सफल पुनःभेंट प्रभावकारी शिक्षण की माँग करती है
पुनःभेंट हमारी क्षेत्र सेवकाई का एक महत्त्वपूर्ण और हर्षपूर्ण भाग है। हमें दिलचस्पी रखनेवालों के पास दुबारा जाने में अध्यवसायी क्यों होना चाहिए? चेला बनाने के इस कार्य से यहोवा का नाम ज्ञात और सम्मानित होता है, और परमेश्वर का भय-माननेवाले जनों को जीवन का मार्ग पाने में मदद मिलती है। (२ कुरि. २:१७–३:३) यह पहचान कर कि दोनों, यहोवा के नाम का पवित्रीकरण और दूसरों का जीवन शामिल है, हमें लौटने से पहले अच्छी तैयारी करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।
२ एक अच्छा शिक्षक विद्यार्थी को पहले से डाली गयी नींव पर निर्माण करने के लिए मदद करेगा। जिस प्रकार एक स्कूल-शिक्षक उस ज्ञान पर निर्माण करता है जिसे विद्यार्थी रोज़-ब-रोज़ प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार हमें साधारणतया अपनी प्रारम्भिक भेंट में जिस विषय पर बात की गयी थी उसी पर अतिरिक्त टिप्पणियों के साथ पुनःभेंट करना चाहिए। इससे विचार की निरन्तरता और प्रगतिशील सोच-विचार परिणित होता है।
३ ब्रोशर “क्या परमेश्वर वास्तव में हमारी परवाह करता है?” देने के बाद जब आप लौटते हैं तब आप शायद इसे प्रभावकारी पाएँ:
▪“मेरी पिछली भेंट में, हम बाइबल में उल्लिखित ‘अन्तिम दिनों’ और कि हमारे लिए इसका क्या अर्थ है, के बारे में चर्चा कर रहे थे। आप शायद सोचें कि हम कैसे जानते हैं कि हम अन्तिम दिनों में जी रहे हैं। (२ तीमु. ३:१) इस सवाल का जवाब पाने के लिए यीशु के शिष्य उत्सुक थे। [मत्ती २४:३ पढ़िए।] अपने जवाब में, यीशु ने उन परिस्थितियों का वर्णन किया जो हम आज अपनी चारों ओर देखते हैं। इनमें ऐसी विपत्ती और हिंसा शामिल हैं जो पहले कभी नहीं देखी गयीं।” पृष्ठ १९ के अनुच्छेद ३ और ४ पर चर्चा किए गए चिन्ह की विशेषता दिखाइए। यदि प्रतिक्रिया अच्छी है, तो पृष्ठ २० के अनुच्छेद ५ से ८ पर चिन्ह की अन्य विशेषताओं को दिखाइए। लौटकर ब्रोशर के मुख-पृष्ठ पर उठाए गए सवालों का जवाब देने का प्रस्ताव रखिए।
४ ब्रोशर “जीवन का उद्देश्य क्या है? आप इसे कैसे पा सकते हैं?” में दिलचस्पी दिखानेवालों पर पुनःभेंट करने के लिए आप शायद कहें:
▪“जीने के लिए हमारे उद्देश्य के बारे में अपने वार्तालाप को फिर से आरम्भ करने के लिए मैं उत्सुक था। मेरे विचार से हम दोनों सहमत हैं कि परमेश्वर का हमारे लिए उद्देश्य था कि हम इस पृथ्वी पर सुखी और शान्तिपूर्ण परिस्थितियों में जीएँ, न कि इस गड़बड़ी में जिसका हम आज अनुभव करते हैं। क्या आप सोचते हैं कि वह अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करेगा?” प्रतिक्रिया के लिए रुकिए। यशायाह ५५:११ पढ़िए, और फिर पृष्ठ ३० के अनुच्छेद २५ से २७ पर दिए गए विचारों की चर्चा कीजिए। जीवन में एक लाभप्रद उद्देश्य पाने के सर्वोत्तम तरीक़े के रूप में व्यक्तिगत बाइबल अध्ययन की सलाह दीजिए।
५ ब्रोशर “अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिये!” में जिन्होंने पहले दिलचस्पी दिखायी है उन पर पुनःभेंट करने के लिए आप इसे फिर से दिखाकर कह सकते हैं:
▪“हमने इस ब्रोशर के आवरण पर चित्रित खूबसूरत संसार के बारे में बातें की थीं। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यीशु मसीह में विश्वास करना ऐसे लोगों के लिए इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है जो यहाँ जीना चाहते हैं।” चित्र ४१ खोलिए, और यशायाह ९:६ पढ़िए। चित्र ६२ दिखाइए, और आज्ञाकारिता की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए यूहन्ना ३:१६ पढ़िए। समझाइए कि यहोवा के साक्षी लोगों को यह सीखने में मदद कर रहे हैं कि बाइबल का अध्ययन करने और उसकी सलाह के अनुसार जीने की कोशिश करने के द्वारा विश्वास कैसे रखें।
६ प्रत्येक पुनःभेंट के बाद, अपनी प्रभावकारिता को बढ़ाने की मंशा से इसका विश्लेषण कीजिए। अपने आप से पूछिए: क्या मेरे मन में कहने के लिए कुछ निश्चित बात थी? क्या मैं ने बाइबल पर ध्यान केन्द्रित रखा? क्या मैं ने प्रारम्भिक भेंट में डाली गयी नींव पर निर्माण किया? क्या मेरी प्रस्तुति ऐसी थी कि वह बाइबल अध्ययन की ओर ले जाए? सकारात्मक जवाब आश्वस्त करते हैं कि आप परमेश्वर के वचन के एक अच्छे शिक्षक होने के लिए प्रयास कर रहे हैं।