनाएँ हम पर हावी हो जाएँ। तो फिर इन गलत भावनाओं के उठने पर हम उन्हें काबू में कैसे कर सकते हैं?

बाइबल हमें फायदेमंद सुझाव देती है कि ऐसे हालात में भी हम कैसे अच्छे की उम्मीद कर सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने सलाह दी: “किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं। तब परमेश्‍वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।” (फिलिप्पियों 4:6, 7) यहोवा से प्रार्थना करने से हमें “परमेश्‍वर की शान्ति” मिलेगी यानी हमारे मन को चैन मिलेगा क्योंकि हम उस पर विश्‍वास रखते हैं। आदाम की पत्नी, ईरेना कहती है: “हमने अपनी प्रार्थनाओं में यहोवा को अपने हालात के बारे में सबकुछ बताया और यह भी कि हम अपनी ज़िंदगी को कैसे और भी सादा बनाएँगे। यूँ तो मेरे पति मुझसे ज़्यादा चिंता करते हैं, मगर प्रार्थना करने के बाद उन्हें लगने लगा कि इस समस्या का हल ज़रूर निकलेगा।”

अगर आपकी भी नौकरी अचानक छूट गयी है, तो आपके पास अच्छा मौका है कि आप, पहाड़ी उपदेश में दी गयी यीशु मसीह की इस सलाह को मानें: “अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? . . . इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।” (मत्ती 6:25, 33) रिशार्ड और मारीओला ने अपनी भावनाओं पर काबू पाने के लिए यह सलाह मानी। मारीओला कहती है: “मेरे पति हमेशा मुझे तसल्ली देते और इस बात पर ज़ोर देते कि यहोवा हमें कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।” उसका पति कहता है: “साथ मिलकर बार-बार प्रार्थना करने से हम परमेश्‍वर के और एक-दूसरे के और भी करीब आए हैं और इससे हमें ज़रूरी दिलासा मिला है।”

प्रार्थना के अलावा, परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा भी हमारी मदद कर सकती है। यह आत्मा हमारे अंदर संयम का गुण बढ़ा सकती है, जिससे हम खुद पर और अपने जज़बातों पर काबू रख सकते हैं। (गलतियों 5:22, 23) ऐसा करना शायद आसान नहीं, मगर नामुमकिन भी नहीं है क्योंकि यीशु ने वादा किया था कि “स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को पवित्र आत्मा [ज़रूर] देगा।”—लूका 11:13; 1 यूहन्‍ना 5:14, 15.

अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ मत कीजिए

अचानक नौकरी छूटने पर एक सुलझा हुआ मसीही भी कुछ वक्‍त के लिए घबरा सकता है, मगर ऐसे में हमें अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। मूसा की मिसाल लीजिए। चालीस साल की उम्र में, उसने राजघराने में अपना ओहदा खो दिया था और उसे एक चरवाहे का काम करना पड़ा, एक ऐसा काम जिससे मिस्रियों को सख्त नफरत थी। उसकी तो पूरी ज़िंदगी बदल गयी। (उत्पत्ति 46:34) मूसा को अब नए हालात के मुताबिक जीना सीखना था। अगले 40 सालों के लिए उसने खुद को यहोवा के हाथों सौंप दिया ताकि वह उसे नयी ज़िम्मेदारियों के लिए तैयार कर सके। (निर्गमन 2:11-22; प्रेरितों 7:29, 30; इब्रानियों 11:24-26) मुश्‍किलों का सामना करने पर भी मूसा ने अपना ध्यान आध्यात्मिक बातों पर लगाए रखा और खुशी-खुशी यहोवा की तालीम कबूल की। हम भी ठान लें कि बुरे हालात की वजह से हम कभी-भी अपने आध्यात्मिक आदर्शों को नहीं त्यागेंगे!

हालाँकि अचानक नौकरी छूटने पर हमें सदमा पहुँच सकता है, लेकिन यहोवा परमेश्‍वर और उसके लोगों के साथ अपना बंधन मज़बूत करने का यह बहुत अच्छा समय है। आदाम, जिसका ज़िक्र पहले किया गया है, उसे भी यह बात सही लगी। वह कहता है: “जब मेरी और मेरी पत्नी की नौकरी छूट गयी तो एक पल के लिए भी हमारे मन में यह खयाल नहीं आया कि हम मसीही सभाओं में नहीं जाएँगे या प्रचार काम कम कर देंगे। यह नज़रिया रखने से हम कल के बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता करने से बचे रहे।” रिशार्ड ने भी कुछ ऐसा ही कहा: “सभाओं और मसीही सेवा की वजह से ही हम बुरे वक्‍त का सामना कर पाए; वरना चिंता के मारे हम कबके खत्म हो चुके होते। दूसरों के साथ आध्यात्मिक विषयों पर बातचीत करने से हमारा हौसला बढ़ता है। इससे हम अपनी ज़रूरतों से ज़्यादा दूसरों की ज़रूरतों पर ध्यान देने लगते हैं।”—फिलिप्पियों 2:4.

जी हाँ, नौकरी के बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता मत कीजिए। इसके बजाय, आपके पास जो ज़्यादा समय है उसे आध्यात्मिक कामों में जैसे, निजी अध्ययन करने, कलीसिया के कामों में हिस्सा लेने या अपनी सेवा को बढ़ाने में लगाइए। इस तरह आप खाली बैठे नहीं रहेंगे बल्कि आपके पास ‘प्रभु के काम में बहुत कुछ करने’ को होगा। (1 कुरिन्थियों 15:58, NW) इससे न सिर्फ आपको बल्कि आपके प्रचार से राज्य संदेश को कबूल करनेवाले नेकदिल लोगों को भी खुशी मिलेगी।

अपने परिवार की शारीरिक ज़रूरतें पूरी करना

मगर सिर्फ आध्यात्मिक खुराक से पेट नहीं भरेगा। हमें इस सिद्धांत को ध्यान में रखना चाहिए: “पर यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्‍वास से मुकर गया है, और अविश्‍वासी से भी बुरा बन गया है।” (1 तीमुथियुस 5:8) आदाम कबूल करता है: “हालाँकि कलीसिया के भाई हमें मुसीबत में देखकर फौरन मदद करने को दौड़े चले आते हैं, मगर मसीही होने के नाते हमारा फर्ज़ बनता है कि हम नौकरी ढूँढ़कर अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करें।” हम इस बात का पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा और उसके लोग हमारी मदद ज़रूर करेंगे, मगर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नौकरी ढूँढ़ने के लिए हमें अपनी तरफ से पहल करनी होगी।

आप किस तरह पहल कर सकते हैं? आदाम समझाता है: “यह सोचकर हाथ-पर-हाथ धरे बैठे मत रहिए कि परमेश्‍वर कोई चमत्कार करेगा। नौकरी ढूँढ़ते वक्‍त यह बताने से मत हिचकिचाइए कि आप एक यहोवा के साक्षी हैं। अकसर मालिक यहोवा के साक्षियों की बहुत कदर करते हैं।” रिशार्ड यह सलाह देता है: “अपने जान-पहचानवालों से पूछताछ कीजिए कि क्या उन्हें किसी नौकरी का पता है जो आपको मिल सकती है। रोज़गार एजेन्सी से पता करते रहिए, ऐसे इश्‍तहार पढ़िए जैसे: ‘एक अपंग इंसान की देखभाल के लिए एक महिला की ज़रूरत’; या थोड़े दिनों के लिए कोई भी कच्ची नौकरी ढूँढ़ने की कोशिश कीजिए। तलाश जारी रखिए! आपको जैसा भी काम मिले उसे करने को तैयार रहिए, ना-नुकुर मत कीजिए, फिर चाहे वह छोटा-मोटा काम ही क्यों न हो या जिससे आपके अरमान पूरे न भी हों।”

जी हाँ, “प्रभु [यहोवा आपका] सहायक है।” इसलिए वह ‘आपको कभी नहीं छोड़ेगा, और न कभी आपको त्यागेगा।’ (इब्रानियों 13:5, 6) आपको हद-से-ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं। भजनहार दाऊद ने लिखा: “अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा।” (भजन 37:5) ‘अपने मार्ग की चिंता यहोवा पर छोड़ने’ का मतलब है कि हम उस पर भरोसा रखें और उसके कहे मुताबिक काम करें, फिर चाहे हमें हालात इतने अच्छे नज़र न आएँ।

आदाम और ईरेना, खिड़कियों और बिल्डिंग की सीढ़ियों की साफ-सफाई करने और खरीदारी करते वक्‍त किफायत बरतने के ज़रिए अपना घर चला पाए हैं। वे नौकरी के लिए नियमित तौर पर रोज़गार एजेन्सी भी गए। ईरेना कहती है: “जब भी हमें ज़रूरत होती थी, तभी कोई-न-कोई काम हमें मिल ही जाता था।” उसका पति कहता है: “अपने तजुरबे से हम कह सकते हैं कि हमने जिन मामलों के बारे में परमेश्‍वर से प्रार्थना की, वे उसकी मरज़ी के मुताबिक नहीं थे। इससे हमने यह सीखा कि हमें अपनी समझ के मुताबिक काम नहीं करना है बल्कि परमेश्‍वर की बुद्धि पर भरोसा रखना है। हम तो यही कहेंगे कि शांत मन से परमेश्‍वर के वक्‍त का इंतज़ार करने में ही समझदारी है, जब वह परेशानी से निकलने का रास्ता दिखाएगा।”—याकूब 1:4.

रिशार्ड और मारीओला ने भी तरह-तरह के छोटे-मोटे काम किए, साथ ही उन्होंने उन इलाकों में प्रचार करना शुरू किया जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी। रिशार्ड कहता है: “जब हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं बचता था, तभी हमें कोई ऐसा काम मिल जाता था जिससे हमारी ज़रूरत पूरी हो जाती थी। हमने मोटी तनख्वाहवाली नौकरी लेने से इनकार किया क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि परमेश्‍वर की सेवा में अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाने में हमारे आगे कोई रुकावट आए। हमने यहोवा के ठहराए वक्‍त तक इंतज़ार करने का फैसला किया।” उनका मानना है कि यहोवा ने हालात का रुख इस तरह मोड़ा कि उन्हें बहुत सस्ते में रहने के लिए एक फ्लैट मिला और रिशार्ड को भी आखिरकार एक नौकरी मिल गयी।

अपनी रोज़ी-रोटी खोना बहुत दर्दनाक हो सकता है। मगर इस मौके का फायदा उठाकर क्यों न आप खुद यह आज़माकर देखें कि यहोवा आपको कभी नहीं त्यागेगा? यहोवा को आपकी परवाह है, उसकी नज़र आप पर लगी हुई है। (1 पतरस 5:6, 7) यशायाह नबी के ज़रिए उसने वादा किया है: “इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्‍वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा।” (यशायाह 41:10) नौकरी छूटने जैसे किसी भी हादसे की वजह से अपनी सुध-बुध मत खोइए। आपसे जितना बन पड़ता है, उतना कीजिए और बाकी यहोवा पर छोड़ दीजिए। अपने हालात के बारे में शिकायत किए बगैर “चुपचाप” यहोवा के सही वक्‍त का इंतज़ार कीजिए। (विलापगीत 3:26) फिर देखिए, आपको कैसी बेशुमार आशीषें मिलेंगी।—यिर्मयाह 17:7.

[पेज 9 पर तसवीर]

खाली समय का इस्तेमाल आध्यात्मिक कामों के लिए कीजिए

[पेज 10 पर तसवीरें]

खरीदारी करते वक्‍त किफायत बरतना सीखिए, और नौकरी ढूँढ़ते वक्‍त जैसा भी काम मिले उसे करने को तैयार रहिए, ना-नुकुर मत कीजिए

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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