विषय-सूची
15 फरवरी, 2009
अध्ययन के लिए
दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:
6-12 अप्रैल, 2009
यीशु की बातें कैसे हमारी खुशी बढ़ाती हैं
पेज 6
गीत नं. 9 (37), 23 (200)
13-19 अप्रैल, 2009
यीशु की बातों के मुताबिक ढालिए अपनी सोच
पेज 10
गीत नं. 7 (51), 21 (191)
20-26 अप्रैल, 2009
क्या आप अपनी प्रार्थनाओं में यीशु की कही बातें लागू करते हैं?
पेज 15
गीत नं. 6 (45), 26 (212)
27 अप्रैल, 2009–3 मई, 2009
“जहां कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं”
पेज 24
गीत नं. 23 (200), 28 (224)
अध्ययन लेखों का मकसद
अध्ययन लेख 1-3 पेज 6-19
पहाड़ी उपदेश में जब यीशु अपनी “बातें” कह चुका, “तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई।” (मत्ती 7:28) जानिए कि भीड़ क्यों चकित रह गयी थी। यह भी जानिए कि यीशु की बातें आपकी खुशी कैसे बढ़ा सकती हैं, आपकी सोच और प्रार्थनाओं पर क्या असर कर सकती हैं।
अध्ययन लेख 4 पेज 24-28
“विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को मसीह की “सारी संपत्ति” पर अधिकारी ठहराया गया है। (मत्ती 24:45-47) यह लेख हमें दास वर्ग पर भरोसा करने की ज़बरदस्त वजह देता है और यह भी बताता है कि हम यह भरोसा कैसे दिखा सकते हैं।
इस अंक में ये लेख भी हैं:
यहोवा का वचन जीवित है—प्रकाशितवाक्य किताब की झलकियाँ—II
पेज 3
क्या आपको अपनी पसंद पर अड़े रहना चाहिए?
पेज 19
मिशनरियों को यिर्मयाह की तरह बनने का बढ़ावा दिया गया
पेज 22
मसीहियों की अंत्येष्टि—जिससे गरिमा और सादगी झलके और जो परमेश्वर को भाए
पेज 29