हमारे विश्वास का आधार—यीशु मसीह का आदर करो
१ यहोवा के उद्देश्यों के कार्य-सम्पादन में यीशु मसीह की भूमिका समझना महत्त्वपूर्ण है। यीशु ने अपने जीवन को आज्ञाकारी मानजाति के लिए एक छुड़ाई-मूल्य के रूप में दे दिया। (मत्ती. २०:२८) यीशु मसीह के द्वारा यहोवा के प्रेममय प्रबन्धों के बिना, हम अब भी एक मरणासन्न स्थिति में होते, भविष्य के लिए किसी भी आशा के बिना।
२ विशेष रूप से स्मारक दिन अवधि के दौरान, हम यीशु की ज़िन्दगी, उसकी शिक्षाएं, और उसके बलिदान पर विचार करते हैं। (लूका २२:१९) इस बात की क़दर करने से, कि “परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा” था, हम दूसरों के साथ उत्साहपूर्वक रीति से परमेश्वर और मसीह का आदर करने के लिए प्रेरित होंगे। हम यह कैसे कर सकते हैं?—रोमि. ५:८, १०.
कृतज्ञता प्रदर्शित करना
३ हम मानते हैं कि यहोवा का दृश्य संगठन यीशु की अगुआई के अधीन कार्य कर रहा है। यहाँ पृथ्वी पर, विश्वासयोग्य दास वर्ग हमें वह आध्यात्मिक पोषण देता है, जिसकी हमें आवश्यकता है। अपनी जवानी से, यीशु ने अपने पिता के वचन के लिए गहरा मूल्यांकन व्यक्त किया, और हम दूसरों को प्रभावकारी रूप से सिखाने के लिए प्रदान किए गए आध्यात्मिक भोजन का अध्ययन करने और उस पर विचार करने के द्वारा, उसके उदाहरण का अनुकरण करना चाहिए। (मत्ती. २४:४५, ४६; लूका २:४६-५०) संस्था के लिए और वह आध्यात्मिक प्रबन्धों के लिए जो वह प्रदान करती है, हमारी कृतज्ञता, उसके निर्देशन का पालन करने और प्राचीनों को सहयोग देने के द्वारा दिखाया जाता है।
४ परमेश्वर के वचन से हम जो सीखते हैं उसका विनियोग करने के द्वारा, हम मसीह के लिए आदर दिखा सकते हैं और हमारी सेवकाई की शोभा को भी बढ़ा सकते हैं। यीशु बिना दोष के, “पापियों से अलग” एक महा याजक था। (इब्रा. ७:२६) वह इस बात का दोषी नहीं था कि वह कहता कुछ था और करता कुछ और था। संगी दासों के नाते, हमें उसी ऊँचे स्तर के बराबर जीने की आवश्यकता है। इसलिए जब हम दूसरों से यहोवा की धार्मिक नयी व्यवस्था के बारे में बताते हैं, हम भी उसी रीति से जीना चाहेंगे जो हमें उस नयी दुनिया के साथ पहचान करेगी।—मत्ती. ७:२१; १ कुरि. १:१८; १ यूहन्ना २:१७.
मसीह के नेतृत्व के अधीन प्रचार करना
५ मई और जून के दौरान, हम वॉचटावर अभिदान प्रस्तुत करेंगे। हम भावी पाठकों को यह दिखाने के द्वारा कि द वॉचटावर का उद्देश्य, जिसका विवरण पृष्ठ २ पर दिया गया है, यह है कि वह “सत्तारूढ़ राजा, यीशु मसीह, पर विश्वास दिलाती है जिसका बहाया गया लोहू मनुष्यों को अनन्त जीवन पाने का मार्ग खोलता है।” जब भी सम्भव हो, पहले अभिदान प्रस्तुत करने के लिए निश्चय करें। अगर यह अभिदान स्वीकार नहीं किया जाता, आप दो पत्रिकाएं और एक ब्रोशुअर प्रस्तुत कर सकते है, जिससे सच्चाई के कुछ बीज बोए जाएंगे।
६ लोगों की एक बड़ी भीड़ ने, जो गवाह नहीं हैं, स्मारक दिन पर उपस्थित रहने के द्वारा, यीशु के लिए आदर प्रकट की। क्या इन्हें एक वैयक्तिक बाइबल अध्ययन के द्वारा अधिक आध्यात्मिक प्रगति करने के लिए मदद दी जा सकती है? यह निश्चित करना अच्छा होगा कि कोई उनसे भेंट करें और उस मदद को प्रस्तुत करें, जिसकी उन्हें आवश्यकता है। प्रेममय साहाय्य पाने के द्वारा, कुछ उस हद तक प्रगति पाएंगे कि वे प्रभु के अगले संध्या-भोज से पहले सेवकाई में भाग लेना शुरु करेंगे।
७ हम हमारे उद्धारकरता यीशु के उस प्रेममय बलिदान के लिए कितना एहसानमन्द हैं! उसने हमारे लिए एक विश्वसनीय आशा दिया है। उसकी जीवन-चर्य्या और उसकी सेवकाई का अभिलेख हमें अनुकरण करने के लिए एक परिपूर्ण उदाहरण छोड़ गया है।