क्या आप एक ज़रूरत देखते हैं?
यहोवा को एक सहायक और एक शरणस्थान के तौर पर वर्णित किया गया है। हम जानते हैं कि ज़रूरत के समय हम उससे मदद माँग सकते हैं और वह हमारी मदद करेगा। (भज. १८:२; ४६:१) जब हम ज़रूरत को देखते हैं तब दूसरों को मदद देने के द्वारा हम इस समानुभूतिपूर्ण गुण का अनुकरण कर सकते हैं।
२ किसी अन्य व्यक्ति की मदद करने में एक ख़ास प्रयास करने के लिए कौन-सी बात एक व्यक्ति को प्रेरित करती है? अधिकांश लोग इस बात को प्रेममय, मानवोचित मानते हैं। निश्चित ही परमेश्वर का वचन इसे प्रोत्साहित करता है। (रोमि. १५:१) पौलुस ने हमसे ‘अपने ही हित की नहीं, बरन दूसरों के हित की भी चिन्ता करने’ का आग्रह किया।—फिलि. २:४.
३ यह एक ऐसी बात है जिसे करने में हम सभी ख़ुशी प्राप्त कर सकते हैं। (प्रेरि. २०:३५) पौलुस ने तीमुथियुस को एक ऐसे व्यक्ति के उदाहरण के रूप में चुना जो ‘शुद्ध मन से अपने भाइयों की चिन्ता’ करता। (फिलि. २:२०) यह अच्छी बात है कि आज हमारे पास कलीसियाओं में इसी स्वभाव के अनेक जवान लोग हैं। लेकिन चाहे हम जवान हों या बूढ़े, अगर हम एक ज़रूरत देखते हैं तो ऐसे काम होते हैं जो हम कर सकते हैं।
४ क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि कुछ लोगों की ऐसी ज़रूरतें हैं जिन्हें अच्छी तरह से ध्यान दिया जा सकता है? शायद एक भाई या बहन अस्पताल में था, और कुछ ही साक्षी मिलने के लिए गए; या शायद कोई विकलांग हो गया, लेकिन उसकी मदद करने के लिए या गृहकार्य करने में हाथ बँटाने के लिए कोई नहीं था। यीशु यहोवा की सेवा करनेवालों को एक परिवार के सदस्यों के रूप में देखता है जो एक दूसरे के लिए शुद्ध मन से चिन्ता करते हैं। (मर. ३:३३-३५) भेड़ और बकरियों के दृष्टान्त में उसने दिखाया कि जो राजा के दाहिने हाथ के अनुग्रह का आनन्द लेते हैं, वे राजा के भाइयों की मदद करने के कारण ऐसा करते हैं।—मत्ती २५:४०.
५ मैं कैसे मदद कर सकता हूँ? जब एक सुस्पष्ट ज़रूरत होती है तब मदद प्रदान करने के लिए क्या किया जा सकता है? क्या हम किसी तरीक़े से सहायता करने में पहल कर सकते हैं? शायद ऐसे वृद्ध लोग हैं जिन्हें प्रोत्साहन की ज़रूरत है, लेकिन उनकी मदद करने के लिए उनके पास कोई नज़दीकी साथी नहीं है। शायद ऐसे युवा लोग हों जिन्हें सहायता की ज़रूरत है। एक दिलचस्पी दिखानेवाला परिवार, जिसमें अनेक बच्चे हैं, शायद राज्यगृह में उपस्थित हो जबकि उनके साथ अध्ययन करनेवाला प्रकाशक अनुपस्थित हो। अगर कोई उनके बच्चों को सम्भालने में स्वेच्छापूर्वक मदद करे, तो वे उसकी क़दर करेंगे।
६ जैसे-जैसे हम सच्चाई के लिए और यहोवा के संगठन के लिए प्रेम में बढ़ते जाते हैं, हम कलीसिया में दूसरों के प्रति क़दरदानी और चिन्ता में भी बढ़ते जाते हैं। पौलुस ने हमें इस मामले में अपने हृदय को खोलने के लिए प्रोत्साहित किया। (२ कुरि. ६:११-१३) यीशु ने ज़ोर दिया कि हमारा एक दूसरे के प्रति प्रेम दिखाना एक प्रमुख तरीक़ा है जिससे हम प्रदर्शित करते हैं कि हम सचमुच उसके अनुयायी हैं।—यूह. १३:३५.
७ सो जब हम कोई ज़रूरत देखते हैं, अपने भाइयों के लिए और कलीसिया के लिए असली प्रेम के कारण हमें पहल करने और हर संभव तरीक़े से सहायता करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। (गल. ६:९, १०) दूसरों के लिए यह चिन्ता हमें प्रेम और एकता के नज़दीकी बंधन में एकसाथ लाती है। (१ कुरि. १०:२४) इस तरह, हम कलीसिया में एक ज़रूरत को पूरा करने में मदद करने के अपने भाग को अदा करते हैं।