उन सभी से पुनःभेंट कीजिए जिन्हें ब्रोशर दिया है
प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों की सराहना की क्योंकि उन्होंने ‘अपना विचार उसके विषय में फिर जागृत किया।’ (फिलि. ४:१०) यदि हम उनके उदाहरण को क्षेत्र सेवकाई के लिए एक आदर्श के रूप में प्रयोग करें, तो हम उनके विषय में जिनको हम गवाही देते हैं ‘अपना विचार फिर जागृत’ करेंगे और पुनःभेंट करने के लिए प्रेरित होंगे।
२ यदि आपने “हमारी समस्याएँ—उन्हें हल करने में कौन हमारी मदद करेगा?” ब्रोशर दिया है तो आप शायद कुछ इस तरह कहें:
▪“मैं हमारी उस दिन की बातचीत के बारे में सोच रहा था, और मन में दो शास्त्रवचन आए जो मैं आपको बताना चाहूँगा। आपको शायद याद हो कि हमने परमेश्वर द्वारा पृथ्वी के शासन को अपने हाथ में ले लेने के बारे में बात की थी। बाइबल में, यहोवा परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है कि ऐसा होगा। [दानिय्येल २:४४ पढ़िए।] क्या आप मानते हैं कि ऐसा सचमुच हो सकता है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] सुनिए कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करने की अपनी क्षमता के बारे में क्या कहता है। [यशायाह ५५:११ पढ़िए।] क्या इससे हमें परमेश्वर के राज्य में अपना भरोसा रखने को प्रोत्साहित नहीं होना चाहिए? लेकिन परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को कब पूरा करेगा?” समझाइए कि आप अपनी अगली भेंट पर इस प्रश्न का उत्तर देंगे।
३ उस व्यक्ति से पुनःभेंट करते समय जिसने “जब आपके किसी प्रियजन की मृत्यु हो जाती है” ब्रोशर लिया था आप शायद यह तरीक़ा अपनाएँ:
▪“मृत्यु में किसी को खोने के बारे में हमारी चर्चा को ध्यान में रखते हुए मैं ने वापस आने का ख़ास प्रयास किया।” पृष्ठ ३० पर दिया गया चित्र दिखाइए और कहिए: “लोगों के पुनरुत्थित होने और अपने प्रियजनों के साथ फिर से मिलने का यह आनन्दमय दृश्य याद है? मैं ने आपसे यह प्रश्न किया था कि यह दृश्य कहाँ का है, स्वर्ग का या पृथ्वी का। शायद आपको इस ब्रोशर के पृष्ठ २६ पर बाइबल का उत्तर मिला।” तीसरे से पाँचवें अनुच्छेद तक के मुख्य मुद्दों पर चर्चा कीजिए, और यूहन्ना ५:२१, २८, २९ पढ़िए। समय अनुमति दे, तो उस पृष्ठ पर बाक़ी कोई भी शास्त्रवचन पढ़िए।
४ क्या आपने “देख! मैं सब कुछ नया कर देता हूँ” से अध्ययन शुरू किया था? पुनःभेंट पर आप यह कर सकते हैं:
▪फिर से पृष्ठ ३० खोलिए, और यह प्रश्न दिखाइए: “किन तरीक़ों से बाइबल असाधारण है?” अब पृष्ठ ३ और ४ खोलिए, और अनुच्छेद १-४ पर साथ ही ब्रोशर के मुख-पृष्ठ पर दिए गए चित्र पर पुनर्विचार कीजिए। अनुच्छेद ४ के फुटनोट में उद्धृत एक या दो शास्त्रवचन पढ़िए। समझाइए कि बाइबल वह एकमात्र पुस्तक है जो ऐसी अद्भुत आशा प्रस्तुत करती है। अपनी अगली भेंट के लिए प्रबन्ध कीजिए। तीसरी भेंट के बाद यदि प्रतीत हो कि अध्ययन आगे चलेगा, तो आप एक नया अध्ययन रिपोर्ट करना शुरू कर सकते हैं!
५ “वह परमेश्वरीय नाम जो सर्वदा तक बना रहेगा” पर आप शायद इस तरह अपनी चर्चा फिर से शुरू करें:
▪“पिछली बार, मैं आपको बाइबल से परमेश्वर का नाम दिखाने में समर्थ हुआ। यहोवा नाम को जानना और प्रयोग करना हमारी उपासना का एक अत्यावश्यक भाग है।” पृष्ठ ३१ खोलिए, अन्तिम चार अनुच्छेदों के मुख्य मुद्दों पर पुनर्विचार कीजिए, और यूहन्ना १७:३ तथा मीका ४:५ पढ़िए। समझाइए कि हम बाइबल अध्ययन कार्यक्रम प्रदान करते हैं जो दिखा सकता है कि परमेश्वर का नाम कैसे उचित रूप से पवित्रीकृत किया जाएगा और कैसे हम परादीस पृथ्वी की आशिषों का आनन्द ले सकते हैं।
६ सो, अपने विचार को उन लोगों के विषय में फिर जागृत कीजिए जिनके साथ आपने संपर्क किया है। लगातार वापस जाइए, और बाँटने के लिए कुछ लाभकारी विषय तैयार कीजिए। आप वह व्यक्ति हो सकते हैं जो नए शिष्य बनाने में “फल लाता है।”—मत्ती १३:२३.