प्रहरीदुर्ग और अवेक!—सत्य की पत्रिकाएँ
प्रहरीदुर्ग के जनवरी १, १९९४ अंक में “प्रहरीदुर्ग और अवेक!—सत्य की समयोचित पत्रिकाएँ” लेख के अनुच्छेद ११ में हमें याद दिलाया गया कि हमारी पत्रिकाएँ “समयोचित लेख” प्रकाशित करती हैं “जिन्होंने लोगों की वास्तविक ज़रूरतों को सम्बोधित किया है।” हम इन पत्रिकाओं को विस्तृत रूप से वितरित करना चाहते हैं। अप्रैल और मई महीनों के दौरान, प्रहरीदुर्ग और/या अवेक! के एक-साल के अभिदान हमारी साहित्य भेंट है।
२ घर-घर कार्य हमें इन पत्रिकाओं का अभिदान प्रस्तुत करने या एकल प्रतियाँ देने के लिए हमारा सबसे अच्छा अवसर प्रदान करता है। प्रभावकारी अनौपचारिक गवाही कार्य और पुनःभेंटों से भी नियमित वितरण होते हैं। उसी प्रकार सड़क कार्य और अपने क्षेत्र के व्यवसाय प्रतिष्ठानों में भेंट करना वितरण बढ़ाने के उत्पादनकारी तरीक़े हैं।
३ चर्चा करने के विषय: प्रहरीदुर्ग के अर्धमासिक संस्करणों का अप्रैल १ अंक “एक बेहतर संसार—मात्र एक स्वप्न?” और “एक बेहतर संसार—निकट!” विषयों पर चर्चा करता है। यह निश्चित रूप से परमेश्वर के राज्य की घोषणा करने के पत्रिका के उद्देश्य से संगत है। दूसरा लेख यह दिखाकर समाप्त होता है कि किस तरह एक अनन्त परादीस मसीह यीशु के शासकत्व के अधीन एक वास्तविकता बन जाएगा।—लूका २३:४३.
४ अर्धमासिक संस्करणों के अप्रैल १५ अंक में “आप भरोसेमंद मार्गदर्शन कहाँ पा सकते हैं?” सवाल पर चर्चा की गयी है। मई का अंक, “क्या धर्म आपकी ज़रूरतों को पूरा कर रहा है?” और “बाइबल क्यों पढ़ें?” लेखों से इस विषय पर गहराई से खोज करेगा। अपने जीवन में अर्थ और उद्देश्य की कमी महसूस करनेवाले लोगों से हमें आसानी से वार्तालाप शुरू करने में समर्थ होना चाहिए।
५ वितरण बढ़ाना: वितरण बढ़ाने के लिए जनवरी १ प्रहरीदुर्ग ने चार सुझावों को पेश किया। हमें प्रोत्साहन दिया गया कि (१) पत्रिका के प्रति सजग रहिए। जब हम पत्रिका पढ़ते हैं, हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि कौनसे लेख हमारे क्षेत्र के लोगों के लिए सबसे आकर्षक हो सकते हैं। साथ ही, अगर हम नियमित रूप से अपने साथ प्रतियाँ रखते हैं तो हम इन्हें सहकर्मियों, पड़ोसियों, शिक्षकों, सहपाठियों, या ख़रीदारों को दे सकते हैं।
६ हमें याद दिलाया गया था कि (२) अपनी प्रस्तुतियों को सरल रखें। एक दिलचस्प मुद्दा चुनिए, और इसे चंद शब्दों में कहिए। अगर आप गृहस्थ को पत्रिका स्वीकार करने के लिए क़ायल कर सकते हैं, तो यह पत्रिका उस व्यक्ति से या घराने के अन्य सदस्यों से “बात” कर सकती है।
७ एक और ज़रूरत है (३) सुनम्य बनना। चर्चा करने के लिए अलग-अलग लेखों को ध्यान में रखना अच्छा है—एक युवाओं के लिए, दूसरा पुरुषों के लिए, और कोई और स्त्रियों के लिए।
८ अन्त में, हमें (४) वितरण के लिए व्यक्तिगत लक्ष्य रखने की ज़रूरत है। कलीसिया एक निश्चित कोटा निर्धारित नहीं कर सकती, लेकिन हम व्यक्तिगत रूप से अपने लिए एक लक्ष्य रख सकते हैं। इससे हमें पत्रिकाओं का अभिदान या एकल प्रतियाँ पेश करने में उत्साही होने के लिए शायद अधिक प्रेरणा मिले।
९ हम चाहते हैं कि दूसरे लोग परमेश्वर के राज्य के बारे में जानें। आइए हम राज्य संदेश फैलाने में पत्रिकाओं द्वारा दी गयी बढ़िया मदद का पूरा लाभ उठाएँ।—मत्ती १०:७.