प्रहरीदुर्ग और अवेक!—हमारे अति-महत्त्वपूर्ण समय के लिए पत्रिकाएँ!
बाइबल भविष्यवाणियों की पूर्ति में, संसार को हिला देनेवाली घटनाएँ हो रही हैं! जैसै-जैसे हम अपने आस-पास इस संसार में और साथ ही ईश्वरशासित संगठन में जो हो रहा है उस पर चिंतन करते हैं, हम पूरी तरह से समझ सकते हैं कि यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि हम राज्य के “सुसमाचार” का प्रचार करें। (मर. १३:१०) यह हमें अप्रैल के महीने के दौरान अपनी सेवकाई को जोश के साथ जारी रखने का कारण देता है।
२ इस महीने जो ख़ास कार्य हम करेंगे, उसके द्वारा हमारे संदेश के महत्त्व पर ज़ोर दिया जा रहा है। उत्सुक प्रत्याशा के साथ हम राज्य समाचार के रिलीज़ का इंतज़ार कर रहे हैं जिसे हम अप्रैल और मई के दौरान वितरित करेंगे। इस कार्य में हमारे उत्साह को बढ़ाने और साथ ही हमारे क्षेत्र में दिलचस्पी विकसित करने के लिए, प्रहरीदुर्ग और अवेक! में समयोचित लेख होंगे जो संसार की अशान्त करनेवाली घटनाओं के भविष्यसूचक महत्त्व पर ज़ोर देते हैं। हम एक ऐसी प्रस्तुति को कैसे तैयार कर सकते हैं जो पत्रिकाओं में दिलचस्पी बढ़ाएगी और लोगों को उनका अभिदान करने के लिए प्रोत्साहित करेगी?
३ इन बुनियादी क़दमों को अपनाने के द्वारा शायद आप एक प्रभावकारी प्रस्तुति बना सकेंगे: (१) पत्रिका में से एक ऐसा लेख चुनिए जो आपको लगता है कि आपके समुदाय के लोगों को आकर्षित करेगा। (२) इस लेख में से एक कथन या एक उद्धृत शास्त्रवचन चुनिए जो आपको लगता है कि गृहस्वामी की दिलचस्पी को बढ़ाएगा। (३) एक संक्षिप्त प्रस्तुति तैयार कीजिए जिसमें एक स्नेही अभिवादन, एक ऐसा सवाल या कथन जो एक दिलचस्प शास्त्रीय विचार को विशिष्ट करता है, और पत्रिकाओं के अभिदान को लेने के लिए एक निष्कपट आमंत्रण शामिल हो। जैसे आप देख सकते हैं, यह बहुत ही आसान है और पेचीदा नहीं है। आप एक अन्य प्रकाशक से, जिसके साथ आप सेवकाई में कार्य करते हैं, मिलकर एक प्रस्तुति तैयार कर सकते हैं।
४ क्योंकि अप्रैल २२ की “अवेक!” में सवाल उठाया गया है कि “क्या ये अन्तिम दिन हैं?,” तो आप “बाइबल चर्चा” पुस्तिका के पृष्ठ ५ पर शीर्षक “अन्तिम दिन” के नीचे दी गयी जानकारी का पुनर्विचार कर सकते हैं। आप शायद यह कहते हुए शुरू करें:
▪“हमारे आस-पास हो रही उग्र घटनाओं के अर्थ की चर्चा करने के लिए हम भेंट कर रहे हैं। ध्यान दीजिए की इस लेख में क्या कहा गया है . . . ”
५ अप्रैल १ की “प्रहरीदुर्ग” में यह सवाल उठाया गया है: “धर्म—एक वर्जित विषय?” इस पत्रिका को पेश करते समय आप कह सकते हैं:
▪“अकसर यह कहा जाता है कि धर्म एक ऐसा विषय है जिसकी चर्चा नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह इतना विवादास्पद है। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं?” उसके बाद लेख के एक कथन का उल्लेख कीजिए।
६ आप शायद अप्रैल १५ की “प्रहरीदुर्ग” इस्तेमाल कर रहे हों जिसमें “क्या धार्मिक सत्य प्राप्य है?” लेख है। इस प्रस्तावना से शायद आपको एक अच्छी प्रतिक्रिया मिले:
▪“क्योंकि आज इतने सारे धर्म हैं, कुछ लोग सोचते हैं कि क्या धार्मिक सत्य प्राप्य है। यह लेख एक ऐसा तरीक़ा प्रकट करता है जिससे आप और मैं इस सवाल का एक संतोषप्रद जवाब पा सकते हैं। . . . ”
७ प्रचार कार्य में जाने से पहले, क्यों न अपनी प्रस्तुति का एक अन्य प्रकाशक के साथ अभ्यास करें ताकि आप अपनी प्रस्तुति से परिचित हो जाएँ? सम्भवतः आप एक दूसरे के साथ सहायक सुझावों को बाँट सकेंगे जो आपकी प्रभावकारिता को बढ़ाएगा और आपको अधिक आत्मविश्वास देगा।
८ जैसे-जैसे इस व्यवस्था का अन्त निकट आता जाता है, ऐसा हो कि हम सत्हृदयी लोगों को बड़े बाबुल से बच निकलने में मदद करने के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाएँ। (प्रका. १८:४) प्रहरीदुर्ग और अवेक! इस कभी-न-दोहराए-जानेवाले कार्य में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हम कृतज्ञ हैं कि यहोवा ने हमारे इस्तेमाल के लिए ये उत्तम साधन प्रदान किए हैं!