विषय-सूची
15 सितंबर, 2011
अध्ययन संस्करण
इन हफ्तों के अध्ययन लेख:
24-30 अक्टूबर, 2011
पेज 7
31 अक्टूबर, 2011–6 नवंबर, 2011
क्या आप यहोवा को अपना भाग बना रहे हैं?
पेज 11
7-13 नवंबर, 2011
पेज 16
14-20 नवंबर, 2011
पेज 20
21-27 नवंबर, 2011
पेज 25
अध्ययन लेखों का मकसद
अध्ययन लेख 1, 2 पेज 7-15
जब यहोवा ने लेवियों से कहा कि “तेरा भाग . . . मैं ही हूं” तो उसका क्या मतलब था? (गिन. 18:20) क्या यह आशीष सिर्फ लेवियों को मिली थी? क्या आज हम यहोवा को अपना भाग बना सकते हैं? अगर हाँ, तो कैसे? इन दो लेखों में इसी बात पर गौर किया जाएगा कि यहोवा कैसे हमारा भाग बन सकता है।
अध्ययन लेख 3, 4 पेज 16-24
इन लेखों से हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि हम जीवन की दौड़ में कैसे हमेशा की ज़िंदगी का इनाम पा सकते हैं। कौन हमारी मदद कर सकता है और हौसला बढ़ा सकता है? हमें किन बाधाओं और उलझानेवाली चीज़ों से खबरदार रहना होगा? सीमा रेखा तक पहुँचने में क्या बात हमारी मदद करेगी।
अध्ययन लेख 5 पेज 25-29
यहोवा अपने वफादार सेवकों को जानता है और उन पर उसकी मंजूरी है। यहोवा के साथ इस अनमोल रिश्ते को बरकरार रखने के लिए कौन-से गुण हमारी मदद करेंगे? यह लेख हममें से हरेक को खुद की जाँच करने में मदद देगा।
इस अंक में ये लेख भी हैं
3 बाइबल पढ़ाई से मुझे जीवन-भर हिम्मत मिली
30 क्या आप पीनहास की तरह चुनौतियों का सामना कर सकते हैं?