पुनःभेंटों पर दिलचस्पी विकसित करना
उचित रीति से सेवकाई की समानता कृषि से की गयी है, और पुनःभेंट करने की तुलना जुताई और सिंचाई करने से की गयी है। (मत्ती १३:२३; लूका १०:२; २ कुरि. ९:१०) “परमेश्वर के सहकर्मी” होने के नाते, किसी भी नए अंकुरित बीज को प्रौढ़ता की ओर बढ़ने और फलदायक बनने के लिए सहायता करना हमारी बाध्यता है। (१ कुरि. ३:६, ९) इसे पूरा करने का सर्वोत्तम तरीक़ा क्या है?
२ सभी दिलचस्पी दिखानेवालों पर शीघ्रता से पुनःभेंट कीजिए। अपने घर-घर के रिकार्ड को फिर से देखिए, और निर्णय कीजिए कि किससे भेंट करनी है तथा किस विषय पर चर्चा करनी है। प्रारम्भिक भेंट में जिस विषय पर चर्चा की गई थी साधारणतः उसके द्वारा आपकी चर्चा का विषय निर्धारित होगा। नम्य होइए और मन में अतिरिक्त शास्त्रीय विचार रखिए जो शायद प्रस्तुत किए जा सकते हैं। हृदय तक पहुँचने में बाइबल की शक्ति को पहचानते हुए, उसका इस्तेमाल करना हमेशा अच्छा है।—इब्रा. ४:१२.
३ जिन व्यक्तियों ने हमारी समस्याएँ ब्रोशर स्वीकार किया था, उनपर प्रभावकारी पुनःभेंट करने के सुझावों के लिए, अगस्त १९९२ की हमारी राज्य वकाई का पृष्ठ ४ देखिए।
यदि आपने “क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?” ब्रोशर छोड़ा है, तो आप शायद इस प्रकार कुछ कहने के द्वारा आरंभ करना चाहेंगे:
▪“अनेक निष्कपट लोग विश्वास करते हैं कि परमेश्वर पृथ्वी को नाश करने जा रहा है, जबकि दूसरे डरते हैं कि मनुष्य ख़ुद ही ऐसा करेगा। आप क्या सोचते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल हमें बताती है कि पृथ्वी को नाश करने के बजाय परमेश्वर इसे अधार्मिकता से मुक्त करेगा, और इसे एक शान्ति और सुरक्षा का स्थान बनाएगा।” पृष्ठ २२ की ओर ध्यान आकर्षित कीजिए, और वहाँ पर उद्धृत नीतिवचन २:२१, २२ पढ़िए। यदि दिलचस्पी प्रकट हो, तो गृह बाइबल अध्ययन के प्रबंध के बारे में समझाइए या नवीनतम पत्रिकाएँ पेश कीजिए। और, लौटने तथा परमेश्वर के प्रतिज्ञात नए संसार के बारे में अधिक चर्चा करने के लिए समय तय कीजिए।
४ यदि आपने “देख!” ब्रोशर दिया है, तो आप शायद कहेंगे:
▪“मेरी पिछली भेंट में, हमने पृथ्वी को एक ऐसा परादीस बना देने की परमेश्वर की प्रतिज्ञा के बारे में बाइबल में पढ़ा था, जैसे उस ब्रोशर के आवरण पर चित्रित किया गया है जो मैंने आपके पास छोड़ा था। परमेश्वर की इच्छा के बारे में तथा वह हमें कैसे प्रभावित करती है उसके बारे में सीखने के द्वारा हम इस आशीष का आनन्द उठा सकते हैं।” यूहन्ना १७:३ पढ़िए, और फिर पृष्ठ २७ के अनुच्छेद ५२ तथा ५३ की ओर जाइए। संक्षिप्त चर्चा कीजिए कि परमेश्वर के वचन का यथार्थ ज्ञान लेने की ज़रूरत क्यों है।
५ गिरजा पृष्ठभूमि के व्यक्ति पर पुनःभेंट करते वक़्त जिसे “जीवन का उद्देश्य” ब्रोशर दिया है, आप शायद यह कहना उपयुक्त समझें:
▪“अति संभव है कि आपने प्रभु की प्रार्थना को कई बार दोहराया होगा। जब आप परमेश्वर के राज्य के आने की प्रार्थना करते हैं तब कौनसा विचार आपके मन में आता है?” गृहस्वामी की प्रतिक्रिया के बाद, पृष्ठ २६ पर अनुच्छेद ८ और ९ की ओर संकेत कीजिए, और फिर दानिय्येल २:४४ पढ़िए। शायद आप यह समझाते हुए चर्चा जारी रख सकते हैं कि परमेश्वर के राज्य के आने का अर्थ होगा दुष्टता और दुःख का अन्त। बताइए कि यदि हम परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी हैं, तो हम इस पृथ्वी पर परादीस में अनन्तकाल के जीवन का आनन्द ले सकते हैं।
६ याद रखिए कि पुनःभेंट किसी भी व्यक्ति पर की जा सकती है जो सुनने के लिए इच्छुक था, चाहे उसे साहित्य दिया गया था या नहीं। हर सप्ताह पुनःभेंट करने के लिए थोड़ा समय अलग रखने की कोशिश कीजिए। आपको जो दिलचस्पी मिलती है उसे विकसित करने के आपके अध्यवसायी प्रयास को यहोवा आशीष देगा। ऐसा हो कि यह उसकी महिमा के लिए फल उत्पन्न करे।—यूहन्ना १५:८.