हमारी राज्य एकता को बनाए रखना
परमेश्वर का राज्य एक वास्तविक सरकार है, जिसके पास शक्ति और अधिकार है। यह यीशु के प्रचार का विषय था। (मत्ती ४:१७) दूसरों को सिखाना और राज्य सच्चाई की गवाही देना यीशु की सेवकाई का मुख्य भाग था। उसने हमें राज्य के लिए प्रार्थना करना और पहले उसकी खोज करते रहना सिखाया। (मत्ती ६:९, १०, ३३) यहोवा और उसके संगठन के निकट बने रहना, अपनी प्रचार-नियुक्ति को पूरा करना, और इस संसार से अलग रहना हमें अपनी राज्य एकता को बनाए रखने में समर्थ करता है। हमारे कार्यों से और बोली से हम दिखाते हैं कि हम राज्य का समर्थन कर रहे हैं।—यूह. १८:३७.
२ वर्ष १९१४ से, लाखों नागरिकों के लिए राज्य एक वास्तविकता बन गया है। राज्य के इन नागरिकों द्वारा प्रदर्शित की गयी एकता, एक विभाजित संसार की बिलकुल विषमता में है। अगर इसे एक एकताकारी शक्ति होना है तो हमें राज्य को अपने जीवन में वास्तविक बनाना चाहिए। कौन-सी चीज़ इसे हमारे लिए वास्तविक बनाती है?
३ अन्य सरकारों की तरह, राज्य की एक नियमावली है। फिर भी, यह भिन्न है क्योंकि इसके नियम बाइबल में पाए जाते हैं। परमेश्वर के वचन का नियमित पठन हमें ज़रूरी अनुस्मारक देता है कि राज्य के नागरिकों के तौर पर हमसे क्या माँग की जाती है। हमारे प्रकाशनों का व्यक्तिगत अध्ययन और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” का निर्देशन हमें अपने रोज़मर्रा जीवन में परमेश्वर के नियमों को लागू करने के लिए मदद करता है। (मत्ती २४:४५) जैसे-जैसे हम ऐसा व्यक्तिगत अनुप्रयोग करते हैं, राज्य हमारे लिए और भी वास्तविक बनता जाता है, और विश्वव्यापी भाईचारे में हमें एकसाथ और क़रीब लाता है, जो हमें यीशु के शासकत्व के अधीन उपासकों का एक संयुक्त परिवार बनाता है।
४ राज्य प्रचार द्वारा एकता: हमारी नियुक्ति है, “पृथ्वी की छोर तक” राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना। (प्रेरि. १:८) जब हम यहोवा की “बड़ाई” करने का प्रयास करते हैं, तो ‘एक मन होकर’ प्रचार करना हमें संयुक्त करता है। (रोमि. १५:५, ६) विश्व-भर में अपने सहकर्मियों के साथ उत्साह से भाग लेना हमारे विश्वास को मज़बूत करता है और यहोवा की आत्मा को अनुमति देता है कि हमारे द्वारा उसकी इच्छा को पूरी करने के लिए कार्य करे। ‘प्रभु के काम में हमेशा अत्यधिक रूप से व्यस्त रहना’ हमें “दृढ़ और अटल” बनाता है।—१ कुरि. १५:५८, NW.
५ अनेक देशों में हमारे प्रचार कार्य में दख़ल देने के द्वारा शैतान हमारी एकता को भंग करने की कोशिश करता है। वह उपलब्ध हर ज़रिए को मतभेद और ग़लतफ़हमियाँ पैदा करने, और कलह और झगड़ा उत्पन्न करने की कोशिश करने के लिए इस्तेमाल करता है। (नीति. ६:१९; गल. ५:१९-२१, २६) वह चाहेगा कि हम संसार के विवादों में अंतर्ग्रस्त हों और यह भी कि हम राजनैतिक और सामाजिक मामलों में किसी पक्ष का समर्थन करें। (याकू. ३:१४-१६) शास्त्रवचन हमें उसके प्रभाव का विरोध करने के लिए प्रेरित करते हैं; वरना, वह हमें अपने शिकार की तरह फाड़ खाएगा। (१ पत. ५:८, ९) यह ज़रूरी है कि हम राज्य आशा की वास्तविकता को अपने हृदय और मन में धुँधला न होने दें।
६ हमारी एकता को बनाए रखने के लिए मन की स्थिरता और ईश्वरीय बुद्धि की आवश्यकता है। जब मुश्किलें पैदा होती हैं, ख़ासकर अगर उनमें हमारे भाई अंतर्ग्रस्त हैं, तो हमें शान्ति रखने के लिए आत्मा के फल को प्रदर्शित करना ज़रूरी है। सांसारिक गुण, जैसे घमण्ड, ईर्ष्या, और अहंकार विभाजक हैं और उन पर क़ाबू पाना होगा। (इफि. ४:१-३; कुलु. ३:५-१०, १२-१४) हमें अपने मन को सकारात्मक, और प्रोत्साहक विचारों से भरे रखने की ज़रूरत है। राज्य हमारे जीवन में एक वास्तविकता है! लेकिन उसे उसी तरह रखने के लिए हमें चौकस रहना है!—इफि. ६:११, १३.
७ हमारी अद्भुत राज्य आशा की वास्तविकता हमें एकता की एक ऐसी भावना में संयुक्त करती है जिसका कभी अंत नहीं होगा।—भज. १३३:१.