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  • ‘बहिरे सुनने लगेंगे’
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2006
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  • यहोवा किस तरह ‘मनुष्य को बहिरा बनाता’ है?
  • बधिर लोगों के लिए एक बढ़िया भविष्य की झलक
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2006
w06 3/1 पेज 30-31

‘बहिरे सुनने लगेंगे’

अगर एक बधिर यह पढ़ेगा कि ‘बहिरे सुनने लगेंगे,’ तो ज़रा सोचिए वह कैसा महसूस करेगा? वह खुशी के मारे उछल पड़ेगा! जो लोग सुन सकते हैं उनके लिए यह अंदाज़ा लगाना मुश्‍किल है कि कभी कोई आवाज़ न सुन पाना कैसा होता है, जैसे चिड़ियों की चहचहाहट, बच्चों की खिलखिलाती हँसी, समुद्र के पथरीले किनारे पर लहरों के टकराने की आवाज़। मगर पूरी दुनिया में ऐसे करोड़ों लोग हैं जिनमें सुनने की शक्‍ति नहीं है। क्या उनके लिए सचमुच कोई उम्मीद है कि वे कभी सुन पाएँगे? आइए हम देखें कि बाइबल, बधिरता और इसके दूर होने की आशा के बारे में क्या कहती है।

बधिरता का मतलब है, साफ न सुन पाना या बिलकुल भी न सुन पाना। अकसर इसकी वजह होती है: बीमारी, दुर्घटना या ऐसी तेज़ आवाज़ जो बहुत ही तीखी और अचानक सुनायी दे या फिर काफी देर तक सुनायी दे। कुछ लोग तो जन्म से बहरे होते हैं। बधिरता की एक और वजह बाइबल में बतायी गयी है और वह है, दुष्टात्मा के कब्ज़े में आना। मरकुस 9:25-29 में यीशु ने कहा कि एक लड़का जिस दुष्टात्मा के कब्ज़े में है, वह “गूंगी और बहिरी आत्मा” है।

मूल इब्रानी शब्द केरेश जिसका अनुवाद यशायाह 35:5 में ‘बहिरा’ किया गया है, उसके दो मतलब हो सकते हैं। एक, जिससे बात की जा रही है उसका बहरा होना और दूसरा, जिसके बारे में कहा गया है उसका चुप रहना। कभी-कभी केरेश का अनुवाद इस तरह किया गया है कि सुनकर भी अनसुना करना, मानो बहरे हों। इसकी एक मिसाल है, भजन 28:1 जहाँ लिखा है: “हे यहोवा, मैं तुझी को पुकारूंगा; हे मेरी चट्टान, मेरी सुनी-अनसुनी न कर।” बाइबल की दूसरी जगहों पर केरेश का अनुवाद ‘चुप रहना’ किया गया है, जैसे कि भजन 35:22 में जो कहता है: “हे यहोवा, तू ने तो देखा है; चुप न रह!”

यहोवा ने ही हमारे कान बनाए हैं। बाइबल कहती है: “सुनने के लिये कान और देखने के लिये जो आंखें हैं, उन दोनों को यहोवा ने बनाया है।” (नीतिवचन 20:12) यहोवा चाहता था कि उसके लोग यानी इस्राएली, बधिरों के लिए लिहाज़ दिखाएँ। उन्हें बधिरों का न तो मज़ाक उड़ाना था, ना ही उन्हें शाप देना था क्योंकि वे सुन नहीं पाते और इसलिए अपने खिलाफ कही बातों की सफाई नहीं पेश कर सकते थे। परमेश्‍वर की व्यवस्था में यह आज्ञा थी: “बहिरे को शाप न देना, और न अंन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्‍वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं।”—लैव्यव्यवस्था 19:14. भजन 38:13, 14 की तुलना कीजिए।

यहोवा किस तरह ‘मनुष्य को बहिरा बनाता’ है?

निर्गमन 4:11 में हम पढ़ते हैं: “यहोवा ने उस से कहा, मनुष्य का मुंह किस ने बनाया है? और मनुष्य को गूंगा, वा बहिरा, वा देखनेवाला, वा अन्धा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है?” जब यहोवा ने कहा कि वह इंसान को ‘बहिरा बनाता है,’ तो इसका यह मतलब नहीं कि यहोवा ने बधिरों से सुनने की शक्‍ति छीन ली है। लेकिन अगर यहोवा चाहे तो वह किसी खास वजह या मकसद से, एक इंसान को सचमुच में बहरा, गूंगा या अंधा बना सकता है। जैसे, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले का पिता कुछ समय के लिए गूंगा हो गया था क्योंकि उसने परमेश्‍वर की बात पर विश्‍वास नहीं किया।—लूका 1:18-22, 62-64.

परमेश्‍वर आध्यात्मिक मायने में भी लोगों को बधिर ‘बना’ सकता है यानी अगर लोग उसकी बात सुनने से इनकार कर देते हैं, तो यहोवा उन्हें उसी हाल में छोड़ देता है। यशायाह नबी को विश्‍वासघाती इस्राएलियों को यह संदेशा सुनाने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी: “सुनते ही रहो, परन्तु न समझो; देखते ही रहो, परन्तु न बूझो।” यहोवा ने यशायाह को आगे और हिदायत दी: “तू इन लोगों के मन को मोटे और उनके कानों को भारी कर, और उनकी आंखों को बन्द कर; ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से बूझें, और मन फिरावें और चंगे हो जाएं।”—यशायाह 6:9, 10.

भजनहार ने कहा कि दुष्ट जो आज्ञा मानने से इनकार करते हैं, वे एक ऐसे नाग की तरह हैं जो सपेरे की बीन की आवाज़ नहीं सुनता। (भजन 58:3-5) उसी तरह, यशायाह के दिनों में इस्राएलियों के कान तो थे, फिर भी वे मानो बहरे थे क्योंकि उन्होंने यहोवा का वचन सुना, मगर उस पर ध्यान नहीं दिया और ना ही उसके मुताबिक काम किया। यहोवा ने यशायाह के ज़रिए कहा: “आंख रखते हुए अन्धों को और कान रखते हुए बहिरों को निकाल ले आओ!” (यशायाह 43:8; 42:18-20) लेकिन भविष्यवाणी के मुताबिक, जब परमेश्‍वर के लोग बँधुआई से छूटकर लौटते तो वे आध्यात्मिक मायने में बहरे नहीं रहते। उन्हें यहोवा का वचन सुनायी देता यानी वे उस पर ध्यान देते। इसी आध्यात्मिक बहाली का वादा, यहोवा ने यशायाह नबी के ज़रिए इन शब्दों में किया था: “उस समय बहिरे पुस्तक की बातें सुनने लगेंगे, और अन्धे जिन्हें अब कुछ नहीं सूझता, वे देखने लगेंगे।” (यशायाह 29:18; 35:5) लेकिन क्या हम सिर्फ आध्यात्मिक बधिरता के दूर होने की उम्मीद कर सकते हैं?

बधिर लोगों के लिए एक बढ़िया भविष्य की झलक

यीशु मसीह जब धरती पर था, तो उसने आध्यात्मिक मायने में बहुत-से लोगों के कान खोले ताकि वे सुनी हुई बातों को समझ सकें और उनके मुताबिक काम कर पाएँ। जिन्होंने उसकी सच्चाई को सुनकर कबूल किया, उनसे उसने कहा: “धन्य हैं तुम्हारी आंखें, कि वे देखती हैं; और तुम्हारे कान, कि वे सुनते हैं।” (मत्ती 13:16, 23) लेकिन यीशु ने न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से बहरे लोगों को चंगा किया, बल्कि और भी कुछ किया था।

धरती पर सेवा करते वक्‍त, यीशु ने कई मौकों पर चमत्कार करके बधिरों की सुनने की शक्‍ति लौटायी थी। इस तरह उसने दिखाया कि उसके पास चंगा करने की गज़ब की ताकत है। यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के चेलों ने उस तक यह खबर पहुँचायी, जो उस वक्‍त कैद में बंद था: “अन्धे देखते हैं और लंगड़े चलते फिरते हैं; कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं और बहिरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाए जाते हैं; और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है।” (मत्ती 11:5; लूका 7:22) कुछ लोग एक बहरे आदमी को यीशु के पास लाए और गुज़ारिश की कि वह उसे चंगा कर दे। सुसमाचार की किताब हमें बताती है कि जब यीशु ने उस आदमी से कहा, “खुल जा” तो उसके “कान खुल गए।” यह देखकर लोगों की खुशी का ठिकाना न रहा और ऐसा होना लाज़िमी था। यही नहीं, “वे बहुत ही आश्‍चर्य में होकर कहने लगे, उस ने जो कुछ किया सब अच्छा किया है; वह बहिरों को सुनने की, और गूंगों को बोलने की शक्‍ति देता है।”—मरकुस 7:32-37.

यीशु ने जिस सुसमाचार का प्रचार किया, वह परमेश्‍वर के राज्य के बारे में था और यही राज्य हमारे सारे दुःख-दर्द दूर करेगा। इससे हमें इस बात की गारंटी मिलती है कि उसकी हुकूमत के दौरान, धरती से सारी बीमारियाँ और अपंगता, यहाँ तक कि बधिरता भी हमेशा-हमेशा के लिए मिट जाएगी।

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