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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2008
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  • दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:
  • अध्ययन लेखों का मकसद
  • इस अंक में ये लेख भी हैं:
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2008
w08 4/15 पेज 1-2

विषय-सूची

15 अप्रैल, 2008

अध्ययन के लिए

दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:

26 मई, 2008–1 जून, 2008

“निरर्थक बातों” को ठुकराइए

पेज 3

गीत नं. 22 (130), 8 (53)

2-8 जून, 2008

ज़िंदगी के हर दायरे में परमेश्‍वर से मार्गदर्शन माँगिए

पेज 7

गीत नं. 21 (191), 9 (37)

9-15 जून, 2008

जवानो, अभी अपने सिरजनहार को स्मरण रखिए

पेज 12

गीत नं. 27 (221), 17 (187)

16-22 जून, 2008

अंत के इस समय में शादी और माँ-बाप होने की ज़िम्मेदारी को किस नज़र से देखें

पेज 16

गीत नं. 13 (124), 19 (164)

23-29 जून, 2008

क्या बात ज़िंदगी को सच्चा मकसद देती है?

पेज 21

गीत नं. 23 (200), 26 (212)

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11

ये दो अध्ययन लेख हमें “निरर्थक बातों” को पहचानने में मदद देते हैं, जो यहोवा की सेवा करने से हमें भटका सकती हैं। इन लेखों में ऐसे खतरों के बारे में बताया है, जिनमें हम बड़ी आसानी से पड़ सकते हैं। साथ ही, इनमें कई वजहें भी बतायी गयी हैं कि क्यों हमें ज़िंदगी के हर दायरे में यहोवा से मार्गदर्शन माँगना चाहिए।

अध्ययन लेख 3, 4 पेज 12-20

पहले अध्ययन लेख में जवानों को बताया गया है कि जब उन्हें कोई ऐसा फैसला लेना होता है जिससे उनकी पूरी ज़िंदगी ही बदल सकती है, तब कैसे बाइबल उनकी मदद कर सकती है। दूसरे अध्ययन लेख में उन लोगों को बाइबल से कारगर सलाहें दी गयी हैं, जो शादी करने या खुद का परिवार शुरू करने की सोच रहे हैं।

अध्ययन लेख 5 पेज 21-5

आखिरी अध्ययन लेख में सभोपदेशक किताब पर ऐसी चर्चा की गयी है, जो हमें सोचने पर मजबूर कर देती है। इसमें ऐसी बातों पर ज़ोर दिया गया है, जो ज़िंदगी में अहमियत रखती हैं। इस लेख में यह भी बताया गया है कि ये बातें कैसे उन बातों से बिलकुल अलग हैं, जिन्हें दुनिया बढ़ावा देती है।

इस अंक में ये लेख भी हैं:

तनहा पर भुलाए नहीं गए

पेज 25

क्या आपको याद है?

पेज 29

यहोवा का वचन जीवित है—यूहन्‍ना किताब की झलकियाँ

पेज 30

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