धार्मिकता की खोज करने से हमारी हिफाज़त होगी
“तुम पहले . . . [परमेश्वर की] धार्मिकता की खोज में लगे रहो।”—मत्ती 6:33, NHT.
1, 2. एक जवान मसीही ने कौन-सा फैसला लिया, और क्यों?
एशिया की रहनेवाली एक जवान मसीही बहन एक सरकारी दफ्तर में सेक्रेटरी का काम करती थी। वह बड़ी ईमानदार और वक्त की पाबंद थी और काम के दौरान ज़रा भी वक्त बरबाद नहीं करती थी। मगर इस बहन की नौकरी पक्की नहीं थी, इसलिए कुछ समय बाद उसके काम का जायज़ा लिया गया। इसके बाद दफ्तर के सबसे बड़े अफसर ने बहन के आगे यह पेशकश रखी कि अगर वह उसके साथ नाजायज़ संबंध रखेगी तो वह न सिर्फ उसकी नौकरी पक्की कर देगा, बल्कि उसे ऊँचा ओहदा भी देगा। बहन ने इस पेशकश से साफ इनकार कर दिया, इसके बावजूद कि उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
2 क्या इस बहन ने ऐसा करके नासमझी का काम किया था? जी नहीं। दरअसल ऐसा करके उसने यीशु की इस सलाह को सख्ती से माना: “तुम पहले . . . [परमेश्वर की] धार्मिकता की खोज में लगे रहो।” (मत्ती 6:33, NHT) बहन के लिए धार्मिकता के सिद्धांत इतने अनमोल थे कि वह अपनी नौकरी बचाने के लिए लैंगिक अनैतिकता का पाप करने की सोच भी नहीं सकती थी।—1 कुरिन्थियों 6:18.
धार्मिकता की अहमियत
3. धार्मिकता क्या है?
3 “धार्मिकता” का मतलब है, खराई और ईमानदारी के उसूलों को मानना। बाइबल में धार्मिकता के लिए जिन इब्रानी और यूनानी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उनका मतलब है “सीधाई” या “सच्चाई।” मगर इसका मतलब खुद के बनाए सिद्धांतों के हिसाब से अपने आप को धर्मी ठहराना नहीं है। (लूका 16:15) बल्कि परमेश्वर यहोवा के स्तरों पर खरा उतरना है। यह परमेश्वर की धार्मिकता है।—रोमियों 1:17; 3:21.
4. एक मसीही के लिए धार्मिकता क्यों ज़रूरी है?
4 धार्मिकता क्यों ज़रूरी है? क्योंकि यहोवा “धर्ममय परमेश्वर” है और जब उसके लोग धार्मिकता के सिद्धांतों पर चलते हैं, तो वह उन पर अनुग्रह करता है। (भजन 4:1; नीतिवचन 2:20-22; हबक्कूक 1:13) जो अधर्म के काम करता है, वह यहोवा के साथ नज़दीकी रिश्ता नहीं बना सकता। (नीतिवचन 15:8) इसीलिए प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को यह कहकर उकसाया कि वह ‘जवानी की अभिलाषाओं से भागे’ और दूसरे अहम गुणों के साथ-साथ ‘धर्म का पीछा करे।’ (2 तीमुथियुस 2:22) और इसी वजह से पौलुस ने आध्यात्मिक हथियारों की बात करते वक्त “धार्मिकता की झिलम” का भी ज़िक्र किया था।—इफिसियों 6:14.
5. असिद्ध इंसानों के लिए धार्मिकता का पीछा करना कैसे मुमकिन है?
5 बेशक, कोई भी इंसान पूरी तरह धर्मी नहीं है। सभी ने आदम से विरासत में असिद्धता पायी है, इसलिए वे पैदाइश से पापी और अधर्मी हैं। फिर भी यीशु ने सलाह दी कि हमें धार्मिकता का पीछा करना चाहिए। हम अधर्मी इंसानों के लिए यह कैसे मुमकिन है? यीशु ने अपना सिद्ध जीवन छुड़ौती के तौर पर देकर हमारे लिए ऐसा करना मुमकिन किया है। उसके बलिदान पर विश्वास ज़ाहिर करने से यहोवा हमारे गुनाहों को खुशी-खुशी माफ करता है। (मत्ती 20:28; यूहन्ना 3:16; रोमियों 5:8, 9, 12, 18) जब हम यहोवा के धार्मिकता के स्तरों के बारे में सीखते और उन पर चलने में अपना भरसक करते हैं, और अपनी कमज़ोरियों पर काबू पाने में मदद के लिए प्रार्थना करते हैं, तो यहोवा अपने बेटे यीशु के बलिदान की बिना पर हमारी उपासना को कबूल करता है। (भजन 1:6; रोमियों 7:19-25; प्रकाशितवाक्य 7:9, 14) सचमुच, इस बात से हमें कितना दिलासा मिलता है!
अधर्मी संसार में धर्मी लोग
6. शुरू के मसीहियों के लिए दुनिया क्यों एक खतरनाक जगह थी?
6 जब यीशु के चेलों को यह ज़िम्मेदारी दी गयी कि वे “पृथ्वी की छोर तक” जाकर उसकी गवाही दें, तो उनके सामने एक बड़ी चुनौती आयी। (प्रेरितों 1:8) उनके प्रचार का सारा इलाका, यानी पूरा संसार “दुष्ट [शैतान] के वश” में था। (1 यूहन्ना 5:19) शैतान की फैलाई गंदी आत्मा से पूरी दुनिया भ्रष्ट हो चुकी थी, इसलिए मसीहियों पर भी इसका असर पड़ने का खतरा था। (इफिसियों 2:2) शुरू के मसीहियों के लिए दुनिया एक बहुत ही खतरनाक जगह थी। ऐसे माहौल में उनके लिए धीरज धरने और अपनी खराई बनाए रखने का एक ही तरीका था, परमेश्वर के राज्य की पहले खोज करना। ज़्यादातर मसीही इस तरह धीरज धरने में कामयाब रहे, मगर कुछ “धार्मिकता के मार्ग” से भटक गए।—नीतिवचन 12:28, NHT; 2 तीमुथियुस 4:10.
7. किन ज़िम्मेदारियों की वजह से मसीहियों को संसार के दबावों का सामना करने की ज़रूरत है?
7 क्या आज के मसीहियों के लिए दुनिया एक महफूज़ जगह है? हरगिज़ नहीं! पहली सदी के मुकाबले आज दुनिया और भी भ्रष्ट हो गयी है। और-तो-और, शैतान को धरती पर फेंक दिया गया है और वह अभिषिक्त मसीहियों को धर-दबोचने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि ‘[स्त्री की] ये शेष सन्तान परमेश्वर की आज्ञाओं को मानती है, और यीशु की गवाही देने पर स्थिर है।’ (प्रकाशितवाक्य 12:12, 17) शैतान उनको भी नहीं छोड़ता जो उस “सन्तान” यानी अभिषिक्त मसीहियों का साथ देते हैं। मगर मसीही संसार से बचकर कहीं नहीं जा सकते। भले ही वे इस संसार के भाग नहीं हैं, मगर उन्हें यहीं पर जीना है। (यूहन्ना 17:15, 16) और उन्हें इसी संसार में रहकर प्रचार भी करना है ताकि सही मन रखनेवालों को ढूँढ़ सकें और उन्हें मसीह के चेले बनने में मदद दे सकें। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) मसीही, संसार के दबावों से पूरी तरह बच नहीं सकते, इसलिए इन दबावों का उन्हें सामना करने की ज़रूरत है। आइए ऐसे चार तरह के दबावों पर गौर करें।
अनैतिकता का फँदा
8. इस्राएलियों ने यहोवा को छोड़कर मोआबी देवताओं को पूजना क्यों शुरू किया?
8 वीराने में इस्राएलियों का 40 साल का सफर जब खत्म होने पर था, तब उनमें से कई धार्मिकता से भटक गए। उन्होंने खुद अपनी आँखों से देखा था कि कैसे यहोवा ने उन्हें छुटकारा दिलाने के लिए बड़े-बड़े कारनामे किए थे, और कुछ ही वक्त बाद वे वादा किए देश में कदम रखनेवाले थे। मगर ऐसी नाज़ुक घड़ी में उन्होंने यहोवा को छोड़कर मोआबी देवताओं को पूजना शुरू किया। क्यों? क्योंकि वे “शरीर की अभिलाषा” के आगे झुक गए। (1 यूहन्ना 2:16) बाइबल कहती है: “लोग मोआबी लड़कियों के संग कुकर्म करने लगे।”—गिनती 25:1.
9, 10. आज किन हालात की वजह से हमेशा यह ध्यान में रखने की ज़रूरत आ पड़ी है कि शरीर की गलत इच्छाएँ हमें बरबाद कर सकती हैं?
9 यह घटना दिखाती है कि जो लोग अनैतिकता के फंदे से खबरदार नहीं रहते, उन्हें बुरी इच्छाएँ किस कदर बरबाद कर सकती हैं। हमें उन इस्राएलियों से सबक लेना चाहिए, खासकर इसलिए क्योंकि आज दुनिया में अनैतिक ज़िंदगी को बुरा नहीं माना जाता। (1 कुरिन्थियों 10:6, 8) अमरीका की एक रिर्पोट कहती है: “सन् 1970 से पहले, अमरीका के सभी राज्यों में बगैर शादी के आदमी-औरत का एक घर में साथ मिलकर ज़िंदगी बिताना गैर-कानूनी था। मगर आज ऐसी बदचलनी बहुत आम हो गयी है। आज जितने शादी-शुदा जोड़े हैं, उनमें से आधे से ज़्यादा शादी से पहले साथ रहे हैं।” इस तरह शादी से पहले साथ रहने का चलन, और दूसरे कई अनैतिक काम सिर्फ अमरीका तक सीमित नहीं हैं। ये पूरी दुनिया में आम हैं। और बदतर तो यह है कि कुछ मसीहियों ने भी ऐसे दुनियावी चलन अपना लिए हैं। इस वजह से उन्हें कलीसिया से बहिष्कृत करना पड़ा है।—1 कुरिन्थियों 5:11.
10 इसके अलावा, आज हर कहीं अनैतिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज ऐसी फिल्मों और टी.वी. कार्यक्रमों की कमी नहीं है जिनमें यह संदेश दिया जाता है कि जवान लड़के-लड़कियों का शादी से पहले सेक्स का मज़ा लेने में कोई बुराई नहीं है। समलैंगिक रिश्तों को भी आम बताया जा रहा है। ऐसे कार्यक्रमों की बाढ़ आयी हुई है जिनमें सेक्स एकदम खुलकर दिखाया जाता है। इंटरनेट पर भी सेक्स की बेहूदा तस्वीरें देखना आसान हो गया है। मिसाल के लिए, एक अखबार के लेखक ने खबर दी कि उसका सात साल का बेटा एक दिन स्कूल से घर आया और बड़ी खुशी-खुशी बताने लगा कि उसके एक स्कूल के दोस्त ने इंटरनेट पर एक साइट देखी जिसमें नंगी औरतों को लैंगिक काम करते दिखाया गया था। बच्चे की बात सुनकर पिता के रोंगटे खड़े हो गए। अब ज़रा उन बेशुमार बच्चों के बारे में सोचिए जो चोरी-छिपे ऐसी गंदी साइट देखते हैं? और यह भी सोचिए कि आज कितने माता-पिताओं को खबर है कि उनके बच्चे जो वीडियो गेम्स खेलते हैं, उनमें क्या दिखाया जाता है? ज़्यादातर मशहूर वीडियो गेम्स में घिनौनी हरकतें, जादू-टोना और खून-खराबा दिखाया जाता है।
11. दुनिया में फैली अनैतिकता के फंदे से एक परिवार खुद को कैसे बचा सकता है?
11 दुनिया इन गंदी बातों को “मनोरंजन” मानती है, मगर एक मसीही परिवार इनकी तरफ लुभाए जाने से खुद को कैसे रोक सकता है? परमेश्वर की धार्मिकता को ज़िंदगी में पहली जगह देकर, और अनैतिक बातों से पूरी तरह दूर रहकर। (2 कुरिन्थियों 6:14; इफिसियों 5:3) माता-पिताओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों पर सही तरह से नज़र रखें कि वे क्या करते हैं, क्या देखते हैं, साथ ही, बच्चों के दिल में यहोवा और उसके धर्मी नियमों के लिए लगाव पैदा करें। ऐसा करने से वे बच्चों को मज़बूत कर पाएँगे ताकि वे पोर्नोग्राफी, बेहूदा काम दिखानेवाले वीडियो गेम्स, अश्लील फिल्मों और दूसरी बुरी चीज़ों की तरफ लुभाए जाने से खुद को रोक सकें।—व्यवस्थाविवरण 6:4-9.a
बिरादरी से आनेवाले दबावों का खतरा
12. पहली सदी में क्या समस्या खड़ी हुई?
12 जब पौलुस, एशिया माइनर के लुस्त्रा शहर में था तो उसने चमत्कार से एक आदमी को चंगा किया था। बाइबल बताती है कि इसके बाद क्या हुआ: “लोगों ने पौलुस का यह काम देखकर लुकाउनिया की भाषा में ऊंचे शब्द से कहा; देवता मनुष्यों के रूप में होकर हमारे पास उतर आए हैं। और उन्हों ने बरनबास को ज्यूस, और पौलुस को हिरमेस कहा, क्योंकि यह बातें करने में मुख्य था।” (प्रेरितों 14:11, 12) मगर कुछ देर बाद यही भीड़ पौलुस और बरनबास की जान लेने पर उतर आयी। (प्रेरितों 14:19) वजह यह थी कि वे बहुत जल्द अपनी बिरादरी के लोगों की बातों में आ गए थे। ऐसा लगता है कि यहाँ के जो लोग मसीही बने, उन्होंने भी अपनी बिरादरी में फैले कुछ अंधविश्वासों को पूरी तरह नहीं छोड़ा था। इसीलिए पौलुस ने एशिया माइनर के कुलुस्से के मसीहियों को अपनी पत्री में खबरदार किया कि वे “स्वर्गदूतों की पूजा” करने के रिवाज़ से दूर रहें।—कुलुस्सियों 2:18.
13. ऐसे कुछ दस्तूर क्या हैं जिनसे एक मसीही को दूर रहना चाहिए, और बिरादरी से आनेवाले दबावों को ठुकराने की ताकत वह कहाँ से पा सकता है?
13 आज सच्चे मसीहियों को भी ऐसे जाने-माने रिवाज़ों से दूर रहना चाहिए जो झूठे धर्म की धारणाओं पर आधारित हैं और मसीही सिद्धांतों के खिलाफ हैं। उदाहरण के लिए, कुछ देशों में जन्म और मौत के वक्त मनाए जानेवाले कई रस्म इस झूठ पर आधारित हैं कि इंसान की आत्मा अमर है। (सभोपदेशक 9:5, 10) ऐसे भी देश हैं जहाँ जवान लड़कियों के जननांगों को काटने का दस्तूर माना जाता है।b ऐसा करना क्रूरता है। और यह बेमतलब का दस्तूर परमेश्वर के सिद्धांतों के खिलाफ है, क्योंकि माता-पिताओं को अपने बच्चों की परवरिश प्यार से करने की आज्ञा दी गयी है। (व्यवस्थाविवरण 6:6, 7; इफिसियों 6:4) जब मसीहियों पर ऐसे दस्तूरों को मानने का दबाव आता है, तो वे इसका सामना कैसे कर सकते हैं? परमेश्वर यहोवा पर पूरा भरोसा रखने के ज़रिए। (भजन 31:6) धार्मिकता का परमेश्वर यहोवा ऐसे लोगों को मज़बूत करता और उनकी देखभाल करता है जो सच्चे मन से कहते हैं कि यहोवा “मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।”—भजन 91:2; नीतिवचन 29:25.
यहोवा को भूल मत जाइए
14. वादा-ए-मुल्क में इस्राएलियों के दाखिल होने से पहले यहोवा ने उन्हें क्या कहकर आगाह किया?
14 जब इस्राएली वादा-ए-मुल्क में दाखिल होनेवाले थे, तब यहोवा ने उन्हें आगाह किया कि वे उसे भूलने की गलती न करें। उसने कहा था: “सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे; ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे, और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए, तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए।”—व्यवस्थाविवरण 8:11-14.
15. हम यह कैसे पक्का कर सकते हैं कि हम यहोवा को नहीं भूल रहे हैं?
15 क्या आज हमारे साथ भी कुछ ऐसा सकता है? ज़रूर हो सकता है, अगर हमने ज़िंदगी में गलत बातों को पहली जगह दे रखी है। लेकिन अगर हम पहले परमेश्वर की धार्मिकता की खोज करते हैं तो सच्ची उपासना हमारी ज़िंदगी में पहली जगह पर होगी। तब हम पौलुस की सलाह को मानते हुए ‘समय को मोल’ लेंगे और यह ध्यान में रखेंगे कि हमें प्रचार का काम जल्द-से-जल्द पूरा करना है। (कुलुस्सियों 4:5, NW; 2 तीमुथियुस 4:2) लेकिन, अगर हम सभाओं और प्रचार काम से ज़्यादा मन-बहलाव को अहमियत देते हैं या हर वक्त मौज-मस्ती करने के मौके तलाशते रहते हैं, तो हम यहोवा को भूल जाएँगे क्योंकि हमारी ज़िंदगी में यहोवा दूसरी जगह पर होगा। पौलुस ने कहा था कि आखिरी दिनों में लोग “परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले होंगे।” (2 तीमुथियुस 3:4) सच्चे मसीही समय-समय पर खुद की जाँच करते हैं, ताकि वे पक्का कर सकें कि ऐसी दुनियावी सोच का कहीं उन पर असर तो नहीं पड़ रहा।—2 कुरिन्थियों 13:5.
मनमानी करने के रवैये से खबरदार रहिए
16. हव्वा ने और पौलुस के दिनों के कुछ मसीहियों ने कैसा गलत रवैया दिखाया?
16 अदन के बाग में, शैतान हव्वा को अपनी मनमानी करने के लिए लुभाने में कामयाब हो गया था। हव्वा के अंदर यह इच्छा पैदा हो गयी कि अपने लिए सही-गलत का फैसला वह खुद करे। (उत्पत्ति 3:1-6) पहली सदी की कुरिन्थुस कलीसिया के कुछ मसीहियों में भी ऐसी मनमानी करने का रवैया था। उनको लगता था कि वे पौलुस से ज़्यादा जानते हैं। पौलुस ने उन पर ताना कसते हुए उन्हें बड़े से बड़े प्रेरित कहा।—2 कुरिन्थियों 11:3-5; 1 तीमुथियुस 6:3-5.
17. हम क्या कर सकते हैं ताकि हमारे अंदर मनमानी करने का रवैया न पैदा हो?
17 आज संसार में बहुत-से लोग ‘ढीठ और घमण्डी’ हैं, और कुछ मसीहियों में भी ऐसा गलत नज़रिया पैदा हो गया है। कुछ मसीही तो इतने घमंडी बन गए हैं कि वे सच्चाई का विरोध करने लगे हैं। (2 तीमुथियुस 3:4; फिलिप्पियों 3:18) लेकिन जब शुद्ध उपासना की बात आती है, तो यह बेहद ज़रूरी है कि हम मार्गदर्शन के लिए यहोवा पर आस लगाएँ और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” और कलीसिया के प्राचीनों की हिदायतों को मानें। यह एक तरीका है जिससे हम धार्मिकता की खोज कर सकते हैं, और ऐसा करने से हमारे अंदर अपनी मन-मरज़ी करने का रवैया पैदा नहीं होगा। (मत्ती 24:45-47; भजन 25:9, 10; यशायाह 30:21) अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया “सत्य का खंभा, और नेव” है। (1 तीमुथियुस 3:15) और यहोवा ने इसका इंतज़ाम इसलिए किया है ताकि यह हमारी हिफाज़त करे और हमें सही राह पर ले चले। इस कलीसिया की अहम भूमिका को समझने से हम अपनी “झूठी बड़ाई के लिए” कुछ नहीं करेंगे, बल्कि नम्रता से यहोवा के धर्मी मकसद को पूरा करेंगे।—फिलिप्पियों 2:2-4; नीतिवचन 3:4-6.
यीशु की मिसाल पर चलिए
18. हमें किन तरीकों से यीशु की मिसाल पर चलने का बढ़ावा दिया गया है?
18 यीशु के बारे में बाइबल में यह भविष्यवाणी की गयी थी: “तू ने धर्म से प्रीति और दुष्टता से बैर रखा है।” (भजन 45:7; इब्रानियों 1:9) यीशु का नज़रिया कितना बढ़िया था! (1 कुरिन्थियों 11:1) यीशु को यहोवा के धार्मिकता के सिद्धांतों की सिर्फ मालूमात ही नहीं थी, बल्कि उन सिद्धांतों से प्रीति या गहरा लगाव भी था। इसीलिए वीराने में जब शैतान ने यीशु को लुभाने की कोशिश की, तो उसने “धार्मिकता के मार्ग” से भटकने से बेझिझक और साफ-साफ इनकार कर दिया था।—नीतिवचन 8:20, NHT; मत्ती 4:3-11.
19, 20. धार्मिकता की खोज करने से क्या-क्या अच्छे नतीजे मिलते हैं?
19 माना कि शरीर की पापी इच्छाओं को काबू में करना कभी-कभी बहुत मुश्किल हो सकता है। (रोमियों 7:19, 20) फिर भी, अगर हम धार्मिकता को अनमोल समझते हैं, तो बुराई से दूर रहने का हमारा इरादा और भी मज़बूत होगा। (भजन 119:165) धार्मिकता के लिए गहरा प्यार हमें गलत काम करने के दबाव के आगे झुकने से बचाएगा। (नीतिवचन 4:4-6) याद रखिए कि जब भी हम किसी आज़माइश में हार मान लेते हैं तो जीत शैतान की होती है। कितना अच्छा होगा अगर हम शैतान का डटकर मुकाबला करें और यहोवा को जीतने का मौका दें!—नीतिवचन 27:11; याकूब 4:7, 8.
20 क्योंकि सच्चे मसीही धार्मिकता की खोज में लगे रहते हैं, इसलिए वे ‘धार्मिकता के फलों से भरपूर हैं जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, जिस से परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती है।’ (फिलिप्पियों 1:10, 11) वे ‘नये मनुष्यत्व को पहिनते हैं, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता और पवित्रता में सृजा गया है।’ (इफिसियों 4:24) सच्चे मसीही यहोवा के अपने लोग हैं और उसकी सेवा करने के लिए ज़िंदा हैं, न कि अपनी चाहतों को पूरा करने के लिए। (रोमियों 14:8; 1 पतरस 4:2) इस बात का एहसास उनके सोच-विचार और उनके कामों पर असर करता है। वाकई, उन्हें देखकर स्वर्ग में रहनेवाले उनके पिता यहोवा का दिल कितना खुश होता है!—नीतिवचन 23:24.
[फुटनोट]
a बच्चों को अनैतिकता के फंदों से कैसे बचाया जा सकता है, इस बारे में माता-पिताओं के लिए कुछ अनमोल सुझाव पारिवारिक सुख का रहस्य नाम की किताब में दिए गए हैं। इस किताब को यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
b स्त्री के जननांग काटने के दस्तूर को पहले नारी खतना कहा जाता था।
क्या आप समझा सकते हैं?
• धार्मिकता की खोज करना क्यों ज़रूरी है?
• असिद्ध होने पर भी एक मसीही धार्मिकता की खोज कैसे कर सकता है?
• दुनिया में ऐसे कुछ फँदे क्या हैं जिनसे एक मसीही को खबरदार रहना है?
• धार्मिकता की खोज करने से कैसे हमारी हिफाज़त होती है?
[पेज 26 पर तसवीर]
यीशु के चेलों के लिए दुनिया एक खतरनाक जगह थी
[पेज 27 पर तसवीर]
जिन बच्चों को यहोवा से प्यार करना सिखाया जाता है, वे अनैतिकता को ठुकराने के लिए मज़बूत होते हैं
[पेज 28 पर तसवीर]
इस्राएली जब वादा-ए-मुल्क में फलने-फूलने लगे, तो यहोवा को भूल गए
[पेज 29 पर तसवीर]
यीशु की तरह, मसीही अधर्म से नफरत करते हैं