परमेश्वर के वचन के शिक्षक बनिए —ब्रोशरों का इस्तेमाल करने के द्वारा
यहोवा के हर समर्पित सेवक के पास दूसरों को परमेश्वर का वचन सिखाने के कार्य में हिस्सा लेने की ज़िम्मेदारी है। इस ज़िम्मेदारी की गम्भीरता स्पष्ट हो जाती है जब हम यह मूल्यांकन करते हैं कि ‘सब जातियों के लोगों को चेला बनाने, उन्हें सिखाने’ की नियुक्ति हमें उस व्यक्ति ने दी है जिसका स्वर्ग और पृथ्वी पर सारा अधिकार है। (मत्ती २८:१८-२०) सो, सुसमाचार के प्रचार में हिस्सा लेना यह माँग करता है कि हम शिक्षक बनें!—२ तीमु. २:२.
२ अगस्त के दौरान हम ब्रोशरों को पेश करते वक़्त अपनी सिखाने की कला को इस्तेमाल कर सकते हैं। हम उनमें से कुछ दिलचस्प शास्त्रीय विचारों को चुन सकते हैं और कुछ ऐसी टिप्पणियाँ तैयार कर सकते हैं जो एक वार्तालाप शुरू करने में हमारी मदद करेंगी।
३ ब्रोशर “क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?” पेश करते वक़्त आप कह सकते हैं:
▪“हमने आपके अनेक पड़ोसियों से भेंट की है और यह पाया है कि वे अपराध, आतंकवाद, और हिंसा की एकाएक वृद्धि के बारे में चिन्तित हैं। आपके विचार से, यह ऐसी समस्या क्यों बन गया है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] यह हमारे लिए विशेष दिलचस्पी की बात है कि बाइबल ने भविष्यवाणी की थी कि ऐसा होगा। [२ तीमुथियुस ३:१-३ पढ़िए।] ध्यान दीजिए कि इसे ‘अन्तिम दिनों’ में होना है। यह सूचित करता है कि किसी बात का अन्त होनेवाला है। आपके विचार से यह क्या है?” प्रतिक्रिया के लिए रुकिए। पृष्ठ २२ खोलिए, चित्र दिखाइए, और उस पन्ने पर उद्धृत एकाध शास्त्रवचन की चर्चा कीजिए। हम क्यों विश्वास करते हैं कि ये आशीषें निकट हैं यह समझाने के लिए बाद में लौटने का प्रबन्ध कीजिए।
४ ब्रोशर “जीवन का उद्देश्य क्या है? आप इसे कैसे पा सकते हैं?” पेश करते वक़्त आप शायद इस प्रस्तावना को इस्तेमाल करना पसन्द करें:
▪“अनेक लोग जीने के लिए एक वास्तविक उद्देश्य पाने की कोशिश में कठिनाई का अनुभव करते हैं। जबकि थोड़े लोग कुछ सीमित ख़ुशी का आनन्द उठाते हैं, अधिकांश लोग ऐसे जीवन जीते हैं जो निराशा और दुःख से भरे हुए हैं। आपके विचार से क्या परमेश्वर ने हमारे लिए इस प्रकार का जीवन जीने का उद्देश्य रखा था? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] बाइबल दिखाती है कि परमेश्वर चाहता है कि हम एक ऐसे संसार में जीएँ।” पृष्ठ २१ के चित्र को दिखाइए, और फिर पृष्ठ २५ और २६ पर अनुच्छेद ४-६ दिखाइए, और समझाइए कि उसने क्या प्रतिज्ञा की है। आपके लौटने पर चर्चा करने के लिए यह सवाल उठाइए: “हम कैसे निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करेगा?”
५ आगे के और पीछे के आवरण पर दिए गए पूरे चित्र को प्रदर्शित करते और यह पूछते हुए आप शायद ब्रोशर “अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिये!” पेश करें:
▪“क्या आप एक ऐसे संसार में जीना चाहेंगे जो इस प्रकार के ख़ुश लोगों से भरा हुआ है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] बाइबल हमें बताती है कि परमेश्वर लोगों से प्रेम करता है और चाहता है कि वे इस पृथ्वी पर ख़ुशी में अनन्त काल तक जीएँ।” चित्र संख्या ४९ की ओर जाइए, और वहाँ उद्धृत एक शास्त्र पाठ पढ़िए। फिर, चित्र संख्या ५० दिखाइए, और समझाइए कि हमें क्या करना चाहिए यदि हम इस परादीस में जीना चाहते हैं। लौटकर यह चर्चा करने का प्रस्ताव रखिए कि यीशु मसीह में विश्वास करना इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है।
६ जब हम ‘अपनी शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के द्वारा अपनी प्रगति प्रकट’ करते हैं तो यहोवा प्रसन्न होता है। (१ तीमु. ४:१५, १६, NHT) जो लोग “कल्याण का शुभ समाचार” सुनने के लिए तरसते हैं उनकी सहायता करने के हमारे प्रयत्नों में हमारे ब्रोशर हमारे लिए एक वास्तविक मदद हो सकते हैं।—यशा. ५२:७.