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उद्देश्‍य के साथ पुनःभेंट

एक पुनःभेंट करते वक़्त, आपको एक ऐसा शास्त्रवचन प्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए जो पिछली बार चर्चा किए गए विषय पर उस व्यक्‍ति की जानकारी को बढ़ाएगा।

२ यदि एक अभिदान प्राप्त नहीं हुआ है, तो पत्रिका वितरणों पर पुनःभेंट करने का एक लक्ष्य है पत्रिका मार्ग स्थापित करना। इस प्रकार की एक सरल प्रस्तुति शायद प्रभावकारी हो:

▪“मैं आशा करता हूँ कि आपने उस प्रहरीदुर्ग लेख का आनन्द उठाया होगा जिसे मैं आपके पास छोड़कर गया था और जो समझाता है कि हमें क्यों परमेश्‍वर का भय होना चाहिए। आज मैं सजग होइए! पत्रिका का एक लेख लाया हूँ जो पूछता है, ‘ज़िन्दगी इतनी छोटी क्यों है?’ यह एक अच्छा सवाल है, है ना?” आप यह कहते हुए वार्तालाप जारी रख सकते हैं: “यूहन्‍ना ३:१६ में यीशु के शब्द अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा करते हैं। कृपया यह पत्रिका स्वीकार कीजिए और बाइबल में पेश की गयी ठोस आशा से प्रेत्साहित होइए।” फिर समझाइए कि आप अगले अंकों को लाने और शायद आगे यह चर्चा करने के लिए वापस आएँगे कि परमेश्‍वर ने आज्ञाकारी मानवजाति के लिए क्या प्रतिज्ञा की है। याद रखिए कि हर बार जब आप पत्रिकाएँ देते हैं, तो आप एक पुनःभेंट रिपोर्ट कर सकते हैं।

३ यदि आपने लेख “युद्ध बिना एक संसार—कब?” दिया है, तो शायद आप कहें:

▪“यदि पूर्ण शान्ति होगी तो इस पृथ्वी पर जीवन कैसा होगा? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] मुझे दिखाने दीजिए कि परमेश्‍वर ने क्या करने की प्रतिज्ञा की है।” भजन ३७:१०, ११ पढ़िए, और वर्णन कीजिए कि स्थिति कैसी होगी जब परमेश्‍वर की इच्छा इस पृथ्वी पर पूरी की जाती है। उस व्यक्‍ति को बताइए कि यीशु ने अपने शिष्यों को किन बातों के लिए प्रार्थना करना सिखाया, जैसे मत्ती ६:९, १० में अभिलिखित है। उन्हें यीशु के शब्दों के अर्थ को समझने में मदद कीजिए। यदि गृहस्वामी ने पिछली बार प्रहरीदुर्ग या सजग होइए! का अभिदान प्राप्त नहीं किया था, तो अब शायद आप इसे पेश करें और अतिरिक्‍त चर्चा के लिए वापस आने का प्रबन्ध करें।

४ यदि आप आवरण श्रंखला “ज़िन्दगी इतनी छोटी क्यों है?” पर अतिरिक्‍त चर्चा के लिए वापस लौटें हैं, तो आप शायद इस तरीक़े से शुरू करें:

▪“पिछली बार जब मैं आया था, तब हम ने मानव आयुकाल के बारे में बात की थी। जैसा कि आपने सजग होइए! लेखों में निःसंदेह नोट किया होगा, ७० या ८० साल से ज़्यादा जीने में हमारी मदद करने के बारे में वैज्ञानिक बहुत ही कम आशा देते हैं। लेकिन बाइबल जो प्रतिज्ञाएँ करती है, उसके बारे में आप क्या सोचते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल दिखाती है कि मनुष्य के लिए परमेश्‍वर के मन में कुछ ज़्यादा बेहतर बात है।” फिर यूहन्‍ना १७:३ पढ़िए, और समझाइए कि ज्ञान लेना अनन्त जीवन की ओर कैसे ले जा सकता है। तब आप शायद एक गृह बाइबल अध्ययन पेश कर पाएँ या एक और चर्चा के लिए प्रबन्ध कर पाएँ।

५ एक बाइबल अध्ययन शुरू करना हमारी सेवकाई का एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य है। संभवतः आपने ऐसे एक व्यक्‍ति से कई भेंटें की हैं जिन्होंने पत्रिकाएँ स्वीकार की हैं। अगली बार जब आप भेंट करते हैं, तब क्यों न इस प्रस्तुति को अपनाएँ?:

▪“धर्म और आधुनिक जीवन में उसके महत्त्व के बारे में लोगों के पास कितने सारे भिन्‍न विचार हैं। परमेश्‍वर ने दुष्टता की अनुमति क्यों दी है या हम क्यों बूढ़े होकर मर जाते हैं, इसके बारे में विरोधात्मक विश्‍वास हैं। कुछ लोग जानना चाहते हैं कि कैसे प्रार्थना करें और परमेश्‍वर द्वारा सुने जाएँ।” इस विषय पर हमारे बाइबल अध्ययन प्रकाशनों में एक प्रकाशन खोलिए जो आपको लगता है कि गृहस्वामी को दिलचस्प लगेगा, और संक्षिप्त रूप से प्रदर्शित कीजिए कि एक अध्ययन कैसे संचालित किया जाता है।

६ यहोवा उद्देश्‍य का परमेश्‍वर है। आइए हम उद्देश्‍य के साथ पुनःभेंट करने के द्वारा अक्‍तूबर के दौरान उसका अनुकरण करें।

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