सभी शास्त्र सिखाने के लिए लाभदायक है
बाइबल के महत्त्व के बारे में मत अनेक और विविध हैं। लेकिन, हम क़ायल हैं कि उसके पन्नों में मनुष्यजाति की उलझानेवाली समस्याओं के हल, और साथ ही जीवन में हमारे व्यक्तिगत मार्ग के लिए विश्वसनीय मार्गदर्शन है। (नीति. ३:५, ६) उसमें दी गयी सलाह की बुद्धिमानी बेजोड़ है। जिन नैतिक स्तरों का यह समर्थन करती है वे सबसे बढ़कर हैं। इसका संदेश शक्तिशाली है, “मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।” (इब्रा. ४:१२) इसका बारीक़ी से परीक्षण करने की ज़रूरत को देखने में हम दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं? नवम्बर के दौरान नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) के साथ पुस्तक बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन? (अंग्रेज़ी) या कोई पुरानी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक को पेश करते समय आप शायद निम्नलिखित सुझावों में से कुछ सुझावों को अपनाना चाहें।
२ क्योंकि अनेक लोग अपनी मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के बारे में चिन्ता करते हैं, शायद यह प्रस्तुति उनका ध्यान खींचे:
▪“अनेक लोग, जिनसे मैं आजकल बात करता हूँ, अपनी आर्थिक बाध्यताओं को पूरा करने के बारे में चिन्तित हैं। अनेक लोग भौतिक वस्तुओं का पीछा करने में फंस गए हैं, और यह तनाव में परिणित होता है। ऐसे मामलों पर सलाह पाने के लिए सबसे उत्तम स्थान कौन-सा है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] मैंने पाया है कि बाइबल व्यावहारिक सलाह देती है जो अनावश्यक समस्याओं को टालने में हमारी मदद कर सकती है। आइए मैं आपको एक उदाहरण दिखाता हूँ।” पुस्तक बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन? का पृष्ठ १६३ खोलिए और अनुच्छेद ३ में उद्धृत, १ तीमुथियुस ६:९, १० पढ़िए। अनुच्छेद ४ पर अतिरिक्त टिप्पणियाँ कीजिए, और फिर पुस्तक को पेश कीजिए।
३ यहाँ एक सुझाव है जिस पर आप पुस्तक “बाइबल—परमेश्वर का वचन या मनुष्य का वचन?” या कोई पुरानी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक को पेश करते समय शायद ग़ौर करना चाहें:
▪“हर बार जब हम अख़बार पढ़ते हैं या समाचार सुनते हैं, हम एक और दुःखद समस्या के बारे में सुनते हैं जो हमें चिन्तित करती है। [हाल ही में समाचारों में रिपोर्ट की गयी किसी व्याकुल करनेवाली घटना का ज़िक्र कीजिए।] हम इस प्रकार की समस्याओं का सामना कैसे कर सकते हैं? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] एक मशहूर व्यक्ति ने कहा कि बाइबल में वह सर्वश्रेष्ठ संदेश है जो कभी लिखा गया और ‘इसके पन्नों में उन सभी समस्याओं के सभी हल मौजूद हैं जो मनुष्य ने कभी देखीं।’ उन्होंने जो कहा वह हमें बाइबल ख़ुद जो कहती है उसकी याद दिलाता है। [२ तीमुथियुस ३:१६, १७ पढ़िए।] मुझे दिखाने दीजिए कि हम बाइबल में क्यों विश्वास रख सकते हैं।” ट्रैक्ट क्यों आप बाइबल पर विश्वास कर सकते हैं में से कुछ विशेषताएँ दिखाइए और कोई भी पुरानी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक पेश कीजिए जो एक ख़ास विषय पर बाइबल की शिक्षा देती है। सुझाइए कि इस बात की चर्चा करने के लिए आप बाद में लौटेंगे कि यह कितना अनोखा है कि बाइबल की सलाह इस आधुनिक संसार में भी व्यावहारिक है।
४ अगर आपके क्षेत्र में अधार्मिक लोग हैं, तो आप शायद यह प्रस्तुति प्रयोग करना चाहें:
▪“आज अनेक लोग मानते हैं कि पवित्र ग्रंथ परस्पर-विरोधी हैं तथा मिथ्या से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं। उन्होंने धर्म के नाम पर किए गए इतने सारे दुष्कर्म देखे हैं कि उनका अब धार्मिक अगुओं पर से विश्वास उठ गया है। दरअसल, अधिकाधिक लोग सोच रहे हैं कि परमेश्वर ने हमें कोई निर्देशन दिया भी है या नहीं। आपकी क्या राय है?” जवाब के लिए रुकिए। गृहस्वामी की प्रतिक्रिया पर निर्भर करते हुए, आपके पास जो पुरानी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक है उसका एक भाग खोलिए जहाँ गृहस्वामी की आपत्ति या दृष्टिकोण पर चर्चा की गयी है, और एकाध मुद्दों पर चर्चा कीजिए। उदाहरण के लिए, शायद आपको पुस्तक आपके लिए आनन्द का सुसमाचार के अध्याय १२ को इस्तेमाल करने का अवसर मिले।
५ हमारे महान उपदेशक ने यह निश्चित किया है कि उसकी इच्छा का ज्ञान उन सभी लोगों के लिए सुलभ हो जो सीखना चाहते हैं। बाइबल के वास्तविक महत्त्व की क़दर करने के लिए दूसरों की मदद करना एक सर्वोत्तम कार्य है जो हम उनकी मदद करने के लिए कर सकते हैं; यह उनकी जान बचा सकता है।—नीति. १:३२, ३३.