विषय-सूची
15 फरवरी, 2008
अध्ययन के लिए
दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:
17-23 मार्च, 2008
यहोवा को हमेशा अपने सामने रखिए
पेज 3
गीत नं. 9 (37), 3 (32)
24-30 मार्च, 2008
पेज 7
गीत नं. 21 (191), 26 (212)
31 मार्च, 2008–6 अप्रैल, 2008
इस दुनिया का सबसे महान मिशनरी—यीशु मसीह
पेज 12
गीत नं. 4 (43), 22 (130)
7-13 अप्रैल, 2008
सबसे महान मिशनरी की मिसाल पर चलिए
पेज 16
गीत नं. 23 (200), 9 (37)
14-20 अप्रैल, 2008
मसीह की उपस्थिति आपके लिए क्या मायने रखती है?
पेज 21
गीत नं. 8 (53), 16 (143)
अध्ययन लेखों का मकसद
अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11
बाइबल में दर्ज़ ब्यौरों पर मनन करने से हमारा विश्वास मज़बूत होता है। अगर हम यहोवा को हमेशा अपने सामने रखें, तो वह हमारी प्रार्थनाओं का ज़रूर जवाब देगा। लेकिन यहोवा को हमेशा अपने सामने रखने के लिए, हमें उसकी आज्ञा माननी होगी और हमेशा उस पर भरोसा रखना होगा। परमेश्वर के मार्गों पर चलने से हम भरोसेमंद, नम्र और हिम्मतवाले साबित होंगे। साथ ही, हम दूसरों की भलाई की भी चिंता करेंगे।
अध्ययन लेख 3, 4 पेज 12-20
यीशु मसीह सबसे महान मिशनरी था। आइए जानें कि उसे कैसी तालीम दी गयी थी, उसके सिखाने का तरीका क्या था और उसमें ऐसी क्या बात थी कि लोग, उसकी तरफ खिंचे चले आए। आइए यह भी सीखें कि हम यीशु की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं और लोगों को किस तरीके से सुसमाचार सुना सकते हैं, जिससे उनके दिल पर गहरा असर हो।
अध्ययन लेख 5 पेज 21-25
आइए देखें कि हम क्यों कह सकते हैं कि मसीह की उपस्थिति, एक लंबा दौर है। शास्त्र में दिए सबूतों की जाँच कीजिए और देखिए कि “यह पीढ़ी,” जिसके बारे में यीशु ने बताया था, किसे दर्शाती है। (मत्ती 24:34) साथ ही, यह भी जानिए कि “यह पीढ़ी” कितने समय तक जीएगी, इसका सही-सही हिसाब लगाना क्यों नामुमकिन है।
इस अंक में ये लेख भी हैं:
पेज 26
यहोवा का वचन जीवित है—मरकुस किताब की झलकियाँ
पेज 28
गिलियड ग्रेजुएटों को “खुदाई शुरू” करने का बढ़ावा दिया गया
पेज 31