घोषणाएँ
▪ साहित्य भेंट अप्रैल और मई: प्रहरीदुर्ग या अवेक! के लिए अभिदान। अर्ध-मासिक संस्करणों के लिए एक साल का अभिदान ७० रुपये का है। मासिक संस्करणों के लिए एक साल का अभिदान और अर्ध-मासिक संस्करणों के लिए छः महीने का अभिदान ३५ रुपये का है। मासिक संस्करणों के लिए छः महीने का अभिदान नहीं होता है। अभिदान प्राप्त करते समय, कृपया याद रखिए कि प्रहरीदुर्ग अब सभी भारतीय भाषाओं में और नेपाली भाषा में अर्धमासिक है, लेकिन उर्दू में मासिक है। अवेक! तमिल और मलयालम में अर्धमासिक है लेकिन कन्नड़, गुजराती और तेलगू में मासिक है। नेपाली, बंगला, मराठी और हिन्दी सजग होइए! के लिए व्यक्तिगत अभिदान उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इन चार भाषाओं में कलीसियाओं के लिए त्रैमासिक वितरक प्रतियाँ हैं। जून: जीवन—यह यहाँ कैसे आया? क्रमविकास से या सृष्टि से? (अंग्रेज़ी) ४५ रुपये के चंदे पर। प्रांतीय भाषाओं में कोई भी नयी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक १५ रुपये के सामान्य चंदे पर पेश की जा सकती है। जुलाई और अगस्त: निम्नलिखित ब्रोशरों में से कोई भी ३२-पृष्ठ का ब्रोशर, ५ रुपये के चन्दे पर पेश किया जा सकता है: अनन्तकाल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिए, क्या आपको त्रियेक में विश्वास करना चाहिए?, क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?, जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है, जीवन का उद्देश्य क्या है—आप इसे कैसे पा सकते हैं?, “देख! मैं सब कुछ नया कर देता हूँ,” वह परमेश्वरीय नाम जो सर्वदा तक बना रहेगा, वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा, हमारी समस्याएँ—उन्हें हल करने में कौन हमारी मदद करेगा?
नोट: जिन कलीसियाओं ने ऊपर बताई गयी अभियान वस्तुओं का निवेदन नहीं किया है, उन्हें अपने अगले मासिक साहित्य निवेदन फ़ॉर्म (S-AB-14) पर ऐसा करना चाहिए।
▪ जैसे पहले घोषणा की गयी है, ख़ास राज्य समाचार रविवार, अप्रैल २३ के दिन कलीसिया सभाओं, साथ ही साथ इस तारीख़ पर आयोजित किए गए सर्किट सम्मेलनों और ख़ास सम्मेलन दिनों में रिलीज़ किया जाएगा। राज्य समाचार का वितरण उसके रिलीज़ के फ़ौरन बाद शुरू किया जा सकता है। यह सभी कलीसियाओं पर लागू होता है, जिनमें ऐसी कलीसियाएँ भी शामिल हैं जिन्हें सम्मेलनों, सर्किट ओवरसियर की भेंटों, या अन्य गतिविधियों के कारण अपनी सभा तालिका में समंजन करना पड़े। जिन कलीसियाओं में ख़ास भाषण अप्रैल २३ के बाद है, वे राज्य समाचार को अप्रैल २४ को रिलीज़ करके वितरण शुरू कर सकते हैं।
▪ एक कलीसिया से संगति करनेवाले हरेक व्यक्ति को प्रहरीदुर्ग और अवेक! के सभी नए और नवीनीकरण अभिदानों को, जिसमें व्यक्तिगत अभिदान भी शामिल हैं, कलीसिया के ज़रिए भेजना चाहिए।
▪ अब से कलीसियाओं को स्मारक निमंत्रण की अपनी आवश्यकताओं का निवेदन प्रति वर्ष करना चाहिए। कृपया प्रत्येक भाषा में केवल ५० के गुणज में परिमाण का निवेदन करें। हम अब १९९५ अधिवेशन बैज कार्ड, शास्त्रवचनों की जाँच करना १९९६, १९९६ कैलेंडर, १९९६ वार्षिकी, और १९९६ स्मारक निमंत्रणों के लिए निवेदन स्वीकार कर रहे हैं। कृपया एक साहित्य निवेदन फ़ॉर्म (S-AB-14) पर इन पाँचों वस्तुओं का निवेदन करें और उसी फ़ॉर्म पर किसी अन्य वस्तु का निवेदन न करें। बैज कार्ड अंग्रेज़ी, तमिल, और मलयालम में उपलब्ध होंगे, जबकि जाँच करना १९९६ और १९९६ स्मारक निमंत्रण अंग्रेज़ी, कन्नड़, गुजराती, तमिल, तेलगू, नेपाली, बंगला, मराठी, मलयालम, और हिन्दी में उपलब्ध होंगे। कृपया अपने निवेदन मई ६, १९९५ से पहले भेजें।
▪ कृपया ‘१९९४-१९९५ साहित्य निवेदन फ़ॉर्म’ (S-AB-14 3/93) में उपशीर्षक भाषा के नीचे दिए गए निर्देश पर ध्यान दीजिए। भविष्य में फ़ॉर्म के अग्रभाग (front) में निवेदित सभी वस्तुओं को आपकी कलीसिया की मुख्य भाषा में भेजा जाएगा। आपकी कलीसिआ की मुख्य भाषा को आपके मासिक स्टेटमेन्ट में कलीसिया नंबर के तुरंत बाद दिखाया गया है। किसी अन्य भाषा में इच्छित साहित्य का निवेदन फ़ॉर्म के पृष्ठभाग (back) में किया जाना चाहिए और इच्छित भाषा का विशेष उल्लेख किया जाना चाहिए।
▪ अगर आप पाते हैं कि आप जिस भाषा में अधिकतर मात्रा में साहित्य का निवेदन करते हैं, वह भाषा हमारे कम्प्यूटर में आपकी कलीसिया की मुख्य भाषा के रूप में इस समय दर्ज़ भाषा से भिन्न है, तो आप हमारे कम्प्यूटर में दर्ज़ आपकी कलीसिया की मुख्य भाषा को बदलने का निवेदन करते हुए संस्था को एक ख़त लिख सकते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि आपके अधिकांश निवेदन आपके साहित्य निवेदन फ़ॉर्म के अग्रभाग में किए जा सकें, जबकि पृष्ठभाग में अन्य भाषाओं में केवल कुछ वस्तुओं का निवेदन करने की ज़रूरत होगी।
▪ पुनःउपलब्ध प्रकाशन:
अंग्रेज़ी: महान शिक्षक की सुनना। उर्दू: परादीस के लिए मार्ग को कैसे ढूँढें (मुसलमानों के लिए ट्रैक्ट); वह शासन जो प्रमोदवन लाएगा, कन्नड़ और मलयालम: अपना पारिवारिक जीवन आनन्दित बनाना। तमिल, मलयालम, और हिन्दी: यहोवा के गवाह—संयुक्त रूप से पूरे विश्व में परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हैं।