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  • स्कूल में मसीही आचरण
  • हमारी राज-सेवा—1995
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स्कूल में मसीही आचरण

यदि आप स्कूल जानेवाले मसीही युवा हैं, तो आपको अपनी खराई बनाए रखने के लिए दृढ़ विश्‍वास की ज़रूरत है। आप ऐसे बुरे साथियों और परिस्थितियों के प्रभाव में आते हैं जो आपके विश्‍वास की परीक्षा ले सकते हैं। यह महत्त्वपूर्ण है कि आप पतरस की सलाह को लागू करें कि ‘अन्यजातियों में अपना चालचलन भला रखें; इसलिये कि वे आपके भले कामों को देखकर परमेश्‍वर की महिमा करें।’ (१ पत. २:१२) इस चुनौती का सामना करने के लिए आपको साहस और दृढ़संकल्प की ज़रूरत है।

२ स्कूल में या स्कूल के बाहर, आप पर विवाह-पूर्व लैंगिक सम्बन्ध, अश्‍लील भाषा, तम्बाकू, और नशीले पदार्थों का दुष्प्रयोग के संदूषित करनेवाले प्रभावों की मानो बमवर्षा होती है। हर रोज़, आप ऐसे प्रलोभनों का सामना करते हैं जो आपके अच्छे आचरण के रिकार्ड को भ्रष्ट करने का ख़तरा पैदा करते हैं। वयस्कों की तरह, यदि आपको ऐसी परीक्षाओं में धीरज धरना है तो आपको “विश्‍वास के लिए यत्नपूर्वक संघर्ष” करना है।—यहू. ३, NHT; जून १, ११९२, प्रहरीदुर्ग, पृष्ठ २५-२८ देखिए।

३ स्कूल में, देशभक्‍ति समारोह और सांसारिक त्योहार होते हैं। क्या आप जानते हैं कि आपके स्कूल में कौन-से राष्ट्रीय और धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं? यदि एक चुनौतिपूर्ण स्थिति खड़ी होती है, तब क्या आप ‘विवेक शुद्ध रख’ सकते हैं ‘ताकि वे जो तुम्हारे अच्छे चालचलन का अपमान करते हैं लज्जित हों’?—१ पत. ३:१६.

४ शायद आप स्कूल की खेल गतिविधियों या सामाजिक समूहनों के आकर्षण से प्रलोभित हों। आपको यह पहचानने में सतर्क रहना चाहिए कि कैसे ये आनन्दप्रद लगनेवाली गतिविधियाँ आपके विश्‍वास का समझौता कर सकती हैं। आपको ऐसे साथियों को चुनने की ज़रूरत है जिनके साथ आप ‘आपस में एक दूसरे से प्रोत्साहन’ का आनन्द उठा सकते हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्‍ति दूसरे के विश्‍वास से मज़बूत होता है।—रोमि. १:१२, NHT.

५ आप धीरज धर सकते हैं, यहोवा की सहायता से: शैतान निरन्तर आपके विश्‍वास को परखता है। जो परीक्षाएँ आपको सहनी पड़ती हैं वे कठिन हो सकती हैं, लेकिन प्रतिफल को देखते हुए इनको सहना लाभप्रद है। (१ पत. १:६, ७) आप अपने बलबूते पर सफलतापूर्वक धीरज नहीं धर सकते हैं; आपको मदद के लिए यहोवा की ओर देखना है। यीशु ने अपने शिष्यों से आग्रह किया: “जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।” (मत्ती २६:४१) अनुशासन और आत्म-नियंत्रण अत्यावश्‍यक हैं।—१ कुरि. ९:२७.

६ हमेशा याद रखिए कि आप अपने आचरण के लिए यहोवा को जवाबदेह हैं। (सभो. ११:९) हालाँकि आप जो करते हैं उसे शायद दूसरे न देखें, लेकिन आप क्या करते हैं इससे यहोवा अवगत है और वह न्याय करेगा। (इब्रा. ४:१३) उसे प्रसन्‍न करने की निष्कपट इच्छा से आपको ‘डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य्य पूरा करने’ के लिए प्रेरित होना चाहिए। (फिलि. २:१२) परमेश्‍वर के वचन को रोज़ पढ़ना एक बड़ी मदद है। यह अत्युत्तम सलाह और अनुकरण करने के लिए उत्तम उदाहरणों से भरा हुआ है।—इब्रा. १२:१-३.

७ माता-पिताओं, आप एक अति-महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। आपको अपने बच्चों की निगरानी करने, उनके द्वारा सामना की गयी समस्याओं से अवगत होने, और जब आवश्‍यक हो तब मदद देने की ज़रूरत है। क्या आपका अपने बच्चों के साथ एक अच्छा सम्बन्ध है? क्या आपने उनमें परमेश्‍वर के नियमों और सिद्धान्तों की एक मूल्यांकन-भरी समझ विकसित की है? जब वे दबावों या प्रलोभनों का सामना करते हैं, तब क्या आपके बच्चे दृढ़ हैं, या क्या वे आसानी से हार मान जाते हैं? क्या वे निरुत्साहित हो जाते हैं क्योंकि उन्हें अपने समकक्षों से भिन्‍न रहना होता है? माता-पिताओं के तौर पर, आपकी ज़िम्मेदारी है कि उनकी मदद करें। (व्यव. ६:६, ७) यदि आप अपना कार्य अच्छी तरह से करते हैं, तब आप विश्‍वास के लिए संघर्ष में जीतने में उनकी मदद कर सकते हैं।—नीति. २२:६.

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